UP Crime News : प्रीति की ख्वाहिश थी कि उस की शादी किसी सरकारी नौकरी वाले युवक के साथ हो, लेकिन वह किसान ओमपाल से ब्याह दी गई. वह 2 बेटियों की मां जरूर बन गई, लेकिन पति उस की भावनाओं को नजरअंदाज करता रहा. ऐसे में वह गांव के देवर अभय सिंह के संपर्क में आई. अपने प्यार को रिश्ते में बदलने के लिए इन दोनों ने ऐसा कदम उठाया कि…
रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा, कमरे में पतिपत्नी और एक 12 वर्षीय बच्ची ममता सो रही थी. अचानक बच्ची की आंखें खुलीं. उस बच्ची की नजर अपनी चाची पर पड़ी. चाची ने किसी गैरमर्द को इशारा किया. फिर दोनों उस के सो रहे चाचा ओमपाल की ओर बढ़ गए. चाची ने अपना तकिया उठाया और वह वहां पर सो रहे अपने पति की तरफ बढ़ चली.

चाची को देखते ही बच्ची सहम गई. फिर उस ने सोने की ऐक्टिंग करते हुए जो देखा, उसे देखते ही उस की रूह कांप उठी. वह डर के मारे थरथर कांपने लगी. चाची ने उस तकिए से उस के चाचा ओमपाल का मुंह दबा दिया. उस के साथ ही उस अन्य पुरुष ने चुनरी से उस के चाचा का गला दबा दिया. थोड़ी देर छटपटाने और इधरउधर पैर मारने के बाद उस के चाचा पूरी तरह से शांत हो गए. यह कोई फिल्मी स्टोरी नहीं, बल्कि एक हकीकत है. फिर उस के बाद जो हुआ, इस कहानी में पढि़ए.
8 सितबंर, 2025 को रात के कोई 2 बजे का वक्त था. बुलंदशहर के गांव परतापुर की रहने वाली प्रीति ने अचानक अपनी जेठानी सीता का दरवाजा खटखटाना शुरू किया.
”दीदी, जल्दी चलिए, देखिए मेरे पति को अचानक क्या हो गया? वह बिलकुल भी बोल नहीं रहे.’’
इतना सुनते ही सीता देवी अपनी देवरानी के पीछेपीछे उस के कमरे में पहुंची. ओमपाल एक खटिया पर पड़ा हुआ था. सीता ने अपने देवर ओमपाल के पास जाते ही उस के चेहरे को हिलाया.
”ओमपाल…ओमपाल, क्या हो गया तुम्हें.’’
उस के बाद सीता ने उस के सीने पर भी हाथ लगा कर देखा, लेकिन ओमपाल कुछ नहीं बोला. ओमपाल की हालत देखते ही सीता देवी ने अपने पति रवि करन को बुलाया. रवि करन ने भी छोटे भाई की नब्ज टटोली, लेकिन वह शांत थी. भाई की हालत देख रवि करन भी बुरी आशंका से भयभीत हो गया था. ओमपाल को ऐसी हालत में देखते ही रवि करन ने तुरंत ही अपने परिचित एक डौक्टर को फोन मिलाया. कोई आधा घंटे के बाद डौक्टर ओमपाल को देखने के लिए उस के घर पर पहुंचा. डौक्टर ने ओमपाल की नब्ज चैक की. नब्ज चैक करते ही डौक्टर ने जबाव दे दिया, ”ओमपाल की मौत हो चुकी है.’’
इतना सुनते ही ओमपाल के घर में कोहराम मच गया. सब बुरी तरह से रोनेधोने लगे. घर में सब को रोते देख ममता और नेहा नाम की 2 बच्चियां भी रोने लगी थीं.
डौक्टर ने ओमपाल की पत्नी से पूछा, ”आप के पति को हुआ क्या था?’’
तब प्रीति ने रोते हुए बताया, ”उन्होंने मुझे सोते से जगाया. फिर बोले प्रीति मेरे सीने में बहुत ही भयंकर दर्द हो रहा है. उस के बाद मैं ने उन के सीने को काफी देर तक मसला भी, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ. तब मैं ने सोचा कि मैं सीता भाभी को बुला कर लाती हूं. जैसे ही मैं उन को साथ ले कर अपने कमरे में पहुंची तो उन की सांस थम चुकी थी.’’
