Family Story : पम्मी दर्शन सिंह से तलाक ले कर एक नहीं, 2-2 शादियां कर चुकी थी. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि दर्शन सिंह को पम्मी के खून से हाथ रंगने पड़े…

बिंदर कौर अपनी बेटी परमजीत कौर उर्फ पम्मी उर्फ कमलजीत कौर उर्फ कम्मो के साथ बाजार से जरूरत का सामान खरीद कर फगवाड़ा स्थित अर्बन एस्टेट के उस के फ्लैट नंबर 281 में पहुुंची तो पम्मी ने फ्लैट का ताला खोल कर मां को अंदर बैठाया. साथ लाया सामान कमरे में रख कर पम्मी रसोई में चाय बनाने चली गई तो बिंदर कौर उसी के बारे में सोचने लगीं. कुछ देर बाद पम्मी चायनमकीन ले कर आई और सेंट्रल टेबल पर रख कर बैठ गई. चाय का कप मां की ओर बढ़ाते हुए पम्मी ने कहा, ‘‘मम्मी, आजकल मुझे बहुत डर लगता है.’’

‘‘डर किस बात का बेटा. तू जंगल में रहती क्या? अच्छीभली कालोनी है, दुनिया भर के लोग रहते हैं यहां, डर कैसा?’’

‘‘वह बात नहीं है मम्मी,’’ पम्मी ने बेचैनी से करवट बदलते हुए कहा, ‘‘मुझे किसी और से नहीं, सिर्फ उसी से डर लगता है. न जाने वह कब और क्या कर बैठे?’’

‘‘कहीं तुम दर्शी की बात तो नहीं कर रही?’’ बिंदर कौर ने पूछा तो पम्मी ने हां में गरदन हिला दी.

‘‘अब वह तेरा क्या कर लेगा?’’ लंबी सांस ले कर बिंदर कौर न कहा, ‘‘दर्शी से तेरा रिश्ता खत्म हुए 3 साल हो गए हैं. अब उस का तुझ से क्या वास्ता?’’

‘‘ऐसी बात नहीं है मम्मी,’’ पम्मी ने कहा, ‘‘वह अब भी मुझ से मिलता है और जान से मारने की धमकी देता है. इस फ्लैट पर भी वह कई बार आ चुका है. कहीं ऐसा न हो कि किसी दिन वह अपनी धमकी को सच कर दे.’’

‘‘तू चिंता मत कर, मैं आज ही इस का इंतजाम किए देती हूं. अभी थाने जा कर रिपोर्ट लिखवाए देती हूं. उस के बाद बच्चू को नानी याद आ जाएगी. तू ने मुझे यह सब पहले क्यों नहीं बताया? बताया होता तो उस का कब का इंतजाम कर देती.’’ बिंदर कौर नाराज हो कर बोलीं.

‘‘नहीं मम्मी, ऐसा बिलकुल मत करना,’’ पम्मी ने कहा, ‘‘इस से बात और बढ़ जाएगी. कोई ऐसी तरकीब निकालो कि मामला आसानी से निपट जाए.’’

बेटी की बातों से बिंदर कौर सोच में पड़ गईं. राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 1, जिसे शेरशाह सूरी मार्ग भी कहा जाता है. इसी मार्ग पर जालंधर से पहले पड़ता है एक कस्बा गोराया. इसी कस्बे की विर्का कालोनी में ठेके के पीछे रहते हैं छिंदी सिंह. वह नगर निगम में नौकरी करते थे. उन के परिवार में पत्नी बिंदर कौर के अलावा 3 बेटियां, अमरजीत कौर, सर्वजीत कौर उर्फ सोनिया और परमजीत कौर उर्फ पम्मी उर्फ कमलजीत कौर उर्फ कम्मो थीं. उन्होंने तीनों बेटियों को अपनी हैसियत के अनुसार पढ़ाया और शादी लायक होने पर सब की शादियां कर दीं.

पम्मी की शादी उन्होंने सन 2006 में जालंधर के वडाला कला, बादल की पट्टी, समराया के रहने वाले जोगिंदरपाल सिंह के बेटे दर्शन सिंह उर्फ दर्शी के साथ की थी. शादी के बाद कुछ समय तक दर्शी और पम्मी में खूब प्यार रहा. पतिपत्नी खूब खुश थे. पम्मी दर्शन जैसा पति पा कर फूली नहीं समाती थी तो दर्शन भी पम्मी जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर खुद को धन्य समझ रहा था. शादी के 2 सालों बाद उन के घर खुशी के रूप में ‘खुशी’ पैदा हुई. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक दोनों के बीच ऐसा न जाने क्या हुआ कि उन में अनबन होनी शुरू हो गई. इस अनबन ने जल्दी ही विकराल रूप धारण कर लिया. बिना वजह ही दोनों के बीच लगभग रोज ही लड़ाईझगड़ा होता. दोनों के घर वालों ने उन्हें समझाया.

