उस दिन तारीख थी 27 अक्तूबर, 2017. दोपहर के करीब 2 बज रहे थे. राजस्थान के रानीवाड़ा – सांचौर सड़क मार्ग पर वाहन आ जा रहे थे. उन्हीं वाहनों में से एक स्कौर्पियो तेज गति से चली जा रही थी. उसे चला रहा थाभरत राजपुरोहित. भरत के पास अगली सीट पर भीम सिंह भाटी बैठा था. दोनों घबराए से लग रहे थे. शायद उन्हें अंदेशा हो गया था कि आंध्र प्रदेश पुलिस उन का पीछा कर रही है.

भरत और भीम सिंह ने पुरजोर कोशिश की कि वह गाड़ी भगा ले जाएं, लेकिन आंध्रा पुलिस की गाड़ी बराबर उन का पीछा कर रही थी. चूहेबिल्ली का खेल खेलती गाडि़यां सड़क पर दौड़ते हुए जब लाछड़ी-हाड़ेतर के बीच पहुंची तो अचानक गोलियां चलने की आवाज से आसपास का इलाका थर्रा उठा. लोगों की समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है?

जब लोग उस जगह पर पहुंचे तो पता चला कि आंध्रा पुलिस ने साढ़े 5 करोड़ रुपए के लुटेरे भीम सिंह भाटी भीनमाल को एनकाउंटर में मार गिराया है. थोड़ी दूर सड़क पर एक महिला शांति देवी जोगी की भी लाश पड़ी थी, जो गाड़ी के आगे आने से मर गई थी.

भीम सिंह ने धोन ग्रामीण थाना एरिया जिला करनूल, आंध्र प्रदेश में एक मारवाड़ी का अपहरण कर के साढ़े 5 करोड़ रुपए लूटे थे. करनूल पुलिस काफी दिनों से आरोपी भीम सिंह के पीछे लगी थी. 27 अक्तूबर को जब वह सांचौर-गुजरात बौर्डर पर नजर आया तो आंध्रा पुलिस उस के पीछे लग गई.

भीम सिंह व भरत ने पुलिस पर फायरिंग करनी शुरू की तो जवाब में करनूल पुलिस ने भी गोलियां चलाईं. इसी बीच लाछड़ी-हाड़ेतर के बीच पुलिस की गाड़ी ने ओवरटेक कर के साइड से ही आरोपियों की स्कौर्पियो पर 8-9 राउंड फायर किए. उन में से 2 गोलियां भीम सिंह को लगीं. एक गोली भीम की बांह पर लगी और दूसरी सीने को पार कर गई, जिस से उस की मौत हो गई.

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 भीम सिंह

एक गोली आरोपी भीम की स्कौर्पियो चला रहे बिछीवाड़ी निवासी हिस्ट्रीशीटर भरत को लगी, वह घायल हो गया. उसे इलाज के लिए डीसा (गुजरात) भेजा गया. उसी बीच आरोपियों की गाड़ी से राह चलती महिला शांति देवी पत्नी बाबूनाथ जोगी भी चपेट में आ गई, जिस की मौत हो गई.

घटना की सूचना मिलने पर सांचौर पुलिस मौके पर पहुंची और शव अस्पताल में रखवा दिया. सूचना पा कर मृतक के परिजन तथा काफी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई. लोगों ने इसे फरजी एनकाउंटर बताते हुए धरनाप्रदर्शन शुरू कर दिया. जालौर के एसपी विकास कुमार छुट्टी पर थे, इसलिए आईजी हवा सिंह घुमरिया ने बाड़मेर के एसपी गगनदीप सिंगला को मौके पर भेजा और खुद भी रात में सांचौर पहुंच गए.

करनूल पुलिस ने एनकाउंटर के बाद भीम सिंह, भरत व शांति को सांचौर अस्पताल पहुंचाया. तब तक भीम सिंह व शांति की मौत हो चुकी थी. सांचौर के एएसपी जस्साराम बोस, डीएसपी फाऊलाल मीणा, तहसीलदार पीतांबरदास राठी भी वहां पहुंच गए थे. काफी संख्या में लोग भी वहां आ गए और फरजी एनकाउंटर का आरोप लगा कर धरनाप्रदर्शन करने लगे. मृतक के भाई खुशाल सिंह भी वहां आ गए थे.

वहां इकट्ठा लोग आरोप लगा रहे थे कि पुलिस के इशारा करने पर भीम सिंह ने गाड़ी रोक दी थी. इस के बाद एनकाउंटर के नाम पर पुलिस ने भीम की हत्या कर दी. रात तक आईजी हवा सिंह घुमरिया और बाड़मेर के एसपी गगनदीप सिंगला लोगों को समझाने में लगे रहे.

