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25 सितंबर, 2015 की सुबह की बात है. समालखा, पानीपत की पुलिस को सूचना मिली कि जीटी रोड स्थित गांव करहंस में पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना की कोठी के पास वाले खेतों में जला हुआ एक बड़ा सूटकेस पड़ा है. मामला कुछ गंभीर लग रहा था, इसलिए डीएसपी गोरखपाल राणा पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे.

जला हुआ सूटकेस आजाद सिंह के खेतों में पड़ा था. पुलिस ने देखा तो उस में से एक विदेशी युवती की अधजली लाश बरामद हुई. इस का मतलब था कि उसे किसी दूसरी जगह कत्ल कर के वहां ला कर जलाया गया था. जले हुए सूटकेस और शव को अपने कब्जे में ले कर समालखा पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201/23 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. यह मुकदमा खेत मालिक आजाद सिंह की तहरीर पर दर्ज हुआ.

इस तरह के केसों में तफ्तीश का सब से पहला चरण होता है शव की पहचान. लेकिन समालखा पुलिस के तमाम प्रयासों के बाद भी मृतका के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी. आखिरकार समालखा पुलिस चुप हो कर बैठ गई. दूसरी ओर उज्बेकिस्तान में 24 सितंबर, 2015 को ही इस घटना का सूत्रपात हो चुका था यानी लाश मिलने से काफी पहले.

24 सितंबर की रात करीब 10 बजे 60 वर्षीया शोखिस्ता डिनर से अभी फारिग हुई थीं कि उन के फोन की घंटी बज उठी. काल इंडिया से थी. फोन करने वाले ने उन से कहा, “मैं शाखनोजा का दोस्त बोल रहा हूं. मैं ने आप को यह बताने के लिए फोन किया है कि आप की बेटी गंभीर हादसे का शिकार हो गई है.”

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