चेन्नै (तमिलनाडु) की लाइफ स्पाइस इंडिया प्रा.लि. के प्रतिनिधि नवीन कुमार झा 10 मई, 2023 को उत्तर प्रदेश के शहर आगरा के हरीपर्वत थाने पहुंचे. उन्होंने एसएचओ अरविंद कुमार से शिकायत की कि उन के साथ आगरा की फार्मर फ्रैश ड्राई फ्रूट्स एंड स्पाइस कंपनी ने धोखाधड़ी की है.

नवीन ने बताया कि उन्हें कंपनी ने 20 अप्रैल, 2023 को 15 टन मसालों की सप्लाई का आर्डर दिया था. इन मसालों की कीमत एक करोड़ रुपए के करीब थी. उन से माल भेजने के बाद पेमेंट देने की बात कही गई. इस पर 2 से 3 मई के बीच पूरा माल सप्लाई कर दिया गया. आगरा की कंपनी ने माल प्राप्ति के बाद भी वायदे के अनुसार 30 प्रतिशत भुगतान भी नहीं किया.

उस के द्वारा एकांउंटेंट की बीमारी का बहाना बना कर पूरा माल उतरवा लिया. जब उन्होंने 6 मई, 2023 को दिल्ली से आगरा आ कर संपर्क किया तो फर्म के औफिस और गोदाम पर ताले लटके मिले. कंपनी के लोगों के मोबाइल फोन भी बंद थे.

नवीन की तरह अल्केश शर्मा ने भी उसी कंपनी के खिलाफ शिकायत की. वह कर्नाटक में बेलगांव कंपनी के सेल्समैन थे. उन्होंने भी एसएचओ को बताया कि स्मार्ट कैश्यू एलएलपी की डायरेक्टर कविता शर्मा से एक ग्राहक ने संपर्क किया था. इस पर डायरेक्टर ने उन्हें आगरा जा कर फार्मर फ्रैश ड्राईफ्रूट्स ऐंड स्पाइस कंपनी के बारे में तहकीकात करने के लिए कहा था.

साइबर अपराधियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

वह कंपनी द्वारा बताए पते पर गया जो संजय प्लेस के वृंदावन टावर में था. वहां उस की मुलाकात रीना और गुंजन से हुई. रीना ने खुद को कंपनी का डायरेक्टर बता कर सिद्धार्थ औफिस से करने का आर्डर दिया. इस तहकीकात से संतुष्ट हो कर उस की कंपनी ने 1000 किलोग्राम काजू का आर्डर ले लिया. तय कार्यक्रम के मुताबिक 8 अप्रैल, 2023 को 7 लाख 47 हजार 6 सौ रुपए का काजू बेलगांव से आगरा भेज दिया गया.

यह आर्डर कंपनी के स्टाफ सिद्धार्थ द्वारा मिला था. वायदे के मुताबिक काजू 13 अप्रैल, 2023 को आगरा के गोदाम पर पहुंच गया, लेकिन कंपनी द्वारा 24 घंटे में पेमेंट नहीं मिल पाया. उन से संपर्क करने पर कंपनी के कर्मचारियों के मोबाइल बंद मिले. उस के बाद आगरा आ कर कंपनी के औफिस पहुंचे, तब उन्हें औफिस और गोदाम पर ताला लगा मिला.

धोखाधड़ी के 2 मामले

जिस कंपनी के खिलाफ ये 2 शिकायतें मिली थीं, उस का औफिस संजय प्लेस स्थित वृंदावन टावर में सातवें फ्लोर पर था, जबकि गोदाम हरीपर्वत क्षेत्र में हलवाई की बगीची में बनाया गया था. एसएचओ अरविंद कुमार द्वारा अल्केश शर्मा और नवीन कुमार झा की शिकायतों पर कंपनी के 9 लोगों सौरभ पालीवाल, संदीप, ललित, अनिल, तान्या, रीना, राजवीर सिंह, संजय व प्रवीण गुप्ता के खिलाफ भादंवि की धारा 420/406 के तहत 2 मुकदमे दर्ज कर लिए गए.

एसएचओ ने करोड़ों की धोखाधड़ी के इस मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी. दर्ज रिपोर्ट में सभी आरोपियों का पता दिल्ली एनसीआर गुरुग्राम का था. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट, आगरा डा. प्रीतिंदर सिंह ने डीसीपी (सिटी) विकास कुमार के नेतृत्व में एसीपी (हरीपर्वत) के मार्गदर्शन में टीमें बनाई गईं. एक टीम थाना हरीपर्वत की, जबकि अन्य एसओजी और सर्विलांस की टीमें थीं. दोनों टीमों का सब से पहला काम फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी का था.

