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कोर्ट के आदेश पर जागी पुलिस

सभी तरफ से निराश होने के बाद भी भगवान देवी चुप नहीं बैठी. अपनी बेटी के लापता होने के बाद उस की हत्या होने के कारण वह दुखी थी. लगभग 2 साल तक थाने व पुलिस के उच्चाधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भगवान देवी की हिम्मत जबाव दे गई.

जब अपनी बेटी के शव (कंकाल) को प्राप्त करने के लिए घर वाले परेशान हो गए, तब मां भगवान देवी ने न्याय के लिए साल 2022 में हाईकोर्ट, इलाहाबाद का दरवाजा खटखटाया.

रीता की मां भगवान देवी ने अपनी रिट याचिका में पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस को कई बार प्रार्थनापत्र देने के बाद भी अब तक आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है, साथ ही डीएनए रिपोर्ट भी नहीं दी गई है. भगवान देवी ने न्यायालय से इस संबंध में एसएसपी, इटावा को निर्देश जारी करने की अपील की.

इस पर न्यायालय ने भगवान देवी की रिट पर सुनवाई करते हुए 11 जुलाई, 2022 के अपने आदेश  में एसएसपी इटावा को भगवान देवी द्वारा 22 सितंबर, 2020 को गुमशुदगी की जो सूचना थाना जसवंतनगर में दर्ज कराई थी. पुलिस पूछताछ में आरोपियों के नाम भी बताए थे.

इस के बाद 26 सितंबर को जब बाजरा के खेत में कंकाल मिला, तब कपड़ों व अन्य चीजों से कंकाल की पहचान बेटी रीता के रूप में की थी. इसी गुमशुदगी को प्रथम सूचना रिपोर्ट के रूप में आरोपियों के खिलाफ परिवर्तित करने तथा दोबारा डीएनए टेस्ट कराने और 2 माह में डीएनए रिपोर्ट और जांच प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करने के आदेश दिए.

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