10 मई, 2024 को जियो सिनेमा (Jio Cinema) पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘मर्डर इन माहिम’ (Web Series Murder In Mahim) उपन्यासकार जेरी पिंटो (Jerry Pinto) की कहानी पर आधारित है, जिस का मूल मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद कब का हाशिए पर जा चुका है.

कलाकार: विजय राज, आशुतोष राणा, शिवानी रघुवंशी, स्मिता तांबे, दिव्या जगजाले, राजेश खट्टर, शिवाजी साटम, स्मिता तांबे,  दिव्या जगदाले, बेनाफ्शा सूनावाला

लेखक: मुस्तफा नीमचवाला और  उदय सिंह पवार

निर्देशक: राज आचार्य

निर्माता: अजीत अंधारे

संपादक: बिन शेख

ओटीटी: जियो सिनेमा

एपिसोड: 8

जेरी पिंटो के लिखे उपन्यास का आधार भारतीय दंड संहिता की धारा 377 है. उपन्यास जनवरी, 2018 में प्रकाशित हुआ था और उसी साल सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को खारिज कर दिया.

वेब सीरीज ‘मर्डर इन माहिम’ उस के पहले के कालखंड की कहानी है, जिस में  समलैंगिकों के अधिकारों की वकालत और उन की समस्याओं का जिक्र किया गया है. जैसा कि सीरीज का नाम है, कहानी मुंबई के माहिम रेलवे स्टेशन के शौचालय में हुए एक कत्ल से शुरू होती है.

वेब सीरीज में खामियां भी बहुत हैं. ऐसी ही एक गलती तब होती है, जब क्राइम जर्नलिस्ट पीटर फर्नांडीस/आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) का हिमाली के साथ एक साक्षात्कार के लिए अचानक उपस्थित होना अनुचित और हकीकत से जुदा लगता है. इस के अतिरिक्त, हत्याओं से असंबंधित एक चरित्र के चाकू पर ध्यान केंद्रित कर के कथानक अनावश्यक रूप से दर्शकों का ध्यान भटकाता है.

डायरेक्टर राज आचार्य ने वेब सीरीज ‘मर्डर इन माहिम’ को जमीन से जोड़े रखने के चक्कर में पूरी कहानी को उन्हीं इलाकों में बार बार केंद्रित किया है, जिन इलाकों में मुंबई की चकाचौंध की बातें सुन कर इस शहर में आने वाला हर शख्स कभी नहीं जाना चाहता. 40-40 मिनट के 8 एपिसोड तक सीरीज को देखते रहना किसी चुनौती से कम नहीं है.

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वेब सीरीज ‘मर्डर इन माहिम’ सीरीज दिखाती कम है और फिरदौस बताती ज्यादा है. यहां तक जब इंसपेक्टर शिवाजीराव जेंडे की सहकर्मी रब्बानी अपनी पसंद के बारे में खुलासा करती है तो इस का असर बनाने के लिए कहानी के दृश्य नहीं गढ़े जाते हैं, बल्कि संवादों से सारी बातें दर्शकों को बताई जाती हैं. शिवाजीराव जेंडे का रोल विजय राज (Vijay Raj) ने निभाया है और फिरदौस रब्बानी की भूमिका शिवानी रघुवंशी (Shivani Raghuvanshi) ने निभाई है.

कहानी बहुत सपाट है. पटकथा उस से ज्यादा हलकी और निर्देशन का तो खैर कहना ही क्या, जो आचार्य को मिला, उसे ही उन्होंने आगे पढ़ा दिया.

अभिनय के मामले में इस में कम से कम 3 कलाकार ऐसे हैं, जिन के अभिनय के नए आयाम ये सीरीज खोल सकती थी. आशुतोष राणा के किरदार का ग्राफ भी अच्छा है. उन के ‘औपरेशन’ से उन के ही दोस्त जेंडे के पिता की नौकरी चली गई.

मामला संगीन होता देख दोनों दोस्त फिर साथ आते हैं, लेकिन जेंडे पुलिस वाला है, वह अपने दोस्त पर भी शक कर सकता है. दोनों को मनमुटाव दूर करना होता है तो वह समुद्र के तट पर जाते हैं. वह और कहीं क्यों नहीं बतिया सकते, यह बात इस के लेखक और निर्देशक ही जानें.

एपिसोड 1 (भूखा शहर)

वेब सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत माहिम रेलवे स्टेशन से होती है. प्लेटफार्म की घड़ी रात के 2:40 बजा रही है. एक लड़का प्लेटफार्म पर आता है, जिसे देख कर दूसरे प्लेटफार्म पर बैठा व्यक्ति उस की तरफ बढ़ता है. दोनों प्लेटफार्म पर बने जेंट्स टायलेट में घुस कर जिस तरह पेश आते हैं, उसे देख कर समझ आता है दोनों लड़के गे हैं.

एक लड़का दूसरे के साथ अप्राकृतिक सैक्स करने के दौरान उस का चाकू से बेरहमी से मर्डर कर देता है. चीख की आवाज सुन कर इंसपेक्टर शिवाजी रावड़ जेंडे (जिस का रोल विजय राज ने निभाया है) नींद से जागता है तो दूसरे कमरे में अपने पिता की नींद में जोर से बड़बड़ाने की आवाज सुन कर वहां पहुंचता है. दोनों में बहस होती है.

अगले सीन में पीटर फर्नांडीज (जिस का रोल आशुतोष राणा ने किया है) रात को टैक्सी से घर आता है और पत्नी के पूछने पर बताता है कि इंसुलिन लेने कैमिस्ट शौप गया था. पत्नी बताती है कि उन का बेटा सुनील भी घर नहीं लौटा है. इधर सुबह तड़के शिवाजी राव जेंडे को फोन पर मर्डर होने की सूचना मिलने पर वह वहां पहुंचता है, जहां बड़ी अफरातफरी का माहौल है.

माहिम रेलवे स्टेशन पर 2 सबइंसपेक्टर प्रवीण दुर्रा (भरत गनेशपुरे) और विनय पगमत (संजीव सत्यविजय) के साथ लेडी सबइंसपेक्टर फिरदौस रब्बानी (शिवानी रघुवंशी) मिलती हैं.

जेंट्स टायलेट में पड़ी लहूलुहान लाश की तलाशी में एक मोबाइल और पर्स से आईडी कार्ड मिलता है, जिस में लक्ष्मण कुमार नाम लिखा है. मृतक के हाथ पर लिपस्टिक से दिनेश नाम लिखा हुआ है. टायलेट में लंबे बाल भी मिलते हैं. घटनास्थल पर न तो एंबुलेंस पहुंची है और न ही फोरैंसिक टीम, पर मीडिया वाले लाइव कवरेज कर रहे हैं.

