Hindi Stories Love : लड़की के प्यार का जुनून और भाई की जिद में भाईबहन का प्यार और खून का रिश्ता दुश्मनी में बदल रहा है, जो कभीकभी जान पर भी भारी पड़ जाता है. वे एक ही छत के नीचे साथसाथ रह कर, खेलकूद कर, पढ़लिख कर बड़े होते हैं, इस के
बावजूद उम्र के नाजुक पायदान पर कदम पड़ने पर जब कोई लड़की दिल की उमंगों से अपने अंदाज में बेहतर जिंदगी की ख्वाहिश में मोहब्बत का तराना गुनगुनाती है तो उस के खून के रिश्ते का भाई ही उस के प्यार के बीच दीवार बन कर खड़ा हो जाता है. लड़की की मोहब्बत के जुनून और भाई की जिद में प्यार और खून का रिश्ता दुश्मनी में बदल जाता है. यही दुश्मनी एक दिन जान पर भारी पड़ जाती है और सगे भाई ही बहनों का कत्ल कर देते हैं.
मोहब्बत और कत्ल का यह सिलसिला चलता ही रहता है. कानून तो अपना काम करता है, लेकिन समाज खामोशी से देखता रहता है. ऐसा करने वाले यूं तो सलाखों के पीछे होते हैं, लेकिन उन्हें इस का जरा भी मलाल नहीं होता. बात अगर गैरमजहबी युवक से मोहब्बत की हो तो अंजाम और भी दिल दहला देने वाले होते हैं. हापुड़ जनपद के स्याना रोड निवासी इंसाफ अली की 20 साल की बेटी दानिश्ता ने जमाने में देखा, फिल्मों में देखा और कानून की यह बात भी पता चली कि लड़कालड़की बालिग हो जाएं तो अपनी मरजी से जिंदगी जीने के लिए आजाद हैं.
वक्त की बदलती चाल ने दानिश्ता के दिलोदिमाग पर छाप छोड़ी तो वह दूसरे मजहब के सोनू के साथ मोहब्बत का तराना गुनगुनाने लगी. उम्र की दहलीज पर उस ने अपनों से नाफरमानी कर दी. मोहब्बत का जुनून ही था कि उस ने अंजाम की परवाह किए बगैर खूबसूरत भविष्य का ख्वाब संजोया. लेकिन उस के ख्वाबों के महल तब बिखर गए, जब न सिर्फ उस के सगे भाई खलनायक बन कर उभरे, बल्कि परिवार भी उस के खिलाफ हो गया.
29 नवंबर, 2014 की सुबह का वक्त था. दानिश्ता का प्रेमी सोनू किसी काम से जा रहा था कि दानिश्ता के भाइयों तालिब, आसिफ और तसलीम ने उसे घेर लिया और उस के साथ बेरहमी से मारपीट शुरू कर दी. दानिश्ता ने अपनी मोहब्बत को दम तोड़ते देखा तो वह बचाव के लिए आगे बढ़ी और घर वालों से भिड़ गई. इस पर दानिश्ता और उस के प्रेमी सोनू को धारदार हथियारों से बेरहमी से काट कर मौत की नींद सुला दिया गया.
भाइयों में गुस्सा इस कदर था कि कोई उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं कर सका. हत्याओं में भाइयों का साथ उन के दोस्तों और मां नूरजहां खातून ने भी दिया. हत्याएं करने के बाद तालिब और नूरजहां खुद ही थाने पहुंच गए और आत्मसमर्पण कर दिया. दानिश्ता और सोनू का प्रेमसंबंध काफी समय से चल रहा था. उन के प्रेमसंबंधों की जानकारी दानिश्ता के घर वालों को हुई तो उन्होंने उसे समझाया कि वह गैरमजहबी लड़के से कोई रिश्ता न रखे. लेकिन प्यार करने वाले ऐसे किसी बंधन को कहां मानते हैं. वे तो जातिधर्म, ऊंचीनीच की दीवारों को गिराने का दम भरते हैं. प्यार के लिए वे जमाने से भी टकराने को तैयार रहते हैं. वे जानते हैं कि प्रेम में ऐसी बाधाएं आएंगी और उन्हें उन का सामना करना पड़ेगा.
लेकिन उन्हें यह उम्मीद होती है कि एक दिन जीत उन के प्यार की ही होगी. यह बात अलग है कि बड़े शहरों की बात छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्रों में हर कोई ऐसा खुशनसीब नहीं होता. दानिश्ता और सोनू की सोच भी यही थी कि एक दिन उन का प्यार जीत जाएगा. वे विवाह कर के जीवन भर साथ रहने का निर्णय ले चुके थे. जबकि दानिश्ता के भाई इस के लिए तैयार नहीं थे. वह जब भी सोनू से विवाह की बात घर में करती, उस के साथ मारपीट की जाती. दानिश्ता और सोनू दोनों ही समझ गए कि घर वालों की मरजी से वे कभी शादी नहीं कर पाएंगे.
दोनों ने कानून का सहारा लिया और गुपचुप कोर्टमैरिज कर ली. यह बात दोनों ने ही घर वालों से छिपाए रखी और अपनेअपने घर यह सोच कर रहते रहे कि अच्छे वक्त पर घर वालों को मना कर एक हो जाएंगे. जब इस बात का खुलासा हुआ तो हंगामा मच गया. दानिश्ता की शामत आ गई. इस मुद्दे पर हत्या से एक दिन पहले स्थानीय पंचायत भी हुई. दानिश्ता के भाइयों ने ऐलान कर दिया कि वे बहन की मोहब्बत को कुबूल नहीं करेंगे. पंचायत में कथित समाज के ठेकेदारों का भी फरमान था कि दोनों हमेशा अलग ही रहेंगे. जबकि यह फरमान न दानिश्ता को मंजूर था और न सोनू को. नतीजतन मौका पा कर उन की हत्या कर दी गई.
