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जहां ये अग्रवाल मैडिकल सेंटर चलता था, वहां 10 किलोमीटर के अंदर ऐसे कई क्लीनिक चलते हैं, जहां पर बिना डिग्री के डाक्टर व स्टाफ काम करते हैं. जांच के दौरान अग्रवाल मैडिकल सेंटर के अंदर सब से अधिक सफदरजंग अस्पताल से आए मरीजों के कागजात मिले.

दिल्ली के इन फरजी डाक्टरों का सालों से फरजी गोरखधंधा देश की राजधानी में अग्रवाल मैडिकल सेंटर में धड़ल्ले से चल रहा था. यह अस्पताल गैंग की तरह चलता था. बेहद सस्ते में इलाज और सर्जरी का लालच दे कर यह मरीजों को फंसाते थे. यह गैंग मरीजों को डरा कर उन से मोटी रकम वसूल कर धड़ाधड़ सर्जरी करता था. पैसों की खातिर गैंग की नजरों में मरीज की जान की कोई कीमत ही नहीं थी.

इस अस्पताल में सिर्फ 2 डाक्टर ही थे, डा. नीरज अग्रवाल और डा. जसप्रीत सिंह.  नीरज एमबीबीएस है, लेकिन दिल्ली मैडिकल काउंसिल उस के रजिस्ट्रेशन को 3 बार रद्द कर चुकी है. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि सर्जन डा. जसप्रीत सिंह तो बिना औपरेशन थिएटर में पहुंचे, बिना मरीज को छुए ही अस्पताल के लिए कागजों पर सर्जरी कर दिया करता था. सर्जरी तो डा. जसप्रीत के नाम पर होती थी, लेकिन उसे अंजाम देते थे अस्पताल में कार्यरत मुन्नाभाई एमबीबीएस.

दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट औफ कैलाश के गढ़ी गांव निवासी 44 वर्षीय जय नारायण कई दिनों से पेट के दर्द से परेशान चल रहे थे. उन के चचेरे भाई ने उन का चैकअप कराया.  अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट से पता चला कि उन के पित्ताशय में पथरी है.

पथरी से निजात पाने के लिए उन को औपरेशन की सलाह दी गई. तब उन्हें बताया गया कि दिल्ली के पौश इलाके ग्रेटर कैलाश में अग्रवाल मैडिकल सेंटर नाम का एक नर्सिंग होम है. इस में इलाज सस्ता और अच्छे डाक्टरों द्वारा किया जाता है.

इस जानकारी के बाद जय नारायण अपने चचेरे भाई राजपाल सिंह, जो दिल्ली के ही श्रीनिवासपुरी वार्ड के निगम पार्षद हैं, के साथ इस अस्पताल में 26 अक्तूबर, 2023 को जा पहुंचे. परिजनों ने अस्पताल के डाक्टरों से बातचीत के बाद औपरेशन फीस जमा कर दी. इस के साथ ही औपरेशन के लिए आवश्यक दवाएं, इंजेक्शन, सर्जिकल ब्लेड आदि सामान भी डाक्टरों के कहने पर ला कर दिए. अगले दिन की तारीख जय नारायण के औपरेशन के लिए दे दी गई.

27 अक्तूबर को नर्सिंग होम के डाक्टरों की टीम ने जय नारायण की पित्ताशय की पथरी का औपरेशन किया. औपरेशन के बाद जय नारायण की तबीयत बिगड़ गई और उन की मौत हो गई. नर्सिंग होम के डाक्टरों ने जय नारायण की मौत की खबर घर वालों को दी.

जय नारायण की मौत की खबर सुनते ही घर वालों के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई. भाई ने जब डाक्टरों से मौत का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि औपरेशन सफल रहा था, लेकिन उस के बाद हार्ट अटैक आने से जय नारायण की मौत हो गई.

अजीब बात यह थी मरीज को सर्जरी के लिए उन्हीं कपड़ों में ले जाया गया था, जो उस ने उस समय पहने हुए थे. जबकि मरीज को औपरेशन थिएटर में ले जाने से पूर्व अस्पताल के कपड़े पहनाए जाते हैं. फिर ऐसा क्यों किया गया? यह बात घर वालों के गले नहीं उतर रही थी.

मृतक जय नारायण की पत्नी के अलावा 21 व 14 साल के बच्चे हैं. वह परिवार के मुखिया थे. उन की मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया. घर वालों ने डाक्टरों की बातों पर विश्वास नहीं किया और पुलिस को सूचना दे दी. कुछ ही देर में पुलिस आ गई और शिकायत पर मृतक जय नारायण के शव को अपने कब्जे में ले लिया.

पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम एम्स में कराया. शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के एक पैनल द्वारा किया गया. अपनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टरों ने बताया कि जय नारायण की मौत हार्ट अटैक से नहीं, बल्कि ज्यादा खून के निकलने के कारण हुई थी.