कुछ दिनों तक तो दोनों शांत रहे, लेकिन बाद में वे फिर पहले की ही तरह लड़नेझगड़ने लगे. उन के झगड़े की वजह किसी की समझ में नहीं आ रही थी. पम्मी का कहना था कि दर्शन सिंह नशा तो करता ही है, किसी दूसरी औरत से भी उस के संबंध हैं. जबकि दर्शन सिंह का कहना था कि पम्मी के किसी अन्य लड़के से संबंध हैं, जबकि इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए दोनों में से किसी के पास कोई ठोस सुबूत नहीं थे. पतिपत्नी का यह झगड़ा जब रोज का नियम बन गया तो घर वालों ने उन की ओर ध्यान देना बंद कर दिया. लड़ाईझगड़े से परेशान पम्मी तांत्रिक बाबा दीपा सिंह से मिली. तांत्रिक बाबा दीपा सिंह इस तरह की समस्याओं के निदान करने का दावा करता था. पम्मी भी घर में होने वाले क्लेश की शांति एवं पारिवारिक सुख के लिए उस के पास जाने लगी थी.

बाबा दीपा सिंह अविवाहित था. वह अपने यहां आने वाली औरतों के साथ अय्याशी करता था. पम्मी जैसी खूबसूरत औरत को देख कर उस का मन डोल गया तो उसे पाने के लिए वह तंत्रमंत्र के लटकेझटके और सब्जबाग दिखाने लगा. जल्दी ही पम्मी उस के झांसे में आ गई. इस के बाद पम्मी घर पर कम, बाबा दीपा सिंह के डेरे पर अधिक दिखाई देने लगी. पम्मी के संबंध दीपा सिंह से बन गए तो दर्शन सिंह से पीछा छुड़ाने के लिए उस ने उस के खिलाफ जालंधर के वूमैन सेल में लड़ाईझगड़ा, मारपीट और घरखर्च न देने का मुकदमा दर्ज करवा दिया.

वूमैन सेल वालों ने पतिपत्नी को बुला कर कई बार समझाया और समझौता कराने की कोशिश की, पर बात नहीं बनी. पम्मी को अब बाबा दीपा सिंह के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था. उस ने साफसाफ कह दिया कि अब वह दर्शन सिंह के साथ नहीं रहना चाहती, उसे तलाक चाहिए. उसी बीच पम्मी ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम शिवम रखा गया. शिवम के पैदा होने के बाद पम्मी ने दर्शन सिंह से तलाक लेने की प्रक्रिया तेज कर दी. दोनों के ही घर वाले उन के रोजरोज के झगड़ों से तंग आ चुके थे. काफी समझाने के बाद भी जब पम्मी तलाक लेने पर अड़ी रही तो दोनों के ही घर वालों ने आपस में बातचीत कर के रजामंदी से उन का तलाक करवा दिया. इस की एक कापी वूमैन सेल को भी दे दी गई. यह सन 2012 की बात है.

दर्शन सिंह से तलाक लेने के बाद पम्मी ने बेटी खुशी को मां के पास छोड़ा और खुद बेटे को ले कर बाबा दीपा सिंह के पास रहने चली गई. तलाक के समय दर्शन सिंह ने बेटे को मांगा था, लेकिन तब बच्चा काफी घबराया हुआ था और लगातार रोए जा रहा था, इसलिए सभी ने दर्शन सिंह से कहा था कि इस समय बच्चा काफी डरा हुआ है. कुछ दिनों बाद जब वह थोड़ा बड़ा हो जाएगा, तब बच्चा उसे दे दिया जाएगा. जबकि सच्चाई यह थी कि पम्मी किसी भी सूरत में शिवम को देना नहीं चाहती थी. इसलिए दीपा सिंह के पास आने के बाद भी उसे यह डर सताता रहा कि कहीं दर्शन सिंह उसे ढूंढ़ते हुए वहां न आ पहुंचें. इसलिए वह बाबा दीपा सिंह के साथ ऐसी जगह चली गई थी, जहां दर्शन सिंह उसे ढूंढ़ नहीं सकता था.

