लेखक : मैत्रय वाजपेयी, संजय चोपड़ा, अनिरुद्ध गुहा, वसीम कपाडिय़ा, रमिज इल्हाम खान, सुदीप निगम
और प्रतीक सिंह

निर्माता: सुन्नजाना वाधवा, कोमल सुजाय वाधवा और सुजाय वाधवा
निर्देशक: संतोष सिंह

ओटीटी: जियो सिनेमा

कलाकार: जिमी शेरगिल, लारा दत्ता, आशुतोष राणा, आशीष विद्यार्थी, संवेदना सुवालका, प्रसन्न वेंकटेशन,
शाहिद मलिक, सुनील सारस्वत, विक्रम धारिया, उमर शरीफ

कोई भी युद्ध हो या फिर राजनीति, इन के पीछे एक ठोस धारणा छिपी होती है. वेब सीरीज रणनीति…में भी पुलवामा में हुए हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा बालाकोट में स्थित आतंकी ठिकानों को इस तरह नेस्तनाबूद करते दिखाया गया है कि…

वेब सीरीज रणनीति: बालाकोट एंड बियांड’ 26 फरवरी, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक पर आधारित है. पुलवामा अटैक में बलिदान हुए जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान पर हवाई हमला किया था. बालाकोट एयर स्ट्राइक को अब पूरे 5 साल हो चुके हैं, लेकिन वह दिन आज भी हर भारतवासी के दिल में जीवंत है, जब भारत ने पाकिस्तान से पुलवामा अटैक का बदला लिया था और जवाब में सैकड़ों आतंकवादी मार गिराए थे. 

वैसे पिछले कुछ समय में बालाकोट एयर स्ट्राइक पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं. ऋतिक रोशन-दीपिका पादुकोण स्टारर फाइटरऔर वरुण तेज की औपरेशन वैलेंटाइनमें भी यही कहानी दिखाई थी. अब रणनीति: बालाकोट एंड बियांडवेब सीरीज में इस एयर स्ट्राइक की परदे के पीछे की कहानी और रणनीति दिखाई गई है. 

9 एपिसोड वाली यह वेब सीरीज सशस्त्र बलों के लिए एक श्रद्धांजलि है. इस वेब सीरीज में रा एजेंट कश्यप सिन्हा की भूमिका (जिमी शेरगिल), मनीषा (लारा दत्ता), मधुसूदन दत्ता (आशीष विद्यार्थी), पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी रकीब अस्कानी (आशुतोष राणा), पाकिस्तानी मीडिया विशेषज्ञ शिरीन (संवेदना सुवालका), विंग कमांडर प्रसन्न वेंकटेशन (अभिमन्यु वर्धन) की भूमिका में एलाज नौरोजी (फाहिमा) की भूमिका में हैं.नंबर 1

एपिसोड नंबर

पहले एपिसोड का नाम दृष्टिकोणयानी कि परिप्रेक्ष्य का युद्ध रखा गया है. पहले दृश्य में कश्यप सिन्हा (जिमी शेरगिल) जो पूर्व में रा का एजेंट रहा है, वह अपनी पत्नी के साथ डाक्टर के पास जाता है, जिसे सूंघने के स्वाद की बीमारी है. अगले दृश्य में कश्यप सिन्हा को उस का पुराना दोस्त सोढ़ी बताता है कि बढेरा नामक व्यक्ति कश्मीर से गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में लाया गया है. 

8 साल पहले सर्बिया मिशन में कश्यप सिन्हा ने एक औपरेशन को लीड किया था तो उस ने बढेरा के हाथ में गोली मारी थी. अब तिहाड़ जेल में कश्यप सिन्हा और आतंकी बढेरा की मुलाकात होती है तो बढेरा से बातचीत में कश्यप सिन्हा को एक आतंकी हमला भारत में जल्द ही होने की खबर मिलती है. 

अगले दृश्य में पाकिस्तान का आईएसआई चीफ रकीब अस्कानी (आशुतोष राणा) चीन की जेल में एक आतंकी से मुलाकात करता है. रकीब अस्कानी आतंकी से कहता है कि अमेरिकी अब कमजोर पड़ रहे हैं, यही वक्त है नारा ए तकदीर को बुलंद करने का. 

अगले दृश्य में पाकिस्तान में एक आतंकी ग्रुप छोड़ कर भाग रहा होता है तो जैश के आदमी उसे जैश ए मोहम्मद के चीफ याकूब अब इकबाल (सत्यजीत दुबे) से उसे मारने के लिए कहता है, तभी वहां पर फाहिमा (एजाज नौरोजी) आ जाती है और उस भगोड़े आतंकी को मार देती है. जैश ए मोहम्मद में नयानया शामिल आतंकी इकबाल (सत्यजीत दुबे) असल में भारतीय खुफिया एजेंसी रा का एजेंट है. 

इस के अगले दृश्य में कश्यप सिन्हा (जिमी शेरगिल) आतंकी बढेरा की दी गई जानकारियों का जब विश्लेषण करता है तो उसे यकीन हो जाता है कि भारत में अब जल्दी ही कोई बड़ा हमला होने वाला है. कश्यप सिन्हा राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो प्रमुख मधुसूदन दत्ता से संपर्क करता है, परंतु मधुसूदन दत्ता (आशीष विद्यार्थी) उस का कोई उत्तर ही नहीं देता. 

उस के बाद कश्यप सिन्हा (जिमी शेरगिल) सीधे उस टीवी चैनल के औफिस में पहुंच जाता है, जहां पर मधुसूदन दत्ता इंटरव्यू देने वाला होता है और फिर कश्यप सिन्हा मधुसूदन को सारी खुफिया जानकारियों से अवगत कराता है कि भारत में हमला होने वाला है. लेकिन यहां पर मधुसूदन दत्ता कश्यप की बातों को हंसी में उड़ाते हुए कहता है कि उस की जांच एजेंसियों ने उसे इस बारे में कोई खबर नहीं दी है. 

