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उर्वशी ने ऋषिराज को समस्या बताई तो उस ने जगतपुरा में ही जगदीशपुरी कालोनी में उसे किराए का दूसरा मकान दिलवा दिया. कुछ समय बाद उर्वशी अपने पिता व छोटे भाई को भी जयपुर ले आई. जयपुर आ कर वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी. उस ने कुछ समय पहले स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की परीक्षा के लिए फार्म भरा था.

उस का परीक्षा केंद्र अलवर में पड़ा था. 9 जनवरी को उस की परीक्षा थी. इस के लिए वह जयपुर से अलवर गई. परीक्षा समाप्त होने के बाद वह 9 जनवरी को अलवर से शाम को मुजफ्फरनगर-पोरबंदर एक्सप्रैस टे्रन में सवार हो कर शाम सवा 7 बजे जयपुर जंक्शन पर उतरी. ट्रेन से उतर कर उर्वशी ने करीब 7 बज कर 20 मिनट पर अपने छोटे भाई को फोन कर के कहा कि उसे घर पहुंचने में देर हो जाएगी. वे लोग खाना खा कर सो जाएं. वह जब घर आएगी तो दरवाजा खटखटा देगी.

उर्वशी जयपुर जंक्शन से औटो में बैठ कर जगतपुरा पहुंची. वहां उसे ऋषिराज मीणा मिला. ऋषिराज ने औटो का 180 रुपए किराया चुकाया और उसे अपनी पल्सर बाइक पर बैठा कर जगतपुरा में ही प्रेमनगर स्थित अपने फ्लैट नंबर 280 पर ले गया. तय योजना के अनुसार, उर्वशी ने रात करीब 10 बजे अपने परिचित युवक संदीप लांबा को अपने पास बुला लिया.

संदीप को उर्वशी ने 9 जनवरी को दिन में ही फोन कर के कहा था कि रात को उस के घर वाले घर पर नहीं रहेंगे, इसलिए वह रात को उस के घर आ जाए. जयपुर जंक्शन से औटो में जगतपुरा जाते समय भी उर्वशी ने संदीप को बता दिया था कि वह रात को 280 प्रेमनगर, जगतपुरा आ जाए.

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