पुलिस टीम जब उस जंगल में पहुंची, तब तक वहां पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो चुकी थी. पुलिस ने जब गड्ढे की खुदाई कराई तो वहां का मंजर देख कर सभी के दिल दहल उठे थे. एक युवती की लाश के पूरे 31 टुकड़े कर हत्यारे ने जमीन में दफन कर रखे थे.

जब लाश के टुकड़ों को गड्ढे से बाहर निकाला गया तो वह टुकड़े पिछले 3 दिनों से लापता तिलबती के निकले. लाश की सूचना मिलते ही पुलिस ने तिलबती के घर वालों को घटनास्थल पर बुलवा लिया. घर वालों ने लाश की शिनाख्त लापता तिलबती के रूप में कर दी. पुलिस अब आगे की जांच में जुट गई थी.

शाम का धुंधलका चारों तरफ घिर आया था. अंधेरा घिरते ही गांव के सभी लोग अपनेअपने घरों को रोजमर्रा की भांति लौटने लगे थे. गांव के अन्य लोगों की तरह लुदुराम गोंड भी अपने खेत से काम निपटा कर अपने घर पहुंच गया था.

जब वह अपने घर पहुंचा तो उस ने देखा कि उस की पत्नी मृदुला कुछ परेशान सी दिखाई दे रही थी. पत्नी के माथे पर उसे चिंता की लकीरें साफसाफ नजर आ रही थीं. यह सब देख कर लुदुराम का चौंकना स्वाभाविक था.

”अरे मृदुला क्या बात है, आज तुम कुछ परेशान सी दिखाई दे रही हो?’’ लुदुराम ने पत्नी से पूछा.

”अब मैं परेशान न होऊं तो क्या करूं? अरे हमारे घर में एक बहुत परेशानी वाली बात जो हो गई है.’’ मृदुला ने चिंता भरे स्वर में कहा.

”जरा मुझे भी तो बताओ, आखिर बात क्या है?’’ लुदुराम ने पूछा.

”तुम्हारी लाडली बेटी तिलबती सुबह 10 बजे से घर से निकली हुई है, अब शाम के 6 बज गए हैं, लेकिन अभी तक लौट कर घर नहीं आई है.’’ मृदुला ने कहा.

”अगर वह अभी तक घर नहीं लौटी है तो बेटे माधव से पता करा सकती थी न तुम?’’ लुदुराम बोला.

”माधव शाम को 5 बजे से अपनी छोटी तिलबती को इधरउधर ढूंढने में ही तो लगा हुआ है. मगर तिलबती का अब तक कहीं भी कोई पता नहीं चला.’’ मृदुला ने चिंतित होते हुए कहा.

पत्नी मृदुला की बात सुन कर लुदुराम भी एकदम चिंता में पड़ गया था. तिलबती (23 वर्ष) उस के जिगर का टुकड़ा थी, जिसे वह अपने सभी बच्चों से ज्यादा प्यार करता था.

”देखो मृदुला, तुम घबराओ मत. मैं गांव में उसे ढूंढने जा रहा हूं. हमारी बिटिया हमें जल्द ही मिल जाएगी.’’ कहते हुए लुदुराम घर से निकल पड़ा था.

तिलबती अकसर अपनी सहेली निर्मला के घर अपने करिअर की बातें करने चली जाया करती थी. लुदुराम सब से पहले निर्मला के घर पर गया, जो उस के घर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था. लुदुराम ने निर्मला का दरवाजा खटखटाया तो निर्मला ने दरवाजा खोल दिया.

”अरे काका, आप इतनी शाम को कैसे हमारे घर पर आ गए? आइए बैठिए तो.’’ निर्मला ने लुदुराम को अंदर आने को कहा.

”अरे बेटी, हमारी तिलबती का सुबह से ही कुछ पता नहीं चल रहा है. जरूर तुम्हारे घर पर ही आई होगी. हम सब बहुत परेशान हो रहे हैं.’’ लुदुराम ने जल्दीजल्दी कहा.

