Love Crime : रंजीत वैशाली को अथाह प्यार करता था, लेकिन वैशाली के घर वाले उस की शादी रंजीत से करने के पक्ष में नहीं थे. इसी बीच रंजीत की शादी किसी और लड़की से तय हो गई. फिर ऐसा क्या हुआ जो वैशाली, उस की मां गुड्डी और मामा ने रंजीत की शादी से कुछ दिन पहले एक खौफनाक खूनी स्क्रिप्ट लिख डाली…

जिस लड़के या लड़की की शादी हो और वह 2-4 घंटे के लिए घर से इधरउधर हो जाए तो घर वालों को उस की इतनी चिंता होने लगती है, जितनी पहले कभी नहीं हुई. होनी भी चाहिए, क्योंकि जहन में इज्जतबेइज्जती के कई सवाल जो खड़े हो जाते हैं. लड़की के मामले में तो ऐसे सवाल सोच बन कर सिर पर हथौड़े से बजाने लगते हैं. रंजीत के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. सुबह 5 बजे दौड़ लगाने निकला रंजीत घंटों बाद भी नहीं लौटा तो घर वालों ने सोचा कि किसी दोस्त के घर चला गया होगा. लेकिन जब वह दोपहर तक नहीं आया तो परेशान हो कर उस के मोबाइल पर काल की गई, लेकिन उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस के बाद चिंतित होना स्वाभाविक था.

रंजीत मुरादाबाद शहर के निकटवर्ती गांव धर्मपुर शेरूआ का रहने वाला था. उस के पिता भोपाल सिंह गांव के पास स्थित प्लाइवुड की एक फैक्ट्री में ठेकेदार थे. उन के बेटों चमन सिंह और विमल में रंजीत बीच का था. भोपाल सिंह ने रंजीत को उसी प्लाइवुड फैक्ट्री में नौकरी दिला दी थी, जहां उन का ठेकेदारी का काम था. 30 जून, 2020 को चूंकि रंजीत की शादी थी, इसलिए भी चिंता की बात थी. चिंताजनक इसलिए क्योंकि गांव की ही वैशाली से उस के प्रेम संबंध थे और वह उस से शादी करना चाहता था. जबकि घर वाले उस की और वैशाली की शादी इसलिए नहीं करना चाहते थे क्योंकि वह दूसरी बिरादरी में शादी के पक्ष में नहीं थे.

रंजीत के पिता भोपाल सिंह, भाई चमन सिंह और विमल ने रंजीत को पूरे गांव में खोजा. सभी संभावित जगहों पर पता लगाया. जब कहीं से भी उस की कोई जानकारी नहीं मिली तो पिता और भाइयों को पुलिस की शरण में जाना ठीक लगा. उन्होंने थाना सिविल लाइंस की पुलिस चौकी अगवानपुर में रंजीत की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पुलिस ने भी अपने स्तर पर रंजीत को खोजा. जब रंजीत रात को भी नहीं लौटा तो भोपाल सिंह के परिवार को लगा कि जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है. सोचविचार के बाद भोपाल सिंह अपने बेटों के साथ पुलिस चौकी पहुंचे. उन्होंने रंजीत और वैशाली की प्रेम कहानी के बारे में पुलिस को बता दिया. साथ ही यह भी कि रंजीत और वैशाली देरदेर तक मोबाइल पर बात किया करते थे, जिस की वजह से उस के घर वाले रंजिश रखते थे.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने वैशाली को पुलिस चौकी बुलवा लिया. वह इंटरमीडिएट तक पढ़ी थी, थोड़ी तेज भी थी. वैशाली ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि रंजीत और उस के बीच प्रेम संबंध थे. दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन एक साल पहले सब कुछ खत्म हो गया था. उस ने यह भी कहा कि वह जानती है कि 30 जून को रंजीत की शादी होनी है. ऐसे में उस से बात करने का कोई मतलब नहीं है. सीधीसरल भाषा में कहूं तो मेरी उस से कोई बात नहीं होती, न होगी. इस बातचीत के बाद पुलिस ने उसे घर जाने को कह दिया. रंजीत के घर वाले और पुलिस कई दिन तक उसे ढूंढते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. इस पर थानाप्रभारी नवल मारवाह ने रंजीत के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

जांच में पता चला कि 14 जून को उस के मोबाइल फोन पर आखिरी काल वैशाली की आई थी. इस पर 22 जून को पुलिस ने वैशाली, भूपेंद्र और भाई विक्की को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. तीनों को थाना सिविल लाइंस ला कर पूछताछ की गई. पुलिस ने वैशाली से पूछा, ‘‘14 जून को रंजीत के मोबाइल पर आखिरी काल तुम्हारी थी, बताओ उस से क्या बात हुई थी और रंजीत कहां है?’’

