विभूति को लगता था कि गौरव उस से शादी करेगा. जबकि गौरव उसे मात्र शारीरिक जरूरत पूरी करने का साधन समझता रहा. गौरव का इरादा जानने के बाद विभूति ने उस की इच्छा पूरी करने से मना किया तो... 

विभूति का सामान ज्यादा और भारी था, इसलिए सीट के नीचे एडजस्ट करने में उसे काफी दिक्कत हो रही थी. उसे परेशान देख कर सामने की सीट पर बैठे युवक ने कहा, ‘‘मैडम, आप बुरा मानें तो आप का सामान एडजस्ट कराने में मैं आप की मदद कर दूं.’’ विभूति ने युवक की ओर देखा और उठ कर एक किनारे खड़ी हो गई. एक तरह से यह उस की मौन सहमति थी. उस युवक ने विभूति का सारा सामान पलभर में सीट के नीचे करीने से लगा दिया. उस के बाद हाथ झाड़ते हुए बोला, ‘‘अब आप आराम से बैठिए.’’

‘‘थैंक यू.’’ कह कर विभूति युवक के सामने वाली अपनी सीट पर बैठ गई. कुछ पल तक खामोशी छाई रही. यह खामोशी शायद युवक को अच्छी नहीं लग रही थी, इसलिए चुप्पी तोड़ते हुए उस ने पूछा, ‘‘मैडम, आप कहां तक जाएंगी?’’

‘‘मुंबई तक.’’ विभूति ने संक्षिप्त सा जवाब दिया. युवक शायद विभूति से बातचीत के मूड में था, इसलिए उस ने तुरंत अगला सवाल दाग दिया, ‘‘आप यहीं की रहने वाली हैं?’’

‘‘नहीं,’’ विभूति युवक को लगभग घूरते हुए बोली, ‘‘मैं मुंबई की रहने वाली हूं. यहां मेरी कंपनी ने एक फैशन शो आयोजित किया था, उसी में भाग लेने आई थी.’’

‘‘आप मौडलिंग करती हैं क्या?’’ युवक ने हैरानी से पूछा.

‘‘मैं मौडल नहीं, फैशन डिजाइनर हूं.’’ विभूति ने कहा.

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