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चंद मिनटों में ही अंशुल ने मुकीम का शरीर गोलियों से छलनी कर दिया. लहूलुहान मुकीम अस्थाई बैरक में ही लाश बन कर लहराते हुए जमीन पर ढेर हो गया. मुकीम को मारने के बाद अंशुल इत्मीनान से टहलते हुए अपनी बैरक में गया. उस के भीतर कोई डर नहीं दिख रहा था और न ही कोई फिक्र.

अंशुल दीक्षित ने पिस्तौल लहराते हुए बैरक में बंद कुछ अन्य बंदियों को अपने काबू में कर लिया. तब तक जेल के अधिकारी एकत्र होने लगे थे. अंशुल ने उन से कहा कि अगर इन कैदियों को जिंदा बचाना चाहते हो तो मुझे जिंदा जेल से बाहर जाने दो.

जिस वक्त अंशुल रगौली जेल में यह खूनी तांडव कर रहा था. तब इस की खबर पा कर पहले जेल अधीक्षक व जेलर जेल के भीतर पहुंचे. उस के बाद स्थानीय चौकी की पुलिस भी सूचना पा कर जेल के भीतर पहुंच चुकी थी. जेल अधिकारियों व पुलिस ने अंशुल से जब बारबार आत्मसमर्पण के लिए कहना शुरू किया तो उस ने खीझ कर पुलिस पर भी गोलियां चला दीं.

पहले तो पुलिस आत्मरक्षा करने की कोशिश करती रही. लेकिन जब अंशुल की गोलीबारी का सिलसिला जारी रहा तो पुलिस की जवाबी गोलीबारी में अंशुल भी मारा गया.

दरअसल, करीब आधा घंटे तक अंशुल ने पिस्तौल के बल पर कई बंदियों को काबू में कर अपने आगे खड़ा कर लिया था. उस ने बंदियों को मारने की धमकी दे कर खुद को जेल से बाहर निकालने के लिए कहा था.

लेकिन किसी तरह जब उस के आगे खड़े बंदी उसे चकमा दे कर भाग कर बैरकों में चले गए. तो एक तरफ अंशुल और दूसरी तरफ पुलिस फोर्स बची थी. अंशुल ने जैसे ही पोजिशन ले कर पुलिस पर फिर से फायर झोंका तो पुलिस ने जवाबी काररवाई कर उसे मौके पर ही ढेर कर दिया.

इस बीच पुलिस और शार्प शूटर के बीच फायरिंग की सूचना पा कर मंडलायुक्त दिनेश कुमार सिंह, आईजी के. सत्यनारायण, जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल, एसपी अंकित मित्तल भी भारी पुलिस फोर्स के साथ जेल पहुंच गए.

मुख्यमंत्री ने की रिपोर्ट तलब

जेल के अंदर ताबड़तोड़ फायरिंग की सूचना पूरे जिले में तो जंगल की आग की तरह फैल ही गई थी बल्कि टेलीफोन से मिली सूचना के बाद लखनऊ में सत्ता के गलियारों और नौकरशाही तक में हड़कंप मच गया.

उसी दिन इस घटना का मुकदमा स्थानीय थाने में दर्ज कर लिया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट जेल में हुए शूटआउट के मामले में डीजी (जेल) आनंद कुमार से रिपोर्ट तलब कर ली.

कमिश्नर डी.के. सिंह, डीआईजी के. सत्यनारायण और एडीजी (जेल) संजीव त्रिपाठी से इस मामले की जांच कर 6 घंटे में पूरी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया. डीजी  (जेल) ने घटना की विस्तृत जांच और जेल का जायजा लेने के लिए प्रभारी उप महानिरीक्षक (कारागार) इलाहाबाद रेंज पी.एन. पांडे को चित्रकूट रवाना कर दिया.

दिलचस्प बात थी कि इस शूटआउट में जेल के जो तीनों बंदी मारे गए, उन का किसी न किसी रूप में उत्तर प्रदेश के सब से बड़े डौन मुख्तार अंसारी से करीबी संबंध रहा था.

चित्रकूट जेल शूटआउट की जांच जैसे ही शुरू हुई तो इस में जेल प्रशासन की भूमिका संदिग्ध नजर आने लगी. मामले की जांच कर रहे अफसरों के काररवाई की सूई भी जेलकर्मियों की तरफ घूम गई.

पिस्तौल कैसे पहुंची हमलावर तक

क्योंकि जेल मैनुअल और नियमों के हिसाब से जेल के भीतर कोई भी हथियार लाने पर प्रतिबंध होता है. तब अंशुल दीक्षित के पास पिस्तौल और कारतूसों से मैग्जीन कैसे पहुंचीं. जाहिर था, ये सब जेल के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं था.

तत्काल तो वारदात की कडि़यां नहीं जुड़ सकीं, लेकिन यह साफ हो गया कि सुबह करीब साढ़े 9 बजे जेल में ड्यूटी करने वाले बंदी सभी बैरकों में जा कर नाश्ता बांट रहे थे. उसी वक्त कैदियों की गणना भी चल रही थी. ज्यादातर कैदी बैरक से बाहर मैदान में ही थे.

इस की वजह से चारों तरफ जेल के सिपाही नजर गड़ाए मुस्तैद थे. इसी दौरान बाल्टी में कच्चा चना और गुड़ ले कर 2 कैदी अंशुल की बैरक में दाखिल हुए.

वे चना दे कर जैसे ही लौटे चंद मिनट बाद ही अंशुल भी अपनी बैरक से बाहर आया था और उस ने पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग कर मेराज और मुकीम काला को मौत के घाट उतार दिया. जांच करने वाले अधिकारियों को शक है कि नाश्ते के साथ ही पिस्तौल भी अंशुल तक पहुंचाई गई थी.

चूंकि वारदात के समय कोरोना बीमारी के कारण 2 डिप्टी जेलर छुट्टी पर थे और जेलर व जेल अधीक्षक जेल के बाहर अपने आवास में थे, जबकि नियमत: उन में से किसी एक को जेल के भीतर होना चाहिए था.

इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं जानबूझ कर या अनजाने में लापरवाही हुई है. इसीलिए डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने चित्रकूट जेल हत्याकांड मामले में चित्रकूट जेल के जेलर महेंद्र पाल व और जेल अधीक्षक श्रीप्रकाश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया और उन के खिलाफ विभागीय काररवाई के भी आदेश दिए गए. साथ ही 3 अन्य जेल कर्मचारी संजय खरे, हरिशंकर राम और अमित कुमार को भी सस्पेंड किया गया.

उन की जगह अशोक कुमार सागर को चित्रकूट का नया जेल अधीक्षक बनाया गया. वहीं सी.पी. त्रिपाठी चित्रकूट जेल के नए जेलर बनाए गए.

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