जब कश्यप अपनी बात को सबूत के साथ रखता है तो मधुसूदन उस पर यह आरोप लगा देता है कि उस ने कैसे प्रोटोकाल को तोड़ा और तिहाड़ जेल में एक आतंकी से मिलने की जुर्रत की. अब तुरंत इस्तीफा दो और फिर गुस्से में मधुसूदन वहां से चला जाता है. अगले दृश्य में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक बैठक ले रहे होते हैं तो आईएसआई चीफ रकीब अस्कानी प्रधानमंत्री से तालिबान का सहयोग करने की सिफारिश करता है कि यदि तालिबान को मजबूत बनाएंगे तो हमारा दबदबा बना रहेगा. यदि ऐसा नहीं किया गया तो अफगानिस्तान में सरकार बन जाएगी, जिस से केवल भारत को ही फायदा पहुंचेगा. प्रधानमंत्री रकीब की बात को मान लेता है. 

अगले दृश्य में जैश ए मोहम्मद का चीफ याकूब अपने विश्वस्त साथी इकबाल के साथ रकीब (आशुतोष राणा) से मिलने जाता है तो रकीब अस्कानी याकूब से कहता है कि औपरेशन हाईराइजहोगा, जिस में तलवार हमारी नहीं बल्कि उन की ही होनी चाहिए. अगले दृश्य में वही दोनों आतंकी जो जम्मूकश्मीर से जेहाद के लिए बहावलपुर आए थे, वे दोनों एक वैन में आरडीएक्स और बम के साथ आते हैं और सीधे सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर देते हैं. इस हमले में भारत के कई वीर जवान अपना बलिदान दे देते हैं. इस एपिसोड का समापन यहीं पर हो जाता है.

एपिसोड नंबर

इस एपिसोड का नाम युक्ति कौनयानी कि रणनीति का युद्ध रखा गया है. इस के पहले सीन में कश्यप सिन्हा अपना इस्तीफा टाइप कर रहा होता है, तभी न्यूज में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की खबर आती है. कश्यप उन जवानों के अंतिम संस्कार में जाता है, तब उस की मुलाकात मधुसूदन दत्ता से होती है. तब कश्यप दत्ता से कहता है कि सर यह हमला जैश ने नहीं बल्कि पाकिस्तान की आईएसआई ने किया है. मधुसूदन फिर कश्यप को अपने औफिस में बुलाता है, जहां पर विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां अपनाअपना प्लान बताते हैं. तब कश्यप बताता है कि इस बार हमें हमला करना पड़ेगा.

पाकिस्तान की अब दूसरी चाल तालिबान को मजबूत करने की है. हमें अब हवाई हमला करना होगा. कश्यप का यह प्लान रक्षामंत्री को पसंद आ जाता है. वह उन से कहते हैं कि आप टीम बनाने की तैयारी में जुट जाओ, प्रधानमंत्रीजी से मैं बात कर लूंगा. मधुसूदन अब कश्यप सिन्हा को लीड करने को कहता है और अपनी एक टीम बनाने को कहता है. 

कश्यप अपनी टीम बना लेता है. इस बीच पाकिस्तान से एजेंट इकबाल 25 तारीख को 150 और मुजाहिदों के शामिल होने की खबर कश्यप को देता है. अगले दृश्य में जारा एक होटल में शेख से मिलती है और उसे भारत द्वारा बहावलपुर पर हवाई हमले की खबर देती है. शेख यह खबर पाकिस्तान को दे देता है, पकिस्तान का आर्मी चीफ आतंकी कैंप बहावलपुर से बालाकोट शिफ्ट करने का आदेश दे देता है. 

उधर दिल्ली में कश्यप दत्ता से मिलता है तो वहां पर मधुसूदन दत्ता मनीषा (लारा दत्ता) को भी इस सीक्रेट मिशन में मीडिया हैंडल करने के लिए शामिल कर लेता है. अगले दृश्य में पीओके में जैश अपना कैंप बहावलपुर से बालाकोट शिफ्ट कर देता है. अगले दृश्य में कश्यप एयर मार्शल को अपना प्लान बताता है. तभी मधुसूदन दत्ता प्रधानमंत्री की बहावलपुर पर हवाई हमले की परमिशन ले कर आ जाता है. एयर मार्शल कश्यप से कहता है कि बहावलपुर तो सिविल एरिया में है, वहां पर कैसे हमला कर सकते हैं. कश्यप कहता है, सर इस में बहुत सारे ट्विस्ट है. 

इस एपिसोड में राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो प्रमुख मधुसूदन दत्ता एकाएक कश्यप सिन्हा पर इतना मेहरबान हो जाता है कि उसे इस औपरेशन की कमान दे देना गले से नहीं उतरता. यह औपरेशन सेना और वायुसेना के साथ होने जा रहा था, उस की कमान एक रा के एजेंट को देना कुछ हजम नहीं हो पाता है. इस के बजाय यदि कश्यप सिन्हा को भारतीय सेना या भारतीय वायु सेना के अधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया जाता तो कहानी और भी वास्तविक लग सकती थी.

एपिसोड नंबर 3

इस एपिसोड का नाम अनुभूति यानी कि धारणाओं का युद्ध रखा गया है. एपिसोड के पहले दृश्य में भारतीय वायुसेना एलओसी में युद्धाभ्यास कर रही है, जिसे देख कर पाकिस्तानी वायुसेना काफी भयभीत दिखाई दे रही है. अगले दृश्य में भारतीय वायुसेना के वायु सेनाध्यक्ष मधुसूदन को अपना प्लान बताते हैं, तभी कश्यप वायु सेनाध्यक्ष से कहता है कि आप अपनी फेयरवेल पार्टी कंडक्ट कीजिए तभी मजा आएगा. वहीं पाकिस्तान में एक मीटिंग होती है, जिस में आईएसआई प्रमुख रकीब अस्कानी पाकिस्तानी वायु सेनाध्यक्ष को भी एलओसी पर ड्रिल (युद्धाभ्यास) करने को कहता है. 

वहीं दूसरी तरफ बालाकोट में जैश अपना नया कैंप सेट करता है तो वहां पर रडार असेंबल करने वाले इक्विपमेंट नहीं मिलते. जैश प्रमुख याकूब जब इकबाल से पूछता है तो इकबाल माफी मांगते हुए कहता है कि जल्दबाजी में उस से वे इक्विपमेंट बहावलपुर में ही रह गए हैं.

दूसरी तरफ दिल्ली में वार रूम में भारत के प्रधानमंत्री का वीडियो काल आता है तो एयर मार्शल उन्हें हमले का पूरा प्लान समझाते हैं. प्रधानमंत्री की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलते ही भारत का स्पैशल ‘औपरेशन मानद’ शुरू हो जाता है. उधर पंजाब के बेस कैंप से वायुसेना के जेट व लड़ाकू विमान अलगअलग ग्रुप में एलओसी की ओर कूच कर देते हैं.