यहां पर मीडिया परसन से इंसपेक्टर जेंडे की झड़प होती है और जेंडे रिपोर्टर को फटकार लगाते हुए कैमरा परसन को कैमरा बंद करने को कहता है.

इधर पीटर और उस की पत्नी अपने बेटे सुनील (रोहन वर्मा) के रात भर घर न लौटने और फोन स्विच औफ रहने पर चिंतित होते हैं. टीवी न्यूज में एक खबर देखते हुए दोनों को सुनील दिखता है जो गे एक्टीविस्ट है और धारा 377 को अपराधमुक्त करने के विरोध में एलजीबीटी समर्थकों के साथ प्रदर्शन कर रहा है.

एपिसोड देख कर पता चलता है कि गे सैक्स वर्कर को स्थानीय भाषा में गुड़ कहा जाता है. पीटर के घर मिस्टर एंड मिसेज डिसूजा अपनी बेटी एल्थिया और सुनील की शादी के सिलसिले में आते हैं, परंतु पीटर की पत्नी सुनील के गे होने की सोच कर चिंता में पड़ जाती है.

इधर टीवी पर मर्डर की न्यूज देख कर डिसूजा पीटर से जेंडे के बारे में पूछता है. पीटर सुनील की खोज में लेस्ली (राजेश खट्टर) से मिलने जाता है, जहां लेस्ली पीटर को विरल (निशांत खंडूजा) से भी मिलवाते हुए बताता है कि दोनों साथ में रहते हैं.

किस ने निकाली मृतक की किडनी

मीडिया के साथ बदसलूकी करने के लिए एसीपी सिंह (उमेश जगदाप) जेंडे को डांटते हुए बताता है कि 20 साल पहले एक पत्रकार पीटर ने उस के बाप की नौकरी खा ली थी, अब यह तुम्हारी खा सकता है. पोस्टमार्टम करने वाला डाक्टर पिटाले जेंडे को बताता है कि मृतक की एक किडनी निकाली गई है और उस के साथ ऐनल सैक्स भी किया गया है.

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पुलिस आर्गन चोरी के एंगल से तहकीकात करती है. इंसपेक्टर जेंडे एसआई फिरदौस रब्बानी को बताता है कि यह भूखा शहर है. मर्डर करने वाला इस से बहुत नफरत करता होगा.

इंसपेक्टर जेंडे अपनी गाड़ी में कहीं जाने को होता है, तभी एक एसआई दुर्रा बताता है कि मृतक के फोन की काल डिटेल्स में उस के घर वालों का नंबर हो सकता है. मृतक लक्ष्मण के घर वालों का फोन नंबर मिल जाने पर जेंडे रब्बानी के साथ लक्ष्मण के घर पहुंच कर उस के मांबाप से पूछताछ करते हैं. जहां वह सोता था, वहां पर तलाशी में बहुत से पैसे मिलते हैं.

वहीं पर पुलिस को लक्ष्मण का बाप बताता है दिनेश नाम का लड़का, जिसे सभी बैटरी कहते हैं, वहीं पास में रहता है. वह लक्ष्मण के साथ रहता था.

इस के बाद पुलिस दिनेश की तलाश करती है तो पता चलता है, उस का असली नाम दानिश है और वो नाइट ड्यूटी करता है. तभी रब्बानी को दिनेश उर्फ दानिश उर्फ बैटरी की लोकेशन मिलती है. लोकेशन का मैसेज मिलते ही दोनों सबइंसपेक्टर वहां पहुंच कर एक घर के अंदर गोली चलाते हैं. तभी जेंडे और रब्बानी भी वही पहुंच जाते हैं.

अंदर से जो लड़का निकलता है, उस का नाम राजू है, जो पुलिस को बताता है कि यह मोबाइल उस ने रेलवे स्टेशन से चुराया किया था. कहानी दिलचस्प तो है, लेकिन जरूरत से ज्यादा लंबी चलने वाली पुलिस प्रोसीडिंग्स इसे थोड़ा कमजोर करने का काम करती हैं. साथ ही इस में उन बारीकियों की भी कमी है, जो एक मर्डर मिस्ट्री जैसी कहानी में होनी चाहिए.

एपिसोड-2 (हिसाब बराबर)

दूसरे एपिसोड की शुरुआत में इंसपेक्टर जेंडे एक सपना देखता है, जिस में उस का पिता दुल्लर (जिस का रोल शिवाजी साटम ने निभाया है) का मर्डर रेलवे स्टेशन के टायलेट में हुआ है. पुलिस स्टेशन में पूरी टीम पहले मर्डर की गुत्थी सुलझाने में लगी होती है, तभी  माहिम रेलवे स्टेशन पर एक और मर्डर हो जाता है.

मृतक के जेब से निकली पर्ची में दुर्रा लिखा होता है, जो माहिम पुलिस थाने में सबइंसपेक्टर प्रवीण दुर्रा है. दूसरे मर्डर के पोस्टमार्टम में डाक्टर पुलिस को बताता है कि इस में भी मर्डर के बाद किडनी निकाली गई है, मगर सुरक्षित तरीके से.

एसीपी एसआई दुर्रा से गे सैक्स वर्कर के कनेक्शन के बारे में पूछताछ करता है, मगर दुर्रा डर के मारे कुछ भी नहीं बताता. इंसपेक्टर जेंडे को दोनों काल डिटेल्स रिपोर्ट में सुनील फर्नांडीज का नाम मिलता है तो वह पीटर से उस के घर पहुंचता है. जहां वह सुनील के बारे में पीटर को कुछ बताना चाहता है, तभी पत्नी चाय ले कर आ जाती है.

इस के बाद जेंडे वापस पुलिस थाने आ कर रब्बानी को सुनील के मूवमेंट की सीसीटीवी कैमरे में चैक करवाने को कहता है. इधर एसआई दुर्रा एक बैग में पैसे ले कर विनय पगमत के पास पहुंचता है. इधर पुलिस स्टेशन में यूनिट नाम का लड़का 3 घंटे से पूछताछ के लिए बिठा कर रखा है.

