अब मुझे अपना घर, मांबाप और छोटा भाई याद आने लगा. उन से रिश्ते तोड़ कर इस घर को अपनाने का अब मुझे पश्चाताप होने लगा. मां मुझे कितना प्यार करती थी, वह मेरी हर जरूरत को समझती थी, इस के बावजूद मैं ने उस के प्यार को ठोकर मार दी थी.
पापा ने गुस्से में कहा था, ‘‘तू ने जो किया है, उस से हम तो सारी जिंदगी रोएंगे ही, तू भी खुश नहीं रहेगी. तू एक बदनाम और अय्यास लड़के को अपना जीवनसाथी बना रही है न, वह तुझे कभी चैन से नहीं रहने देगा. मेरी तरह तू भी सारी उम्र रोएगी.’’
इन शब्दों को सुनने के बाद मैं उन के पास कैसे जा सकती थी. एक बार, सिर्फ एक बार मैं मां की गोद में मुंह छिपा कर रोना चाहती थी. अब मुझे पता चला कि मांबाप के आशीर्वाद की क्यों जरूरत होती है. आशीर्वाद अपने आप में एक महान अर्थ लिए होता है, जिस के बिना मैं अधूरी रह गई थी.
वह रात मैं जिंदगी में कभी नहीं भूल सकती. उस तनाव में भी मैं ने सागर से वह रात अपने लिए उधार मांगी थी. 2 अक्तूबर हमारी शादी की सालगिरह थी. कई सालों बाद मैं ने उस रात मन से शृंगार किया. गुलाबी रंग का सूट पहन कर मैं सागर के साथ होटल में डिनर के लिए तैयार हो गई. सागर ने कहा था कि वह होटल जा कर वापस आ जाएगा. लेकिन गया तो लौटा नहीं.
शायद वह सोच कर गया था कि उसे वापस नहीं आना है. उस के इंतजार में मैं बाहर बगीचे में टहलती रही. चांद नाशाद था. तारे भी खामोश थे, मेरी बेबसी पर फिजाएं भी सहमीसहमी सी थीं. टहलतेटहलते मुझे लगा कि 2 आंखें मेरा पीछा कर रही हैं. सामने वाले फ्लैट की खिड़की पर खड़ा एक खूबसूरत सा युवक सिगरेट पीते हुए मेरी ओर ताक रहा था. वह काफी बुझाबुझा और परेशान लग रहा था.