रकीब अस्कानी अपना दिमाग दौड़ाने लगता है. तभी उस का जूनियर औफिसर उसे भारत के वायु सेनाध्यक्ष की फेयरवेल पार्टी के फोटो दिखाता है तो वह फोटो में कश्यप और मनीषा को देखता है. यह देख कर वह समझ जाता है कि भारतीय औपरेशन की टीम को कश्यप सिन्हा ही लीड कर रहा है. 

अब रकीब अस्कानी अपने वायु सेनाध्यक्ष को आदेश देता है कि आप अपने सभी लड़ाकू विमान बहावलपुर से बालाकोट रवाना करो, क्योंकि हमला बालाकोट में होगा. रकीब अस्कानी जैश के सरगना याकूब को तुरंत फोन करता है, लेकिन जैमर लगने की वजह से उस का फोन बिलकुल भी काम नहीं कर पाता. उस के बाद अगले दृश्य में प्लान के अनुसार भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान बालाकोट में जैश के कैंप पर हमला कर पूरा कैंप तबाह कर देते हैं. जब तक पाकिस्तान के फाइटर जेट वहां पर पहुंचते, उस से पहले ही भारत के लड़ाकू विमान अपना पूरा काम कर वापस भारत भी जा चुके थे. 

अगले दृश्य में इकबाल और फाहिमा बालाकोट के अपने कैंप से ज्यादा दूर भी नहीं पहुंचे होते हैं, तभी वहां पर हवाई हमला हो जाता है. हमले के बाद इकबाल फाहिमा की कनपटी पर अपना पिस्टल लगा लेता है और फिर तीसरा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.

एपिसोड नंबर

चौथे एपिसोड का नाम प्रतिशोध का युद्धरखा गया है. एपिसोड के पहले दृश्य में इकबाल अब फाहिमा को गोली चला कर मारने वाला ही होता है, तभी फाहिमा इकबाल पर वार कर उसे जमीन पर गिरा देती है. वह इकबाल को बताती है कि वह भी इकबाल की ही तरह रा की एक एजेंट है. उस का नाम नीता धर है. फिर वे दोनों किसी सुरक्षित जगह की तलाश में निकल जाते हैं. 

अगले दृश्य में रकीब अस्कानी बालाकोट में निरीक्षण कर अपने आकाओं को समझाता है कि यहां पर कोई हमला नहीं हुआ है. भारत की ओर से यह झूठी अफवाह उड़ाई गई है. वहीं अब भारत के हर चैनल पर भारत की वायुसेना द्वारा बालाकोट में जैश के कैंप को नेस्तनाबूद की खबर आ रही है.
अगले दृश्य में मधुसूदन मीटिंग में सभी को हाई अलर्ट में रहने का आदेश दे रहा है, जबकि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री एक मीटिंग बुलाते हैं. रकीब अस्कानी मीटिंग में काउंटर अटैक की प्लानिंग बनाता है. 

रकीब कहता है कि नौशेरा में भारत का सब से बड़ा युद्ध भंडार है, इसलिए वहीं पर हमला किया जाएगा. वह बताता है कि भारत के पैट्रोलिंग करने वाले विमान ईंधन खत्म होने पर वापस इस कैंप में जाते हैं तो फिर से ईंधन भरने में उन्हें 10 मिनट का समय लगता है. उसी समय नौशेरा पर हमला कर सकते हैं. रकीब इस औपरेशन का नाम औपरेशन क्लौक वर्करखता है. 

अब भारत और पाकिस्तान की एयर फाइट शुरू हो जाती है. एम-21 के पायलट विंग कमांडर अभिमन्यु वर्धन (प्रसन्ना वेंकटेशन) अपने विमान का रडार औफ कर देता है. उधर रकीब अस्कानी को लगता है कि उन के लड़ाकू विमानों ने इंडियन विमान को मार गिराया है, पर पाकिस्तानी पायलट बताता है कि उन्होंने अभी तक किसी भी भारतीय विमान को शूट नहीं किया है. 

रकीब अपने वायुसेना चीफ से अपने एफ-16 विमान वापस बुलाने को कहता है, क्योंकि यदि भारतीय जमीन पर पाकिस्तानी विमान शूट आउट हुए तो बड़ी बदनामी होगी.  अब पाकिस्तानी लड़ाकू विमान अपना अतिरिक्त भार नीचे गिरा कर वापस आने लगते हैं. पाकिस्तानी चीफ वहां पूरे इलाके को जैम करवा देता है, जिस कारण पायलट अभिमन्यु का कम्युनिकेशन अपनी सर्विलिंग टीम से टूट जाता है. 

अभिमन्यु वर्धन पाकिस्तानी विमानों का पीछा करते हुए पाकिस्तानी इलाके में घुस जाता है और दुश्मन के एक विमान को शूट आउट कर देता है. एकाएक अभिमन्यु और पाकिस्तानी पायलट के विमान गायब हो जाते हैं. पायलट सीट बेल्ट खोल कर पैराशूट से नीचे कूद जाता है. 

अगले दृश्य में हम देखते हैं कि जो विमान क्रैश हुआ था, वह अभिमन्यु वर्धन का था, लेकिन वह अभी पाकिस्तान की धरती पर होता है. उसे जमीन पर गिरता हुआ देख स्थानीय लोग जो सभी पाकिस्तानी होते हैं, वे वहां पर आ कर अभिमन्यु की बुरी तरह पिटाई करने लगते हैं. तभी वहां पर पाकिस्तानी सेना पहुंच जाती और वह अभिमन्यु को उन लोगों से छुड़ा कर गिरफ्तार कर लेती है और फिर चौथा एपिसोड समाप्त हो जाता है.

इस एपिसोड में इकबाल और फाहिमा को पहले से एकदूसरे को न जानना बड़ा अखरता है, जबकि दोनों ही रा के एजेंट हैं. लेखक की ओर से की गई यह बहुत बड़ी भूल है. 

इस एपिसोड में केवल अभिमन्यु के विमान को गिरता हुआ और उसे घायल अवस्था में जमीन में गिरा हुआ दिखाया गया है, जबकि पाकिस्तानी विमान न तो गिरता हुआ दिखाया गया और न ही पाकिस्तानी पायलट को दिखाया गया है, जोकि तकनीकी स्तर की एक कमी है. 