‘‘काल उस ने की थी, मैं ने नहीं. मैं पहले ही बता चुकी हूं कि अब हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं बचा था कि बात की जाए. मैं नहीं जानती कि वह कहां गया.’’

इंसपेक्टर नवल मारवाह को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. उन्होंने मातहतों से कहा कि तीनों को थाने में बैठाए रखें. इन लोगों से देर रात पूछताछ की गई. भूपेंद्र और विक्की तो कुछ नहीं बता सके, लेकिन वैशाली ने बम सा फोड़ा. उस ने बताया, ‘‘यह सही है कि 14 जून को रंजीत ने मुझे फोन किया था. उस ने मिलने के लिए मुझे गांव से करीब एक किलोमीटर दूर शुगर मिल के पीछे गन्ने के एक खेत में बुलाया था. उस ने मुझ से कहा कि 30 जून को उस की शादी है. लेकिन वह यह शादी नहीं करना चाहता.’’

वैशाली ने आगे बताया, ‘‘यह सच है कि मैं उस से प्यार करती थी. लेकिन घर वालों की मरजी के बिना शादी नहीं कर सकती थी. उस की भी यही सोच थी. दोनों की बातचीत हुई तो हम ने साथसाथ मरने का फैसला किया. रंजीत तमंचा साथ लाया था. तय हुआ कि वह पहले खुद को गोली मारेगा, बाद में मुझे. यही सोच कर उस ने खुद को गोली मार ली. उस का बहता खून देख कर मैं डर गई और वहां से भाग आई.’’

वैशाली ने यह भी बताया कि रंजीत ने उसे बताया था कि आत्महत्या की बात वह डायरी में लिख कर आया है. साथ ही यह भी कि उस की लाश गन्ने के उसी खेत में पड़ी है. यह बात चौंकाने वाली थी, क्योंकि जिस रंजीत को पुलिस खोज रही थी, उस की लाश गन्ने के खेत में पड़ी थी. 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे सिविल लाइंस पुलिस ने वैशाली की निशानदेही पर गन्ने के खेत से रंजीत का शव बरामद कर लिया. 9 दिन पुराना शव कंकालनुमा बन गया था. एक एक्सीडेंट के बाद रंजीत की एक बाजू में रौड डाली गई थी. उस रौड और कपड़ों से उस के घर वालों ने बता दिया कि लाश रंजीत की ही है. फोरैंसिक टीम पुलिस के साथ आई थी. उस ने जरूरी सबूतों के साथसाथ घटनास्थल से 315 बोर का लोडेड तमंचा, एक खोखा और मृतक का मोबाइल फोन बरामद किया. प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने रंजीत के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

रंजीत के घर वाले उस की हत्या को सोचीसमझी साजिश बता रहे थे, जबकि पुलिस उसे आत्महत्या मान रही थी. इस में पेच यह था कि 14 जून को घटना से पहले वैशाली और रंजीत के बीच 54 मिनट तक बात हुई थी. ऐसी स्थिति में इसे साजिश नहीं माना जा सकता था. हालांकि इस के बाद ही रंजीत गायब हुआ था. उसी दिन शाम को 5 बजे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. इस रिपोर्ट ने पुलिस की सोच बदल दी. पता चला कि रंजीत के सिर में एक नहीं, 2 गोलियां मारी गई थीं, जो 3 टुकड़ों में बंट कर सिर में फंस गई थीं. इन में से एक गोली कनपटी पर तो दूसरी आंख में मारी गई थी. जाहिर है आत्महत्या करने वाला व्यक्ति खुद को 2 गोली कभी नहीं मार सकता.