पुलिस ने किया लाखों का माल बरामद

साइबर धोखाधड़ी के 2 मुकदमे दर्ज होने के बाद दूसरे राज्यों से भी इसी तरह के शिकार हुए लोगों के फोन आने लगे. किसी से मखाना तो किसी से मेवे मंगाए गए थे. एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित और इंसपेक्टर अरविंद सिंह को मामले की छानबीन में पता चला कि यह कंपनी विभिन्न राज्यों की कई कंपनियों को चूना लगा चुकी है.

मुकदमे दर्ज होने के बाद पुलिस ने अपने मुखबिरों का जाल फैला दिया. सफलता भी जल्द मिल गई. मुकदमा दर्ज होने के 2 दिन बाद ही 12 मई, 2023 को गिरोह का परदाफाश हो गया. इस मामले में मथुरा निवासी निदेशक सौरभ पालीवाल, संदीप गुर्जर, अमित, ललित समेत अलवर राजस्थान निवासी संजय और राजवीर संजय प्लेस के पास से गिरफ्तार कर लिए गए.

इन की निशानदेही पर उन के वेयरहाउस से 575 बोरे इलायची, जीरा, लौंग, 49 कार्टन जावित्री, 20 टन काजू, 8 विभिन्न बैंकों की चैकबुक, कई एटीएम कार्ड, 15 लिफाफाबंद सिमकार्ड, 4 फरजी आधार कार्ड, 2 फरजी वोटर आईडी कार्ड, एक फरजी एग्रीमेंट, एक फरजी मैडिकल सर्टिफिकेट, 10 गुरुग्राम के पते की मुहर व विजिटंग कार्ड बरामद किए.

पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने मीडिया को कंपनी के कारनामों का खुलासा करते हुए उस का काला चिट्ठा खोल कर रख दिया. उस के मुताबिक कंपनी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र सहित अन्य दूसरे दक्षिण भारत के राज्यों के व्यापारियों से ड्राईफ्रूट्स (सूखे मेवे) एवं मसालों का सौदा कर करोड़ों रुपए की ठगी करती थी. इस के लिए कंपनी ने बाकायदा एक गिरोह बना रखा था.

इस कंपनी द्वारा ये बड़ेबड़े होलसेलर और बड़ी कंपनियों से ठगी करते थे. जांच से पता चला है कि सौरभ पालीवाल ऐसी ठगी के लगभग 100 कारनामे कर चुके थे. उन के काम करने के अनोखे तरीके के बारे में जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

इस धंधे का मास्टरमाइंड सौरभ है, जिस ने कंपनी बनाने की योजना बनाई थी. इस तरह आगरा के संजय पैलेस पते से एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना ली गई, जिस के डायरेक्टर्स बनाए गए. फरजी डाक्यूमेंट्स लगाए गए. कंपनी के लिए जुटाए गए तमाम एग्रीमेंट्स जानबूझ कर फरजी बनाए गए, जिन में सौरभ ने अपनी पहचान छिपा ली थी. कंपनी की शुरुआत हो जाने पर उस के द्वारा छोटेछोटे कंसाइनमेंट लिए गए. उन के पेमेंट में कोई गड़बड़ी नहीं हुई. ऐसा करने पर दूसरी कंपनियों में उस की साख बन गई. पेमेंट टाइम से किया जाने लगा.

उस के बाद बारी आई बड़े कंसाइनमेंट लेने की. इस की योजना काफी सावधानी से की गई. कंपनियों पर विश्वास बनाए रखने पर अपने बचाव के तरीके भी अपनाए. आर्डर लेने के लिए वाट्सऐप मैसेजिंग का सहारा लिया और जैसे आर्डर मिल जाता और माल गोदाम तक पहुंच जाता, वे अपना नंबर ही बदल लेते थे यानी अपनी फरजी कंपनी से लाखों रुपए का चूना लगा दिया.