सांचौर चौराहे से दिनदहाड़े फायरिंग और तेज गति से दौड़ रही गाडि़यों की आवाज सुन कर वहां से गुजर रहे लोगों में अफरातफरी मच गई थी. ये गाडि़यां रानीवाड़ा की ओर भागी जा रही थी. थोड़ी देर में सांचौर पुलिस की गाडि़यां भी उधर से दौड़ती हुई निकलीं. उस के करीब 15 मिनट बाद रास्ते में ही आरोपी की गाड़ी रोड से उतरी हुई मिली.

लोगों ने देखा कि चालक जख्मी था और पास बैठा भीम सिंह खून से लथपथ था. उन की गाड़ी भी 8-9 गोलियां लगने से छलनी हो गई थी और कांच टूट गए थे. जबकि पुलिस की गाड़ी पर गोली का एक भी निशान नहीं था. करनूल पुलिस के इंसपेक्टर जी. राजशेखर, जिन्होंने आरोपी भीम सिंह का एनकाउंटर किया था, उन्होंने स्थानीय पुलिस को बताया कि भीम सिंह ने इसी साल करनूल के अक्षय जैन व निलेश जैन मारवाड़ी का अपहरण कर साढ़े 5 करोड़ रुपए लूटे थे.

इन के खिलाफ अपहरण, लूट व हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज है. 2-3 दिनों से पुलिस भीम को तलाश कर रही थी. 27 अक्तूबर को उस के आबू रोड की ओर आने की सूचना मिली तो वे मौके पर मुस्तैद हो गए. माखुपुरा-धानेरा चैकपोस्ट की ओर से आरोपी की गाड़ी आई. उसे रुकने का इशारा किया गया तो आरोपी फायरिंग करने लगे. पुलिस की जवाबी फायरिंग में भीम सिंह की मौत हो गई.

सांचौर के एएसपी जस्साराम बोस ने बताया कि उन्होंने हथियारबंद लोगों के गाडि़यां दौड़ाने की सूचना पर स्थानीय पुलिस को भेजा था. पुलिस के पहुंचने से पहले ही घटना घटित हो चुकी थी. इसी घटनाक्रम में एक राह चलती महिला शांति भी मर गई थी.

पुलिस ने आरोपी व आंध्र प्रदेश पुलिस की गाडि़यों की जांच की तो पता चला कि महिला की मौत भीम सिंह की गाड़ी की चपेट में आने से हुई थी. हालांकि लोगों का कहना था कि शांति की मौत पुलिस की गाड़ी से कुचल कर हुई थी.

करनूल में मारवाड़ी के अपहरण व साढ़े 5 करोड़ की लूट की वारदात में आरोपियों को पकड़ने आई पुलिस ने जालौर पुलिस को सूचना नहीं दी थी. करनूल पुलिस 2 दिन से आरोपियों की तलाश में घूम रही थी. हालांकि लूट की घटना की पूरी जानकारी एडीजी एन.आर.के. रेड्डी को थी, क्योंकि करनूल पुलिस ने उन्हें वारदात की जानकारी दे दी थी.

इस मामले में करनूल पुलिस का सहयोग करने के लिए आईजी एम.एन. दिनेश दोनों राज्यों की पुलिस को कोऔर्डिनेट कर रहे थे.  भीनमाल के थानाधिकारी कैलाशचंद्र मीणा ने बताया कि भीम सिंह उर्फ राजू पुत्र शंभू सिंह भाटी उर्फ छोटू सिंह पर विभिन्न तरह के 15 मामले दर्ज थे. इस के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक में भी उस पर कई मुकदमे थे.

भीम के पिता शंभू सिंह भी लूट, नकबजनी सहित विभिन्न वारदातों के 23 मामलों में आरोपी है. भीम सिंह का साथी भरत, जो गाड़ी चला रहा था, उस के खिलाफ भी लूट और अपहरण जैसे 18 मुकदमे दर्ज थे. भरत थाने का हिस्ट्रीशीटर था. आईजी हवा सिंह घुमरिया ने बताया कि साढ़े 5 करोड़ की लूट के आरोपी भीम सिंह व पीछा करते समय पुलिस में क्रौस फायरिंग हुई थी, जिस में भीम सिंह की मौत हो गई और भरत घायल हुआ.

