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उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी का रहने वाला मुनव्वर हसन काफी दबंग आदमी था. वह अपने दोस्त शाहिद उर्फ बंटी के साथ प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. इसी धंधे से उस ने करोड़ों की संपत्ति जुटा रखी थी. चूंकि उस के पास अच्छाखासा पैसा था और इलाके में अच्छी जानपहचान थी, इसलिए वह राजनीति में कूद गया.

देखा जाए तो राजनीति में दबंग और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग सफल हैं. यही सोच कर मुनव्वर हसन ने सन 2014 में दिल्ली के बादली विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. चुनाव तो वह नहीं जीत सका, पर उस की तमाम नेताओं से अच्छी जानपहचान हो गई, जिस का फायदा वह अपने कारोबार में उठाने लगा.

मुनव्वर का कारोबार बहुत अच्छा चल रहा था, पर सन 2017 उस के और उस के परिवार के लिए परेशानी ही परेशानी ले कर आया. 19 जनवरी, 2017 को रेप के आरोप में उसे जेल जाना पड़ा. उस की पत्नी सोनिया उर्फ इशरत ने सोचा भी नहीं था कि उसे यह दिन भी देखना पड़ेगा. वैसे मुनव्वर हसन ने हिंदू लड़की से लवमैरिज की थी. सोनिया उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर की रहने वाली थी. शादी के बाद सोनिया ने अपना नाम इशरत रख लिया.

सोनिया उर्फ इशरत की गृहस्थी की गाड़ी हंसीखुशी से चल रही थी. सोनिया मुनव्वर की 2 बेटियों आरजू और अर्शिता उर्फ अर्शी तथा 2 बेटों आकिब व शाकिब की मां थी. चूंकि मुनव्वर के पास पैसों की कमी नहीं थी, इसलिए सभी बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे थे.

मुनव्वर हसन के जेल जाने के बाद सोनिया उर्फ इशरत और उस के बच्चे परेशान हो गए. लेकिन उन की परेशानी की इस घड़ी में मुनव्वर के दोस्त साहिब खान उर्फ बंटी ने भरपूर साथ दिया. वह हर तरह से उन के परिवार की देखरेख कर रहा था. इतना ही नहीं, वह मुनव्वर के केस की पैरवी भी कर रहा था. वह उस से जेल में मिलने खुद तो जाता ही था, साथ ही उस की बीवीबच्चों को भी मिलवाने के लिए ले जाता था.

बंटी का संतनगर के कमल विहार में प्रौपर्टी डीलिंग का औफिस था. वह अपने औफिस पर रोजाना बैठता था. 24 अप्रैल को बंटी मुनव्वर के घर पहुंचा तो उस की बीवी और बच्चे गायब मिले. उस ने उस की बीवी इशरत को फोन किया तो वह भी बंद मिला. उस ने पड़ोसियों से पूछा कि दीदी दरवाजा खोल कर कहां चली गई. वह इशरत को दीदी कहता था. पड़ोसियों ने भी अनभिज्ञता जताई तो बंटी ने उस के दरवाजे पर ताला लगाया और अपने औफिस आ गया.crime story in hindi

बंटी शाम को फिर इशरत के घर पहुंचा तो दरवाजे पर उसे वही ताला लटका मिला, जो वह लगा गया था. वह 3-4 दिनों तक लगातार मुनव्वर के घर गया, हर रोज उसे वही ताला लगा मिला. बंटी ने इशरत और उस के बच्चों के रहस्यमय ढंग से गायब होने की जानकारी जेल में बंद मुनव्वर हसन को दी. मुनव्वर ने शंका व्यक्त की कि इशरत बच्चों को ले कर कहीं अपने मायके तो नहीं चली गई?

उस का मायका सहारनपुर में था. लेकिन यहां यह सवाल भी था कि यदि वह मायके जाती, घर को इस तरह खुला छोड़ कर क्यों जाती? बीवी और चारों बच्चों के गायब होने की बात सुन कर मुनव्वर परेशान हो उठा. पर उस समय वह जेल में था. बाहर होता तो अपने स्तर से उन की तलाश भी करता.

मुनव्वर का मन कर रहा था कि वह उसी समय जेल की चारदीवारी फांद कर बाहर निकल जाए और बीवीबच्चों को तलाशे. उस ने अपने दोस्त बंटी से कह दिया कि वह किसी भी तरह उसे अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर निकलवाने की कोशिश करे. बंटी उस का जिगरी दोस्त था. वह वकील से मिल कर मुनव्वर को अंतरिम जमानत पर जेल से निकलवाने की कोशिश में लग गया.

बंटी की मेहनत रंग लाई और पत्नी तथा बच्चों को ढूंढने के लिए माननीय न्यायालय ने मुनव्वर को अंतरिम जमानत दे दी.

17 मई को मुनव्वर अपने दोस्त बंटी और दीपक के साथ घर पहुंचा तो उस समय रात के 11 बज रहे थे. अपना सूना घर देख कर उस की आंखों से आंसू टपक पड़े. बंटी और दीपक ने समझा कर भरोसा दिलाया कि वह दीदी और बच्चों को हर जगह ढूंढने की कोशिश करेंगे.

उस रात मुनव्वर को अपने ही घर में नींद नहीं आई. बीवीबच्चों को ले कर तरहतरह के खयाल उस के दिमाग में रात भर आते रहे. सुबह होने पर उस ने उस इलाके में रहने वाले अपने सभी जानने वालों से बीवीबच्चों के बारे में पूछा, पर कोई कुछ नहीं बता सका.

अचानक सभी के एक साथ गायब होने से मोहल्ले वाले भी हैरान थे. जब बीवीबच्चों की कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली तो मुनव्वर हसन अपने दोस्त बंटी को ले कर 18 मई को थाना बुराड़ी पहुंचा और थानाप्रभारी को अपने पूरे परिवार के अचानक गायब होने की बात बताई. थानाप्रभारी ने उस की पत्नी और बच्चों की गुमशुदगी दर्ज करा कर उन की तलाश कराने का भरोसा दिया.crime story in hindi

थाने से लौट कर मुनव्वर अपने औफिस गया. वह अपने खास जानपहचान वालों से भी मिला. उस की पत्नी हिंदू थी. पत्नी के घर वाले उस से शादी करने को तैयार नहीं थे. मुनव्वर को इस बात की भी आशंका हो रही थी कि कहीं पत्नी के मायके वालों ने ही तो नहीं सब को गायब करा दिया?

उस की पत्नी सोनिया उर्फ इशरत का मायका सहारनपुर में था. मुनव्वर ने अपने विश्वासपात्र लोगों से इस बात का पता कराया तो जानकारी मिली कि मायके वालों को तो इशरत और बच्चों के गायब होने की जानकारी ही नहीं है.19 मई को पूरे दिन बंटी के साथ रह कर वह बीवीबच्चों की खोजता रहा.

अगले दिन यानी 21 मई की शाम को बंटी अपने औफिस में बैठा था. उस समय मुनव्वर उस के साथ नहीं था. उस ने मुनव्वर को फोन किया. फोन पर घंटी तो बज रही थी, पर मुनव्वर फोन उठा नहीं रहा था. बंटी ने थोड़ी देर बाद फिर उसे फोन किया. इस बार भी घंटी तो बजी, पर उस ने फोन नहीं उठाया. कई बार फोन करने के बाद भी जब उस ने फोन रिसीव नहीं किया तो वह उस के घर पहुंच गया. वह उस के कमरे में पहुंचा तो चीखता हुआ तुरंत बाहर आ गया.

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