इतना सुनते ही डौक्टर ने बताया कि उन्हें शायद हार्ट अटैक आ गया था, जिस के कारण आननफानन में उस की मौत हो गई. ओमपाल की मौत से उस के परिवार में मातम छा गया. ओमपाल की 2 छोटी बेटियां थीं. एक 4 वर्ष की दूसरी ढाई वर्ष की. घर में रोनेचिल्लाने को देख कर उन का भी रोरो क र बुरा हाल था, जिन को उन की ताई सीता ने संभाल रखा था. अगले दिन सुबह ही ओमपाल के दाह संस्कार की तैयारी होने लगी. सभी रिश्तेदारों को खबर दी गई थी. ओमपाल का हार्ट अटैक से निधन हो गया. पूरे गांव में इसी बात की चर्चा थी. फिर कुछ ही समय बाद नैचुरल डेथ समझ कर उस का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था. सभी मेहमान अपनेअपने घर को जा चुके थे.

लेकिन उस घटना के बाद से 12 वर्षीय ममता कुछ बीमार सी रहने लगी थी. उस की मम्मी सीता ने कई बार उस से उस की परेशानी के बारे में पूछा, लेकिन वह पूरी तरह से अपना मुंह बंद किए हुए थी. न तो वह कुछ खापी रही थी और न ही किसी से कोई बात ही कर रही थी. ओमपाल की हत्या के बाद सीता देवी वहीं पर काम में लगी हुई थी, लेकिन ममता एक बार भी अपनी चाची प्रीति के घर नहीं गई थी. तभी सीता देवी ने महसूस किया कि ममता जबजब प्रीति के सामने जाती है, वह बुरी तरह से घबरा जाती है. इस बात में जरूर कोई राज है.
ममता की बिगड़ती हालत को देखते हुए पहले तो उस के फेमिली वालों ने सोचा कि उसे अपने चाचा के खत्म होने का गहरा सदमा लग गया है. क्योंकि ओमपाल उसे बहुत प्यार करता था. उसे भी उस से बहुत लगाव था. इसी कारण वह अकसर ओमपाल के घर पर ही पड़ी रहती थी. फिर वहीं पर खाना खापी कर सो भी जाती थी.
ममता की हालत को देखते हुए उस के पापा ने उसे डौक्टर के पास ले जा कर भी दिखाया. उसे न तो कोई बुखार वगैरह था और न ही कोई बीमारी. उस के बाद ममता की मम्मी ने उसे एकांत में ले जा कर उस से पूछताछ की तो उस ने अपनी मम्मी को जो जानकारी दी, वह हैरान कर देने वाली थी. ममता ने ओमपाल की मौत की हकीकत खोलते हुए बताया, ”चाचा की हार्ट अटैक से मौत नहीं हुई, बल्कि उस की हत्या गांव के ही अभय सिंह ने चाची प्रीति के साथ मिल कर की थी.’’
इस जानकारी ने ओमपाल फेमिली में हड़कंप मचा दिया. ममता ने बताया कि रात में अचानक उस की आंखें खुलीं तो चाची प्रीति और अभय सिंह चाचा ओमपाल को बुरी तरह से मार रहे थे. यह देख कर वह बुरी तरह से डर गई. फिर वह सोने का नाटक करते हुए यूं ही बिस्तर पर पड़ी रही.
ममता ने आगे बताया, ”जिस वक्त मैं चाची के घर पर पहुंची तो चाचा और चाची खाना खा कर सोने जा रहे थे. तब मैं ने चाची से कहा, ‘चाची, मैं भी तुम्हारे पास ही सोऊंगी.’ फिर मैं चाची के साथ ही सो गई. रात में मेरी आंखें खुलीं तो चाची मेरे पास नहीं थी. उस के बाद मैं ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा.’’

ओमपाल की मौत की हकीकत सामने आते ही उस के बड़े भाई रवि करन को प्रीति पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उन्होंने किसी तरह से अपने गुस्से पर काबू किया. फिर यह बात उन्होंने उस से छिपाते हुए पुलिस को इस बात की सूचना दे दी. उस वक्त तक प्रीति अपने पति की मौत का गम मनाने की ऐक्टिंग करने में लगी हुई थी. उस का ओमपाल की मौत के वक्त से ही रोरो कर बुरा हाल था.
