जैतून ने अपनी मोहब्बत को जहर दे कर एक वफादार बीवी, अपने बच्चों को प्यार करने वाली मां और ईमानदार औरत को बचा लिया, जो उस की सुनहरी दुनिया थी. शाहिद को नींद की हलकी सी झपकी सी गई थी. बिलकुल इस तरह, जैसे तेज उमस में ठंडी हवा का कोई आवारा झोंका कहीं से भटक कर गया हो. उस ने गहरी सांस ले कर सोचा, ‘काश मुझे नींद जाती.’

उसे अब नींद कहां आती थी. वह तो उस के लिए अनमोल चीज बन चुकी थी. दिमाग में उलझेउलझे खयालात पैदा हो रहे थे. दिल का अजीब हाल था. तभी उस की नजर सामने पड़ी, वह चौंका. जैतून चमड़े के बैग पर झुकी हुई थी. कंपार्टमेंट में फैली मद्धिम रोशनी में जैतून के जिस्म का साया बर्थ पर पड़ रहा था. उस की हरकतों से ऐसा लग रहा था, जैसे वह बैग में हाथ डाल कर कोई चीज ढूंढ रही है. शाहिद को जाने क्यों जैतून की यह हरकत इतनी अजीब लगी कि वह उछल पड़ा. थोड़ी देर पहले तो उस ने उसे गहरी नींद में डूबी हुई देखा था. वह सो तो रही थी, मगर उस के परेशान चेहरे पर जिंदगी की तमाम फिक्रें और दुख जाग रहे थे.

जैतून को देखतेदेखते ही शाहिद को झपकी सी गई थी. इस के बाद उस ने जैतून को बैग में कुछ तलाशते देखा था. बैग में जो रकम थी, वही उन की कुल जमापूंजी थी. वह शाहिद की दवादारू के लिए जाने किनकिन मुश्किलों से बचाई गई थी. थोड़ी देर के बाद शाहिद जागा तो उस के दिल में शक की लहर दौड़ गई. उस ने एक बार फिर सोचा, ‘कुछ ही देर पहले जैतून जिस तरह की गहरी नींद सो रही थी, क्या वह अदाकारी थी. वह बैग से रकम निकाल रही होगी, ताकि उसे ले कर अगले किसी स्टेशन पर उतर जाए. वह इतना बड़ा कदम इसलिए उठा रही होगी, क्योंकि वह अब उस की बीमारी, दर्द और तकलीफजदा जिंदगी से तंग चुकी होगी. अगर जैतून उसे छोड़ कर सदा के लिए किसी स्टेशन पर उतर गई तो बच्चों का क्या होगा? क्या वह उन्हें भी अपने साथ ले जाएगी?’

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