”काका, तिलबती को तो मैं ने सुबह से ही नहीं देखा है. आज उस का फोन भी नहीं आया, नहीं तो वह मुझे दिन में एक बार फोन तो जरूर कर लेती है. अरे काका, आप घबराओ मत, मैं अभी उस से बात करती हूं.’’ कहते हुए निर्मला ने अपने मोबाइल से फोन किया.

मगर दूसरी तरफ से मोबाइल स्विच्ड औफ का मैसेज आ रहा था. निर्मला ने 4-5 बार काल किया, मगर दूसरी ओर से हर बार यही मैसेज सुनने को मिल रहा था.

”क्या हुआ बेटी, तिलबती का फोन लगा क्या?’’ लुदुराम ने आशाभरी निगाहों से देखते हुए कहा.

”नहीं काका, तिलबती का फोन तो बंद आ रहा है. चलो काका, मैं भी आप के साथ तिलबती को ढूंढने चलती हूं.’’ कहती हुई निर्मला भी लुदुराम साथ चल पड़ी थी.

तब तक तिलबती के गायब होने की बात सुन कर गांव के अन्य लोग भी लुदुरामू के साथ आ गए थे. सभी ने मिल कर तिलबती को ढूंढा, परंतु उस का पता नहीं चल पाया. बेटी के न मिलने के कारण तिलबती की मां मृदुला का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था. गांव की महिलाएं उसे ढांढस बंधा रही थीं.

पूरी रात भर सभी गांव वालों ने मिल कर तिलबती की पूरे गांव भर में तलाशी ली, परंतु उस का कहीं भी कुछ भी सुराग नहीं मिल सका.

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      मृतका तिलबती

लुदुराम गोंड ओडिशा के नवरंगपुर जिले के गांव बागबेड़ा, थाना राईघर का रहने वाला एक किसान था. उस के परिवार में एक बेटा माधव व 2 बेटियां सौम्या और तिलबती थीं. सब से बड़ी बेटी सौम्या का विवाह हो चुका था, उस से छोटा बेटा माधव था, जो खेती में लुदुराम का हाथ बंटाता था, जबकि सब से छोटी बेटी तिलबती थी, जिस की उम्र 23 वर्ष की हो चुकी थी.

तिलबती को पढऩे लिखने, चित्रकारी करने और सिलाईकढ़ाई करने का बड़ा शौक था. उस ने बारहवीं कक्षा पास करने के बाद कई कोर्स कर लिए थे और वह नौकरी के लिए काफी लंबे समय से प्रयासरत भी थी. लेकिन वह 22 नवंबर, 2023 को ऐसी गायब हुई कि उस का पता नहीं चला.

अगले दिन बृहस्पतिवार 23 नवंबर को लुदुराम गांव के कुछ संभ्रांत लोगों के साथ थाना राईघर पहुंचा और बेटी के गायब होने की सूचना दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में लुदुराम ने बेटी तिलबती के अपहरण की आशंका से साफ इंकार किया तो पुलिस भी पशोपेश में पड़ गई थी. तब पुलिस को ऐसा लगा कि किसी ने रंजिशन तिलबती को गायब करा दिया होगा.

जब लुदुराम ने किसी से रंजिश होने से इंकार किया तो पुलिस की यह आशंका भी निर्मूल साबित हुई. प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद पुलिस अपनी आवश्यक खोजबीन में जुट गई.

तिलबती के मिले 31 टुकड़े

5 दिन से लापता तिलबती की खोज में राईघर पुलिस दिनरात जांच में जुटी थी, तभी एक मुखबिर ने एसडीपीओ आदित्य सेन को एक गुप्त सूचना देते हुए कहा, ”हुजूर, मुरुमडीही गांव के पास स्थित जंगल में एक गड्ढे के अंदर से किसी का हाथ बाहर दिखाई दे रहा है. शायद किसी जंगली जानवर ने इंसान की लाश को खाने की वजह से खोद डाला. वहां पर गांव वाले भी इकट्ठा हो गए हैं. मामला काफी गंभीर लग रहा है?’’

यह सूचना सुन कर एसडीपीओ आदित्य सेन तुरंत अपनी पुलिस टीम व फोरैंसिक टीम को ले कर घटनास्थल की ओर चल पड़े.