ओमपाल की मौत की हकीकत की जानकारी मिलते ही थाना बीबीनगर पुलिस उस के घर पर जा पहुंची. पुलिस ने प्रीति से सख्ती से पूछताछ की तो प्रीति ने पुलिस की मार से बचने के लिए सहज ही अपना अपराध कुबूल कर लिया था. प्रीति के जुर्म कुबूलते ही पुलिस ने अभय सिंह को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस से भी कड़ी पूछताछ की तो उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया.
इस घटना की जानकारी मिलते ही एसएचओ राहुल चौधरी ने मृतक ओमपाल के फेमिली वालों के साथसाथ गांव वालों से भी विस्तृत जानकारी ली. ओमपाल की मौत की सच्चाई सामने आते ही गांव में तरहतरह की चर्चा होने लगी थी. लोग विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि ओमपाल की हत्या उस की पत्नी के इशारे पर ही की गई थी. ओमपाल की हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त की गई चुन्नी और तकिया भी बरामद कर लिया था. इस मामले की जानकारी मिलते ही एसपी (सिटी) शंकर प्रसाद ने घटनास्थल पर जा कर जानकारी जुटाई.
यह मामला उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के गांव परतापुर की है. इसी गांव में रहता था मोहर सिंह का परिवार. मोहर सिंह एक किसान थे. उन के 3 बेटों देवीशरण, रवि करन में ओमपाल सब से छोटा था. तीनों की शादी हो जाने के बाद तीनों भाई गांव में अलगअलग घर बना कर रह रहे थे. रवि करन और ओमपाल के घर आसपास में ही थे. जबकि उस का बड़ा भाई देवीशरण गांव के बाहरी छोर पर रह रहा था.
ओमपाल की शादी अब से लगभग 7 साल पहले प्रीति के साथ हुई थी. शादी के कुछ समय बाद तक तो ओमपाल और प्रीति के संबंध मधुर रहे, लेकिन कुछ ही दिनों बाद ओमपाल प्रीति की नजरों से उतरने लगा. प्रीति देखनेभालने में खूबसूरत थी, लेकिन ओमपाल गांव का सीधासादा युवक. समय के साथसाथ प्रीति 2 बच्चों की मां भी बन गई थी, लेकिन 2 बच्चों की मां बन जाने के बाद भी उस की खूबसूरती में चार चांद लगे हुए थे.
ओमपाल हर वक्त खेती के काम में ही लगा रहता था. शाम को खेतीबाड़ी का कामकाज निपटा कर आता, फिर वह जल्दी ही खाना खा कर सो जाता था. यह बात प्रीति को बिलकुल भी पसंद नहीं थी. वह एक महत्त्वाकांक्षी युवती थी. शादी से पहले उस ने भी एक सुंदर सरकारी जौब वाले पति के सपने देखे थे, लेकिन शादी के बाद उस के सारे अरमानों पर पानी फिर गया था. फिर भी उस ने काफी समय तक ओमपाल के साथ निभाने की कोशिश की.

ओमपाल हर शाम को अपने सारे दिन की थकान मिटाने के लिए शराब का आदी भी हो गया था. उस के बाद वह अपनी ही धुन में रहने लगा था. बीवी की उसे कोई परवाह नहीं थी. ओमपाल की हरकतों को देख कर प्रीति ने अपनी किस्मत को कोसना शुरू कर दिया था. प्रीति जब कभी भी अपने खेतों पर जाती तो उस की मुलाकात खेतों पर ही अभय सिंह से होने लगी थी. उस वक्त तक अभय सिंह कुंवारा था. हालांकि दोनों के बीच चाचीभतीजे का रिश्ता था. लेकिन अभय जब कभी भी प्रीति से मिलता तो उस की सुंदरता की तारीफ करना नहीं भूलता था.
खेतों पर काम करते देख कर प्रीति ने उसे अपने पास बुलाया, फिर वह उस से मजाक भरी बातें करने लगी. चाची की बातें सुनते ही अभय ने बात आगे बढ़ाते हुए प्रश्न किया. ”चाची, चाचा के क्या हालचाल हैं?’’
”अभय, तुम्हारे चाचा की चाल तो जैसे बिलकुल ही शांत पड़ गई. सारे दिन मजदूरों की तरह खेतों में लगे रहते हैं. उस के बाद शाम को खाना खा कर सो जाते हैं. उन्हें तुम्हारी चाची से तो जैसे कोई मतलब ही नहीं. मेरी किस्मत फूटी थी, जो मुझे ऐसा पति मिला. न काम
का न काज का, दुश्मन अनाज का.’’
