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उमेश निराला कालेज में इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. उमेश और अनीता की मुलाकातें धीरेधीरे बढ़ती गईं और दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. प्यार परवान चढ़ा तो उनके बीच की सारी दूरियां खत्म हो गईं.

उमेश और अनीता का अवैध रिश्ता आम हुआ तो अनीता के पिता को बड़ा दुख हुआ. उन्होंने बेटी को समझाया, घरपरिवार की इज्जत का वास्ता दिया, लेकिन अनीता की समझ में नहीं आया. वह तो आसमान में उड़ने लगी थी. उस ने उमेश के अलावा और भी कई बौयफ्रैंड बना लिए थे, जिन के साथ वह घूमतीफिरती और मौजमस्ती करती थी. अनीता की बदचलनी का असर उस की दोनों छोटी बहनों पर भी पड़ने लगा. वे भी उसी की राह पर चल पड़ी थीं.

अनीता के कदम बहके तो पिता को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उन्होंने उस के हाथ पीले करने को स्वयं तो दौड़धूप शुरू की ही, नातेरिश्तेदारों से भी कह दिया कि वह अनीता के लिए कोई लड़का बताएं. एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था राघवेंद्र कुमार शुक्ला.

राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला उन्नाव जिले के अचलगंज कस्बे के रहने वाले थे. उन के 3 बच्चों में राघवेंद्र सब से बड़ा था. वह पढ़ालिखा तो था किंतु बेरोजगार था. उस का मन खेती में नहीं लगता था और उसे नौकरी भी नहीं मिल रही थी. सो वह आवारा घूमता था. अनीता के पिता ने राघवेंद्र को देखा तो यह सोच कर उसे पसंद कर लिया कि पढ़ालिखा है. शरीर से भी स्वस्थ है, नौकरी आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी.

देवनारायण ने राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला से उस के ब्याह की बात चलाई तो वह राजी हो गए. इस के बाद सन 2010 में अनीता की शादी राघवेंद्र के साथ हो गई.शादी के बाद अनीता ससुराल आई तो सभी ने उस के रूप की तारीफ की. राघवेंद्र भी सुंदर पत्नी पा कर इतरा उठा. सब खुश थे पर अनीता खुश नहीं थी. उसे एक तो बेरोजगार पति मिला था, दूसरे उस की स्वच्छंदता पर प्रतिबंध लग गया था. इसलिए वह परेशान रहती थी. घर से बाहर आनेजाने को ले कर उस की तूतूमैंमैं पति से भी होती थी और सासससुर से भी.

अनीता ने जैसेतैसे 3 साल ससुराल में बिताए. इस बीच वह एक बेटे की मां भी बनी. उस के बाद अनीता को ले कर घर में कलह होने लगी. दरअसल, अनीता ने शादी के पहले के अपने प्रेमियों के साथ घूमनाफिरना शुरू कर दिया था. उन के साथ वह बहाने से उन्नाव तो कभी बदरका घूमने निकल जाती थी. राघवेंद्र तथा उस के परिवार से यह बात अधिक दिनों तक छिपी नहीं रही.

वह समझ गए कि अनीता बदचलन है. राघवेंद्र ने पत्नी पर अंकुश लगाना चाहा तो वह पति को ही आंखें दिखाने लगी, ‘‘ज्यादा टोकाटाकी की तो थाने जा कर घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दूंगी. सभी जेल में दिखाई दोगे. इज्जत नीलाम होगी अलग से.’’धमकी से डर कर राघवेंद्र ने अनीता को उस की मरजी और हाल पर छोड़ दिया. अनीता ने पति को तो दबाव में ले लिया पर ससुराल वालों को नहीं दबा सकी. वह घर में ऐसी औरत को भला कैसे बरदाश्त करते जो बदचलन हो.

लिहाजा सब मिल कर उसे घर से निकालने पर तुल गए.अनीता जानती थी कि अकेली औरत कटी पतंग की तरह होती है. नाम के लिए ही सही, लेकिन पुरुष साथ हो तो वह अनेक मुसीबतों से सुरक्षित रहती है. अपनी इसी सोच के तहत अनीता घर से तो निकली पर पति को भी साथ ले गई. अनीता पति के साथ कानपुर आ गई और किदवईनगर में किराए का कमरा ले कर रहने लगी. वहां राघवेंद्र दादानगर स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा. अनीता ने भी नौकरी ढूंढ ली और काम पर जाने लगी.