इधर इंसपेक्टर जेंडे यूनिट से खूब घुमाफिरा कर पूछताछ करता है, मगर उस से कुछ नहीं निकलता. इसी दौरान पीटर भी पुलिस स्टेशन पहुंचता है. वहां जेंडे पीटर को बताता है कि 2 गे सैक्स वर्कर के मर्डर में उस के बेटे सुनील का फोन नंबर सामने आया है. पीटर उसे समझाने की कोशिश करता है, मगर इंसपेक्टर जेंडे हवलदार को सुनील को उठाने का आर्डर देता है.

इंसपेक्टर जेंडे घर पहुंचता है तो उस के पिता बताते हैं कि उस का बेटा आरव दुर्रा के घर उस के बेटे रोहन के पास गया है और बीवी किसी और के घर गई है. डायरेक्टर को किसी बात की जल्दी है, यही वजह है कि यहीं फिरदौस और लुकमान के मिलने का एक छोटा सा सीन दिखाया गया है.

इधर पीटर को एसएमएस से लक्ष्मण का एड्रेस मिलता है और वह घर से निकल पड़ता है. लक्ष्मण के घर वह एनजीओ की पगार देने के बहाने उस के घर से कोई फाइल लेने जाता है, जहां उसे सूरज देसाई के सुसाइड का न्यूज पेपर मिलता है. इस के बाद पीटर सूरज देसाई की पत्नी हिमाली (सोनिया बेलानी) के यहां जा कर उसे फ्रांस की एक मैगजीन के लिए इंटरव्यू देने को मना लेता है.

जब पीटर उस के खूबसूरत फोटोग्राफ पत्रिका के कवर पेज पर छापने को कहता है तो वह खुश होती है, लेकिन टीवी पर लैस्बियन के प्रदर्शन के समाचार देख कर जब पीटर उस से पूछता है तो वह इंटरव्यू के लिए मना कर देती है.

इधर पीटर डाक्टर पिटाले से मिलता है, जो उस का पुराना दोस्त है. वह माहिम मर्डर केस की डिटेल्स चाहता है, मगर डाक्टर पिटाले औफिशियल मैटर की वजह से मना कर देता है.

एपिसोड-3 (बाप बड़ा या बेटा)

तीसरे एपिसोड की शुरुआत शिवा और उस के पिता के झगड़े से होती है. झगड़ा शिवा के बेटे के फैन चालू करने से होता है. शिवा अपने बाप को फोकटिया कह कर ताने देता है.

अगले सीन में फिरदौस के घर उस के कमरे में उस की दोस्त रेहाना (बेनाफ्शा सूनावाला) आती है और दोनों की बातचीत और इंटीमेट सीन देख कर पता चलता है दोनों समलैंगिक हैं. इंसपेक्टर शिवा अपने बेटे के लिए वीडियो गेम देने जाता है तो पता लगता है, वह एडल्ट मैगजीन पढ़ रहा है, जो उसे एसआई दुर्रा के बेटे रोहन ने दी है. इंसपेक्टर जेंडे वह मैगजीन दुर्रा को दिखाता है.

इंसपेक्टर जेंडे और फिरदौस किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले बदामा हौस्पिटल से पिछले एपौइंटमेंट डिटेल लेने जाते हैं, मगर हौस्पिटल मैनेजमेंट डिटेल देने से मना करता है. जब एसीपी से हौस्पिटल का सर्च वारंट लेने इंसपेक्टर जेंडे जाता है तो एसीपी यह कह कर मना कर देता है कि बदामा हौस्पिटल का डबल मर्डर से कोई लेनादेना नहीं है.

फोरैंसिक जांच एजेंसी का एक अधिकारी मर्डर में मिले कागज को फ्रांस का बता कर किलर को अपर क्लास बताता है. पीटर को सूरज देसाई सुसाइड केस पर राइट अप लिखने वाले पत्रकार से बात कर के पता चलता है कि बिना विक्टिम से बात किए इसे लिखा गया है.

मिली (दिव्या जगदाले) समलैंगिकता के उपचार की कोई किताब लाती है. पीटर मिली के कहने पर लेस्ली के पास हेल्प मांगने जाता है तो बातचीत में पता चलता है कि माहिम रेलवे स्टेशन का टायलेट गे सैक्स वर्कर का बहुत बड़ा अड्डा है, वहां उन्हें कोई आसानी से नहीं देख पाता.

लेस्ली बताता है कि गे अपनी फीलिंग समाज में बता नहीं पाते और ऐसी जगह का चुनाव करते हैं. पीटर और लेस्ली के ज्यादातर डायलौग सुनने से दर्शकों को लगता है कि वे कोई अंगरेजी फिल्म देख रहे हैं.

पीटर को सुनील के कमरे से एक फोटो मिलती है, जिस में वह यूनिट (आशुतोष गायकवाड़) के साथ है. यूनिट की तलाश में वह देर रात माहिम रेलवे स्टेशन जाता है, वहां पता चलता है कि वह दादर चौपाटी पर मिलेगा. दादर चौपाटी पहुंचने पर सैक्स वर्करों का हुजूम दिखाई देता है.

अगले सीन में इंसपेक्टर जेंडे अपने घर जाता है तो सोसायटी के गेट पर उस का बाप वाचमैन के रूप में दिखाई देता है. पीटर यूनिट से बात करना चाहता है, मगर वह भाव नहीं देता. इसी दौरान पुलिस की रेड में सैक्स वर्कर्स के साथ पीटर को भी पुलिस थाने ले जाया जा रहा है. पीटर शिवा को फोन करता है, रिप्लाई न मिलने पर उसे मैसेज करता है.

एपिसोड-4 (2 से दोस्ती)

42 मिनट के चौथे एपिसोड की शुरुआत में दिखाया गया है कि सैक्स वर्कर के साथ पीटर को भी दादर पुलिस चौकी के लौकअप में बंद कर दिया है. इंसपेक्टर शिवा पत्नी कल्पना (स्मिता तांबे) को बताता है कि बाप के रिश्वत लेने पर नौकरी चली जाने के बाद वह रिश्वत लेने से डरता था और लोग उसे ईमानदार समझते थे. बाद में यह उस की नियति बन गई और उसे पैसे से ज्यादा इज्जत प्यारी लगने लगी.

कल्पना उसे बताती है कि उस के गुस्से से वह और बेटा आरव डरते हैं. बाबा उस के गुस्से से नहीं डरते, इसलिए दोनों में झगड़ा होता है.