”अरे चाची, कैसी बात करती हो. चाचा सारे दिन इतना काम करते हैं और आप कह रही हो कि वह कुछ नहीं करते.’’ अभय ने चाची की बात को आगे बढ़ाया.
”लेकिन लाला, एक मर्द को अपनी औरत की भावनाओं को भी पढऩा चाहिए. एक औरत को रोटी के अलावा और कुछ भी चाहिए.’’
”चाची, तुम भी कैसी बात करती हो. एक इंसान को पेट भर रोटी मिल जाए तो उस से बड़ी और क्या बात हो सकती है. चाची, हम तो रोटी खा कर पेट पर हाथ फेरते हैं. हमें तो फिर किसी चीज की इच्छा नहीं होती.’’
”लगता है अभय, तुम भी अपने चाचा की तरह ही हो. किसी औरत के दिल की भाषा पढऩे में तुम भी फेल हो.’’
”अरे चाची, आप क्या बात करती हो. मेरी शादी हो जाने दो. अपनी पत्नी को रानी बना कर रखूंगा. मैं अपने चाचा की तरह अपनी पत्नी को खेतों की मिट्टी चटाने के लिए शादी नहीं करूंगा.’’ अभय ने चाची के सामने अपनी शेखी बघारी.
प्रीति हंसते हुए बोली, ”अभय, मुझे तो तुम्हारे जैसा ही पति चाहिए था, लेकिन मेरी किस्मत में मिट्टी का पुतला मिला. पता नहीं कब तक उसे झेलना पड़ेगा.’’
”अभय, तुम बताओ, तुम्हें कैसी पत्नी चाहिए?’’
”चाची, अब मैं अपने मुंह से तुम्हारी क्या तारीफ करूं. जब भी तुम्हें देखता हूं, मेरे दिल में कुछकुछ होने लगता है. मुझे तो तुम्हारी जैसी ही सुंदरसलोनी पत्नी चाहिए.’’
अभय की बात सुनते ही प्रीति ने उस का हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिया, ”अभय देख, मेरा दिल भी तेरे लिए कितना उछलकूद कर रहा है. यह काफी समय से तेरे लिए पागल हो कर तेरा पीछा कर रहा है.’’
चाची के सीने पर हाथ जाते ही अभय के दिल की धड़कनें भी दोगुनी हो चुकी थीं. फिर उसी दिन प्रीति ने अभय को कसम खिलाई कि हम दोनों पतिपत्नी तो नहीं बन सकते, लेकिन दोस्ती तो कर ही सकते हैं. उस दिन अभय और प्रीति के बीच दोस्ती हो गई. फिर क्या था, दोनों के बीच रिश्ता ही ऐसा था कि जिस के कारण दोनों का मिलनाजुलना बेरोकटोक चलने लगा. उसी दौरान दोनों के बीच अवैध संबंध भी बन गए. ओमपाल अपने कामकाज में इतना व्यस्त रहता था कि प्रीति हर रोज के घरेलू जरूरतों के लिए अभय को ही इस्तेमाल करने लगी थी. इसी सब के चलते दोनों के बीच मधुर संबंध स्थापित हो गए थे.
अभय भी ज्यादातर अपनी चाची के घर पर ही पड़ा रहता था. फिर एक दिन ऐसा भी आया कि ओमपाल ने प्रीति और अभय को प्यार की तपिश में तपते देख लिया था. ओमपाल मजबूर था. अभय उस के रिश्ते के बड़े भाई का बेटा था, जिसे ले कर वह गांव में अपनी पत्नी को बदनाम नहीं करना चाहता था. इसी कारण ओमपाल ने अभय से विरोध करने के बजाए प्रीति पर ही पाबंदी लगानी शुरू कर दी, लेकिन प्रीति भी पाबंदी की बेडिय़ों में जकड़ कर जीना नहीं चाहती थी. वह अभय के प्यार में इतनी पागल हो चुकी थी कि वह उसे किसी भी कीमत पर छोडऩे को तैयार नहीं थी.
