सलोनी से करीब 6 किलोमीटर दूर आलबरस गांव है जो दुर्ग जिले में आता है. इस गांव में हर साल 23 दिसंबर को मड़ई मेला लगता है. यह मेला आसपास के जिलों में बहुत प्रसिद्ध है.

मेले में हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. रुद्र नारायण को उस के दूर के जीजा पंचराम देशमुख ने मेला देखने को बुलाया तो वह अपने पिता की साइकिल उठा कर आलबरस चौक पर पहुंच गया, जहां पंचराम उस का इंतजार कर रहा था.

रुद्र को देखते ही पंचराम चहका, ‘‘तुम तो बड़े होशियार निकले, बिल्कुल समय पर आ गए.’’

साइकिल खड़ी कर रुद्र नारायण पंचराम की ओर उन्मुख हुआ, ‘‘जीजा, बचपन में मैं एक बार मेला देखने आया था. कितने साल गुजर गए, फिर दोबारा नहीं आ पाया. आज आप के कहने पर आया हूं.’’

पंचराम ने उस से पूछा, ‘‘किसी को बताया है कि सीधे चले आए हो.’’

‘‘नहीं जीजा,’’ किसी को नहीं बताया. बताता तो, पिताजी अकेले आने देते क्या? देखो न कितनी दूर से साइकिल चला कर आया हूं.’’ रुद्र के स्वर में गर्व था.

यह सुन कर पंचराम ने मन ही मन खुश होते कहा, ‘‘शाबाश, तुम ने बहुत अच्छा किया, जो घर पर किसी को नहीं बताया. तुम कोई चिंता मत करना मैं हूं ना, मैं तुम्हें मड़ाई मेला घुमाऊंगा, खिलाऊंगा...और पिलाऊंगा भी?

‘‘क्या मतलब जीजा.’’ रुद्र ने पूछा.

‘‘रुद्र, अब तुम कोई बच्चे नहीं रहे...अच्छा बताओ, तुम ने कभी शराब पी है कि नहीं.’’

‘‘एक बार पी थी दोस्तों के साथ. उस के बाद फिर कभी नहीं पी.’’ रुद्र नारायाण ने आंखें नीची कर के झिझकते हुए कहा.

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