Crime Kahani : अखबार में विज्ञापन देख कर अधेड़ उम्र फरीद ने अपनी ही उम्र की फलक से शादी की थी. दोनों की शादी को हफ्ता भी नहीं बीता था कि दोनों ने किस के लिए ऐसी कौन सी चाल चली कि वे इस दुनिया में नहीं रहे. चाय पीते हुए फरीद अखबार के विज्ञापन वाला पेज देख रहा था. इन दिनों वह एक कमरे वाले फ्लैट में रह रहा था. फ्लैट छोटा जरूर था, लेकिन काफी अच्छा था. जिस इलाके में फ्लैट था, वहां का किराया काफी महंगा था. इस के पहले वह कई मकान बदल चुका था. वह मकान ही नहीं, शहर भी बदल चुका था. वह जो काम करता था, उस की वजह से वह एक जगह ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता था.

अखबार में उस की नजर वैवाहिक विज्ञापनों पर पड़ी तो वह उस में छपे एक विज्ञापन को ध्यान से पढ़ने लगा, ‘एक सेल्फ डिपेंटेंड बेवा, जो काफी दौलतमंद है. उम्र 38 साल, डिफेंस इलाके में अपना मकान, निजी गाड़ी, अच्छा बैंक बैलेंस. अपने जैसा साथी चाहिए. मर्द अकेला और मर्जी का मालिक हो, बच्चे न हों, देखने में स्मार्ट और हैंडसम हो, उम्र 45 से ज्यादा न हो, तलाकशुदा या रंडवे भी चल सकते हैं.’

फरीद ने उस विज्ञापन पर निशान लगा दिया, क्योंकि वह विज्ञापन उसे मुनासिब लगा था. उस में फोन नंबर के बजाय बौक्स नंबर दिया था. चाय पी कर उस ने अलमारी खोली और उस में से एक कीमती बैग निकाला. बैग से उस ने एक खूबसूरत लेटरपैड निकाला, जिस के एक कोने पर ‘फरीद शहबाज’ लिखा था. उस ने पेन उठाया और लिखना शुरू किया, ‘सलाम, वैवाहिक विज्ञापन में आप का विज्ञापन पढ़ा, सालों से अकेला हूं, शायद इसीलिए इस विज्ञापन पर नजर पड़ गई. पढ़ कर लगा, जैसे यह विज्ञापन मेरे लिए ही है. मैं आप के लिए हूं या नहीं, इस का फैसला आप को करना है. आप का एक उम्मीदवार. पत्र के साथ अपना एक फोटो भी भेज रहा हूं.

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