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मनोज जैन से पूछताछ में पता चला कि उस के साथियों संदीप कुमार, मुकेश और संदीप उर्फ सन्नी ने जतिन का अपहरण किया था. इस कांड में उन के साथ वह भी शामिल था. पुलिस ने जब उस से अपहृत जतिन के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जतिन की हत्या कर के लाश नरेला से हो कर बहने वाले नाले में फेंक दी गई है.

गौतम से पूछताछ के बाद पुलिस ने किशनलाल को थाने बुला लिया. जब उसे पता चला कि जतिन की हत्या कर दी गई है तो उस पर तो जैसे आसमान टूट पड़ा. थानाप्रभारी किशनलाल और गौतम को साथ ले कर वहां के लिए रवाना हो गए, जहां जतिन की लाश फेंकी गई थी. बाहरी दिल्ली में नरेला के पास एक गांव है नगली. वहीं एक बड़ा सा नाला है. गौतम ने वह जगह बताई जहां उस ने लाश फेंकी थी. लेकिन पुलिस को वहां लाश दिखाई नहीं दी.

नाला गहरा था, इसलिए पुलिस ने जेसीबी मशीन मंगा कर नाले को खंगालना शुरू किया. आखिर थोड़ी मेहनत के बाद लाश मिल गई. बेटे की लाश देख कर किशनलाल फफक फफक कर रोने लगा. उस ने लाश की शिनाख्त अपने बेटे जतिन के रूप में कर दी. आवश्यक काररवाई के बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और गौतम को साथ ले कर थाने आ गए.

गौतम के अन्य साथी फरार थे, इसलिए उसे तीस हजारी न्यायालय में पेश कर के 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. गौतम की निशानदेही पर पुलिस ने 27 सितंबर को मुकेश, संदीप कुमार और संदीप उर्फ सन्नी को उन की दुकानों से गिरफ्तार कर लिया. इन सभी से की गई पूछताछ में जतिन के अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.

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