माल मंगा कर नहीं दिए पैसे

तमिलनाडु व कर्नाटक की कई बड़ी कंपनियों की बड़ी राशि ठगी जा चुकी थी. तमिलनाडु की कंपनी से एक करोड़ के मसाले मंगाए गए थे, जिस की सप्लाई 2 कंटेनरों से की गई थी. माल के आगरा पहुंचते ही उन से संपर्क खत्म कर लिया था. उन्हें कहा गया कि उन के एकाउंटेंट को हार्ट अटैक आ गया है. वे अस्पताल से ही बोल रहे हैं. इस समय हम आप को पेमेंट नहीं कर सकते.

तमिलनाडु की कंपनी वालों को यह माल भेजने में ही डेढ़ लाख रुपए खर्च हो गए थे. इसे देखते हुए कंपनी ने पेमेंट नहीं मिलने पर भी वापस मंगवाने के बजाय माल आगरा में उतरवा दिया था. इस के बाद कंपनी ने पेमेंट के लिए प्रयास करना शुरू किया, लेकिन कंपनी ने जिनजिन फोन नंबरों पर फोन किया, सभी स्विच्ड औफ मिले. यहां तक कि 7 लाख के करीब रकम का मिला चैक भी बाउंस हो गया.

इस तरह से तमिलनाडु की कंपनी को ठगे जाने का एहसास हो गया. मसाला व्यापारी के साथ सौरभ ने करीब एक करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की. उस के बाद ही तमिलनाडु और कर्नाटक की कंपनियों की तरफ से आगरा के थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई.

ड्राई फ्रूट्स और मसालों के कारोबार के नाम पर एक करोड़ से अधिक के साइबर धोखाधड़ी में मास्टरमाइंड सौरभ पालीवाल शेरगढ़, मथुरा का रहने वाला वह करोड़पति बनना चाहता था. इस के चलते उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर फरजी कंपनी बनाई थी.

मास्टरमाइंड सौरभ बीए फेल

पुलिस को हैरानी इस बात की हुई कि सौरभ बीए फेल था. उस के बाद उस ने आगे की कोई पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन कोरोना काल से पहले के साल 2019 में गुरुग्राम की एक दुकान से मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीखा था. इस के बाद साल 2020 के अंत में गुरुग्राम में ही नैचुरल एसेनसन कंपनी में परचेज एक्जीक्यूटिव की नौकरी शुरू की थी.

उन दिनों लौकडाउन के चलते औनलाइन काम में तेजी आ गई थी. इस दौरान उस के संपर्क दिल्ली, गाजियाबाद, गुरुग्राम आदि के व्यापारियों से हो गए थे. हालांकि अगले साल 2021 में उस ने नौकरी छोड़ दी थी, लेकिन तब तक वह औनलाइन काम का अनुभवी हो गया था. इस के बाद साल 2022 में वह एम.ए. ट्रेडिंग कंपनी में पर्चेज और सेल्स का काम करने लगा. साल के अंत में उस ने उसे भी छोड़ दिया और आगरा आ गया.

सौरभ के दिमाग में रातोंरात करोड़पति बनने का कीड़ा कुलबुलाता रहता था. वह जानता था कि उस का सपना नौकरी करते हुए कभी पूरा नहीं हो सकता है. मोटा पैसा किसी बिजनैस से ही बना सकता था. यही कारण है कि उस ने नौकरी की जगह अपना बिजनैस शुरू कर लिया. उस ने आगरा के संजय प्लेस स्थित वृंदावन टावर में सातवें फ्लोर पर जनवरी, 2022 में अपना औफिस खोल लिया.

इस का रजिस्ट्रैशन भी फरजी कागजों से करवाया. वह पार्टियों से डील करते समय एग्रीमेंट भी फरजी आधार कार्ड आदि से करने लगा. इस के पीछे उस की मंशा पहचान छिपाने की थी. सौरभ पालीवाल की ठग कंपनी में दूसरा नाम सिद्धार्थ का था. वह इस कंपनी का साझेदार डायरेक्टर था. अपने साथी राजवीर को उस ने मैंनेजिंग डायरेक्टर बनाया था.

सोशलसाइट के जरिए गूगल पर फार्मर फ्रैश ड्राई फूट्स ऐंड स्पाइस का खूब प्रचारप्रसार किया. शुरू में कंपनी ने अपनी साख बनाने के लिए एडवांस भुगतान का वादा किया. सौदा करने वाली कंपनियों को आश्वासन दिया कि 30 परसेंट माल पहुंचने पर व 70 परसेंट बाद में भुगतान कर दिया जाएगा.