निस्संदेह रंजीत को दोनों गोलियां किसी और ने मारी थीं. इस के बाद पुलिस ने हत्या वाली थ्योरी पर जांच करनी शुरू की. वैशाली की घुमावदार बातों से साफ लग रहा था कि अगर काल डिटेल्स न होती तो यह भी पता नहीं चलता कि रंजीत की लाश गन्ने के खेत में पड़ी है. हैरत की बात यह थी कि वैशाली ने इस घटना के बारे में अपने घर वालों को भी कुछ नहीं बताया था. यानी उस ने अपने प्रेमी की मौत की बात 9 दिन तक अपने सीने में दफन रखी थी. मंगलवार को पूरे दिन रंजीत की मौत को खुदकुशी बताने वाली सिविल लाइंस पुलिस ने देर रात मृतक के पिता भोपाल सिंह की तरफ से वैशाली, उस के पिता भूपेंद्र, मां गुड्डी, भाई विक्की और मुंहबोले मामा शुक्ला के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

मृतक के घर वाले पुलिस की अब तक की जांच से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. रंजीत की मौत के मामले में घर वालों ने समानांतर जांच की थी, जिस ने पुलिस पड़ताल की पोल खोल कर रख दी थी. पुलिस शुरू से इस मामले को आत्महत्या मान कर चल रही थी, पुलिस ने गन्ने के उस खेत में 20-25 कदम दूर तक भी पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझा था. बुधवार यानी 24 जून को रंजीत के घर वालों ने मामले से जुड़ी कुछ अहम चीजें ढूंढ निकाली थीं. पुलिस ने वैशाली की बातों पर तो विश्वास किया, लेकिन रंजीत के घर वालों की बातों पर नहीं. इसलिए 24 जून की सुबह चमन सिंह, विमल और उन के पिता घर के अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने उसी गन्ने के खेत में खोजबीन शुरू की, जहां से रंजीत का शव मिला था.

खोजबीन में घटनास्थल से 20-25 कदम की दूरी पर एक थैली रखी मिली, जिस में 4 कारतूस रखे थे. उस के पास ही रंजीत का बनियान और जूते मिले. यह जानकारी जब गांव में फैली तो मौके पर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई. इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलने पर अगवानपुर पुलिस चौकी की पुलिस पहुंच गई. पुलिस ने कारतूस, बनियान, जूते और हड्डियों के अवशेष सील कर दिए. जबकि 23 जून को पुलिस ने गन्ने के खेत से रंजीत का शव बरामद किया था. लेकिन तब यह सामान बरामद नहीं हुआ था. जिस तरह मामले से जुड़ी अहम चीजें खोज निकाली गईं, उस से पुलिस पड़ताल पर गंभीर सवाल भी उठने लगे.

एएसपी दीपक भूकर के अनुसार रंजीत के घर वालों को 4 कारतूस मिले थे. कारतूस चमकीले हैं, जबकि 23 जून को मिला कारतूस इतना चमकीला नहीं था. शव की कुछ हड्डियां गायब थीं. पोस्टमार्टम में भी 10 फीसदी कम हड्डियां बताई गई थीं. कई दिनों तक शव जंगल में पड़ा होने से संभव है जानवरों ने शव खा लिया हो. इसी से कुछ हड्डियां इधरउधर हो गई हों. पुलिस ने मामले की जांच को गंभीरता से लेते हुए वैशाली से फिर से पूछताछ करने का फैसला किया. वैशाली किसी थ्रिलर फिल्म जैसी कहानियां बना रही थी. 9 दिन प्रेमी की मौत का राज सीने में छिपाए रखने वाली वैशाली ने 24 घंटे पुलिस को छकाने के बाद फिर अपनी कहानी की स्क्रिप्ट बदल दी थी.

पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गन्ने के खेत में उस के पहुंचने से पहले ही रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. तब उस ने रंजीत के मोबाइल से उस के भाई को काल किया था. लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. फिर उस ने अपनी मां को फोन किया. उस ने बताया कि मां से उस की करीब 9  मिनट बात हुई. वह फोन पर रो रही थी, उस की मां ने काल जारी रखी और बात करतेकरते उस के पास पहुंच गई. मां उसे ले कर घर लौट आई. पुलिस जांच में अब तक यह भी सामने आ चुका था कि रंजीत की लाश गन्ने के खेत में पड़ी होने की जानकारी वैशाली के मांबाप को भी थी. 24 जून की दोपहर पुलिस ने वैशाली की मां गुड्डी को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने मांबेटी को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की.

पता चला कि पिछले 7 साल से वैशाली के घर एक व्यक्ति शुक्ला रहता था, जो घटना के बाद से फरार है. उस का मोबाइल भी बंद था. वैशाली ने उसे मुंहबोला मामा बताया. शुरू में पुलिस जांच में वैशाली के बयान और रंजीत के घर मिली उस की पर्सनल डायरी आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे थे. डायरी में रंजीत ने इस बात पर खेद प्रकट किया था कि उस का विवाह उस की मरजी के खिलाफ हो रहा है. डायरी में उस ने परिवार वालों को नसीहत दी थी कि छोटे भाई की शादी उस के मनमुताबिक करें. उस ने डायरी में अपनी एफडी छोटे भाई को देने की बात भी की थी. पुलिस ने इसी आधार पर आत्महत्या की कड़ी से कड़ी जोड़ने का प्रयास किया था.

