पुलिस टीमें जुटीं जांच में
डीसीपी राजेश देव ने फिगरप्रिंट एक्सपर्ट और तेजतर्रार इंसपेक्टर विष्णु दत्त और इंसपेक्टर दिनेश को भी वहां बुला कर जांच में लगा दिया. स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र डागर वहां आ गए. दुकान में 6 सीसीटीवी कैमरे थे, जिन की तार चोरों ने काट दी थी.
उन कैमरों की फुटेज कब्जे में ले ली गई. पड़ोस की इमारत में रहने वालों से पूछताछ की गई. इमारत में कई परिवार रहते थे. उन लोगों का कहना था कि उन्होंने ज्वेलरी शोरूम के आसपास किसी को संदिग्ध हालत में घूमते नहीं देखा, न उन लोगों ने ज्वेलरी शोरूम में घुसे चोरों के द्वारा अंदर की गई तोडफ़ोड की आवाजें सुनीं. चोर ज्वेलरी शोरूम में कब और कैसे घुसे, वे नहीं जानते.
पुलिस ने अनुमान लगाया कि चोर इसी इमारत की सीढिय़ों से इमारत की छत पर पहुंचे. वहां से ज्वेलरी शोरूम की इमारत पर आए और सीढ़ी के ग्रिल दरवाजे का ताला तोड़ कर ग्राउंड फ्लोर पर आ गए. उन्होंने यह काम सोमवार को किया, क्योंकि उस दिन साप्ताहिक अवकाश के कारण शोरूम बंद था.
उन्हें सोमवार का दिन और रात का पूरा वक्त स्ट्रांगरूम की दीवार तोड़ कर लौकर तक पहुंचने के लिए मिला. उन्होंने कटर से लौकर भी काट डाला और सारे आभूषण ले कर चले गए.
पुलिस की कई टीमें इस हाईप्रोफाइल चोरी का सुराग तलाशने में जुटी थीं. साइबर सेल टैक्निकल सर्विलांस पर काम कर रही थी. काल डिटेल्स खंगालने का भी काम जारी था.
छत्तीसगढ़ पुलिस से मिला सुराग
चोरों ने ज्वेलरी शोरूम में लगे सीसीटीवी कैमरों की वायर अंदर घुसते ही काट डाली थी, लेकिन वायर काटने से पहले की एक व्यक्ति की तसवीर सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई थी. उस व्यक्ति का हुलिया ज्यादा स्पष्ट नहीं था और पुलिस के लिए उसे पहचान पाना भी आसान नहीं था, लेकिन जांच में जुटी पुलिस टीम ने हिम्मत नहीं हारी.
दूसरे दिन भोगल एरिया में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालते वक्त पुलिस को एक फुटेज में उसी कदकाठी के एक व्यक्ति की तसवीर मिली, जैसी ज्वेलरी शोरूम में मिली थी. इस में उस व्यक्ति का चेहरा साफसाफ दिखाई पड़ रहा था. फोटो के सहारे पुलिस इस व्यक्ति का क्रिमिनल रिकौर्ड खंगालने में जुट गई.
दिल्ली के किसी भी थाने में इस व्यक्ति का फोटो नहीं था. हां, उस फोटो के जरिए गूगल पर इंटरस्टेट चोरों का रिकौर्ड खंगाला गया तो यह छत्तीसगढ़ के मशहूर चोर लोकेश श्रीवास के रूप में दर्ज मिला.
एसआई जितेंद्र ने स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र डागर, इंसपेक्टर विष्णु दत्त से विचारविमर्श किया. तीनों ने यह तय किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस से इस लोकेश श्रीवास की पूरी जानकारी मालूम की जाए.
वह अभी छत्तीसगढ़ पुलिस को फोन करने वाले ही थे कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर थाने से एक एसआई की काल एसआई जितेंद्र के मोबाइल पर आ गई. उस सबइंसपेक्टर ने कहा, ‘‘जितेंद्रजी, हम यहां रुटीन चेकिंग के लिए निकले थे. हमें आज लोकेश राव नाम का एक चोर हाथ लगा. यह लोकेश राव छोटीमोटी चोरियां करता है. एक चोरी के मामले में आंध्र प्रदेश की पुलिस को उस की तलाश थी.
‘‘इस चोर का कहना है, मुझ जैसे छोटे चोर को क्यों पकड़ते हो, दिल्ली में शातिर चोर लोकेश श्रीवास ने बड़े ज्वेलरी शोरूम पर हाथ साफ किया है, उसे पकड़ो तो जानूं. मैं यह जानना चाहता हूं क्या दिल्ली में कोई बड़ा ज्वेलरी शोरूम लूटा गया है?’’