साइबर अपराधी ने यूं जीता भरोसा

सौरभ ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उस ने पहले छोटेछोटे आर्डर दे कर व्यापारियों का भरोसा जीता. इस के लिए उस ने पहले बदायूं से 30 हजार रुपए का मखाना मंगाया. उस व्यापारी का पेमेंट करने के बाद दोबारा करीब 2 लाख रुपए का मखाना मंगवाया, लेकिन पेमेंट नहीं किया.

इसी तरह से दिल्ली से 300 किलोग्राम काजू मंगवाया और पेमेंट कर दिया. इस के बाद 10 क्विंटल काजू मंगाया. दरभंगा से 10 क्विंटल मखाना, बिहार से 800 किलोग्राम, कर्नाटक से 10 क्विंटल काजू मंगाया, लेकिन उन का पेमेंट नहीं किया.

मास्टरमाइंड सौरभ बेंगलुरु सहित अन्य राज्यों से माल मंगाता रहा. उस ने काजू व्यापारियों से धोखाधड़ी की. वह छोटी डील का पेमेंट कर देता था, ताकि व्यापारियों का भरोसा हासिल कर सके. किंतु बाद में बड़े एमाउंट का आर्डर दे कर माल मंगाने के बाद वह पेमेंट नहीं करता था. जब व्यापारी पैसा मांगते थे, तब वह फोन नंबर बदल लेता था. इसी तरह वह लाखों रुपए की चीटिंग करता रहा.

धोखाधड़ी से लिया माल बेचा सस्ते में

सौरभ जहां खरीदे हुए माल का होलसेलर को पूरा पैसा पेमेंट नहीं करता था, वहीं उस माल पर अपनी फर्म का टैग लगा कर आगरा, गाजियाबाद और दिल्ली के व्यापारियों को सस्ते दामों में बेच देता था. अपने रेट के मुताबिक 360 रुपए किलोग्राम में नंबर वन का काजू और 380 रुपए किलोग्राम मखाना बेचने की जानकारी भी पुलिस को मिली है. माल खरीदने वाले व्यापारी पुलिस के निशाने पर हैं.

एक व्यापारी को पुलिस ने मुकदमे में वांछित भी किया है. साइबर अपराधी सौरभ ने अपनी कंपनी का गोदाम, जो थाना हरीपर्वत क्षेत्र में हलवाई बगीची में स्थित था, उसे अंतर्राज्यीय बस अड्ïडा (आईएसबीटी) शिफ्ट कर लिया था. यहां से दूसरे राज्य के प्रमुख शहरों के लिए सीधी बस सेवा है. यहां से माल को आसानी से दूसरे शहरों में खपाया जा सकता था. उसी की तैयारी चल रही थी, तभी पुलिस का छापा पड़ गया और सारा माल पकड़ा गया.

पुलिस ने जांच के दौरान इस कंपनी के सभी बैंक एकाउंट को सीज कर दिया है. कंपनी द्वारा चैक व कैश पेमेंट के माध्यम से जो भी डील की गई थी, उस की भी जानकारी जुटाई जा रही है. इस के अलावा इस कंपनी से जुड़े सभी लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है.

चेन्नै (तमिलनाडु) की लाइफ स्पाइस इंडिया प्रा.लि. के प्रतिनिधि नवीन कुमार झा ने बताया कि फ्रौड कंपनी ने 10 टन जीरा, 500-500 किलोग्राम छोटी व बड़ी इलाइची, जावित्री व सौंफ सहित कुल 15 टन माल लिया था, जिस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए थी. लगभग 7 लाख रुपए का जो चैक दिया था, वह भी बाउंस हो गया, क्योंकि खाते में इतना पैसा नहीं था.

बेलगांव की कंपनी के सेल्समैन अल्केश शर्मा ने बताया कि आगरा की फार्मर फ्रैश ड्राईफ्रूट्स ऐंड स्पाइस कंपनी ने उन से औनलाइन संपर्क किया था. अपनी कंपनी की डायरेक्टर के कहने पर वह आगरा इस कंपनी के औफिस में आए और उन्हें एक हजार किलोग्राम काजू सप्लाई का आर्डर दिया गया. इस काजू की कीमत लगभग साढ़े 7 लाख रुपए थी.

