मनदीप ने सुंदर लाल को कालर से पकड़ा तो वह घबरा कर बोला, ''मुझे टार्चर रूम में मत ले जाइए, मैं सब कुछ बताता हूं.’’
''बताओ, कल रात को राजेश उर्फ खुशीराम तुम्हारे साथ था या नहीं?’’ एसआई जयकिशन ने पूछा.
''था साहब, मैं ने और राजेश ने कल सुरेंद्र शर्मा के यहां जनकपुरी में शराब की पार्टी की थी. फिर हम तीनों मेरी मारुति वैन में बैठ कर पीरागढ़ी की ओर आ गए थे. यहां एक ठेके से मैं ने शराब की बोतल और जनरल स्टोर से नमकीन खरीदी. राजेश नशे में होने के बावजूद अभी और पीने के मूड में था, इसलिए घर नहीं जाना चाहता था.
''मेरा कई बार उस से झगड़ा हुआ था, आज उस से हिसाब किताब करने का सही मौका मिल गया था. मैं ने अपने भाई बालेश कुमार को फोन कर के कहा कि पीरागढ़ी आ जाओ, राजेश मेरे साथ है, उसे निपटा देते हैं. बालेश ने हामी भर दी. यह बात सुरेंद्र शर्मा ने सुनी तो वह बहाना बना कर वैन से उतर गया और अपने घर चला गया.’’
सुंदरलाल ने रुक कर सांसें दुरुस्त कीं फिर आगे बताने लगा, ''मेरा बड़ा भाई बालेश पीरागढ़ी आ गया तो मैं वैन को चला कर शाहबाद डेरी की ओर ले आया. रास्ते में फलवालों की रेहड़ी के पास से नायलोन की रस्सी मैं ने मांग ली थी. शाहबाद डेरी में खड़े ट्रकों की आड़ में मैं ने वैन रोक दी और 3 पैग बनाए. मैं ने राजेश के गिलास में ज्यादा शराब डाली ताकि वह नशे में और बेसुध हो जाए.