‘‘हां. कल यहां उमराव सिंह ज्वेलर्स के यहां 25 करोड़ के आभूषणों पर उसी लोकेश श्रीवास ने हाथ साफ कर दिया है.’’ एसआई जितेंद्र ने बताया, ‘‘हमें भोगल मार्किट में एक व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में घूमता सीसीटीवी फुटेज में मिला है. गूगल पर सर्च करने से वह व्यक्ति शातिर चोर लोकेश श्रीवास ही निकला. वह आटो में सवार हो कर ज्वेलरी शोरूम से गया है, हम आटो का पता लगवा रहे हैं. आप ने हमारा विश्वास पक्का किया है. इस जानकारी के लिए आप का धन्यवाद. जल्द ही हम छत्तीसगढ़ आ सकते हैं.’’
‘‘वेलकम जितेंद्रजी. यहां हम आप का पूरा सहयोग करेंगे.’’ कहने के बाद एसआई ने एक मोबाइल नंबर जितेंद्र रघुवंशी के वाट्सऐप पर भेज दिया. और कहा, ‘‘यह लोकेश श्रीवास का मोबाइल नंबर है. आप इस से लोकेश की लोकेशन ट्रेस कर सकेंगे.’’
उधर से नंबर मिलते ही एसआई जितेंद्र ने लोकेश श्रीवास का मोबाइल नंबर सर्विलांस सेल के पास भेज दिया, ताकि इस नंबर की लोकेशन मालूम हो सके. इधर पुलिस की एक टीम उस आटो का पता तलाशने में जुट गई. जांच में उस आटो के मालिक का पता मिल गया.
पुलिस उस आटो मालिक के घर पहुंच गई. उसे लोकेश श्रीवास की फोटो दिखा कर पूछा गया कि कल रात इसे उमराव सिंह ज्वेलर्स के पास से बिठा कर कहां उतारा?
आटो वाले ने तुरंत बताया, ‘‘वह सवारी मुझे एक हजार रुपया भाड़ा दे गई थी, इसलिए याद है. मैं ने उसे कश्मीरी गेट बसअड्ïडे पर उतारा था.’’
पुलिस के 4 सिपाही साथ ले कर इंसपेक्टर विष्णुदत्त, इंसपेक्टर दिनेश और निजामुद्दीन थाने के एसआई जितेंद्र कश्मीरी गेट बसअड्डा पहुंच गए.
यहां हर स्टेट की ओर जाने वाली बसों के टर्मिनल पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे. इंसपेक्टर दिनेश के इशारे पर पुलिस टीम ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखनी शुरू की तो उन्हें वह व्यक्ति छत्तीसगढ़ जाने वाली एक बस में सवार होता दिखाई दे गया. सर्विलांस टीम ने भी पुष्टि कर दी कि इस फोन नंबर की लोकेशन छत्तीसगढ़ में शो हो रही है. इस से पूरी तरह स्पष्ट हो गया था कि मास्टरमाइंड चोर लोकेश श्रीवास ही है.
इंसपेक्टर विष्णु दत्त ने डीसीपी राजेश देव को यह जानकारी दे दी और बिलासपुर के एसआई के फोन की बात भी बता दी. डीसीपी पूरी संतुष्टि करना चाहते थे. उन्होंने लोकेश श्रीवास की तसवीर छत्तीसगढ़ पुलिस के पास फ्लैश करवा दी. वहां से जो कुछ बताया गया, उस से जांच में जुटी पुलिस टीम की बांछें खिल गईं.
पता चला कि वह व्यक्ति छत्तीसगढ़ के क्रिमिनल रिकौर्ड में दर्ज है. उस का नाम लोकेश श्रीवास उर्फ गोलू है. उम्र 32 साल. जानकारी मिली कि वह अब तक दरजनों ज्वेलरी शोरूम को अपना निशाना बना चुका है.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसे कई बार पकड़ कर जेल में डाला था, लेकिन न जाने कैसे यह शातिर चोर अपनी जमानत करवा कर जेल से बाहर आ जाता है. फिलहाल वह छत्तीसगढ़ पुलिस की कस्टडी में नहीं था. छत्तीसगढ़ पुलिस एक ज्वेलर के यहां हुई चोरी के केस में लोकेश श्रीवास को तलाश कर रही थी.
डीसीपी राजेश देव ने इस जानकारी पर राहत की सांस ली. लोकेश श्रीवास एक शातिर चोर है और उसी ने दिल्ली के भोगल इलाके में उमराव सिंह ज्वेलर्स के शोरूम में 25 करोड़ की ज्वेलरी पर हाथ साफ किया था. चूंकि वह छत्तीसगढ़ गया था, इसलिए डीसीपी को उम्मीद थी कि लोकेश श्रीवास को छत्तीसगढ़ में पकड़ा जा सकता है.
उन्होंने नारकोटिक्स सेल के इंसपेक्टर विष्णुदत्त शर्मा और इंसपेक्टर दिनेश कुमार को फ्लाइट से छत्तीसगढ़ जाने का आदेश दे दिया. दोनों इंसपेक्टर छत्तीसगढ़ पुलिस की मदद से लोकेश श्रीवास को तलाश कर के गिरफ्तार करने के लिए छतीसगढ़ रवाना हो गए. स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र डागर को सर्विलांस विभाग में रह कर लोकेश श्रीवास के मोबाइल काल पर नजर रखनी थी.