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मसीना अस्पताल में भरती प्रीति राठी की सेहत में जब 15 दिनों तक कोई सुधार नहीं आया तो उस के बेहतर इलाज के लिए और यह जघन्य अपराध करने वाले के विरुद्ध मुंबई से ले कर दिल्ली तक आवाजें उठने लगीं. कई महिला संगठनों द्वारा उठाई गई यह आवाज जब महाराष्ट्र विधानसभा तक पहुंची तो महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री आर.आर. पाटिल ने प्रीति का इलाज किसी अच्छे अस्पताल में कराने और इलाज का सारा खर्चा सरकार द्वारा उठाए जाने का ऐलान कर दिया. इस के साथ ही प्रीति को मसीना अस्पताल से निकाल कर मुंबई अस्पताल में भरती करा दिया गया. लेकिन उस की सेहत में यहां भी कोई सुधार नहीं हुआ.

इसी बीच प्रीति ने इस केस के इन्वेस्टीगेशन अफसर को एक मार्मिक पत्र लिखा—

‘पुलिस भैया, मेरा क्या कुसूर था जो मुझे यह सजा मिली. मैं तो भारतीय मेडिकल सर्विस में इसलिए शामिल हुई थी कि देशवासियों की सेवा कर सकूं. घायलों, मरीजों के काम आ सकूं. मैं बीमार, लाचार भाईबहनों के लिए मुंबई आई थी, मैं ने किसी का क्या बिगाड़ा था? मेरे साथ उस ने ऐसा क्यों किया? जिस ने भी यह सब किया है, उसे आप छोड़ना नहीं. उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए.

—आप की बहन प्रीति.’

इस पत्र को लिखने के 2-3 दिनों बाद ही 31 मई को प्रीति ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया. प्रीति की मौत के बाद जब उस का यह भावुक पत्र मुंबई के समाचार पत्रों में छपा तो जिस ने भी पढ़ा, उस के दिल को छू गया. फलस्वरूप इस मामले ने फिर तूल पकड़ लिया और उस पर एसिड फेंकने वाले को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग जोर पकड़ने लगी. मुंबई से ले कर दिल्ली तक के महिला संगठनों ने इसे ले कर धरनेप्रदर्शन शुरू कर दिए.

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