पुलिस गिरफ्त में हत्यारोपी भाई का कहना था, ‘‘बिरादरी में हमारी बदनामी हो रही थी. हमारा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था. अब घर वाले समाज में सिर उठा कर जी सकेंगे, क्योंकि हम ने अपनी इज्जत बचा ली है.’’
नूरजहां का बयान भी कुछ ऐसा ही था. उसे भी बेटी की मौत का कोई अफसोस नहीं था. इस दोहरे हत्याकांड के बाद पुलिस ने ऐसे प्रेमी युगलों की सूची बनाई, जिन्होंने अपनी मरजी से विवाह किए थे. पुलिस अधीक्षक आर.पी. पांडे ने कहा, ‘‘हम प्रेमियों को सुरक्षा देने के लिए तत्पर हैं. हमारी कोशिश है कि घृणित कृत्य करने वालों को सख्त सजा मिले.’’
औनर किलिंग की यह पहली वारदात नहीं थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अकसर भाईबहन की मोहब्बत के दुश्मन बन जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि अपनों के खून से हाथ रंगने वालों को अपने किए पर अफसोस नहीं होता. शान के लिए लड़कियों और उन के प्रेमियों की हत्या कर दी जाती है. मेरठ की रहने वाली फुरकानी ने भी गैरमजहब के लड़के रविंद्र से मोहब्बत करने का गुनाह किया था. प्रेमसंबंध की जानकारी होने पर जम कर हंगामा हुआ. उस के इस कदम से घर वाले गुस्से में आ गए. दूसरे संप्रदाय के लड़के ने उन की बेटी को दुलहन बना लिया था. उस ने प्रेमी के लिए धर्म ही नहीं, नाम भी बदल लिया था. उस ने अपना नाम निशू रख लिया था.
फुरकानी के घर वालों ने इस बात को आन का सवाल बना लिया. टकराव को टालने के लिए दोनों शहर जा कर रहने लगे. काफी दिनों बाद वे दोनों गांव आ कर रहने लगे तो फुरकानी के घर वाले खफा हो गए. 25 नवंबर को फुरकानी के भाई निजाम और फुरकान उस के घर पहुंचे और उस के सिर में गोली मार कर फरार हो गए. समय पर उपचार मिलने से निशू की जान तो बच गई, लेकिन उस की एक आंख हमेशा के लिए चली गई. उस के भाइयों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन निशू के भाई निजाम को उस के जिंदा बच जाने का बहुत अफसोस है.
उस का कहना है कि अगर उसे पता होता कि बहन जिंदा बच जाएगी तो वह उसे एक और गोली मार देता. जब तक वह मरेगी नहीं, उसे चैन नहीं मिलेगा. गैरसमुदाय के लड़के से शादी कर के उस ने उस के परिवार की बहुत बदनामी कराई है, इसलिए उस ने उसे गोली मारी थी. मुजफ्फरनगर के लोई गांव के रहने वाले इलियास की बेटी शाइमा का 2 साल से गांव के ही एक लड़के से प्रेमसंबंध चल रहा था. जब घर वालों को इस बात की खबर हुई तो उन्होंने उस पर बंदिशें लगा दीं. शाइमा लड़के से विवाह करने की जिद पर अड़ गई. बंदिशों को तोड़ कर एक दिन वह घर से भाग गई. शाइमा की इस हरकत से घर वाले आगबबूला हो गए.
कुछ दिनों बाद शाइमा को उन्होंने ढूंढ निकाला और घर ला कर उस के भाई इंतजार ने उसे गोली मार दी. अमित को भी अपनी बहन मोना का प्यार मंजूर नहीं था. वह किसी लड़के से मोबाइल फोन पर बातें किया करती थी. अमित इस बात से बेहद नाराज रहता था. उसे लगता था कि इस से एक दिन परिवार की इज्जत चली जाएगी. एक दिन उस ने बहन को फोन पर बातें करते पकड़ लिया तो उस ने उसे गोली मार दी. मोना किसी तरह बच गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सामाजिक परिवेश ऐसा है, जहां प्रेमिल रिश्तों का खुलेआम विरोध है. इस के बावजूद चोरीछिपे रिश्ते पनपते हैं. तेजी से होते शिक्षा और आर्थिक विकास के बीच यह बेहद संवेदनशील मुद्दा है.
प्रेमसंबंधों को आन से जोड़ कर देखा जाता है. घर की बेटी प्रेम संबंध में अपनी मरजी से विवाह जैसा कदम उठाए, यह किसी भी दशा में मंजूर नहीं होता और अपने ही मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. समाज की टीका टिप्पणियां आग में घी डालने का काम करती हैं. जिस परिवार की लड़की को ले कर इस तरह के मामले सामने आते हैं, उन्हें तरहतरह के ताने दिए जाते हैं. ऐसे में नौजवानों को यह बरदाश्त नहीं होता. मानसिकता ऐसी होती है कि उन्हें लगता है कि हत्या कर देने से उन की इज्जत बच जाएगी और वह शान की जिंदगी जी सकेंगे.
ऐसा करने वाले प्रेम करने वाली लड़की को अपने परिवार के लिए कलंक मानते हैं. कातिल मानते हैं कि सामाजिक तानों व बेइज्जती से बचने के लिए अब यही करना आवश्यक हो गया है. दुखद यह है कि ऐसा कर के भी उन की इज्जत नहीं बचती. समाज भी खुले तौर पर ऐसी हत्याओं का विरोध नहीं करता. कानून का काम लाशों के पंचनामे और हत्यारों की गिरफ्तारी तक सिमट कर रह जाता है. Hindi Stories Love






