28 अप्रैल, 2018 को दिल्ली के कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि जाकिर नगर की गली नंबर 7 में रहने वाले शमीम अहमद का दरवाजा अंदर से बंद है. काफी आवाजें देने के बावजूद भी उन के कमरे से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही.
चूंकि यह मामला दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना जामिया नगर के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से वायरलेस द्वारा यह सूचना थाना जामिया नगर को दे दी गई. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी संजीव कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. वहां पर शमीम अहमद के बेटे अब्दुल रहमान के अलावा आसपास के लोग भी जमा थे.
अब्दुल रहमान ने पुलिस को बताया कि कल रात खाना खाने के बाद उस के अम्मीअब्बू अपने कमरे में सोने के लिए चले गए थे, जबकि वह दूसरे कमरे में सो गया था. रोजाना उस के अम्मीअब्बू ही सुबह पहले उठते थे. वही उसे जगाते भी थे, लेकिन आज वह अभी तक नहीं उठे. मैं ने काफी देर दरवाजा खटखटाया इस के बावजूद भी अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही. वहां मौजूद पड़ोसियों ने भी अब्दुल रहमान की हां में हां मिलाई.
अब्दुल रहमान की बात सुनने के बाद थानाप्रभारी संजीव कुमार ने भी दरवाजा खटखटाया लेकिन वास्तव में अंदर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उन्हें भी शक होने लगा. तब उन्होंने लोगों की मौजूदगी में दरवाजा तोड़ दिया. दरवाजा तोड़ने के बाद जैसे ही पुलिस अंदर घुसी तो पहले कमरे में ही फर्श पर शमीम अहमद और उन की पत्नी तसलीम बानो की लाशें पड़ी थीं.
रहस्यमय मौतें
अम्मी और अब्बू की लाशें देख कर रहमान दहाडें़े मार कर रोने लगा. पड़ोसी भी हतप्रभ थे कि दोनों की मौत कैसे हो गई. उन के शरीर पर किसी चोट आदि का निशान भी नहीं था. दोनों की मौत कैसे हुई उस समय इस का पता लगाना संभव नहीं था. थानाप्रभारी संजीव कुमार ने इस मामले की जानकारी डीसीपी चिन्यम बिश्वाल को दे दी. साथ ही क्राइम इन्वैस्टीगेशन टीम को भी मौके पर बुलवा लिया.