पुलिस जंगल में पहुंची तो वहां भारी संख्या में लोग जमा थे. पुलिस ने जब गड्ढा खुदवाया तो उस में एक युवती की 31 टुकड़ों में कटी लाश मिली. लाश की शिनाख्त 23 वर्षीय तिलबती के रूप में हुई. लाश के टुकड़े देख कर गांव के लोग आक्रोशित हो गए और वह पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.

आखिर किस ने की तिलबती की हत्या

सचमुच में प्यार एक ऐसा अहसास है, जिसे समझ पाना बड़ा ही मुश्किल होता है. प्यार एक ऐसा अहसास होता है, जिस में किसी के प्रति हर दिन बहुत ही लगाव बढऩे लगता है. जो भी इस अनोखे प्यार में अपने आप को डाल देता है, वह पहले से ज्यादा खुश और खूबसूरत हो जाता है.

ऐसा ही कुछ तिलबती के साथ भी हुआ. तिलबती एक दिन बाजार जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी, तभी एक युवक बाइक ले कर उस के पास आ कर रुक गया.

दोनों की नजरें मिलीं तो युवक ने तिलबती से कहा, ”मुझे लगता है कि आप शायद मार्केट की तरफ जा रही हैं. अभी करीब एक घंटे तक यहां बस आने की कोई उम्मीद नहीं है. मैं मार्केट की तरफ ही जा रहा हूं. अगर आप चाहें तो मैं आप को वहां ड्रौप कर दूंगा.’’

”ये कौन सी बात हुई कि जान न पहचान, मैं तेरा मेहमान. मैं तो आप को जानती तक नहीं हूं.’’ तिलबती ने गुस्से से कहा.

”देखिए जी, मैं रोज इसी जगह से निकलता हूं, आप को देखता हूं. आज एक बस का एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए बाकी बसें उसी जगह पर खड़ी हैं. पब्लिक ने बवाल कर के रख दिया है वहां पर. वैसे मैं तो आप की मदद ही करना चाहता था, मगर आप तो तो मुझ पर गुस्सा करने लगी हैं.’’ युवक ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा.

”अरे आप तो बड़े अजीब इंसान हैं, इतनी जल्दी नाराज हो गए.’’ तिलबती ने मुसकराते हुए कहा, ”आप ने बात ही ऐसी की थी कि मेरा नाराज होना स्वाभाविक था. चलना है तो बताओ, मुझे देर हो रही है,” युवक ने अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए कहा.

”आप कम से कम अपना नाम तो बता दीजिए जनाब?’’ तिलबती ने कहा.

”मेरा नाम चंद्रा राउत है, मैं मुरुमडीही गांव का रहने वाला हूं और खेतीकिसानी करता हूं.’’ युवक ने अपना परिचय देते हुए कहा.

”अरे वाह, आप का नाम तो बहुत ही सुंदर है. मेरा नाम…’’

तिलबती अपनी बात भी पूरी नहीं कर सकी, तभी चंद्रा राउत बोल पड़ा, ”मैं तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानता हूं. तुम्हारा नाम तिलबती गोंड पिता का नाम लुदुराम गोंड, गांव बागबेड़ा. यही है न!’’ चंद्रा राउत ने मुसकराते हुए कहा.

”अरे, तुम्हें तो मेरे बारे में सब कुछ पता है. इसलिए मैं अब आप के साथ चल सकती हूं.’’ तिलबती ने चंद्रा की बाइक पर बैठते हुए कहा.

उस दिन के बाद से दोनों में दोस्ती हो गई थी. चंद्रा राउत रोजरोज बाइक से तिलबती को पास के कस्बे में ले जाने लगा था. उन दिनों तिलबती पास के कस्बे से सिलाई का कोर्स कर रही थी. उस के अलावा तिलबती नौकरी के लिए औनलाइन आवेदन भी करती रहती थी, जिस में चंद्रा राउत अब तिलबती की मदद करता रहता था.