बाबा दीपा सिंह के साथ पम्मी लगभग एक साल तक उस की पत्नी के रूप में रही. हालांकि दोनों ने शादी नहीं की थी. इसी एक साल में पम्मी का दीपा सिंह से मोह भंग हो गया. दरअसल दीपा सिंह उसे शारीरिक सुख तो दे रहा था, लेकिन उस के पास आमदनी का कोई ठोस साधन नहीं था. देह की आग के साथ पेट की आग बुझाना भी जरूरी है. इसलिए पम्मी दीपा सिंह को छोड़ कर मां के पास चली आई. मां के साथ रहते हुए पम्मी की मुलाकात गांव दयालपुरा, जिला नवां शहर निवासी करनैल सिंह के बेटे जसविंदर सिंह से हुई. जसविंदर सिंह एनआरआई था और इन दिनों वह दुबई में रह रहा था. पहली ही मुलाकात में पम्मी जसविंदर के दिल में उतर गई थी. जल्दी ही उन के बीच गहरे संबंध बन गए.

जसविंदर ने पम्मी से शादी के लिए कहा तो वह खुशीखुशी तैयार हो गई. इस के बाद जसविंदर ने अर्बन एस्टेट में एक फ्लैट किराए पर लिया और उसी में पम्मी के साथ रहने लगा. लगभग 2 महीने तक पम्मी के साथ रहने के बाद उस की छुट्टियां खत्म हो गई तो वह दुबई चला गया. हर महीने वह पम्मी के खर्च के लिए एक मोटी रकम वहां से भेज रहा था. हर महीने खर्च के लिए मोटी रकम मिलने से पम्मी बहुत खुश थी. वह अपनी इच्छानुसार रुपए खर्च करती थी, जहां मन होता था घूमतीफिरती थी, जिस से मन होता था मिलतीजुलती थी. पति की खाली जगह भरने के लिए उस ने कुछ लड़कों से संबंध बना लिए थे. कुल मिला कर वह पूरी तरह से ऐश कर रही थी.

इतना सब होने के बावजूद उस के ऊपर डर की एक तलवार हमेशा लटकती रहती थी, जिस से चाह कर भी वह पीछा नहीं छुड़ा पा रही थी. वह डर की तलवार थी, उस का पूर्व पति दर्शन सिंह उर्फ दर्शी. पम्मी से तलाक होने के बाद दर्शन सिंह लगातार उस से अपने बेटे शिवम को मांग रहा था. जबकि पम्मी शिवम को देना नहीं चाहती थी. इसी बात को ले कर दोनों के बीच कई बार तकरार हो चुकी थी. दर्शन सिंह उस के घर भी आ कर उसे धमका चुका था. पम्मी बचपन से ही स्वच्छंद और स्वतंत्र विचारों वाली लड़की रही थी. अपना सुख ही उसे सर्वोपरि था. पुरुषों से मेलजोल रखना, उन के साथ खानापीना और घूमना उस के लिए आम बात थी. 3-3 शादियां करने के बाद भी उस के चाहने वालों की कमी नहीं थी. वह अपनी मर्जी की मालिक थी. रोकनेटोकने वाला कोई था नहीं. मातापिता और भाईबहन उस की बातों में दखल नहीं देते थे.

केवल दर्शन सिंह ऐसा था, जिस से पम्मी डरती थी. उसी के डर से वह कईकई दिनों तक अपने यारोंदोस्तों के घर रहने चली जाती थी, जिस से दर्शन सिंह उस से बेटे को छीन न सके.18 फरवरी, 2014 को भी दर्शन सिंह उस के अरबन एस्टेट वाले फ्लैट पर आया था. उस ने शिवम को जबरदस्ती ले जाने की कोशिश की थी. जब पम्मी ने बेटे को नहीं ले जाने दिया तो वह परिणाम भुगतने की धमकी दे कर चला गया था. इसीलिए पम्मी परेशान थी और यह बात उस ने अपनी मां को बता कर इस समस्या से छुटकारा दिलाने को कहा था.

एक लंबी सांस ले कर बिंदर कौर ने कहा, ‘‘बेटी, जो कुछ भी तुम ने बोया है, उसे काटना भी तुम्हें ही पड़ेगा. फिर भी तू चिंता मत कर, कोई न कोई उपाय तो निकलेगा ही. और हां, तू शिवम को दे क्यों नहीं देती? उसी के लिए तो वह तुझे धमका रहा है.’’