लौकअप में यूनिट पीटर को अपनी कहानी सुनाते हुए बताता है कि लक्ष्मण कुमार उर्फ प्राक्सी उस का दोस्त था. उस के स्कूल के पीटी टीचर चंद्रकांत सर बहुत दरियादिल थे, झोपड़पट्टी के बहुत सारे बच्चों को खुले में शौच कर के देखते तो सभी को अपने घर टायलेट और बाथरूम इस्तेमाल करने बुलाते थे. इंसपेक्टर जेंडे दादर चौकी पहुंच कर पीटर और यूनिट को छुड़वाता है.

एसीपी सारे पुलिस स्टाफ को फटकारते हुए आरोपी को खोजने का निर्देश देता है. फिरदौस जल्दी घर जाने की इजाजत ले कर रिहाना से मिलने पहुंची तो दोनों के बीच अपने संबंधों और प्यार को समाज के सामने लाने के मुद्दे पर बहस होती है और रिहाना वहां से रूठ कर चली जाती है.

अपने बेटे सुनील को बचाने पीटर चंद्रकांत सर से मिलता है तो उस का मेड सत्तू बताता है कि प्राक्सी विनय सर का दोस्त था. यहां पता चलता है कि विनय पगमत चंद्रकांत सर का भतीजा है. तभी सुनील का काल आने पर पीटर उसे माहिम पुलिस स्टेशन पहुंचने को कहता है. पुलिस स्टेशन में सुनील इंसपेक्टर जेंडे को अपनी थीसिस और प्राक्सी के मर्डर वाले दिन मुंबई से कोहिमा जाने का बोर्डिंग पास दिखा कर बताता है कि प्राक्सी के मर्डर से उस का कोई संबंध नहीं है.

दुर्रा जब फोन पर रोजम्मा सिस्टर से इंसुलिन लाने की बात कर रहा होता है, तभी बाइक पर हेलमेट लगाए एक शख्स यह बात सुन लेता है. दुर्रा के घर उस के बेटे को इंसुलिन लगाने आने वाली नर्स रोसम्मा उस दिन दुर्रा को घर पर न आने को बोलती है और मैडिकल से पार्सल के जरिए इंसुलिन पहुंचाती है.

रेड हेलमेट और ग्रीन रेनकोट पहन कर कोई वह पार्सल दुर्रा के घर पहुंचता है और उसे दुर्रा खुद अपने बेटे को इंसुलिन देता है.

इधर जेंडे और पीटर समुद्र किनारे ढाबे पर खूब शराब पी कर अपनी जिंदगी को याद कर के गलेशिकवे दूर कर रहे होते हैं, तभी जेंडे को फोन काल आती है. उस के बाद दोनों शराब के नशे में दुर्रा के घर पहुंचते हैं.

वहां जा कर पता चलता है कि उस के बेटे रोहन की मौत इंसुलिन में जहर की वजह से हो गई है. रोहन की जेब से विनय पगमत के नाम की पर्ची निकलती है. बेटे की मौत से दुर्रा सदमे में है और वह विनय पगमत के घर पहुंच कर उसे गोली मार देता है.

इस सीरीज में 2 कहानियां समानांतर चलती हैं. पहली है मर्डर मिस्ट्री जो बहुत दिलचस्प है और दूसरी भारत में एलजीबीटी समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियां. यह थोड़ा पेचीदा हो जाता है और इस के परिणामस्वरूप कहानी रुकरुक कर धीमी हो जाती है और मुख्य कथानक से भटक जाती है.

एपिसोड-5 (पप्पू का भूत)

5वें एपिसोड में दुर्रा पगमत को गोली मारने के बाद रात में ही पिस्टल ले कर सरेंडर करने जाता है, जहां इंसपेक्टर जेंडे के पूछने पर बताता है कि पगमत प्राक्सी का ही आदमी था. पुलिस के लोग माहिम रेलवे स्टेशन पर लोगों से गे सैक्स वर्कर के वीडियो बना खूब पैसा वसूली करते थे.

फिर किसी पप्पू के बारे में बताता है कि उस के वीडियो को पत्नी को बताने की धमकी दे कर उस से बहुत पैसा वसूला.

इंसपेक्टर जेंडे के पूछने पर दुर्रा पिस्टल जेंडे के माथे पर सटा कर बताता है कि सब को पप्पू के भूत ने मारा है, अभी भी वह कुछ कह रहा है. वह बदहवास हालत में जोरजोर से चिल्लाता है ‘मारता हूं मारता हूं’. जेंडे उसे गन हटाने को कहता है और फिर दुर्रा अपने आप पर गोली चला देता है.

डीसीपी के फोन के बाद एसीपी जेंडे और स्टाफ को इस घटनाक्रम के लिए फटकार लगा कर कहता है कि मुझे एक हफ्ते के अंदर पप्पू या उस का भूत चाहिए, जिस ने प्राक्सी, बैटरी और रोहन को मारा है.

इंसपेक्टर जेंडे के किरदार पर नजर डालें तो उन की भूमिका उतनी समझदारी से नहीं लिखी गई है, खासकर जांच दृश्यों के दौरान संवाद के माध्यम से संकेत मिलने पर भी दर्शकों को उन के बुद्धिमान होने का आभास नहीं होता है.

एसआई फिरदौस नर्स रोसम्मा से मिल कर पता लगाती है कि ड्रग्स मैडिकल से आती थी. फ्लैट में रहने वाली एक बूढ़ी औरत बताती है कि उस दिन एक रेड हेलमेट और ग्रीन रेनकोट पहने लड़का बाइक से आया था. जांच एजेंसी का प्रमुख बताता है कि खाली ड्रग और रोहन की ब्लड वेसल्स में जहरीला आर्सेनिक पाया गया. मर्डर के दौरान दुर्रा और पगमत नाम की पर्ची का कागज, स्याही और हैंड राइटिंग भी एक जैसी हैं.

कैमिस्ट बताता है कि उस दिन दुर्रा के यहां इंसुलिन नहीं भेज पाया. इलाके के दूसरे कैमिस्ट शौप के सीसीटीवी कैमरे में रेड हेलमेट और ग्रीन रेनकोट वाला लड़का दिखाई देता है.

पीटर जेंडे को केस की पड़ताल कर के बताता है कि सूरज और पप्पू एक ही व्यक्ति हो सकता है, साथ ही प्राक्सी और सूरज देसाई एकदूसरे को जानते थे.

पीटर जब सुनील से यूनिट जैसे सैक्स वर्कर से उस की दोस्ती के संबंध में सवाल करता है तो सुनील उसे लंच पर बुलाता है. यूनिट जाने के लिए खासतौर से तैयार होता है. लेस्ली को विरल कोई रिपोर्ट दिखाता है, जिसे देख कर लेस्ली उसे घर छोड़ कर जाने को कहता है. इस सीन में दर्शकों को यह बात समझ नहीं आती कि आखिर लेस्ली विरल को छोड़ कर जाने को क्यों कहता है.