एपिसोड नंबर 5

पांचवें एपिसोड का नाम शक्तिकोणयानी कि शक्ति का युद्ध रखा गया है. एपिसोड के पहले दृश्य में पाकिस्तान का थल सेनाध्यक्ष मीडिया क्लेम कर रहा है कि हम ने 2 भारतीय लड़ाकू विमानों को अपनी सीमा में शूट आउट कर दिया. हम ने 2 भारतीय पायलटों को पकड़ा है, जिन में से एक बुरी तरह से घायल है जिस का इलाज चल रहा है और दूसरे पायलट से पूछताछ जारी है. 

वहीं दिल्ली में मधुसूदन और कश्यप यह खबर सुन कर अचंभित हैं. मधुसूदन कश्यप को वायुसेना से संपर्क कर पता लगाने को कहता है. अगले दृश्य में एक कमरे में भारत के विंग कमांडर अभिमन्यु वर्धन को एक स्थान पर केंद्र किया हुआ है, जहां पर पाकिस्तान का एक वायुसेना अधिकारी उस से पूछताछ कर रहा है. 

उस प्लान के मुताबिक वे अब पायलट अभिमन्यु का एक वीडियो बनाते हैं और वीडियो को मीडिया में रिलीज कर देते हैं. इधर अभिमन्यु के रिलीज के लिए भारत व अन्य देशों से सामूहिक अपीलें तेज होने लगती हैं. अगले दृश्य में भारत के प्रधानमंत्री मधुसूदन से अभिमन्यु को 24 घंटे के अंदर वापस लाने का आदेश देते हैं. 

मनीषा मीडिया में अभिमन्यु की खबर का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोज करती है, जिस के कारण अब पाकिस्तान पर दबाब पडऩे लगता है. अगले दृश्य में वार रूम में कश्यप एक प्लान बताता है, जिस के अनुसार अभिमन्यु को आजाद कराया जा सकता है. कश्यप बताता है कि कई सेंचुरी पहले चाइना ने एक सिल्क रूट बनाया था, जिस ने उन को रोमन एंपायर के साथ कनेक्ट किया था और चाइना फिर एक शक्तिशाली देश बन गया था.

आज भी चाइना एक वैसा ही रोड बना रहा है, जो उसे वेस्ट के साथ कनेक्ट करेगा, जिस का नाम सी-पैक चाइना पाकिस्तान इकोनोमिक कारीडोर के नाम से जाना जाता है. इस प्रोजेक्ट में चाइना ने 47 बिलियन डालर इनवेस्ट किए हैं. उस की बात सुन कर एक अधिकारी कहता है अब तुम ये मत कह देना कि तुम चाइना के ऊपर अटैक कर रहे हो. कश्यप कहता है कि हम कोई अटैक नहीं करेंगे, हम ने उन के साथ ब्लफ खेलना है कि हम पाकिस्तान के सी-पैक वाले एरिया पर अटैक कर रहे हैं. 

चाइना अपने इनवेस्टमेंट को अवश्य प्रोटेक्ट करेगा. लैटरल डेमेज की वजह से चाइना पाकिस्तान के ऊपर प्रेशर डालेगा और अभिमन्यु को रिलीज करने को कहेगा और फिर कश्यप अपना प्लान विस्तार से बताता है. फिर अगले दृश्य में भारतीय सेना पाकिस्तान के सी-पैक वाले इलाके में भारी मात्रा में अपनी सेना डिप्लाई करती है. यह खबर मनीषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करती है, जिस से देखनेसुनने वालों को यह वास्तविक लगे और फिर मनीषा का प्लान कामयाब हो जाता है. 

वहीं पाकिस्तान में भी अब काफी होहल्ला मच जाता है. अगले दृश्य में चाइना के राजदूत पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को अभिमन्यु को तुरंत रिलीज करने को कहता है. उधर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री भी अपनी एक विशाल सेना को बौर्डर पर भेज देता है और कहता है कि अगर भारत जंग चाहता है तो अब जंग ही होगी. 

दोनों देशों की सेनाएं बौर्डर पर डिप्लाई हो जाती हैं और युद्ध के आदेशों का इंतजार कर रही हैं और फिर पांचवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.

एपिसोड नंबर

इस एपिसोड का नाम कथाकोणयानी कि कथा का युद्ध रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में 8 साल पहले सर्बिया के युद्ध से होती है. इस में कश्यप सिन्हा की टीम गलती से हाफिज के बदले किसी और को मार देती है, तभी वहां पर हाफिज आता है और कश्यप सिन्हा की टीम के कई लोगों को मार डालता है. कश्यप उस का पीछा करता है, तभी वहां पर रकीब अस्कानी आ कर हाफिज को सुरक्षित बाहर निकाल लेता है. 

अगले दृश्य में भारत के सेनाध्यक्ष कहते हैं कि हम पूरी तरह से तैयार हैं. क्या हम आगे बढ़ सकते हैं. इस पर कश्यप सिन्हा कुछ और इंतजार करने को कहता है. अगले दृश्य में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री अपने प्रधानमंत्री से कहता है जनाब हमें अब अभिमन्यु को वापस भेजना ही होगा. अगर सचमुच जंग छिड़ गई तो हमारे पास केवल 5-6 दिन लडऩे की सामथ्र्य है और हमारा हारना तय है. 

अटैक से पहले चाइना के राजदूत मधुसूदन को फोन पर कहता है कि यदि हम आप के पायलट अभिमन्यु को छोड़ देंगे तो आप सी-पैक पर अटैक नहीं करेंगे. मधुसूदन ने कहा कि हम भी शांति चाहते हैं. यदि हमें अभिमन्यु तुरंत वापस मिला तो हम कोई ऐक्शन नहीं लेंगे. 

अगले दृश्य में चाइना के राजदूत पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को तुरंत अभिमन्यु को रिहा करने के लिए कहता है. रकीब अभिमन्यु की रिहाई का प्लान बनाता है, वहीं दिल्ली में मधुसूदन अपनी टीम को अभिमन्यु की रिहाई के लिए मुबारकबाद देता है. मनीषा कश्यप से कहती है कि पाकिस्तान अभिमन्यु की रिहाई में भी कोई न कोई चाल अवश्य चलेगा. 

