योगमाया साहू छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के किशनपुर में स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र में एएनएम थी. वहीं पर उसे सरकारी क्वार्टर मिला हुआ था, जिस में वह अपने पति चैतन्य साहू और 2 बेटों तन्मय और कुणाल के साथ रहती थी. चैतन्य साहू भी रायपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करता था. चूंकि दोनों पतिपत्नी कमा रहे थे, इसलिए घर में आर्थिक समस्या नहीं थी. परिवार खुशहाली से रह रहा था.
घर की साफसफाई और बरतन मांजने के लिए योगमाया ने त्यागी राणा नाम की एक बाई रख रखी थी. वह घर में झाड़ूपोंछा आदि काम निबटा कर चली जाती थी. घर के मुख्य दरवाजे की 2 चाबियां थीं. उन में से एक चाबी योगमाया ने बाई को दे रखी थी और एक को वह खुद अपने पास रखती थी.
बात पहली जून, 2018 की है. काम वाली बाई त्यागी राणा रोज की तरह उस दिन भी सुबह 6 बजे सफाई करने एएनएम योगमाया साहू के क्वार्टर पर पहुंची. घर के मुख्य दरवाजे पर ताला बाहर से लगा देख बाई त्यागी राणा को अजीब लगा. क्योंकि अमूमन गेट पर ताला अंदर की ओर से बंद रहता था.
अपने पास मौजूद चाबी से गेट का ताला खोल कर वह अंदर आई तो उस ने कमरे के दरवाजे को हलका सा धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया. कमरे में कोई नहीं था. उस के बाद आवाज लगाती हुई वह आंगन में पहुंची तो आंगन में खून देख कर वह घबरा गई और उलटे पांव चीखती हुई बाहर भागी.
वह सीधी स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद मितानिन हिरौंदी बाई साहू के पास पहुंची. वह उसी स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी करती थी. उस ने उन्हें अपनी आंखों देखी बात बताई. स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद स्टाफ के लोग एएनएम योगमाया के क्वार्टर पर पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर सभी चौंक गए. योगमाया साहू, पति चैतन्य साहू और उस के बड़े बेटे तन्मय की रक्तरंजित लाशें आंगन में पड़ी हुई थीं. दूसरे कमरे में छोटे बेटे कुणाल का खून से लथपथ शव खाट के एक कोने में पड़ा था.