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महाराष्ट्र सरकार के अटार्नी जनरल नण्वीन करमाकर की पत्नी अवंतिका ने रात का खाना तैयार कर के खाने को कहा तो उन्होंने टीवी पर से नजरें हटा कर कहा, ‘‘खाना हम थोड़ा देर से खाएंगे. अभी कुछ लोग आने वाले हैं.’’

‘‘कौन?’’ अवंतिका ने पूछा.

‘‘वही स्वाति और मनोज, जिन की इसी दिवाली पर तुम ने शादी कराई थी.’’

‘‘मैं किसी की शादी कराने वाली कौन होती हूं.’’ अवंतिका ने कहा, ‘‘मैं ने तो सिर्फ उन का परिचय कराया था, बाकी के सारे काम तो उन्होंने खुद किए थे. कुछ भी हो, दोनों हैं बहुत अच्छे.’’

‘‘अगर तुम कह रही हो तो अच्छे ही होंगे.’’ नवीन करमाकर ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम्हें यह सुन कर दुख होगा कि मनोज जैसे ही हनीमून से लौटा, उसे नौकरी से निकाल दिया गया. सोचो, उस के साथ कितना बड़ा अन्याय हुआ. शायद इसी बारे में वह हम से मिलने आ रहा है?’’

‘‘शायद वे लोग आ भी गए.’’ अवंतिका ने कहा.

इतना कह कर अवंतिका बाहर आई और कुछ पल बाद लौटी तो उस के साथ मनोज और स्वाति थे. स्वाति छरहरे बदन की काफी सुंदर युवती थी तो मनोज भी उसी की तरह लंबे कद का मजबूत कदकाठी वाला युवक था. उस की काली आंखों से ईमानदारी साफ झलक रही थी. यह एक ऐसा जोड़ा था, जिसे देख कर कोई भी आकर्षित हो सकता था. लेकिन उस समय दोनों के चेहरों पर परेशानी साफ झलक रही थी.

औपचारिक बातचीत के बाद मनोज ने कहा, ‘‘आप तो अटार्नी जनरल हैं. मैं आप के पास इसलिए आया हूं कि आप मुझे पुलिस के हाथों पकड़वा दें.’’

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