‘‘नहीं मम्मी, शिवम को मैं किसी भी कीमत पर नहीं दे सकती. वही तो मेरे जीने का सहारा है.’’ कह कर पम्मी ने बात खत्म कर दी. इस के बाद मांबेटी ने खाना खाया. खापी कर बिंदर कौर अपने गांव वडाला कला चली गईं. 23 फरवरी, 2014 को पोलियो दिवस था. जसप्रीत, मनप्रीत और गुरप्रीत अरबन एस्टेट में घरघर जा कर बच्चों को पोलियो की दवा पिला रही थीं. फ्लैट नंबर 281-282 के दरवाजे एकदूसरे से सटे हुए थे. तीनों फ्लैट नंबर 282 के बच्चों को दवा पिला रही थीं, जबकि फ्लैट नंबर 281 के दरवाजे पर बाहर से कुंडा लगा हुआ था. फ्लैट के बाहर खड़े रहने पर उन्हें अंदर से किसी बच्चे के जोरजोर से रोने की आवाज सुनाई दी.

बंद पड़े फ्लैट के अंदर से बच्चे के रोने की आवाज आने की बात उन्होंने पड़ोसियों से बताई तो लोग फ्लैट के बाहर इकट्ठा हो गए. सोसायटी सेक्रैट्री फ्लैट का कुंडा खोल कर अंदर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर उन के रोंगटे खड़े हो गए. सामने ही बैड पर पम्मी की लाश पड़ी थी और उस का 2 साल का बेटा उस की छाती से दूध पीने का असफल प्रयास कर रहा था. महिलाओं ने शिवम को संभाला तो सेक्रैट्री ने फोन द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम फगवाड़ा को घटना की सूचना दी. घटनास्थल थाना सदर के अंतर्गत आता था. इसलिए घटना की सूचना थाना सदर पुलिस को दी गई.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर स्वर्ण सिंह, सबइंसपेक्टर और हेडकांस्टेबल मनजीत सिंह के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. तब तक सूचना पा कर पम्मी की मां बिंदर कौर और बहन सर्वजीत कौर भी आ गई थीं. इंसपेक्टर स्वर्ण सिंह ने निरीक्षण में देखा कि मृतका के पांव नीले रंग के स्वेटर से बंधे हैं. एक ब्राऊन रंग की कमीज मृतका के मुंह में ठूंस कर दुपट्टे से इस तरह बांध दिया गया था कि वह मुंह से सांस न ले सके. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने के बाद पंचनामा तैयार कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया गया.

पूछताछ में बिंदर कौर ने बताया कि मृतका परमजीत कौर उर्फ पम्मी का विवाह दर्शन सिंह उर्फ दर्शी के साथ हुआ था. दोनों के 2 बच्चे, एक बेटी और एक बेटा था. बेटी खुशी दर्शी के साथ रहती थी, जबकि बेटा शिवम पम्मी के साथ रहता था. दर्शन को तलाक दे कर पम्मी ने तांत्रिक बाबा दीपा सिंह से शादी कर ली थी. एक साल बाद दीपा सिंह से तलाक ले कर पम्मी ने जसविंदर से शादी कर ली थी, जो दुबई में रहता था. तलाक होने के बाद भी दर्शन सिंह पम्मी को परेशान करता था. कई बार उस ने जान से मारने की धमकी भी दी थी. वह शिवम को पम्मी से छीनना चाहता था. पम्मी ने उसे इस बारे में बता कर चिंता भी व्यक्त की थी. इन बातों से यही लगता है कि पम्मी की हत्या दर्शन सिंह उर्फ दर्शी ने की है.

इंसपेक्टर स्वर्ण सिंह पूछताछ कर ही रहे थे कि क्राइम टीम के साथ जिले के अन्य पुलिस अधिकारी भी आ गए. क्राइम टीम ने अपना काम कर लिया तो अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण कर थानाप्रभारी से बातचीत कर उन्हें जरूरी दिशानिर्देश दिए. थानाप्रभारी ने मृतका की मां बिंदर कौर की ओर से पम्मी की हत्या का मुकदमा दर्शन सिंह उर्फ दर्शी के खिलाफ दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. वह दर्शन सिंह तक पहुंच पाते, उस के पहले ही उन का तबादला हो गया. उन की जगह आए इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह. थाने का चार्ज लेते ही उन्होंने पम्मी की हत्या के मामले की जांच शुरू कर दी. क्योंकि जिस तरह मृतका के हाथपैर बांध कर गला घोंटा गया था, इस से यही लगता था कि किसी एक आदमी का यह काम नहीं है. भले ही मृतका की मां ने हत्या का संदेह सिर्फ एक आदमी पर व्यक्त किया था और रिपोर्ट भी सिर्फ उसी के नाम लिखाई थी.