अब तिलबती चंद्रा राउत के साथ फिल्म देखने भी जाने लगी थी. इस दौरान तिलबती यह महसूस करने लगी थी कि बातचीत करने के दौरान चंद्रा राउत उस के नजदीक आने की काफी कोशिश करता है. चंद्रा राउत की बात भी बड़ी मजेदार होती थीं. अब तिलबती को भी लगने लगा था कि वह चंद्रा के प्रति आकर्षित होती जा रही है.

एक दिन चंद्रा राउत ने तिलबती से कहा, ”तिलबती, मैं एकांत में तुम से कुछ बात करना चाहता था.’’

तिलबती ने सोचा कि कुछ बात करना चाहता होगा, इसलिए उस ने हामी भर दी. यह चंद्रा राउत की एक चाल थी. उस ने कस्बे के एक होटल में एक कमरा पहले से बुक करा रखा था. चंद्रा उसे उस कमरे में ले गया.

”ये तुम मुझे अकेले में कहां पर ले कर आ गए हो चंद्रा?’’ तिलबती ने पूछा.

”तिलबती, मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करने लगा हूं,’’ चंद्रा ने होटल के कमरे में उसे बांहों में भरते हुए कहा.

”अरे, ये तुम क्या कर रहे हो? तुम्हें पता है न कि मैं एक कुंवारी लड़की हूं. कहीं कुछ ऊंचनीच हो गई तो मैं कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’ तिलबती अपने आप को चंद्रा की बाहों से छुड़ाते हुए बोली.

”देखो तिलबती, मेरी मोहब्बत के दिल को देखो, वह तुम्हारे लिए कितना तड़प रहा है. मैं तुम से प्यार करता हूं, तुम से मैं बाकायदा सब के सामने विवाह करूंगा. मेरे पास धनदौलत की बिलकुल भी कमी नहीं है. मैं तुम्हें सदा अपने दिल की रानी बना कर रखूंगा,’’ कहते हुए चंद्रा ने तिलबती को एक बार फिर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

तिलबती को लगा कि जब उस का प्रेमी उस को जिंदगी भर के लिए अपनाने को तैयार है और अब वह भी उस को प्यार करने लगी है तो उसे लगा कि सब कुछ अब उस के कंट्रोल से बाहर होता जा रहा है. उस दिन की तन्हाई में चंद्रा राउत ने आखिरकार उस दिन अपनी हसरतें पूरी कर ही लीं. उस दिन के बाद से उन दोनों के बीच अवैध संबंध स्थापित हो गए. इस के बाद तो उन की दुनिया ही बदल गई थी.

सहेली से पता चला प्रेमी का राज

एक दिन तिलबती चंद्रा राउत से मिल कर आ रही थी, तभी उस की सहेली निर्मला ने उसे रोक लिया. वह बोली, ”कहो तिलबती, कहां से मौजमस्ती कर के आ रही हो?’’ निर्मला ने सीधेसीधे उस पर सवाल दाग दिया.

”अरे निर्मला तुम. कहीं से नहीं यार, बस एक दोस्त से मिल कर आ रही थी.’’ तिलबती ने मुसकराते हुए कहा.

”देखो तिलबती, हम दोनों बचपन से एक साथ पलेबढ़े, एक साथ स्कूल में भी पढे हैं. तुम तो अब एकदम बदल ही गई हो. सचमुच मुझे तुम से ऐसी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी. पहले तो तुम मुझे रोज मिला करती थी, अपनी सारी बातें मुझे सिलसिलेवार बताया करती थी. मगर पिछले कुछ महीनों से तुम मुझ से बहुत कुछ छिपाने लगी हो.’’ निर्मला ने उसे अपने कमरे में बुला लिया था.

”निर्मला, ऐसी बात तो नहीं है. बस मैं प्यार में इतनी मदहोश हो गई थी कि सचमुच तुम्हें भी भूल गई थी. मुझे माफ कर देना प्लीज,’’ कहते हुए तिलबती ने निर्मला के दोनों हाथ पकड़ लिए थे.

”तिलबती तुम इतनी समझदार हो कर भी ऐसे कैसे बहक सकती हो. तुम्हारे घर वाले तुम्हें इतना प्यार करते हैं. उन्होंने तुम्हें इतनी छूट दे रखी है तो इस का मतलब तो यह नहीं कि तुम उन सब को खुलेआम धोखा दे डालो?’’ निर्मला ने उस की आंखों में आंखें डालते हुए कहा.