एपिसोड-6 (हनी ट्रैपिंग)

6वें एपिसोड की शुरुआत माहिम रेलवे स्टेशन के उसी टायलेट से होती है, जिस में सूरज देसाई के किसी गे लड़के के साथ संबंध का वीडियो दुर्रा और पगमत के द्वारा बना कर उसे हनीट्रैप में फंसा लिया है. यूनिट पीटर के घर लंच पर आता है, जहां वह पीटर और मिली को बताता है कि वह पैसा कमाने दुबई जाना चाहता है.

फिरदौस इंसपेक्टर जेंडे को दुर्रा के फोन में पप्पू के नंबर मिलने की बात बताती है, यह नंबर सूरज देसाई के नाम पर है. तभी पीटर आ कर जेंडे को चंद्रकांत सर के पास ले जाता है. वहां नौकर सत्तू की मदद से विनय पगमत के कमरे की तलाशी में कैमरा, सेलफोन और पैसों के अलावा पप्पू के नाम का मेमोरी कार्ड मिलता है, जिसे कैमरे में लगा कर देखने पर सूरज देसाई का वही वीडियो मिल जाता है, जो दुर्रा और पगमत ने बनाया था.

पीटर जेंडे को ले कर हिमाली के फोटो शूट के लिए जाता है. जेंडे बाहर रह कर पुलिस फोर्स बुला लेता है और पीटर को फोटोशूट के दौरान हिमाली बताती है कि शादी के बाद उस का लग्जरी लाइफ जीने का सपना ही टूट गया. वह और उस के भाई विरल ने मां के किडनी ट्रांसप्लांट आपरेशन की बहुत कोशिश की, मगर पैसों के अभाव में नहीं हो सका.

हिमाली के चाय बनाते वक्त पीटर के सूरज के सुसाइड के बारे में गहराई से जानने पर उसे शक होता है और वह पीटर को बाहर निकलने को कहती है. पीटर के सफाई देने पर वह किचन से चाकू निकाल कर पीटर की तरफ बढ़ती है, तभी पुलिस टीम अंदर आ कर उसे अरेस्ट कर लेती है.

पुलिस स्टेशन में हिमाली फिरदौस को अपनी जिंदगी की कहानी सुना कर बताती है कि सूरज और उन के बीच पतिपत्नी जैसा कुछ नहीं था. सूरज ने अपने बैंक अकाउंट खाली कर रखे थे, यहां तक कि उस की मां के औपरेशन के पैसे भी वह खर्च कर चुका था.

हिमाली के बताए अनुसार पुलिस किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली एलएनपी हौस्पिटल में तहकीकात करती है. फिरदौस डा. रिहाना के क्लीनिक पर मिलने जाती है, उस का पीछा लुकमान करता है. डा. रिहाना फिरदौस को दोनों की शादी कनाडा में करने का रास्ता दिखाते हुए कहती है कि वहां ये क्राइम नहीं है.

इस पर फिरदौस उसे समझाती है कि फैमिली और जौब की वजह से यह तरीका प्रैक्टिकली सही नहीं है. इस के बाद दोनों को चुंबन, आलिंगन में लुकमान बाहर से देख लेता है और फिरदौस की अम्मी को बता देता है. अम्मी उसे मार लगाती है और रिहाना की मम्मी को दोनों की रिलेशनशिप के बारे में बता देती है. रिहाना के अब्बू रिहाना को पीटते हुए कमरे में बंद कर देते हैं, जहां पर पंखे से फंदा डाल कर रिहाना सुसाइड कर लेती है.

लेस्ली पीटर को समुद्र किनारे बुला कर अपनी कहानी सुनाते हुए बताता है कि पहली बार सूरज से वह यहीं मिला था. कुछ समय एकदूसरे को डेट किया था. घर के लोगों की इच्छा के विपरीत दोनों नेे जब एक साथ रहने का फैसला किया था तो उस समय उस के बाप ने घर से निकाल दिया था और कोई भी उस से बात नहीं करता था.

सूरज यह सब देख कर घबरा गया था और उस ने घर वालों के दबाव में हिमाली से शादी कर ली, लेकिन सच्चाई से वह कब तक भागता. यह बात बीवी से छिप नहीं सकी. सूरज ने बीवी से छिप कर माहिम टायलेट जाना शुरू कर दिया, जहां पुलिस ने वीडियो बना कर उस का हनीट्रैप कर उसे ब्लैकमेल कर कंगाल कर दिया. परेशान हो कर सूरज ने सुसाइड कर लिया, इसलिए मैं ने प्राक्सी और बैटरी को मार डाला.

एपिसोड-7 (झूठा सच)

इस एपिसोड में बैटरी और रोहन के मर्डर करने की बात कहने पर लेस्ली को अरेस्ट कर लिया जाता है, मगर पीटर और इंसपेक्टर जेंडे को नहीं लगता कि ये मर्डर लेस्ली ने किए हैं. पीटर के पूछने पर लेस्ली केवल यही बताता है कि किसी अपने का दुख केवल वही महसूस कर सकता है.

पीटर सुनील पर नजर रखने दादर चौपाटी जाता है तो सुनील उसे देख लेता है. इस पर नाराजगी जताता है. पीटर और मिली बैठ कर सुनील से उस की पर्सनल लाइफ के बारे में जानना चाहता है, यह दृश्य काफी भावुक है. पितापुत्र के भावनात्मक संबंधों को बखूबी पेश किया गया है. सुनील नाराज हो कर चला जाता है. यहां पर फिरदौस को उस की अम्मी सब कुछ भूल कर शादी करने की समझाइश देती है. एसीपी जेंडे को केस साल्व करने पर शाबाशी देता है.

इंसपेक्टर जेंडे रिहाना के सुसाइड के पीएम रिपोर्ट देख कर हवलदार से फिरदौस के पुलिस स्टेशन न आने के बारे में पूछता है और उस के टेबल के दराज में कुछ ढूंढता है तो एक ग्रीटिंग कार्ड मिलता है, जिसे देख कर उसे पता चलता है कि दोनों के बीच समलैंगिक संबंध थे. पीटर सुनील के घर छोडऩे की बात जेंडे को बताता है तो वह उसे मनाने को कहता है. इस पर पीटर जेंडे को कहता है कि तेरा बाप भी तो घर छोड़ कर रहता है, उसे तू क्यों नहीं मनाता.