भीम सिंह की गाड़ी से शांति नाम की एक महिला कुचल गई. पुलिस अधिकारियों के समझाने पर मृतका शांति के परिजन किसी तरह मान गए, तब पुलिस ने भीम सिंह का शव सांचौर से जालौर के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

जैसे ही उस की लाश सरकारी अस्पताल पहुंची, मारवाड़ी राजपूत महासभा के अध्यक्ष हनुमान सिंह खांगटा, कांग्रेसी नेता ऊभ सिंह चांदराई, श्री राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष चंदन सिंह कोराणा, श्री राजपूत करणी सेना जोधपुर के जिलाध्यक्ष विजय सिंह मेड़तिया, रतन सिंह दूदवा, सज्जन सिंह सहित राजपूत समाज के तमाम लोग अस्पताल पहुंच गए. उन का आरोप था कि यह मुठभेड़ नहीं थी, बल्कि पुलिस ने भीम सिंह की हत्या की है.

इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग को ले कर सभी मोर्चरी के बाहर 27 अक्तूबर की रात भर धरने पर बैठे रहे. 28 अक्तूबर को दोपहर बाद मैडिकल बोर्ड बना कर भीम के शव का पोस्टमार्टम किया गया.

जालौर जिला अस्पताल के पीएमओ डा. एस.पी. शर्मा ने पोस्टमार्टम के बाद बताया कि भीम सिंह की मौत हेमरेजिक शौक से हुई थी. उसे गोली सामने से मारी गई थी, जो बाएं फेफड़े में घुस कर पीछे की पसली को तोड़ कर रुक गई थी. इस दौरान फेफड़ा डैमेज होने व खून जमा होने से उस की मौत हो गई.

डा. शर्मा ने बताया कि एक गोली भीम के बाएं हाथ को छू कर निकल गई. इस से पूर्व किए गए एक्सरे में दूसरी कोई चोट या फ्रैक्चर नहीं मिला. भीम सिंह हाईवे का लुटेरा था. उस ने 13 सितंबर, 2017 की रात आंध्र प्रदेश के करनूल जिले के धोन थाना एरिया में मनी ट्रांसपोर्ट कंपनी के कार चालक का अपहरण कर साढ़े 5 करोड़ रुपए लूटे थे.

लूट की इस वारदात में उस के अलावा उस के 5 और साथी शामिल थे. उस ने लूट की पूरी रकम में से सिर्फ 75 लाख रुपए एक साथी को दिए थे, बाकी के रुपए उस ने खुद रख लिए थे. इस के बाद वह राजस्थान आ गया था. करनूल के डीएसपी हुसैन जैदी भीम सिंह को गिरफ्तार करने के मकसद से राजस्थान में कैंप किए हुए थे. उन्हें एक सप्ताह पहले भीम सिंह के जोधपुर में छिपे होने की सूचना मिली थी.

वह अपनी टीम के साथ जोधपुर पहुंचे. यह जानकारी उन्होंने आईजी रेंज व पुलिस कमिश्नर को दी. सर्विलांस टीम से उन्हें पता चला कि भीम सिंह की लोकेशन चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, जोधपुर है. वह 2 दिनों तक चौपासनी हाउसिंग बोर्ड एरिया में उसे तलाशते रहे, लेकिन वह पुलिस को चकमा दे कर निकल गया.

करनूल की दूसरी पुलिस टीम गुजरात में थी. घटना से 2 दिन पहले इस टीम को भीम सिंह की लोकेशन जालौर में मिली. दरअसल, 27 अक्तूबर को जब भीम सिंह ने फोन चालू कर भरत को गुजरात चलने को कहा और वह होटल पर उसे लेने गया, तब करनूल पुलिस ने उसे ट्रेस कर लिया और पीछे लग गई.

करनूल के एसपी गोपीनाथ जट्टी ने बताया कि उन की टीम ने भीम सिंह को आत्मसमर्पण करने को कहा, लेकिन वह फायर करते हुए गाड़ी भगा ले गया. उन्होंने बताया कि उस की मौत क्रौस फायरिंग से हुई थी.

भीम सिंह के गैंग ने जो रुपया लूटा था, वह अहमदनगर के ज्वैलर अक्षय राजेंद्र लूणावत का था. उस ने यह पैसा बंगलुरु पहुंचाने के लिए हैदराबाद की ट्रांसपोर्ट कंपनी के नीलेश नंदलाल को सौंपा था. नीलेश ने अपने ड्राइवर करण चौबे व सुपरवाइजर अरविंद कुमार को पैसों का बौक्स दे कर भेजा था.

वे थाना धोन एरिया में चाय पीने के लिए रुके, वहीं से भीम सिंह की गैंग पीछे लग गई और उन्होंने हथियारों के बल पर उन का अपहरण कर लिया. दोनों को करीब 150 किलोमीटर दूर नागपुर में छोड़ा और पैसे ले कर भाग गए. करनूल के एसपी गोपीनाथ ने केस को सुलझाने के लिए 5 पुलिस टीमें बनाईं.