रकीब के प्लान के अनुसार पहले स्टेज में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मीडिया के सामने भारत को एक गैरजिम्मेदाराना मुल्क बताते हुए कहता है कि भारत ने अपने 50 साल पुराने प्लेन के साथ पायलट को मरने के लिए भेज दिया. दूसरी स्टेज में पाकिस्तान का प्रधानमंत्री खुद इंटरनैशनल मीडिया के सामने आ कर अभिमन्यु की रिहाई का समाचार देता है, जिस के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इमेज साफसुथरी बन जाती है. उस के बाद अभिमन्यु वर्धन वाघा बौर्डर पार करने के बाद भारत वापस आता है. उसे रिसीव करने वायुसेना के अधिकारी आते हैं. 

अभिमन्यु कहता है, सर, मैं ने पाकिस्तान का एक एफ-16 लड़ाकू विमान ध्वस्त किया था. यह सुन कर अधिकारी हैरान रह जाते हैं, तब अभिमन्यु कहता है कि मुझे तो ऐसा लगा था कि अब तक यह बात हमारे देश के साथसाथ पूरी दुनिया तक पहुंच गई होगी. 

कश्यप सिन्हा कहता है कि हम 2 पौइंट पर पाकिस्तान को एक्सपोज करेंगे, पहला यह कि वह उग्रवाद को सपोर्ट करता है. इस के लिए हमें बालाकोट अटैक को प्रूव करना पड़ेगा, दूसरा हम को ये प्रूव करना होगा कि पाकिस्तान का एफ-16 का शूट डाउन वास्तविक है. मनीषा पाकिस्तान के विमान की खबर सारे न्यूज चैनल में दे देती है. अगले दृश्य में रकीब अस्कानी के साथ नजीब दिखाई देता है जो बालाकोट हमले में बालबाल बच गया था. रकीब उसे कहता है कि यह खबर कंफर्म है कि बालाकोट कैंप में भारत का कोई जासूस था. उस के बारे में पता कर के उसे खत्म कर दो.

अगले दृश्य में इकबाल और फाहिमा यानी कि नीता धर (एन्नाज नौरोजी) अपने हैंडलर के पास आ कर कश्यप से बात करते हैं. कश्यप उन्हें कहता है कि हमें बहावलपुर और बालाकोट के पूरे प्रूफ चाहिए. इस के बिना हम पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोज नहीं कर पाएंगे. 

उन दोनों की बात खत्म होते ही वहां उन का हैंडलर खाने का कुछ सामान ले कर आ जाता है. तभी नीता धर उस हैंडलर को गोली मार कर खत्म कर डालती है. वह इकबाल को बताती है कि यह डबल एजेंट था, यह हमारी सारी खबरें आगे पाकिस्तान को शेयर कर रहा था. उस के बाद इकबाल और नीता धर बहावलपुर जैश हेडक्वार्टर पर आ जाते हैं, जहां पर नजीब और नीता की आपस में काफी बहस होती है. तभी वहां पर याकूब दिखाई देता है, वह भी काफी घायल हो गया था. परंतु एयर स्ट्राइक से बच गया था. इसी के साथ यह एपिसोड समाप्त हो जाता है. 

इस एपिसोड में भी लेखक और निर्देशक इस मसले को हल करने में नाकामयाब रहे हैं कि जब पाकिस्तान का एफ-16 विमान जिसे अभिमन्यु ने मार गिराया था, यह खबर पाकिस्तान में मौजूद हमारी सुरक्षा एजेंसियों को कैसे नहीं लग सकी. अभिनय की दृष्टि से कलाकारों का अभिनय भी अच्छा नहीं रहा है.

एपिसोड नंबर

सातवें एपिसोड का नाम झूटकोणयानी कि झूठ का युद्ध रखा गया है. जाहिर है इस में नाम के अनुरूप यहां काम भी प्रस्तुत किया गया है. पहले दृश्य में कश्यप की टीम पाकिस्तान के उन 2 पायलटों को ट्रैक करती है, जो उस दिन विंग कमांडर अभिमन्यु से युद्ध कर रहे थे. उन में से एक का नाम हैदर व दूसरे पायलट का नाम अहमद होता है. 

अहमद हौस्पिटल में होता है जबकि हैदर को कश्यप की टीम ट्रैप नहीं कर पा रही है. कश्यप अब अहमद की रुबीना, जोकि लंदन में रहती है, उस के बारे में सारी जानकारियां जुटाने के बाद वह रुबीना से पाकिस्तानी मीडियाकर्मी के रूप में बात करता है.

वहीं दिल्ली में कश्यप की टीम मीर गुल (अशोक कुमार बेनीवाल) का पता करती है तो पता चलता है कि मीर गुल 54 वर्ष का एक पाकिस्तानी जर्नलिस्ट है, जो इसलामाबाद में रहता है. कश्यप के दिमाग में अब एक प्लान आता है. वह मनीषा से कहता है कि तुम अब मीर गुल से रुबीना की कजिन सिस्टर बन कर बात करो और जानकारियां हासिल करो. 

अगले दृश्य में हथियारों का एक ब्रोकर दुबई में अमेरिका के एफएस-16 विमान का सौदा दुबई के एक पौलिटिशियन से करता है. पौलिटीशियन कहता है कि इस लड़ाकू विमान को तो भारत के 50 साल पुराने विमान ने मार गिराया है. यदि यह खबर झूठ है तो साबित करो नहीं तो हमारी डील फ्रांस के साथ हो जाएगी.

अगले सीन में हम एक अमेरिकी जर्नलिस्ट को देखते हैं जो पाकिस्तान के एफएस-16 विमान की रिपोर्ट बनाने पाकिस्तान आती है और रकीब अस्कानी से पूछती है. रकीब उस जर्नलिस्ट को पैसे औफर करता है और फिर पिस्टल से डराता है तो वह पाकिस्तान के फेवर में रिपोर्ट लिख देती है कि अमेरिका से जो भी विमान पाकिस्तान ने लिए थे, सभी सुरक्षित हैं. 

यह खबर मीडिया में फैल जाती है. अगले दृश्य में जर्नलिस्ट मीर गुल पाकिस्तानी पायलट विंग कमांडर हैदर (स्मरण साहू) से उस के घर पर मिलता है तो हैदर सचसच बता देता है कि जैसे ही अहमद का विमान शूट डाउन हुआ था, वह सब उस ने देखा था. वह कहता है कि अहमद का उस हादसे में बच पाना काफी मुश्किल है. 