छोटीछोटी उन नौकरियों में वेतन भी मामूली था और मेहनत अधिक थी. अत: आमदनी बढ़ाने के लिए अनीता ने किसी दूसरे काम की तलाश शुरू कर दी. इसी तलाश में अनीता एक कालगर्ल रैकेट की सरगना से जा टकराई. सरगना ने जौब दिलाने का झांसा दे कर अनीता को अपने जाल में फंसाया और फिर देहव्यापार के धंधे में उतार दिया. अनीता खूबसूरत और जवान थी. उस की डिमांड अधिक होती थी, अत: वह खूब पैसे कमाने लगी.राघवेंद्र प्राइवेट नौकरी करता रहा और अनीता देहव्यापार के गंदे तालाब की मछली बनी रही. हालांकि राघवेंद्र को पत्नी का धंधा कतई पसंद नहीं था, मगर वह उसे रोक नहीं पाता था. जब भी अनीता से कुछ कहता तो वह उसे डराधमका कर चुप रहने को विवश कर देती थी. तब राघवेंद्र खून का घूंट पी कर रह जाता.

अनीता ने जब जिस्मफरोशी के धंधे के सभी गुर सीख लिए तो उस ने अपना अलग रैकेट बना लिया. उस के रैकेट में पेशेवर कालगर्ल्स थीं. इस के अलावा वह अपने स्तर से नई कालगर्ल भी तैयार करती थी. इस के लिए अनीता गरीब मजबूर व सुंदर लड़कियों को टारगेट करती. वह उन्हें रुपयों या फिर नौकरी दिलाने का लालच दे कर अपने जाल में फंसाती फिर देहव्यापार में उतार देती. शर्मनाक बात तो यह रही कि अनीता ने अपनी जवान व खूबसूरत सगी बहनों को भी देह के धंधे में उतार दिया. उन के पति ही उन की दलाली करने लगे.

अनीता घर में ही देहव्यापार करती थी. वह ग्राहक से फुल नाइट के 5 से 10 हजार रुपए लेती थी. जो ग्राहक कालगर्ल को बाहर ले जाना चाहते थे, उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता था. कालगर्ल का सारा खर्चा कस्टमर को ही देना पड़ता था.पुलिस के भय से अनीता किसी एक मकान में लंबे अरसे तक नहीं रहती थी. स्थानीय पुलिसकर्मियों से वह सांठगांठ बनाए रखती थी. 2019 के जनवरी महीने में अनीता ने चकेरी थाने के श्यामनगर क्षेत्र के रामपुरम में एक मकान 15 हजार रुपए महीने के किराए पर लिया. यह मकान अजय सिंह का था.

इसी किराए के मकान में अनीता अपना हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का संचालन करने लगी थी. उस ने अपना दायरा भी बढ़ा लिया था. वह शहर के बाहर भी कालगर्ल्स भेजने लगी थी. अनीता ने शहर के बाहर कालगर्ल भेजने का 25 हजार रुपया तय कर रखा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक के जरिए भी ग्राहकों को युवतियों की फोटो भेज कर सौदा तय करती थी और ग्राहकों की डिमांड पर दूसरे शहरों से भी कालगर्ल्स बुलाती थी.बड़े शहरों के जिस्मफरोशी के दलाल उस के संपर्क में थे. अनीता का पति राघवेंद्र भी अब पत्नी के अनैतिक धंधे में शामिल हो गया था. पैसों का लेनदेन वही करने लगा था.

रामपुरम में अनीता का धंधा खूब फलफूल रहा था कि पड़ोसियों की नजर उस के धंधे पर पड़ गई. उन्होंने इस की जानकारी आईजी मोहित अग्रवाल को दी और उस के सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ हो गया.
पुलिस छापे में पकड़ी गई अंकिता, अनीता की सगी बहन थी. वह अपने पति आशुतोष झा के साथ नौबस्ता थाना क्षेत्र के पशुपतिनगर में रहती थी. वहीं पर एक मंदिर में दोनों की मुलाकात हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई. तब अंकिता ने आशुतोष के साथ प्रेम विवाह किया था. आशुतोष मधुबनी, बिहार का रहने वाला था.आशुतोष से शादी करने के बाद अंकिता पशुपतिनगर में रहने लगी. आशुतोष प्राइवेट नौकरी करता था. इस नौकरी से वह न तो अपनी जरूरतें पूरी कर पाता था और न ही अंकिता की ख्वाहिशें. 2-3 सालों में ही प्यार का नशा उतर गया था और वे दोनों आर्थिक परेशानी से जूझने लगे थे. अंकिता सदैव चिंताग्रस्त रहने लगी थी.

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