”साफ साफ बताओ निर्मला, आखिर तुम कहना क्या चाहती हो?’’ तिलबती ने गुस्से से कहा.

”तो सुनो, तुम पिछले 2 सालों से चंद्रा राउत के प्यार में पड़ी हो और यह बात अब मुझे पता चली!’’ निर्मला ने कहा.

”अरे यार निर्मला, प्यार करना गुनाह है क्या? वैसे मैं तुम्हें बताने ही वाली थी, मगर इतनी ज्यादा व्यस्त थी कि तुम से बात करने का मौका ही नहीं मिल सका.’’ तिलबती बोली.

निर्मला ने कहा, ”तुम्हें फुरसत कहां है तिलबती, दिनरात चंद्रा के साथ गुलछर्रे उड़ाने से तुम्हें समय कहां मिल पाता है. अब तो पानी सिर के ऊपर आ गया है. तुम इतनी बेवकूफ होगी, मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता था तिलबती,’’

”निर्मला, प्यार करना अगर बेवकूफी है तो हां, मैं हूं बेवकूफ. बस और भी कुछ कहना है तुम्हें तो कहो, मैं अपने घर जा रही हूं.’’ तिलबती अब उठ कर खड़ी हो गई थी.

”जरा, ये तो सुन कर जाओ कि जिस से तुम पिछले 2 सालों से बेइंतहा प्यार कर रही हो, वह शादीशुदा है.’’ निर्मला ने जब यह बात कही तो तिलबती चौंक गई.

”तुम यह कैसे जानती हो? और चंद्रा राउत के बारे में तुम्हें क्याक्या पता है? सब कुछ कह दो,’’ तिलबती बोली.

”चंद्रा राउत हमारी दूर की रिश्तेदारी में आता है. मुझे तो यह बात कल ही पता चली कि तुम और चंद्रा एकदूसरे से प्यार करते हो. मैं ने सोचा चंद्रा तो एक मर्द हो कर भूल कर सकता है, मगर तुम तो एक लड़की हो. भला इतनी बड़ी भूल कैसे कर सकती हो. आगे सुनो, चंद्रा की पत्नी का नाम सिया राउत है और उस के 5 बच्चे भी हैं.’’

”बसबस आगे तुम कुछ मत कहो निर्मला, चंद्रा का घर मुरुमडीही में कहां पर है?’’ तिलबती ने पूछा.

”चंद्रा राउत का गांव में आखिरी घर है और वहां से जंगल का इलाका शुरू हो जाता है.’’ निर्मला और कुछ भी कहना चाहती थी परंतु तिलबती यह सुनते ही अपने घर की ओर चल पड़ी थी.

प्रेमी की पत्नी हुई हत्या में शामिल

चंद्रा के बारे में यह जानकारी पा कर उस पूरी रात तिलबती सो न सकी थी. चंद्रा राउत अपने प्रेम के जाल में फंसा कर उस का शारीरिक शोषण कर रहा था, यह बात बारबार तिलबती के दिल को कचोट रही थी. उस ने फैसला कर लिया था कि वह चंद्रा राउत से मिल कर उसे सबक जरूर सिखाएगी ताकि वह किसी दूसरी लड़की के साथ ऐसा घिनौना काम न कर सके.

प्रेमी से मिलने 10 किलोमीटर पैदल चली थी तिलबती, जहां पर मिली मौत की सौगात.

रात तो किसी तरह तिलबती ने गुजार दी, मगर सुबहसुबह किसी से मिलने का बहाना बना कर वह पैदल ही घर से निकल गई. प्रेम प्रसंग के चलते तिलबती कई बार चंद्रा राउत से शादी की जिद भी कर चुकी थी, लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बना कर चंद्रा शादी करने से मना कर देता था.

उस दिन तिलबती आर या पार का फैसला अपने मन में बना कर अपने प्रेमी से मिलने उस के घर पहुंच गई. वहां पहुंचते ही उस ने चंद्रा राउत के ऊपर गालियों की बौछार कर दी थी.