अगले दृश्य में मीर गुल मनीषा को फोन कर के बताता है कि कल हैदर एक प्रैस कौन्फ्रैंस में सारी बातें बताएगा. फिर रकीब अस्कानी लंदन में वीडियो कालिंग कर रुबीना को बताता है कि अहमद का इलाज चल रहा है, आप धैर्य बनाए रखें. मीडिया से भी दूरी बनाए रखें. तब रुबीना बताती है कि उसे कल एक मीडियाकर्मी का फोन आया था, लेकिन मैं ने कुछ भी नहीं बताया. 

अभिमन्यु आपने काम में लग जाता है. मनीषा सना बन कर दूसरे दिन जर्नलिस्ट मीर गुल से बात करती है तो मीर गुल बताता है कि हैदर की प्रैस कौन्फ्रैंस शुरू होने वाली है. मैं भी वहीं जा रहा हूं. फिर हैदर भी अपने घर से प्रैस कौन्फ्रैंस के लिए निकल जाता है. वहीं दिल्ली में भी कश्यप की टीम हैदर की प्रैस कौन्फ्रैंस का बेसब्री से इंतजार करती नजर आ रही है. 

अगले दृश्य में मीर गुल अपनी गाड़ी से प्रैस कौन्फ्रैंस के लिए आ रहा होता है, तभी रास्ते में कुछ लोग गोली मार कर उस की हत्या कर देते हैं. वहीं दूसरी तरह प्रैस कौन्फ्रैंस स्टार्ट होती है, तभी वहां पर पाकिस्तान का सेनाध्यक्ष आ कर हैदर को कुछ बताता है. वहीं हैदर के घर पर उस के परिवार वालों को पाकिस्तानी फौज के आदमी घेर लेते हैं. 

अपने परिवार वालों को बचाने के लिए हैदर अपने असली बयान से पलट जाता है और झूठ बोल देता है कि भारत के उस जैट को मैं ने शूट किया था और जिस पाकिस्तानी एफएस-16 की बात भारत कह रहा है कि वह शूट किया गया है, ये सभी बातें झूठी हैं और फिर एपिसोड समाप्त हो जाता है.

इस एपिसोड में लेखक और निर्देशक की ओर से एक बहुत बड़ी भूल हुई है. हैदर को मीर गुल इंटरव्यू में सब सच बता देता है जो कि नामुमकिन है. इंडियन औफिशियल सीक्रेट ऐक्ट या पाकिस्तान औफिशियल सीक्रेट ऐक्ट के अनुसार कोई भी सेना, वायुसेना अथवा नौसेना का अधिकारी या जवान फौज के बारे में किसी भी मीडिया में अपना वक्तव्य नहीं दे सकता. उस का कोर्ट मार्शल हो जाता है और फिर यह तो युद्ध की स्थिति थी. 

लेखक को इस बारे में किसी सेना के अधिकारी से राय लेनी चाहिए थी. यह सीन पूरे का पूरा बनावटी है. 

एपिसोड नंबर

आठवें एपिसोड का नाम रहस्यकोणयानी कि रहस्य का युद्धरखा गया है. एपिसोड के पहले सीन में कश्यप और मनीषा हैदर के लाइव टीवी पर देख कर अचंभित और दुखी हो जाते हैं और फिर मीर गुल को फोन करता है, तभी उस की काल रकीब उठा लेता है.

वह सीधा कश्यप को चैलेंज कर कहता है कि तुम अब बाजी हार चुके हो. जरा टीवी खोल कर देखो, हम जब टीवी देखते हैं तो उस में रकीब मनीषा पर पूर्व में लगे कोल्स कैंप के आरोपों पर फिर से हवा दे रहा होता है. जिस के बाद भारत के मीडिया वाले ही मनीषा पर प्रश्नचिह्नï लगा देते हैं. 

तभी सोढ़ी कश्यप को बताता है कि मीर गुल की लाश मिली है, किसी ने उस का मर्डर कर दिया है. उस के बाद मधुसूदन मनीषा को कुछ दिनों के लिए ब्रेक लेने को कहता है, जिस पर मनीषा कहती है कि ये लोग हमें तोडऩे की साजिश कर रहे हैं. 

अब मधुसूदन सीआईए के औफिस में निक की शिकायत कर देता है, जिस से सीआई का आदमी निक कैंपबेल को बुरी तरह से डांटता है और भारत से दूर रहने को कहता है. अगले दृश्य में नीता बहावलपुर में याकूब के कंप्यूटर को कनैक्ट कर सारा डाटा इकबाल के कंप्यूटर में ट्रांसफर कर देती है. तभी वहां पर याकूब आ जाता है. वह नीता पर हमला करता है परंतु फाहिमा यानी नीता उसे जान से मार डालती है. 

तभी वहां पर जैश के आतंकी इकबाल और नीता के पीछे पड़ जाते हैं. बहावलपुर की सड़कों पर गोलीबारी होने लगती है, जिस से एक गोली नीता को लग जाती है. तब नीता इकबाल को बताती है कि रकीब अस्कानी जनरल जैकी के साथ मिल कर पाकिस्तान में तख्तापलट करने वाला है, यह खबर जल्दी से कश्यप को पहुंचा दो. मैं इन का सामना करती हूं, तुम यहां से निकल जाओ. 

उसी दौरान जैश के लोगों से मुकाबला करते हुए नीता मारी जाती है और इकबाल भाग कर एक होटल की किचन में छिप जाता है. होटल को पाकिस्तानी सेना और जैश के आतंकी चारों ओर से घेर लेते हैं. तब इकबाल नीता वाली खबर कश्यप को देता है, वह बहुत डरा हुआ है. कश्यप इकबाल को फोन में एक प्लान बताते हुए कहता है कि तुम डरो मत, तुम्हें कुछ नहीं होगा. तभी पाकिस्तानी सेना और जैश के आदमी भारी संख्या में होटल के अंदर जाते हैं और वहां पर एक जोर का धमाका होता है. दिल्ली में कश्यप यह सारा नजारा सेटेलाइट की मदद से अपने औफिस में देख रहा होता है.

अगले दृश्य में हम रकीब अस्कानी को पाकिस्तान के बौर्डर पर तालिबान को हथियार सप्लाई करते हुए देखते हैं. यहां पर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जैकी और तालिबान के लीडर भी होते हैं, जो बड़ेबड़े सपने देख रहे हैं. अगले सीन में मधुसूदन को कश्यप इकबाल से मिली खबर प्रधानमंत्री को बताने के लिए कहता है. तब मधुसुदन उसे कहता है कि बिना प्रूफ के केवल फोन पर मिली खबर वह प्रधानमंत्री को बता कर आगे फजीहत मोल नहीं ले सकता. फिर जारा इकबाल से मिला सारा डाटा रिकवर कर लेती है, जिस में जैश का पूरे 22 साल का डाटा रहता है. 

