ज्ञानेश्वर के ड्यूटी पर जाने के बाद वह वनिता को फोन कर के धमकी देता था कि अगर उस ने उस का कहना नहीं माना तो वह उस के बच्चों, मां और भाई की हत्या करवा देगा.
रावसाहेब की धमकी से वह इतनी घबरा गई थी कि उस के बुलावे पर उस की बताई जगह पर पहुंच जाती. रावसाहेब वनिता को कभी किसी फ्लैट में तो कभी किसी लौज या होटल में बुलाता था. उस के साथ मौजमस्ती कर के वह उसे भेज देता.
करीब 10 सालों तक चले इन संबंधों से वनिता ऊब चुकी थी. समाज और परिवार में उस की खूब थूथू हो रही थी. इस सब से बचने के लिए वनिता ने एक अहम फैसला लिया. उस ने रावसाहेब पर शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया.
जिस तरह से रावसाहेब उसे धमकाता था, वनिता ने भी उसे उसी अंदाज में धमकाना शुरू कर दिया. वनिता ने कहा कि अगर वह उस से शादी नहीं करेगा तो वह उसे कहीं का नहीं छोड़ेगी. वनिता की इस इस धमकी से वह बुरी तरह घबरा गया था.
इस के पहले कि वनिता उस के खिलाफ कोई कदम उठाती, रावसाहेब ने वनिता को ठिकाने लगाने के लिए एक खतरनाक योजना तैयार कर ली. पूरी योजना बनाने के बाद रावसाहेब दुसिंग ने अपनी कार में वनिता की मौत का सामान रखा और किसी बहाने से वनिता को कार में बैठा कर होटल वीरपार्क पहुंच गया.
होटल पहुंच कर पहले रावसाहेब ने वनिता के साथ मौजमस्ती की. फिर शादी की बात को ले कर दोनों में जोरदार तकरार हुई.