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यह एक शहरी थाने का मामला है. शाम को मैं औफिस में बैठा एक पुराने मामले की फाइल पलट रहा था, तभी 2-3 लोग काफी घबराए हुए मेरे पाए आए. शक्लसूरत से वे लोग ठीकठाक लग रहे थे. उन में एक दुबलापतला और अधेड़ उम्र का आदमी था, उस का नाम इनायत खां था, वह शहर का चमड़े का सब से बड़ा व्यापारी था.

उस ने बताया कि उस की बेटी गायब है. उसे शारिक नाम के युवक ने अगवा किया है. वह उन का दूर का रिश्तेदार है, जिस की अभी जल्दी ही किसी औफिस में नौकरी लगी है. इस के पहले वह आवारागर्दी किया करता था. उस की मां उस के पास उन की बेटी का रिश्ता मांगने आई थी, पर उन्होंने उसे कोई जवाब नहीं दिया था.

इनायत खां ने आगे बताया कि उस की बेटी नजमा मुकामी कालेज में पढ़ रही थी. उस की उम्र 17 साल थी. शरीफ उसे बहलाफुसला कर भगा ले गया था. मैं ने उस की शिकायत दर्ज कर ली और एक एसआई तथा 2 सिपाहियों को शारिक के बारे में पता करने उस के घर भेज दिया. आधे घंटे में वे शारिक के पिता और बड़े भाई को साथ ले कर थाने आ गए. दोनों के चेहरों पर परेशानी झलक रही थी.

शारिक के बाप ने कहा, “थानेदार साहब, मेरा बेटा शारिक ऐसा गलत काम नहीं कर सकता. फिर उसे ऐसा करने की जरूरत ही क्या थी? 2-3 महीने में वैसे भी नजमा से उस की शादी होने वाली थी.”

इस पर नजमा का बाप भडक़ उठा, “याकूब अली, तुम ने बेटे के लिए नजमा का रिश्ता मांगा जरूर था, पर अभी शादी तय कहां हुई थी? शायद इसी वजह से उस ने मेरी बेटी को गायब कर दिया है. तुम लोगों की बदनीयती सामने आ गई है.”

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