तभी सर्बिया मिशन की एक फाइल कश्यप को वहां मिल जाती है. वह सोढ़ी को इशारा करता है और सारा डाटा देखने के बाद काम खत्म कर के जब कश्यप अपनी गाड़ी में बैठ जाता है तो सोढ़ी उसे सर्बिया मिशन वाली फाइल सौंप देता है. कश्यप जब पूरी फाइल पढ़ लेता है तो उसे पता चलता है कि वह जिस शख्स को पिछले 8 सालों से ढूंढ रहा है, वह तो पहले ही मर चुका है. 

कश्यप को परेशान देख कर सोढ़ी उसे टेंशन न लेने को कहता है और सीधे घर जा कर आराम करने और सोने को बोलता है. इसी के साथ इस वेब सीरीज का आठवां एपिसोड समाप्त हो जाता है. 

एपिसोड नंबर 9

वेब सीरीज के आखिरी नौवें एपिसोड का नाम वास्तविकता कोण यानी कि वास्तविकता का युद्ध रखा गया है. एपिसोड के पहले दृश्य में मधुसूदन दत्ता कश्यप सिन्हा के साथ एफएटीसी की मीटिंग में आता है. पाकिस्तान की ओर से रकीब अस्कानी प्रतिनिधित्व कर रहा है. मीटिंग शुरू होते ही काउंसिल हैड पाकिस्तानी डेलीगेट को पहले बोलने और अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहते हैं. 

रकीब खुद पर भारत द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से नकार देता है. अब काउंसिल हैड दत्ता को उन का जबाब देने को कहता है. मधुसूदन कहता है कि अब हम आपको ये प्रूफ करेंगे कि पुलवामा अटैक में पाकिस्तान और आईएसआई का हाथ था. तब रकीब कहता है कि अटैक तो हम पर भी हो रहे हैं, पर हमें अब इस का टेंपरेरी सोल्यूशन नहीं, बल्कि परमानेंट सोल्यूशन कश्मीर चाहिए. 

यह सुन कर मीटिंग में काफी होहल्ला होने लगता है. तभी कश्यप खड़ा हो जाता है और कहता है कि जिन लोगों ने पुलवामा अटैक किया था, उन को बहावलपुर जैश कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी. तभी रकीब अपना पक्ष रखते हुए दलील देता है कि यह सच है जैश ए मोहम्मद नाम वाला एक टेररिस्ट ग्रुप है. वह पाकिस्तान में ब्लैकलिस्टेड है, जिस की हम भी तलाश कर रहे हैं. यह सुन कर कश्यप उसे टोंट मारते हुए कहता है कि जनाब तलाश तो ओसामा बिन लादेन की भी थी.

यह सुन कर सब हंसने लगते हैं. तब कश्यप आगे बताता है कि हम ने इस के बदले में बालाकोट में बिना सिविल को क्षति पहुंचाए जैश के कैंप को ध्वस्त किया. वह पूरा डाटा दिखाता है जिस में 139 आतंकियों की फोटो सहित सारी डिटेल्स होती है. मीटिंग खत्म होने के बाद कश्यप रकीब के पास आता है तब रकीब उसे कहता है कि यदि ये सब करने से तुम्हें लगता है कि तुम जीत जाओगे तो तुम गलत सोच रहे हो, सच केवल कहानियों में जीतता है, हकीकत में नहीं. 

तब कश्यप उसे कहता है कि तुम्हारे साथ क्या होने जा रहा है, तुम इस की सपने में भी कल्पना नहीं कर सकते. कहानी फिर अब वर्तमान में आ जाती है तब कश्यप रकीब से कहता है कि आज तुम जितना खुश हो लो तुम्हारा दिन है. रकीब उसे एक शेर सुनाता है तो कश्यप उसे कहता है कि जनाब जेल में ऐसे ही शेर तुम्हारे काम आएंगे. वहां पर यही सुनतेसुनाते रहना. तभी वहां पर पाकिस्तान के कुछ कमांडो आ कर रकीब अस्कानी को गिरफ्तार कर लेते हैं.

अगले दृश्य में मधुसूदन को खबर आ जाती है तो वह तुरंत अपनी टीम के पास जाता है और बताता है कि पाकिस्तान का नाम में लिस्ट में ऐड कर लिया गया है, हम एफएसीटी में जीत गए हैं. सब बहुत खुश हो जाते हैं. अगने दृश्य में मधुसूदन दत्ता दिल्ली में अपने वीर जवानों के प्रोग्राम में एक स्पीच देते हैं. स्पीच के बाद कश्यप दत्ता के पास आ कर कहता है, ”सर, मुझे आप को किसी से मिलवाना है.’’ 

फिर वह इकबाल को सब के सामने लाता है. कश्यप कहता है कि आज हम जो सेलिब्रेट कर रहे हैं, वह सब इन के कारण ही संभव हुआ है. इन से मिलिए इन का असली नाम कबीर मीर और कोड नाम इकबाल है. उसे देख कर दत्ता की पूरी टीम अचंभित हो जाती है. 

अगले दृश्य में कश्यप अपनी पत्नी के साथ यूरोप में रोमांटिक डिनर कर रहा है, तभी उसे एक काल आती है. काल सुनने के बाद उस का रंग उड़ जाता है. अगले दिन सुबह कश्यप एक घर में जाता है, दरवाजा खुलते ही वह सामने वाले आदमी पर अपनी गन लगा देता है और उसे कहता है 2 लाशें नहीं मिली थी वहां पर, फिर भी अपनी पूरी टीम पर कोई कैसे शक कर सकता है. 

फिर हम यहां उसी इंसान को देखते हैं, जो 8 साल पहले कश्यप की सर्बिया वाली टीम में था, जिसे लोगों ने मरा समझा था, वह आज जिंदा खड़ा था. कश्यप उसे कहता है कि हम्माद बढेरा जैसा खूंखार आतंकी एक अच्छा काम कर गया और फिर कश्यप उसे गोली मार देता है. उस गद्ïदार का कत्ल करने के बाद कश्यप उस का लैपटाप देखता है, जिस में भारत के जम्मूकश्मीर के कई स्थानों पर लाल रंग के गोलगोल निशान किए गए थे. उस के बाद यह एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. 