फरजी डाक्टरों के गैंग में कौनकौन थे शामिल

इस अस्पताल के खिलाफ पिछले साल भी की गई एक शिकायत की जांच चल रही थी. 10 अक्तूबर, 2022 को दक्षिणपूर्वी दिल्ली के संगम विहार की एक महिला ने ग्रेटर कैलाश थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

शिकायत में आरोप लगाया कि 19 सितंबर, 2022 को वह अपने पति असगर अली की पित्ताशय की पथरी निकलवाने के लिए अग्रवाल मैडिकल सेंटर ले गई थी. उस का आरोप था कि सर्जरी शुरू होने से पहले नर्सिंग होम के निदेशक डा. नीरज अग्रवाल ने उस से कहा कि सर्जरी डा. जसप्रीत सिंह द्वारा की जाएगी, लेकिन सर्जरी होने से पहले डा. नीरज अग्रवाल ने महिला को बताया कि डा. जसप्रीत सिंह सर्जरी करने नहीं आ सके हैं और अब सर्जरी डा. महेंद्र सिंह करेंगे.

इस के बाद डा. नीरज अग्रवाल ने उस महिला से डा. महेंद्र सिंह को भी मिलवाया. इस के साथ ही वहां मौजूद एक नर्स ने भी उस महिला का परिचय डा. पूजा के रूप में कराया.

असगर अली की सर्जरी डा. महेंद्र सिंह, डा. नीरज अग्रवाल और पूजा ने की. औपरेशन के बाद मरीज को औपरेशन थिएटर से जब बाहर लाया गया तो वह तेज दर्द की शिकायत करने लगा. इस के बाद हालत बिगड़ने पर उसे एंबुलेंस से सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया तो वहां के डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

फोटो से कैसे खुला असगर अली की मौत का राज

संगम विहार निवासी असगर का अग्रवाल मैडिकल सेंटर में पित्ताशय की पथरी का औपरेशन किया गया था. पथरी को निकालने के बाद पूजा ने असगर के बेटे को पित्ताशय व पथरी दिखाई थी. ये दोनों चीजें दिखाते समय बेटे ने अपने मोबाइल से फोटो खींच ली थी. यही फोटो थी, जिस से डा. अग्रवाल के सारे राज खुल गए.

हुआ यह कि जब असगर की हालत खराब होने पर उसे सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया तो अग्रवाल मैडिकल सेंटर से असगर की जो समरी सफदरजंग अस्पताल भेजी थी, उस में टाइम कुछ और था. इस टाइम के अंतर में डा. नीरज अग्रवाल फंस गया.

पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद 25 अक्तूबर, 2022 को थाना ग्रेटर कैलाश-1 में आईपीसी की धारा 304/196/197/198/201/120बी के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया.

पुलिस ने इस मामले की जब जांच शुरू की तो उसे पता चला कि 19 सितंबर, 2022 को मृतक असगर अली की सर्जरी के समय डा. जसप्रीत सिंह ग्रेटर कैलाश-1 में मौजूद नहीं था, लेकिन उस ने मृतक की सर्जरी के संबंध में फरजी दस्तावेज तैयार किए थे.

आगे की जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि वर्ष 2016 से अब तक विभिन्न शिकायतकर्ताओं द्वारा अग्रवाल मैडिकल सेंटर और डा. नीरज अग्रवाल व उन की पत्नी पूजा अग्रवाल के खिलाफ दिल्ली मैडिकल काउंसिल में लगभग 7 शिकायतें दर्ज कराई थीं. इलाज में कई मरीजों की जान चली गई थी.

जांच के बाद पुलिस ने आरोपी की करतूतों से परदा उठा दिया. यदि उस समय इस अस्पताल के खिलाफ कोई सख्त काररवाई हो जाती तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं. लेकिन ढुलमुल रवैए के चलते ऐसा नहीं किया गया, जिस से यहां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होता रहा.

Press Confrence me Farji Hospital Ki Jankari Deti DCP Chandan Chaudhari

अग्रवाल मैडिकल सेंटर की जांच के लिए 4 सदस्यीय डाक्टरों वाले एक मैडिकल बोर्ड को पहली नवंबर, 2023 को बुलाया गया. बोर्ड ने अपनी जांच के दौरान इस नर्सिंग होम में अनेक कमियां देखीं.

बोर्ड को जांच के दौरान जानकारी मिली कि अग्रवाल मैडिकल सेंटर का निदेशक डा. नीरज अग्रवाल अकसर मरीजों के इलाज व सर्जरी से संबंधित फरजी दस्तावेज तैयार करता था. इस के बाद वह इन्हें मरीजों को सौंप देता था. पुलिस उपायुक्त ने अग्रवाल मैडिकल सेंटर का लाइसेंस रद्द कराने के लिए दिल्ली मैडिकल काउंसिल के अध्यक्ष को पत्र लिखा है.

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