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शिवांगी के पिता कन्हैयालाल गौतम बूढ़ादाना गांव में आशा देवी के घर के पास ही रहते थे. उन की पत्नी सविता का निधन हो चुका था. परिवार में बेटी शिवांगी तथा बेटा विकास था. कन्हैयालाल हलवाई का काम करते थे. विवाह समारोह में वह खाना बनाते. सहालग के दिनों में उन्हें रातदिन काम करना पड़ता था.

जब शिवांगी की मां का निधन हुआ था, तब वह केवल 3 महीने की थी. पत्नी की मौत के बाद कन्हैयालाल ने ही बच्चों का पालनपोषण किया था.

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शिवांगी खूबसूरत थी. जब उस ने 16वां बसंत पार किया तो उस के सौंदर्य और भी निखार आ गया. उसे जो भी देखता, उस की खूबसूरती की तारीफ करता. शिवांगी पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी. वह आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन उस के पिता ने उस की आगे की पढ़ाई बंद कर दी थी.

शिवांगी की सहेली आरती उस से 3 साल बड़ी थी, जो उस के पड़ोस में ही रहती थी. दोनों पक्की सहेलियां थीं. जब आरती का विवाह हुआ तो शादी के समारोह में शिवांगी की उपस्थिति जरूरी थी.

शादी समारोह के बाद नागेंद्र को अपने घर लौट आना चाहिए था, लेकिन शिवांगी के प्यार ने उस के पैरों में जैसे जंजीर डाल दी थी. वह बुआ के घर ही रुका रहा. नागेंद्र को जब शिवांगी के करीब जाने की तड़प सताने लगी तो वह उस के घर के चक्कर लगाने लगा. शिवांगी दिख जाती तो वह उस से हंसनेबतियाने की कोशिश करता.

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