13 अप्रैल, 2023 को माल डिलीवर हो गया. वायदे के अनुसार 2 दिन में पेमेंट करना था. लेकिन इस के बाद सभी के नंबर बंद हो गए. औफिस व वेयरहाउस पर ताला लगा दिया गया. सौदा कर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले 6 शातिर आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

इस पुलिस टीम में एसएचओ (हरीपर्वत) अरविंद कुमार, एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित, एसआई अनिल शर्मा, राजकुमार बालियान, मोहित सिंह, निशामक त्यागी, नितिन यादव, हैडकांस्टेबल वीरेंद्र सिंह, विपिन कुमार, मुकुल शर्मा, सुमित, कांस्टेबल राकुल, राजीव पाराशर, आमिर खान, मानवेंद्र उपाध्याय सभी एसओजी टीम, कांस्टेबल विश्वेंद्र सिंह, पंकज कुमार, गौतम चौधरी, अंकित कुमार सभी थाना हरीपर्वत शामिल थे. पकड़े गए सभी 6 आरोपियों को पुलिस ने न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया.

नोएडा पुलिस ने इनामी युवती को किया गिरफ्तार

आगरा में ड्राई फ्रूट्स कंपनी का फरजीवाड़ा सामने आने से 3 साल पहले नोएडा में 250 करोड़ की ठगी इसी तरह एक कंपनी द्वारा की गई थी. ठगी के बाद कंपनी फरार हो गई थी. देश के चर्चित घोटालों में शामिल इस ड्राईफ्रूट घोटाला मामले में नोएडा पुलिस ने एक बड़ी काररवाई करते हुए गैंग की सदस्य एक 30 वर्षीय युवती नीलकमल को गिरफ्तार किया है. इस युवती की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित था.

यह युवती आगरा के सिकंदरा की रहने वाली है. यह मोहित गोयल के लिए काम करती थी. नीलकमल साल 2020 से फरार चल रही थी. सेक्टर-63 थानाप्रभारी अमित मान ने बताया कि युवती आरोपी नीलकमल ने अपने साथियों के साथ मिल कर षडयंत्र के तहत थाना-58 क्षेत्र में एक अलीशान कार्यालय में दुबई ड्राईफ्रूट्स ऐंड स्पाइस हब के नाम से कंपनी खोली थी.

गैंग के सदस्यों ने संपूर्ण भारत व विदेश से ड्राईफू्रट के थोक विक्रेताओं से भारी मात्रा में अलगअलग तरह के कीमती ड्राईफ्रूट सप्लाई करने का आर्डर दिया. माल मिलने के बाद विक्रेताओं को माल की कुल रकम का एक बहुत छोटा हिस्सा दे कर बाकी रकम के फरजी चैक दिए थे.

इस दौरान गैंग के लोगों ने करीब 250 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी विभिन्न कंपनियों व थोक विक्रेताओं के साथ की थी. इस घोटाले का मास्टरमाइंड मोहित गोयल इस समय गौतमबुद्ध नगर की जेल में बंद है. इस मामले में नोएडा में 11 मुकदमे दर्ज हुए थे. कुल 17 आरोपी थे, इन में मोहित गोयल और उस का साथी ओमप्रकाश जांगिड़ सहित कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.

तुरंत एफआईआर दर्ज कराएं

डिजिटल क्रांति के बाद अब ठगों ने भी ठगी का नया तरीका अपनाना शुरू कर दिया है. अब यह शातिर औफलाइन और औनलाइन दोनों तरीकों का साथसाथ इस्तेमाल कर रहे हैं. ये ठग औनलाइन फरजी कंपनी बना कर आलीशान औफिस खोलते हैं, ताकि व्यापारियों पर अच्छा प्रभाव जम सके. इस के बाद वह मार्किट में अपनी साख भी जमाने की कोशिश कर लेते हैं. फिर शुरू होता है उन का बड़ा गेम. ये धोखेबाज दूसरे राज्यों की कंपनी को बड़े आर्डर दे कर करोड़ों रुपए का माल ले कर तथा फरजी चैक दे कर रफूचक्कर हो जाते हैं.

साइबर ठग सौरभ पालीवाल ने यही किया. ऐसे धोखेबाजी से बचने के लिए जरूरी है कि व्यापारी बड़े और्डर के लालच में न फंसें. अपने माल का पूरा पैसा ले कर ही माल की डिलीवरी करें. इस के बावजूद भी यदि किसी के साथ धोखाधड़ी होती है तो बिना देर किए उस की रिपोर्ट नजदीकी थाने में दर्ज कराएं ताकि ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ काररवाई की जा सके.

—डा. प्रीतिंदर सिंह (पुलिस आयुक्त, आगरा)

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...