लारा दत्ता

भारतीय फिल्म अभिनेत्री लारा दत्ता का जन्म 18 अप्रैल, 1978 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुआ था. लारा के पिता एल.के. दत्ता (पंजाबी) और मां जेनिफर दत्ता (ऐंग्लो इंडियन) हैं. वर्ष 1991 में लारा का परिवार बेंगलुरु आ कर बस गया. 

लारा ने बेंगलुरु के सेंट फ्रांसिस जेवियर गल्र्स हाईस्कूल से पढ़ाई की थी. लारा ने अर्थशास्त्र में स्नातक किया है. वह हिंदी, अंगरेजी समेत पंजाबी, कन्नड़ और फ्रेंच भाषाओं में भी पूर्णरूप से पारंगत है.

लारा दत्ता वर्ष 2000 में मिस यूनिवर्स चुनी गई थी, उस की प्रमुख फिल्में अंदाज’, ‘मुंबई से आया मेरा दोस्त’, ‘खाकी’, ‘मस्ती’, ‘बर्दाश्त’, ‘इंसान’, ‘ऐलान’, ‘जुर्म’, ‘जिंदा’, ‘फना’, ‘अलगआदि हैं.

लारा को 1995 में ग्लैड्रैग्स मेगामौडल इंडिया 1997 में मिस इंटरकांटिनेंटल 2004 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री पुरस्कार (प्रियंका चोपड़ा के साथ संयुक्त विजेता) और वर्ष 2008 में योगदान व 2012 में फिक्की यंग अचीवर्स पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

लारा दत्ता का विवाह 16 फरवरी, 2011 को विश्वविख्यात टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति के साथ हुआ था. उस की एक बेटी है जिस का नाम सायरा भूपति है. लारा दत्ता के पिता एल.के. दत्ता वायुसेना में अधिकारी थे. उस की 2 बहनें हैं, बड़ी बहन का नाम शेरिल है जो अभी वायुसेना में अधिकारी हैं, जबकि उस की छोटी बहन सबरीना अंगरेजी लेखन में एक फ्रीलांसर के रूप में काम करती है. 

लारा दता की महेश भूपति से पहली मुलाकात एक बिजनैस मीटिंग में हुई थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए और फिर अच्छे दोस्त बन गए थे. 

जल्द ही दोनों एकदूसरे को पसंद करने लगे थे, लेकिन टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति पहले से ही शादीशुदा थे. उन का विवाह श्वेता जयशंकर के साथ हुआ था, जो एक मौडल थी. शादी के 7 साल बाद महेश भूपति ने अपनी पहली पत्नी श्वेता जयशंकर को तलाक दे दिया. 

लारा दत्ता आजकल फिल्मों में कम नजर आती है, क्योंकि वह अपनी बेटी सायरा भूपति की परवरिश में ज्यादा ध्यान देती है. इस के बावजूद उस की नेटवर्थ काफी अच्छी है. लारा दत्ता एक फिल्म के लिए 2 से 4 करोड़ रुपए चार्ज करती है. इस के अलावा वह कई विज्ञापनों में भी काम करती है, जिस से उस की अच्छी कमाई हो जाती है.

आशुतोष राणा

आशुतोष राणा रामनारायण नीखरा उर्फ आशुतोष राणा का जन्म 10 नवंबर, 1964 को गाडरवारा, मध्य प्रदेश में हुआ था. आशुतोष राणा की गिनती आज इंडस्ट्री के मंझे हुए कलाकारों में होती है. आशुतोष राणा ने शुरुआती दिनों में स्टेज शो किए थे, जहां पर वह अधिकतर रावण की भूमिका निभाते थे. 

अभिनय में रुचि के कारण ही आशुतोष ने नैशनल स्कूल औफ ड्रामा में दाखिला ले लिया. थिएटर के बाद दद्ïदाजी नाम के उन के गुरुजी ने आशुतोष को मुंबई जाने और फिल्म निर्माता महेश भट्ट से मिलने की सलाह दी. 

आशुतोष राणा को पहला मौका भी महेश भट्ट ने ही दिया. आशुतोष ने अपने अभिनय करिअर की शुरुआत वर्ष 1995 में टीवी शो स्वाभिमानसे की थी. इस के बाद वह फर्ज’, ‘साजिशसे ले कर वारिसजैसे कई बहुचर्चित टीवी सीरियलों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आया.

आशुतोष राणा को 1996 में आई फिल्म संशोधनसे बौलीवुड में आने का मौका मिला. मगर इस फिल्म में आशुतोष का रोल बेहद छोटा था. इस के बाद वर्ष 1998 में आई साइको किलर फिल्म दुश्मनमें आशुतोष ने साइको विलेन का महत्त्वपूर्ण किरदार निभाया. इस फिल्म में उस का किरदार इतना दमदार था कि उस के आगे लीड एक्टर भी फीका लगने लगा था. 

अपने करिअर के शुरुआती दिनों में अगर कोई हीरो विलेन का किरदार निभाया करता था तो उस का करिअर लगभग खत्म ही माना जाता था, लेकिन इस फिल्म के बाद तो जैसे आशुतोष राणा की किस्मत ही चमक गई थी.

आशुतोष राणा की पत्नी का नाम रेणुका शहाणे है, जो मशहूर एक्ट्रैस है. रेणुका और आशुतोष की पहली मुलाकात सुमित थिएटर में निर्देशक हंसल मेहता की फिल्म जयतेके प्रिव्यू पर हुई थी. तब आशुतोष ने रेणुका को अपनी एक कविता के जरिए प्रपोज किया था. 

दोनों ने एकदूसरे को 3 साल तक डेट किया और आखिरकार 25 मई, 2001 को आशुतोष राणा और रेणुका शहाणे हमेशाहमेशा के लिए विवाह बंधन में बंघ गए. उन के 2 बेटे हैं, जिन के नाम शौर्यमन राणा और सत्येंद्र राणा हैं.

वर्ष 1999 में नकारात्मक प्रदर्शन के लिए आशुतोष को स्क्रीन वीकली अवार्डसर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए जी सिने पुरस्कार’, फिल्म दुश्मनमें नकारात्मक भूमिका के लिए सासुई पुरस्कार, वर्ष 2000 में फिल्म संघर्षके लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए जी सिने पुरस्कारऔर फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार वर्ष 2012 में मिला है.

 

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