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             चंद्रा राउत

चंद्रा राउत की पत्नी सिया राउत पहले कुछ नहीं समझी, परंतु जब सारी बात उस की समझ में आई तो उस ने अपने पति से तिलबती को घर के भीतर बुलाने को कहा. चंद्रा राउत भी किसी न किसी तरह तिलबती से अपना पीछा छुड़ाना चाहता था. उधर दूसरी तरफ सिया भी अपने और अपने 5 बच्चों के भविष्य को ले कर चिंता में पड़ गई थी, इसलिए दोनों ने आंखों ही आंखों में एक खतरनाक फैसला कर लिया. उन्होंने तिलबती को अपने रास्ते से हमेशा हमेशा के लिए हटाने की बात तय कर ली.

प्लान के मुताबिक चंद्रा राउत ने तिलबती को अंदर आ कर बात करने के लिए समझाया और कहा, ”तिलबती, तुम घर के भीतर तो चलो, यहां बाहर चिल्ला कर इस समस्या का हल होने वाला नहीं है. मेरी पत्नी सिया भी एक समझदार औरत है, हम तीनों आपस में बैठ कर इस समस्या का कोई न कोई हल अवश्य निकाल लेंगे.’’

तिलबती प्रेमी चंद्रा राउत की बातों में आ कर उस के साथ कमरे में चली गई. जैसे ही तिलबती घर के भीतर घुसी, सिया राउत ने घर का दरवाजा बंद कर के चिटकनी और कुंडा लगा दिया.

दोनों ने मिल कर पहले तिलबती से जम कर मारपीट की, जब तिलबती घायल हो गई तो दोनों ने मिल कर उस की गला दबा कर हत्या कर दी.

हत्यारे यहीं नहीं रुके उन्होंने मीट काटने वाले चापड़ से तिलबती की लाश के पूरे 31 टुकड़े कर दिए. उस के बाद उन्होंने अंधेरा होने का इंतजार किया और फिर अंधेरा होने पर लाश जंगल में ले गए. जंगल में गड्ढा खोद कर तिलबती की लाश के टुकड़े दफन कर दिए. उन्होंने लाश के टुकड़ों के ऊपर नमक डाल दिया था ताकि वह जल्दी गल जाएं.

चंद्रा राउत और उस की पत्नी सिया राउत ने सोचा कि तिलबती को गांव में आते किसी ने देखा भी नहीं होगा. उस की लाश उन्होंने नमक डाल कर दफन कर दी. इसलिए उन का राज हमेशा हमेशा के लिए दफन हो कर रह जाएगा, मगर ऐसा न हो सका.

अपराध चाहे कैसा भी क्यों न हो, कितनी ही चतुराई से क्यों न किया गया हो, उस का परदाफाश हो ही जाता है.

तिलबती मर्डर केस में भी ऐसा ही हुआ. रात को जंगली जानवरों ने गड्ढे को खोद दिया, जिस में से तिलबती का हाथ बाहर आ गया. जिसे गांव के एक युवक ने देख लिया और पुलिस को खबर कर दी. इस घटना के बाद ग्रामीणों में काफी रोष था. उन्होंने दोनों आरोपियों के लिए फांसी का मांग की थी.

एक युवती को प्यार करने की कीमत अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी, उसे ऐसी दर्दनाक मौत दी गई कि जिसे सुन कर रोंगटे खड़े हो जाएं.

युवती का कसूर सिर्फ इतना ही था कि वह जिस शख्स से प्यार करती थी, उस के साथ अपनी सारी जिंदगी गुजारना चाहती थी, लेकिन वह पहले से ही शादीशुदा था. बावजूद इस के उस कातिल प्रेमी ने उसे अपने प्यार के जाल में फंसाया, जिस का अंजाम युवती को अपनी जान दे कर भुगतना पड़ा.

कथा लिखी जाने तक राईघर गांव पुलिस ने इस संबंध में आईपीसी की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर दोनों आरोपियों चंद्रा राउत और उस की पत्नी सिया राउत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

—कथा में मृदुला, सौम्या, माधव और निर्मला परिवर्तित नाम हैं. कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.

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