वारदात की एकलौती चश्मदीद वैशाली ने प्रेमी रंजीत की मौत को ले कर अब तक जो दावे किए थे, उन में काफी विरोधाभास था. उस के रोजरोज बदल रहे बयानों ने पुलिस को चक्कर में डाल दिया था. उस ने 105 घंटे में 6 बार अपने बयान बदले. हर बार उस का नया बयान सामने आ रहा था. पुलिस उस की इस स्वीकारोक्ति पर चौंकी, जब उस ने कहा कि गन्ने के खेत में उस ने खुद रंजीत को 2 गोलियां मारी थीं, क्योंकि वह उस पर शादी करने का दबाव बना रहा था. वैशाली के साथ उस की मां ने भी कबूलते हुए कहा कि वह खुद और वैशाली का मामा शुक्ला वैशाली के साथ गए थे. चूंकि दोनों अलगअलग बिरादरी के थे, इसलिए शादी नहीं हो सकती थी. उस ने बहाने से वैशाली को गन्ने के खेत में बुलाया. वहां वैशाली ने मां और मामा के सामने ही 2 गोलियां मार कर रंजीत की हत्या कर दी.

हालांकि पुलिस सारी कडि़यों को आपस में जोड़ रही थी. पुलिस ने फरार आरोपी शुक्ला के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की लोकेशन गोरखपुर की आ रही थी. पुलिस की एक टीम उस की तलाश में जुटी थी. यह जानकारी मिलने पर वह टीम गोरखपुर के लिए रवाना हो गई. दूसरी टीम वैशाली और उस की मां से लगातार पूछताछ कर रही थी. जबकि तीसरी टीम लड़की के पिता व भाई से पूछताछ में जुटी थी. चौथी टीम सबूत जुटाने में लगी थी. पुलिस को लग रहा था कि वैशाली के मामा शुक्ला की इस मामले में अहम भूमिका रही होगी. रंजीत का शव 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे बरामद हो गया था. उस के बाद से 25 जून शाम साढ़े 6 बजे तक वैशाली ने 6 बयान बदले. उस ने पुलिस को खूब छकाया. बारबार बयान बदल कर पुलिस को उलझाने की कोशिश करती रही.

उस ने पहला बयान 21 जून की दोपहर 12 बजे दिया था, जिस में उस ने कहा कि रंजीत और उस के प्रेम संबंध थे, जो एक साल पहले खत्म हो चुके थे. अब उस से उस की बात नहीं होती. उस ने दूसरा बयान 22 जून को रात 12 बजे दिया. मोबाइल की काल डिटेल्स आने के बाद पुलिस ने उसे दोबारा चौकी बुलाया. तब उस ने बताया कि रंजीत की मौत हो चुकी है. उस की लाश खेत में पड़ी है. उस ने आत्महत्या की है. तीसरा बयान 23 जून की सुबह 6 बजे दिया. जिस में उस ने कहा कि 30 जून को रंजीत की शादी थी. हम दोनों ने आत्महत्या करने का फैसला किया था. 14 जून की सुबह रंजीत ने उसे काल कर के गन्ने के खेत में बुलाया था, जहां रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. इस के बाद मुझे भी गोली मारनी थी, लेकिन मैं घबरा कर घर भाग आई.

उस ने चौथा बयान उस ने 24 जून की दोपहर 11 बजे दिया, जिस में कहा कि रंजीत ने मेरे खेत में पहुंचने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी. मैं ने रंजीत के भाई को काल की थी, पर उस ने काल रिसीव नहीं की तो मैं ने अपनी मां को फोन कर के मौके पर बुला लिया और मां के साथ वहां से घर चली गई. 9 दिन अपने प्रेमी की मौत का राज सीने में दफन करने और 117 घंटे में 7 बार बयान बदलने वाली वैशाली ने आखिरकार शुक्रवार सुबह सच उगल ही दिया. थाना सिविल लाइंस के थानाप्रभारी नवल मारवाह ने वैशाली के 7वें बयान के आधार पर 11 दिन बाद रंजीत की हत्या का खुलासा कर दिया. पुलिस के अनुसार वैशाली और उस की मां ने रंजीत की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मौके से मिला तमंचा, कारतूस और सिर में मिले गोली के 2 टुकड़े, फोटोग्राफी और वीडियो फुटेज, फोरैंसिक लैब की रिपोर्ट और बैलिस्टिक एक्सपर्ट की राय जैसे सबूत मांबेटी के खिलाफ काफी थे. पुलिस ने पूछताछ के लिए वैशाली के भाई और उस के पिता को भी हिरासत में लिया था. दोनों से पूछताछ की गई, लेकिन उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई. फरार शुक्ला के कमरे की तलाशी के बाद पुलिस ने उस का बैंक खाता फ्रीज करा दिया. पुलिस को गुमराह करने की कला के बारे में वैशाली ने बताया कि उस ने अभिनेता अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ एक महीने में 5 बार देखी थी. इसी से प्रेरणा ले कर रंजीत की हत्या का राज अपने सीने में दफन करने की सोची.