अगले सीन में जेंडे घर जाते समय सोसायटी के गेट पर अपने बाप के पास जाता है तो देखता है उसे तेज बुखार है. वह अपने बाप को मना कर घर ले आता है. टीवी चैनल पर चंद्रकांत सर द्वारा बच्चों के यौन शोषण की एक न्यूज देख कर पीटर टीवी चैनल पर  बहुत गुस्सा होता है.

दरअसल, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले स्कूल के बच्चों को अपने वाशरूम में नहाने की सुविधा उन्होंने दे रखी थी, मगर मीडिया ने इसे गलत ढंग से पेश किया.

इधर आतिफ नाम का लड़का फिरदौस को देखने आता है, तभी इंसपेक्टर जेंडे उस के घर पहुंच कर फिरदौस को समझाता है कि वह जो कुछ भी उस के बारे में घर में साफ बता दें और आतिफ और उस के परिवार को कोर्टकचहरी का डर दिखा कर वहां से भगा देता है.

पुलिस स्टेशन में रुटीन ब्लड टेस्ट और एचआईवी जांच नेगेटिव आने पर वह सच्चाई के साथ कहता है कि उस ने किसी का मर्डर नहीं किया. वह बताता है कि उस ने विरल के लिए यह सब कुछ किया है. वह सूरज देसाई के सुसाइड के लिए दुर्रा और पगमत को जिम्मेदार ठहराते हुए बताता है कि विरल की मम्मी के औपरेशन के पैसे हनीट्रैप के जरिए उन्होंने हड़प लिए थे.

वह अपने फोन में विरल की फोटो भी दिखाता है. उस फोटो को फिरदौस कैमिस्ट को भेजती है, जिस में वह पुष्टि करता है कि वह ड्रग्स देने यहीं आया था.

इधर पीटर लेस्ली के घर पहुंच कर कुछ खोज रहा है, तभी वहां विरल आ जाता है तो पीटर कहता है कि लेस्ली ने उसे कुछ चीजें लेने भेजा था. जब पीटर उस से कहता है कि कहीं लेस्ली किसी के ब्लेम को अपने सिर पर लेने के लिए झूठ नहीं बोल रहा तो विरल आपा खो देता है.

पीटर के समझाने पर वह अपनी कहानी सुनाता है कि वह दाहोद से मुंबई ऐक्टर बनने आया था. लेस्ली सर ने फिल्म में काम लेने को कहा था. ज्वैलरी शौप में सेल्समैन के तौर पर काम करते वक्त लेस्ली से मुलाकात हुई थी. अपने हाथ की अंगूठी दिखा कर वह कहता है कि यह उसे लेस्ली सर ने दी थी.

एपिसोड-8 (बराबरी)

एपिसोड की शुरुआत में फिरदौस लौकअप में बंद हिमाली से सख्ती से पूछताछ करने पर जो कहानी सामने आती है, उस में पता चलता है कि प्राक्सी ने उसे हनीट्रैप में फंसाया था और दुर्रा और पगमत उस से पैसे वसूलते थे. विरल गुस्से में उस के साथ मारपीट करता है और उसे उठा कर बिल्डिंग से नीचे फेंक देता है, जिस में सूरज की मौत हो जाती है. उस के बाद विरल हिमाली से सुसाइड नोट लिखवाता है.

दूसरे सीन में विरल लाल टोपी और जैकेट पहने बस स्टाप पहुंचता है, पुलिस लोगों से उस के बारे में पूछताछ करती है. वह अपनी टोपी और जैकेट उतार देता है और मोबाइल एक महिला यात्री के बैग में छोड़ देता है. पुलिस मोबाइल लोकेशन के आधार पर बस में बैठी उस महिला तक पहुंच जाती है, मगर महिला को कुछ पता नहीं होता. उस महिला को पुलिस जब विरल का फोटो दिखाती है तो वह बताती है कि बस स्टैंड के कैंटीन में वह दिखा था.

विरल भागता हुआ फोंज के अड्डे पर पहुंचता है, जहां फोंज उस से ज्यादा पैसों की डिमांड करता है. पैसा न होने पर वह विरल के हाथ की अंगूठी ले कर अपनी अंगुली में पहन लेता है. जेंडे और पीटर लेस्ली से विरल को खोजने में मदद करने को कहते हैं तो वह तैयार हो जाता है, मगर एसीपी अनुमति नहीं देता है. जेंडे चुपचाप लेस्ली को पीटर के साथ विरल की खोज में भेज देता है.

टेक्सी नाम का टैक्सी चालक उसे फोंज के अड्डे तक पहुंचाता है. फोंज लेस्ली का पुराना दोस्त है. लेस्ली विरल की फोटो दिखा कर उस के बारे में पूछता है, मगर वह विरल के बारे में सही जानकारी नहीं देता. लेस्ली और पीटर के जाने के बाद फोंज विरल को सुबह 5 बजे तक उस का अड्डा छोडऩे को कहता है.

धारा 377 के विरोध में रोड पर प्रदर्शन चल रहा है, पुलिस बैरीकेड लगा कर उन्हें रोकती है. तभी एसीपी आ कर इन को क्रिमिनल कहते हैं तो फिरदौस इसे अंगरेजों का कानून बता कर गे लोगों के साथ खड़ी हो जाती है.

एसीपी इंसपेक्टर जेंडे को बुला कर डांटते हुए फिरदौस के खिलाफ ऐक्शन लेने को कहता है. लेस्ली के मोबाइल में फोंज के साथ ली गई फोटो में पीटर को फोंज के हाथ में वही अंगूठी दिखती है, जो विरल के पास थी. यह बात पीटर जेंडे को बताता है.

फोंज के अड्डे पर पुलिस दबिश देती है तो वहां विरल की लाश मिलती है. फोंज से पूछने पर वह बताता है कि मर्डर उस ने नहीं किया है, मगर रात में ज्यादा शराब पीने की वजह से किसी ने चाबी निकाल कर इस मर्डर को अंजाम दिया है.

किस ने की थी विरल की हत्या

फोरैंसिक एक्सपर्ट बताता है कि इस की हत्या में जिस चाकू का इस्तेमाल किया गया है, वह जानवरों की खाल निकालने में काम आता है. इधर सुनील पीटर और मिली को अपने गे होने की बात बताता है तो वे यह कह कर स्वीकार कर लेते हैं कि तुम्हारी खुशी में हमारी खुशी है.

