रमजान का पवित्र महीना चल रहा था. मसजिद से सुबह की अजान हुई तो शबाना की आंखें खुल गईं. वह फटाफट सेहरी के लिए उठी तो देखा कि उस की 4 साल की बेटी रिजवाना बिस्तर पर नहीं थी. वहां केवल छोटी बेटी ही दिखी. शबाना ने सोचा कि रिजवाना को शायद टौयलेट आया होगा तो वह नीचे चली गई होगी. उस ने रिजवाना को आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इस पर शबाना सोचने लगी कि रिजवाना कहां गई होगी. मेरे पास ही तो सो रही थी. शबाना अपनी बेटी को तलाश करने लगी. यह 8 जून, 2018 के तड़के की बात है.
राजस्थान में जोधपुर जिले के पीपाड़ शहर में सिलावटों का मोहल्ला है. इस मोहल्ले में नवाब अली अपने मामा मोहम्मद साजिद के घर में उन के साथ ही ऊपरी मंजिल पर रहता था. नवाब अली और मोहम्मद साजिद मिल कर मीट की दुकान चलाते थे. नवाब अली मूलरूप से पिचियाक गांव का रहने वाला था. वह अपनी बीवी शबाना और 4 साल की बेटी रिजवाना तथा एक छोटी बेटी के साथ मामा के मकान में रहता था.
जून महीने में राजस्थान में भीषण गरमी पड़ती है इसलिए नवाब अली अपनी बीवी और दोनों बेटियों के साथ छत पर सोया हुआ था. शबाना को जब बेटी रिजवाना नहीं मिली तो वह उसे देखने नीचे की मंजिल पर बने कमरे में गई. कमरे का दृश्य देख कर शबाना की आंखें फटी रह गईं. वहां उस की मासूम रिजवाना खून में सनी पड़ी थी. उस के गले से खून बह रहा था. बेटी को रक्तरंजित हालत में देख कर शबाना रोने लगी. उस ने नब्ज देख कर बेटी के जिंदा होने का अनुमान लगाने की कोशिश की लेकिन उसे कुछ पता नहीं चला.