जांच में पुलिस को पता चला कि इस लूटकांड में कुख्यात बदमाश भीम सिंह का हाथ है तो पुलिस टीमें उस की तलाश में जुट गईं. लेकिन उस का पता नहीं चल सका.

इसी बीच पुलिस ने हैदराबाद व नागपुर में कार सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया तो उन्होंने भी बताया कि गैंग का लीडर भीम सिंह था और लूट की सारी रकम वही ले गया है. इस के बाद करनूल के डीएसपी हुसैन पीरा के नेतृत्व में 2 पुलिस टीमें उस की तलाश करते हुए राजस्थान व गुजरात पहुंचीं.

पोस्टमार्टम के बाद भीम सिंह का शव उस के भाई खुशाल सिंह को सौंप दिया गया. अगले दिन उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अंतिम संस्कार में सर्वसमाज के सैकड़ों लोग मौजूद थे. राजस्थान पुलिस हर घटना पर निगाह रखे हुए थी. जैसा माहौल आनंदपाल एनकाउंटर में हुआ था, पुलिस ने वैसा माहौल नहीं बनने दिया.

उधर सांचौर थाने में हाईवे के लुटेरे भीम सिंह के एनकाउंटर मामले में 3 केस दर्ज हो गए. पहला मुकदमा आंध्र प्रदेश के करनूल जिले की पुलिस की ओर से भीम सिंह व उस के साथी भरत के खिलाफ दर्ज हुआ.

दूसरा भरत के बयान पर एनकाउंटर करने वाले इंसपेक्टर व उन की टीम के खिलाफ और तीसरा मुकदमा राह चलती महिला शांति के परिजनों की रिपोर्ट पर दर्ज हुआ, जिस की भीम सिंह की गाड़ी की चपेट में आने से मौत हुई थी.

एनकाउंटर सही है या फरजी, यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2014 में एनकाउंटर मामलों में 16 बिंदुओं की गाइडलाइन जारी की थी. गाइडलाइन के मुताबिक ऐसे मामलों की जांच मजिस्ट्रैट अथवा सीआईडी या फिर अन्य स्वतंत्र एजेंसी करती है. जांच पूरी होने तक एनकाउंटर में शामिल पुलिस टीम के किसी भी सदस्य को गैलेंट्री प्रमोशन नहीं मिलता.

जोधपुर रेंज के आईजी हवा सिंह घुमरिया ने बताया कि सभी मुकदमों की बारीकी से जांच कराई जाएगी और पीडि़त पक्ष को पूरी तरह संतुष्ट कराया जाएगा. इंसपेक्टर राजशेखर की ओर से दर्ज मुकदमे में घायल भरत पुरोहित भी आरोपी है. उस ने भीम सिंह को भगाने का भी प्रयास किया था. भरत का डीसा में पुलिस निगरानी में इलाज चल रहा था. ठीक होने पर उसे हत्या के प्रयास व सरकारी काम में बाधा डालने के मुकदमे में गिरफ्तार किया जाएगा.

27 साल का भीम सिंह उर्फ राजू महज 5वीं कक्षा तक ही पढ़ा था. पिता शंभू सिंह की आपराधिक छवि का असर उस पर बचपन से ही पड़ गया था, जिस का नाम धीरेधीरे अपने पिता के अपराध के साथ भी जुड़ता गया. इस से उस के हौसले बुलंद हुए और वह खुल कर अपराध की दुनिया में कूद गया. मोहल्ले में रहने वाली दूसरी जाति की एक युवती से भीम को प्यार हुआ तो घर वालों की मरजी के खिलाफ उस से शादी कर ली.

दूसरी जाति की लड़की से शादी करने से उस की अपने पिता से दूरियां बढ़ गईं. पिता शंभू सिंह अपने परिवार के साथ भागलभीम, जिला जालौर में स्थित अपने खेत पर रहने लगा. वहीं भीम सिंह अपनी पत्नी के साथ भीनमाल में किराए के मकान में रहने लगा, जहां उस की 2 बेटियों का जन्म हुआ.

नाराजगी के चलते उस ने अपनी बीवीबच्चों को परिवार से भी नहीं मिलाया. परिवार से उस की दूरी बनी रही और वह कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तक आपराधिक वारदातें करने लगा. जालौर जिले के ही 7-8 लोग उस की गैंग में थे.

उन्होंने जब साढ़े 5 करोड़ रुपए की लूट की तो पुलिस ने इस केस को चुनौती मान कर भीम सिंह का पीछा जारी रखा और आखिर वह मारा गया. फिलहाल यह एनकाउंटर है या हत्या? यह जांच के बाद ही पता चलेगा. मगर हाईवे के लुटेरे का अंत जरूर हो गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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