इसी दौरान दुबई में यूनिट के जौब मिलने का मैसेज सुनील के पास आता है. तभी सुनील यूनिट के विटनरी हौस्पिटल में जानवरों की खाल निकालने के बारे में बताता है. इसी शक पर पुलिस यूनिट को पुलिस स्टेशन बुला कर पूछताछ करती है. जेंडे घुमाफिरा कर उस से कहता है कि जिस ने भी प्राक्सी को मारा, बिल्कुल सही किया. ये लोग गंदगी थे. तभी यूनिट अपने सिर को मेज पर मारता है और गुस्से से कहता है कि गंदगी तुम लोग हो.

पीटर जब अकेले में यूनिट से बातचीत करता है तो वह बताता है कि फोंज ने शराब के नशे में उसे विरल को छिपाने की बात कही थी. वह रात में ही फोंज के अड्डे पर पहुंचता है, जहां फोंज विरल को 5 बजे के पहले उस के अड्डे से निकलने का समय देता है. फोंज के जाते ही यूनिट वहां पहुंच कर चाकू से कई वार कर के उस का मर्डर कर देता है. इस तरह वह अपने दोस्त प्राक्सी की मौत का बदला लेता है.

पीटर जेंडे के सामने यूनिट के प्रति सहानुभूति दिखाता है तो जेंडे कहता है कानून सब के लिए बराबर है. इस पर पीटर कहता है कि कानून पावरफुल लोगों के कंफर्ट के लिए काम करता है.

सड़क पर प्रदर्शन कर रहे समलैंगिकों की तरफ इशारा कर के पीटर कहता है कि ये लोग पिछले 7 दिनों से अपने अधिकार ‘राइट टू लव’ के लिए लड़ रहे हैं, मगर हमारा कानून समझता है कि इन से समाज को खतरा है.

तभी एसीपी आ कर जेंडे से फिरदौस के खिलाफ ऐक्शन लेने की बात कहता है तो जेंडे कहता है कि वह अपना काम पूरी ईमानदारी से करती है तो पर्सनल लाइफ में वह क्या करती है, इस से हमें कोई मतलब नहीं होना चाहिए. यह जवाब सुन कर एसीपी चुपचाप चला जाता है. तब फिरदौस उसे थैंक यू बोलती है और पीटर शाबाशी देता है.

एपिसोड के अंत में पीटर और जेंडे अपनी जोड़ी हिट बताते हुए सिस्टम को बदलने की बात करते हैं. पीटर अपना रिटायरमेंट कैंसिल कर फिर से अपने समाचार चैनल के लिए रिपोर्टर बन जाता है.

इस सीरीज में जबरदस्त सस्पेंस दिखाई देता है, जिस में शक की सूई कभी पीटर के ऊपर तो कभी पुलिस वाले के ऊपर होती है, लेकिन असली क्लाइमैक्स कोई सपने में भी सोच नहीं सकता. एकदम ब्रूटल शो है जिस के अगले एपिसोड में क्या होगा, कहना बड़ा मुश्किल है. असली मास्टरमाइंड आंखों के सामने होते हुए भी किसी को नहीं दिखता.

विजय राज

विजय राज का जन्म 5 जून, 1963 को इलाहाबाद में हुआ था. स्कूल, कालेज पढ़ते वक्त ही वह ऐक्टर बनने का ख्वाब देखने लगा था. दिल्ली से ही 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे दिल्ली के जानेमाने किरोड़ीमल कालेज में एडमिशन मिल गया.

विजय कालेज के ही थिएटर ग्रुप से जुड़ कर स्ट्रीट प्ले और मंचीय नाटक किया करता थ. उसे अपनी ऐक्टिंग के लिए काफी तारीफें मिलतीं. विजय राज ने थिएटर से अपने ऐक्टिंग करिअर की शुरुआत की थी.

मुंबई आने से पहले विजय राज ने एनएसडी (नैशनल स्कूल औफ ड्रामा) में काम किया था. इसी दौरान नसीरुद्दीन शाह से उन की पहली मुलाकात हुई थी. नसीरुद्दीन शाह ने ही विजय राज का नाम फिल्म ‘भोपाल एक्सप्रेस’ के लिए सुझाया था. यह 1999 की बात है, नसीरुद्दीन शाह भी उस वक्त ‘भोपाल एक्सप्रेस’ में काम कर रहा था.

नसीरुद्दीन शाह की बदौलत विजय राज को इस फिल्म में काम मिल गया. इस तरह विजय राज ने 1999 में बौलीवुड में कदम रखा. इस के बाद 2000 में आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘जंगल’ से करिअर की कायापलट ही हो गई.

उस ने ‘मौनसून वेडिंग’, ‘कंपनी’, ‘पांच’, ‘रोड’, ‘युवा’, ‘डेल्ही बेली’ और ‘स्त्री’ समेत दरजनों फिल्में कीं. हर फिल्म में विजय राज के निभाए किरदार ने दर्शकों के दिलों में अलग जगह बनाई.

विजय राज ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया है, लेकिन इन फिल्मों में अभिनेता का किरदार ज्यादा लंबा नहीं रहा. इस के बावजूद उस की पहचान एक खास रूप में जानी जाती है.

2004 में आई ‘रन’ फिल्म जिस में लीड रोल में तो अभिषेक बच्चन था, लेकिन विजय राज इस फिल्म से लोगों के बीच इतना फेमस हुआ कि इस फिल्म को उस की कामेडी से जानने लगे. इस फिल्म में निभाया गया उस का कौआ बिरयानी वाला सीन बहुत पौपुलर हुआ था.

आलिया भट्ट की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में विजय ट्रांसजेंडर राजिया बाई के किरदार में नजर आए थे. इस फिल्म में विजय राज के काम को खूब पसंद किया गया. फिल्म ‘डेल्ही बेली’ में विजय एक डौन के किरदार में दिखा था, लेकिन फिल्म में डौन बन कर विजय राज ने लोगों को डराने की बजाय हंसाने का काम किया था.

वहीं अक्षय कुमार और कटरीना कैफ की फिल्म ‘वेलकम’ में भी विजय राज ने नकली डायरेक्टर का किरदार निभाया था और वह नाना पाटेकर को ऐक्टिंग सिखाते हुए नजर आया था. फिल्म ‘धमाल’ में विजय राज ने अपनी शानदार कामेडी से सब को हंसाया था. इस वेब सीरीज में विजय राज ने इंसपेक्टर शिवाजी राव जेंडे के किरदार में अपनी ऐक्टिंग के दम से दर्शकों को प्रभावित किया है.

