मध्य प्रदेश के जिला ग्वालियर के अशोक नगर में स्थित त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर हिंदुस्तान भर में  प्रसिद्ध है. इस के अलावा यहां उत्पन्न होने वाले शरबती गेहूं की वजह से इस शहर की विश्व भर में पहचान है. इसी शहर में वार्ड नंबर 15 के अंतर्गत आने वाले हिरियन टपरा पठार मोहल्ला में सौरभ जैन अपने परिवार के साथ रहता था.

पेशे से सौरभ सेल्समैन का काम करता था, अत: सुबह 10 बजे खाना खा कर घर से निकलने के बाद उस का देर रात को ही घर लौटना होता था.

रिचा ने अपने अच्छे व्यवहार से अपनी सास और देवर का मन मोह लिया था. ससुराल में रिचा की सभी तारीफ करते थे, इस से रिचा बेहद ख़ुश थी, रिचा ने अपने दिल में ढेरों सपने संजोए थे. वह दुनिया की वे सब खुशियां पाना चाहती थी, जो एक लड़की चाहती है.

शादी के बाद सौरभ और रिचा बेहद खुश थे. शादी के 9 साल कब बीत गए,पता ही नहीं चला. इसी बीच रिचा एक बेटे की मां बन गई, बेटा पैदा होने के बाद घर में खुशी और बढ़ गई. रिचा का समय बच्चे के लालनपालन में व्यतीत होने लगा.

रिचा अपने जीवनसाथी के साथ ख़ुश थी, लेकिन कोरोना काल में फेसबुक पर चैटिंग के दौरान दीपेश भार्गव से दोस्ती हो जाने के बाद रिचा के व्यवहार में अचानक काफी बदलाव आ गया था, जिस के चलते घर में हर समय कलह रहने लगी.

सौरभ को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि रिचा उस के और उस के घर वालों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है. ऐसी स्थिति में आखिरकार वह क्या करे. रोजरोज की किचकिच से परेशान हो कर सौरभ ने एक दिन अपनी मां को रिचा के बदले व्यवहार के बारे में बताया. मां ने बेटे को ही समझाया कि आज नहीं तो कल सब ठीक हो जाएगा.

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