उस के बाद दोनों ने मोबाइल का रास्ता पकड़ा और फिर दोनों एकदूसरे से मोबाइल पर प्यार भरी बातें करने लगे, लेकिन यह बात भी ओमपाल से ज्यादा दिन तक छिप न सकी. उस के बाद ओमपाल ने अभय के साथसाथ प्रीति को भी प्यार से समझाया, लेकिन दोनों ही मानने को तैयार न थे.
नतीजतन दोनों परिवार के बीच में गहरा विवाद पैदा हो गया. पतिपत्नी दोनों के बीच मनमुटाव के साथ ड़ाईझगड़ा भी होने लगा था. उस के बाद ओमपाल ने प्रीति के घर से निकलने पर भी पाबंदी लगा दी थी. पाबंदी लगते ही प्रीति पिंजरे में कैद चिडिय़ा की तरह अभय से मिलने की चाहत में फडफ़ड़ाने लगी. उसी दौरान एक दिन मौका पाते ही प्रीति ने अभय को अपने खेतों पर मिलने के लिए बुलाया.
प्रीति अभय को देखते ही रोने लगी, ”अभय, मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती. अगर तुम मुझे तनिक भी प्यार करते हो तो मुझे किसी भी तरह से इस कैद से मुक्त कराओ. फिर मुझे कहीं भी ले चलो. मगर मैं इस जाहिल इंसान के साथ नहीं रहना चाहती. पहले तो वह मेरे साथ गालीगलौज ही करता था, अब तो हर रोज मेरे साथ मारपीट भी करने लगा है. मुझे तुम्हारे साथ ही सच्चा प्यार मिलता है. मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती.’’
प्रीति की आंखों में आंसू देख कर अभय ने उसे अपने सीने से लगा लिया. फिर उस ने कहा, ”चाची तुम परेशान मत हो. मैं कोई उपाय करता हूं. अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं ओमपाल को इस दुनिया से ही विदा किए देता हूं.’’
तभी प्रीति ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ”अगर तुम्हें मेरे साथ रहना है तो उस के लिए ऐसा उठाना ही होगा, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.’’
उसी दिन दोनों ने ओमपाल को अपने बीच से निकाल फेंकने की योजना बना डाली थी. ओमपाल प्रीति की बेवफाई से तंग आ कर नशे का आदी बन चुका था. उस के घर में हमेशा ही शराब एडवांस में रखी रहती थी. यह जानकारी अभय को पहले ही थी. इसी बात का लाभ उठाते हुए अभय ने प्रीति को नशे के कुछ पाउच ला कर दे दिए थे. मौका पाते ही प्रीति वह पाउच खोल कर पति की शराब में मिला देती थी, जिसे पीने के बाद ओमपाल गहरी नींद में सो जाता था. उस के बाद प्रीति अभय को अपने घर बुला लेती और फिर दोनों मौजमस्ती के समंदर में गोते लगाने लगते थे.

लेकिन इस के बावजूद भी दोनों को डर लगा रहता था कि कोई उन के फेमिली वाला आ कर उन्हें रंगेहाथों पकड़ न ले. इस सब झंझट से छुटकारा पाने के लिए दोनों ने मिल कर ओमपाल को मौत की नींद सुलाने का प्लान बना डाला.
उसी प्लान के तहत 8 सितंबर, 2025 को जब ओमपाल खापी कर सो गया तो प्रीति ने प्रेमी अभय सिंह को फोन कर के अपने घर बुला लिया. उस दिन जेठानी की 12 वर्षीय बेटी ममता भी उस के बच्चों के साथ वहीं पर सोई हुई थी. अभय के आने से पहले प्रीति ने सभी बच्चों को चैक किया, सभी गहरी नींद में सोए पड़े थे. फिर दोनों ने ओमपाल की गला घोंट कर हत्या कर दी.
लेकिन अभय के घर में घुसते ही ममता की आंखें खुल गईं. उस ने उस रात अपनी आंखों से हत्या का जो लाइव मंजर देखा, उसे देख कर बुरी तरह से डर गई थी. उस दिन ममता वहां पर मौजूद न होती तो ओमपाल की मौत का खुलासा न हो पाता. इस मामले में मृतक ओमपाल के भाई रवि करन की तरफ से प्रीति व अभय सिंह को आरोपी मान कर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसे पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) के तहत दर्ज किया था. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद दोनों को जेल भेज दिया था. UP Crime News
(कथा में ममता और नेहा परिवर्तित नाम है)