शिवानी रघुवंशी

एक्ट्रेस शिवानी रघुवंशी का जन्म 19 जून 1991 को दिल्ली में हुआ था. शिवानी को ‘तितली’ (2014), ‘रात अकेली है’ (2020) और ‘मेड इन हेवन’ (2019) के लिए खासतौर से जाना जाता है. शिवानी रघुवंशी ने 2014 की डार्क कौमेडी फिल्म ‘तितली’ से अभिनय की दुनिया में कदम रखा था. उस ने श्री गुरुतेग बहादुर खालसा कालेज से डिग्री हासिल की है.

अमेजन प्राइम वीडियो के सीरियल ‘मेड इन हेवन’ में शिवानी रघुवंशी ने भी निम्न मध्यम वर्ग की लड़की जसप्रीत कौर जैज का किरदार निभा कर अपने अभिनय की अमिट छाप दर्शकों पर छोड़ी है.

शिवानी एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती है, जिस का कोई फिल्मी कनेक्शन नहीं है और वह दिल्ली के नौर्थ कैंपस इलाके में पलीबढ़ी  है. संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास (2002) देखने के दौरान उस के  मन में एक्ट्रेस बनने का विचार आया था. उस ने बताया कि हमें फिल्में देखने की इजाजत नहीं थी और हमारा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर था. हम साल में एक या 2 फिल्में देखते थे, परंतु देवदास फिल्म ने मेरी जिंदगी बदल दी. मुझे लगा कि मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनना चाहती हूं.

वेब सीरीज ‘मर्डर इन माहिम’ में उस ने सफल अभिनय किया है. एसआई फिरदौस रब्बानी के रोल में और अपनी दोस्त डा. रिहाना के साथ एक समलैंगिक के तौर पर उस के अभिनय ने साबित किया है कि उस में भविष्य के लिए अपार संभावनाएं हैं.

शिवानी ने ‘शौकर्स’ (टीवी सीरीज), ‘जान द जिगर’ (लघु फिल्म), ‘जट्टी’, ‘द शू’ (लघु फिल्म), ‘अंगरेजी में कहते हैं’, ‘तितली’ (2014), ‘डांसिंग डैड’, ‘पोशम पा’ (2019), ‘देवी’ (लघु फिल्म), ‘बातें’ (लघु फिल्म), कौमेडी सरकस (2018), ‘मेड इन हेवन’ (2019), ‘रात अकेली है’ (2020) में अपने अभिनय का जादू बिखेरा है.

शिवाजी साटम

शिवाजी साटम (Shivaji Satam) का जन्म 21 अप्रैल, 1950 को महाराष्ट्र में हुआ था. उस ने फिल्मी दुनिया में पहचान बनाने के लिए काफी संघर्ष किया. बचपन से ही उसे अभिनय में रुचि थी, लेकिन उस ने अपने करिअर की शुरुआत एक बैंक अधिकारी के तौर पर की थी. जब शिवाजी एक बैंक में कैशियर के रूप में काम कर रहा था, तब उस ने पहली बार इंटर बैंक स्टेज कौम्पिटिशन में हिस्सा लिया था और अपने अभिनय से सभी को प्रभावित कर दिया.

शिवाजी ने कई फिल्मों में काम किया है लेकिन आज भी उस की पहचान छोटे परदे के सब से लोकप्रिय इनवैस्टिगेशन शो ‘सीआईडी’ के एसीपी प्रद्युमन से की जाती है. उस का यह किरदार आज भी छोटे परदे के हर दर्शक को याद है. हालांकि शिवाजी साटम को सीआईडी से पहले भी काफी पहचान मिल चुकी थी, उस ने अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’ में काम किया था.

शिवाजी साटम बेहतरीन भारतीय टेलीविजन और फिल्म अभिनेताओं में से एक है. बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह एक्टर बनने से पहले एक सरकारी बैंक में था. उस ने कई हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया है, जिन में ‘गुलाम ए मुस्तफा’, ‘यशवंत’, ‘चाइना गेट’, ‘टैक्सी नंबर 9211’, ‘नायक’, ‘जिस देश में गंगा रहता है’, ‘सूर्यवंशम’ और ‘हू तू तू’ सहित कई फिल्में शामिल हैं.

आप को जान कर हैरान होगी कि ‘सीआईडी’ के नाम एक वल्र्ड रिकौर्ड भी है, जिस में शिवाजी ने यादगार रोल किया है. दरअसल, ‘सीआईडी’ ने नवंबर 2004 में बिना किसी कट के 111 मिनट तक का सब से लंबा एकल शौट शूट करने के बाद गिनीज बुक औफ वल्र्ड रिकौड्र्स और लिम्का बुक औफ रिकौड्र्स में अपना नाम दर्ज कराने में कामयाबी हासिल की.

इस एपिसोड को ‘द इनहेरिटेंस’ कहा जाता था और इसे 8 अक्तूबर, 2004 को लोनावाला में शूट किया गया था. यह 7 नवंबर 2004 को बिना किसी रुकावट के प्रसारित हुआ. ‘सीआईडी’ उन बहुत कम भारतीय शो में से एक है जो फ्रांस, स्विट्जरलैंड और लंदन सहित स्थानों पर शूट होने के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है. शिवाजी को एसीपी प्रद्युम्न की भूमिका के लिए 2 महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार और एक स्वर्ण पुरस्कार प्राप्त हुआ है.

जब शिवाजी बैंक में काम करता था तो उन दिनों उस की मुलाकात रामायण में राजा दशरथ का किरदार निभाने वाले बाल धुरी से हुई. बाल धुरी मराठी थिएटर के दिग्गज ऐक्टर था. उस ने शिवाजी साटम को एक इंटरबैंक प्रतियोगिता में प्रदर्शन करते देखा और उसे संगीत नाटक संगीत वरद में पहला ब्रेक दिया.

शिवाजी ने 1980 में लोकप्रिय टीवी सीरियल ‘रिश्तेनाते’ से स्क्रीन की शुरुआत की थी. ‘मर्डर इन माहिम’ वेब सीरीज में शिवाजी साटम ने शिवाजी राव जेंडे के पिता दुल्लर का किरदार निभाया है. वेब सीरीज में वह रिश्वत लेने के जुर्म में बरखास्त हो जाता है और बाद में अपने बेटे से अनबन के चलते ईमानदारी के साथ वाचमैन का काम करता है.

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