फिल्म की तरह ही उन्होंने भी रंजीत की हत्या करने के बाद किया. साथ ही वैशाली ने अपनी मां व मामा को भी यही बताया था कि हो सकता है पुलिस को रंजीत की लाश मिल जाए, लेकिन उन्हें अपने बयान पर अड़े रहना है. रंजीत अपने घर एक डायरी रख कर आया था, जिस में उस ने आत्महत्या के बारे में लिख दिया था. इस से हमें उस का लाभ मिल सकता है. बस उन्हें अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करनी है कि पुलिस को कोई शक हो. वैशाली और उस की मां गुड्डी ने इस हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह कुछ इस तरह थी—

रंजीत फैक्ट्री में नौकरी करने से पहले गांव में परचून की दुकान चलाता था. वैशाली अकसर उस की दुकान सामान लेने जाती थी. दोनों का दुकान पर ही संपर्क हुआ, जो धीरेधीरे प्यार में बदल गया. इस की भनक गांव वालों के साथ दोनों के घर वालों को भी लग गई. रंजीत वैशाली से शादी करना चाहता था. लेकिन वैशाली के घर वाले तैयार नहीं थे. इस बात को ले कर गांव में पंचायत भी हुई. इस के बाद रंजीत के घर वालों ने उस की शादी थाना छजलैट के गांव भीनकपुर की एक युवती से तय कर दी. शादी 30 जून, 2020 को होनी थी. लेकिन रंजीत इस शादी से खुश नहीं था. इस बीच उस की और वैशाली की मोबाइल पर बातचीत जारी रही. रंजीत अपनी प्रेमिका वैशाली को जीजान से चाहता था. उस के बिना वह जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था. उस ने वैशाली से कह दिया था कि वह शादी करेगा तो उसी से, नहीं तो जान दे देगा.

रंजीत वैशाली पर दबाव बना रहा था कि उस के साथ शादी कर ले या फिर दोनों साथसाथ आत्महत्या कर लें. रंजीत वैशाली को बारबार काल कर के टौर्चर करने लगा तो वह तंग आ गई. घटना वाले दिन रंजीत ने उसे आत्महत्या के लिए गन्ने के खेत में बुलाया था. योजना के मुताबिक वह खेत में पहुंच गई. कुछ ही देर में वैशाली की मां गुड्डी और उस का मुंहबोला मामा शुक्ला भी वहां आ गए. इस के बाद मामा ने पीछे से रंजीत के हाथ पकड़ कर उसे जमीन पर गिरा दिया. पहली गोली वैशाली ने रंजीत की कनपटी पर मारी. जबकि दूसरी गोली उस की मां ने रंजीत की दाहिनी आंख और नाक के बीच सटा कर मारी. मुंहबोला मामा अपने साथ तमंचा और कारतूस ले कर आया था. लेकिन दोनों गोलियां रंजीत के तमंचे से ही मारी गई थीं.

रंजीत की हत्या करते समय मांबेटी दोनों के हाथ खून से सन गए थे, जिन्हें उन्होंने खेत में ही घास से पोंछ दिया था. रंजीत की हत्या कर के तीनों घर आ गए. घर आने के बाद तीनों ने चाय पी और नाश्ता किया. वैशाली की मां उस की शादी अपनी जाति के किसी अच्छे घर में करना चाहती थी. समझाने पर वैशाली भी मान गई थी. लेकिन रंजीत वैशाली का पीछा नहीं छोड़ रहा था. तब उस ने शुक्ला के साथ मिल कर उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई. 14 जून को उन्हें मौका मिल गया. 6 जून को पुलिस ने वैशाली और उस की मां गुड्डी को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

 

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