बहरहाल, इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह ने दर्शन सिंह की गिरफ्तारी के लिए कई लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इस की वजह यह थी कि दर्शन सिंह अपने घर से गायब था. वह किसी भी कीमत पर दर्शन सिंह गिरफ्तार करना चाहते थे. इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह ने एएसआई अमरीक सिंह और हेडकांस्टेबल मनजीत सिंह को दर्शन सिंह के घर की निगरानी का काम सौंपा. इस का नतीजा यह निकला कि दर्शन सिंह को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब आधी रात को वह दीवार फांद कर अपने घर में घुसने की कोशिश कर रहा था. थाने ला कर दर्शन सिंह से पूछताछ की गई तो बिना किसी हीलहुज्जत के उस ने पम्मी की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस का कहना था कि पम्मी की चरित्रहीनता से तंग आ कर और अपने बेटे शिवम को पाने के लिए उस ने पम्मी की हत्या की थी.

‘‘तुम्हारा तो पम्मी से तलाक हो चुका था, फिर उस की चरित्रहीनता से तुम्हें क्या मतलब था?’’ इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, भले ही पम्मी से मेरा तलाक हो चुका था, लेकिन हमारे रिश्तेदार और यारदोस्त अक्सर उस की चरित्रहीनता को ले कर मुझे ताने मारते थे कि आज उन्होंने मेरी पत्नी को फलां आदमी के साथ सिनेमा में, पार्क में या बाजार में रंगरलियां मनाते देखा था. कुछ लोग तो यहां तक कहते थे, ‘कमाल है यार! तेरी बीवी के साथ रोज एक नया आदमी होता है. आखिर कितने लोगों से उस का याराना है.’

‘‘मैं ने कई बार उसे समझाया कि वह किसी एक की बन कर रहे और अपनी इज्जत का ख्याल रखे. लेकिन मेरी बातों का उस पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा था.

‘‘साहब, उस रोज शाम को मैं उसे समझाने ही गया था. लेकिन मेरी पूरी बात सुने बगैर ही वह चिल्लाने लगी, ‘मेरी अपनी जिंदगी है, मैं इसे चाहे जैसे जिऊं. जिस के साथ मन करेगा, उस के साथ सोऊंगी. तुम से क्या मतलब.’ इसी बात पर बहस होने लगी.

‘‘अपनी गलतियों पर पश्चाताप करने के बजाय वह मुझे ही जलील करने लगी. दोनों में झगड़ा होने लगा तो वह मुझे मारने के लिए झपटी. मैं सचेत था, इसलिए उसे बैड पर ही दबोच लिया और उस का गला दबा दिया.’’

‘‘जब तुम ने गला घोंट कर ही उसे मार दिया था तो उस के हाथपैर बांधने की क्या जरूरत थी?’’ इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह ने पूछा.

‘‘ऐसा इसलिए किया कि देखने वालों को लगे कि वारदात में कई लोग शामिल थे.’’ दर्शन सिंह ने कहा.

इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह को लगा कि यह झूठ बोल रहा है. वारदात में जरूर इस के साथ और लोग थे. झूठ बोल कर शायद वह अपने साथियों को बचाना चाहता है. इसलिए उन्होंने पूछा, ‘‘तुम ने पम्मी की हत्या बेटे को ले जाने के लिए की थी तो फिर हत्या के बाद उसे ले क्यों नहीं गए?’’

इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह के इस सवाल का दर्शन सिंह ने कोई जवाब नहीं दिया. खामोश बैठा रहा. उन्होंने और भी कई सवाल किए, पर वह खामोश ही बना रहा. पूछताछ के बाद अन्य काररवाई पूरी कर उसे फगवाड़ा की अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. बाद में पता चला कि वह अपने बेटे शिवम को इसलिए नहीं ले गया, क्योंकि किसी ने दर्शन सिंह को इस बात का विश्वास दिला दिया था कि शिवम उस का नहीं, बाबा दीपा सिंह का बेटा है. इसी वजह से वह पम्मी की हत्या करने के बाद भी बेटे को उस की लाश के पास छोड़ गया था. दर्शन सिंह की जमानत सेशन कोर्ट से रिजैक्ट होने के बाद 3 बार हाईकोर्ट से भी रिजैक्ट हो चुकी है. अंतिम बार उस की जमानत 17 दिसंबर, 2014 को रिजेक्ट हुई थी. अब इस के बाद जमानत पर उस के रिहा होने की पूरी उम्मीद समाप्त हो चुकी है. Family Story

— कथा पुलिस सूत्रों पर आध

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