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23 वर्षीय अंकुर के पिता नारायण पंवार भी उसी बिजली बोर्ड में सर्विस करते थे, जिस में प्रीति के पिता अमर सिंह राठी थे. उन का घर ठीक अमर सिंह राठी के घर के सामने था. आमनेसामने रहने के कारण दोनों परिवारों में काफी मेलजोल था.

प्रीति राठी और अंकुर पंवार बचपन में एकदूसरे के अच्छे दोस्त हुआ करते थे. अंकुर पंवार के पिता नारायण पंवार शारीरिक रूप से अपंग थे, इसलिए उन्होंने अपने बेटे अंकुर से कुछ ज्यादा ही आशा लगा रखी थीं. प्रीति राठी की तरह अंकुर पंवार भी अपने भाई और बहनों में सब से बड़ा था. लेकिन वह पढ़ाईलिखाई में प्रीति की तरह होशियार नहीं था.

प्रीति की तरह वह परीक्षाओं में भी अच्छे अंक नहीं ला पाता था. जिस की वजह से उसे डांट खानी पड़ती थी. बातबात में उस की तुलना प्रीति से की जाती थी. किसी तरह बारहवीं पास करने के बाद उस ने उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर जा कर होटल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल कर ली थी. इस के बावजूद उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी. वह जिस होटल में इंटरव्यू देने जाता था या तो इंटरव्यू में फेल हो जाता या फिर उसे वहां का वातावरण ठीक नहीं लगता था. उसे नौकरी मिल भी जाती थी तो वह छोड़ देता था. इस से उस का परिवार दुखी रहता था. घर के सब लोग उसे कोसते रहते थे.

उस दिन भी अंकुर के मातापिता उस से काफी नाराज थे, जिस दिन प्रीति राठी को भारतीय नौ सेना मेडिकल सर्विस में नौकरी मिली थी. अपने घर में अकसर प्रीति की तारीफ और अपनी उस से तुलना सुनसुन कर अंकुर का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था. उसे प्रीति से जलन होने लगी थी. इसी वजह से उस ने पहले खुद को हानि पहुंचाने की सोची, लेकिन फिर इरादा बदल गया. उस ने प्रीति को खत्म करने का फैसला कर लिया. लेकिन इस से वह डर रहा था. क्योंकि ऐसा करने पर वह पुलिस के हत्थे चढ़ सकता था.

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