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इतना सुन कर मानसी तपाक से बोल पड़ी, ‘‘अरे वाह! तब तो आप बड़ी पहुंच वाले हैं, आप से दोस्ती करनी ही चाहिए. आप की बातें सुन कर मुझे पता नहीं क्यों लग रहा है आप एक सज्जन व्यक्ति हैं.’’

उस के बाद संजीव ने उत्तम का वेटिंग काल आने की आवाज सुन कर मानसी को सौरी बोल कर उस का काल कट कर दिया. तब तक उत्तम का काल बंद हो चुका था.

उसे दोबारा काल मिलाते हुए संजीव काफी अच्छा महसूस करने लगा था ...चलो, नई जानपहचान के बहाने उन का एक और समर्थक मिल गया. अनजान ही सही, कभी न कभी तो वह उस के कोई काम आएगी ही. उसे भी सामाजिक काम में शामिल किया जा सकता है.

उधर मानसी के मन में भी कुछ ऐसी मेलजोल बढ़ाने की भावनाएं अंकुरित होने लगी थीं. अनजाने में ही सही, लेकिन आज उस की बात धनवान व्यक्ति से हुई थी, जो भाजपा का एक नेता भी है, तो उस की बड़े लोगों से जानपहचान जरूर होगी. फिर उस ने संजीव का नंबर शौर्ट में ‘बीएमएन’ यानी बिजनेसमैन नेता के नाम से सेव कर लिया. यह वाकया साल 2013 का है.

संजीव और मानसी की फोन पर हुई पहली बातचीत कब दोनों के लिए अनंत काल का सिलसिला बन गई, उन्हें पता ही नहीं चला. उन की आपस में अकसर बातें होने लगीं.

मैसेजिंग का दौर भी चलने लगा. एक दिन संजीव को अचानक रायपुर जाना हुआ. उन्होंने तुरंत फोन कर मानसी को मैग्नेटो माल के निकट आने को कहा.

तब तक मानसी भी संजीव जैन से फोन पर बातें करतेकरते काफी खुल चुकी थी. दोनों ‘आप’ से ‘तुम’ पर आ चुके थे. यह कहना गलत नहीं होगा कि वह भी उस की तरफ आकर्षित हो चुकी थी. संजीव के बुलावे पर मैग्नेटो माल के पास पहुंचने में जरा भी देरी नहीं की.

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