कुदरत ने पुरुषों को परखने के लिए औरतों को अजीब सी शक्ति दी है. वह एक ही नजर में मर्द जाति की हरकतों को पहचान जाती हैं कि उस के मन में क्या चल रहा है.
जब भी नुसरत जहां ट्रे में चाय वगैरह ले कर नदीम के कमरे में आती तो वह उसे दीवानों की तरह देखता था. नदीम का यूं प्यार से देखना नुसरत को अच्छा लगता था. अब नदीम को देख कर नुसरत भी मुसकरा देती थी.
धीरेधीरे नुसरत जहां नदीम की ओर खिंचती चली गई. चाहत की आग दोनों ओर बराबर की लगी थी. सो सही मौका देख कर नदीम ने अपनी मोहब्बत का इजहार कर दिया तो उस ने भी इकरारेमोहब्बत कर लिया. और अपने दिल के कोने में नदीम को खास जगह दे दी. फिर दोनों के प्यार की पींगें रफ्तार भरती गईं.
नुसरत जहां प्यार की असीमित रफ्तार में यह भूल गई थी कि उस का अपना घरपरिवार है, बड़ेबड़े 2 बच्चे हैं, शौहर है. कहीं उन्हें इस बारे में भनक लगी तो इस का कितना बुरा नतीजा हो सकता है. लेकिन इन बातों की परवाह किए बगैर वह नदीम के इश्क की बाहों में झूलती रही.
आखिरकार, हुआ वही जिस का डर था. एडवोकेट इम्तियाजुल हक को पत्नी और नदीम के बीच पनपे मधुर संबंधों के बारे में पता लग ही गया. उस के बाद पतिपत्नी के बीच इस बात को ले कर कहासुनी होने लगी.
पति के सामने त्रियाचरित्र दिखाते हुए उस ने खुद को बचाने की कोशिश की कि उस का नदीम के साथ कोई नाजायज संबंध नहीं है. वह तो कभीकभार उस से यूं ही हालचाल पूछ लिया करती थी. लेकिन इम्तियाजुल हक यह मानने के लिए कतई तैयार नहीं थे.