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इधरउधर देखते हुए वह पलटी तो सामने एक आदमी खड़ा दिखाई दिया. जन्नत उसे देख कर सहम सी गई तो वह आदमी भी उसे देख कर घबरा गया. उस ने कंधे पर रखी चादर को जल्दी से इस तरह सिर पर डाल लिया कि उस का चेहरा छिप गया. जन्नत को पता था कि यहां चाचा, फत्तो और मीना के अलावा आदिल साहब रहते हैं. वह समझ गई कि यही आदिल साहब हैं. इसलिए उस ने आगे बढ़ कर कहा, ‘‘आप ही आदिल साहब हैं ना?’’

आदिल ने जान छुड़ाने के लिए एकदम से कहा, ‘‘हां, मैं ही आदिल हूं. बताओ क्या काम है?’’

‘‘साहबजी, काम कुछ नहीं है, हम आप का शुक्रिया अदा करना चाहते थे. लेकिन आप के आदमी हमें अंदर आने ही नहीं दे रहे थे. आप ने हमारे भाई को बचा कर हम पर जो एहसान किया है, हम उसे इस जनम तो भुला नहीं सकते. और हां, आप ने हमें जो पैसे दिए हैं, उन्हें लौटाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं. इसलिए हम उस के बदले आप का काम कर के उसे अदा करना चाहते हैं. आप का इतना बड़ा घर है, फार्महाऊस है. आप हम लोगों से कोई भी काम करा सकते हैं.’’ जन्नत ने कहा.

आदिल जन्नत को वहां से जल्दी से जल्दी भगाना चाहता था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘इस सब की कोई जरूरत नहीं है. जब तुम्हारा भाई कोई कामधंधा करने लगेगा तो मेरे पैसे वापस कर देना. हमारे यहां तुम लोगों के लिए कोई काम नहीं है.’’

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है साहबजी कि आप के यहां कोई काम न हो. हम लोग बहुत गरीब हैं. आप कोई भी काम दीजिए, हम कर देंगे. इसी बहाने हमारी मदद भी हो जाएगी और आप का कर्ज भी अदा हो जाएगा.’’ जन्नत ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा.

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