Hindi True Story: उत्तराखंड में आई आपदा में लापता हुई लीला को भले ही सब ने मरा मान लिया था, लेकिन उस के पति विजेंद्र को पूरा विश्वास था कि वह जिंदा है. आखिर कैसे खोज निकाला उस ने पत्नी को...

राजस्थान के जिला अलवर की तहसील थानागाजी का छोटा सा गांव भीकमपुरा पूरी दुनिया में जाना जाता है. अलवर-जयपुर स्टेट हाइवे पर स्थित थानागाजी से कोई 20 किलोमीटर दूर अंदर की ओर इकहरी सड़क पर बसे इस गांव की ख्याति ‘तरुण भारत संघ’ की वजह से है. सरिस्का बाघ अभयारण्य के पास स्थित इस गांव में ‘तरुण भारत संघ’ के मुखिया राजेंद्र सिंह को मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. राजेंद्र सिंह पानी बचाओ आंदोलन के प्रणेता के रूप में दुनिया भर में जाने जाते हैं. आसपास के लोग उन्हें ‘जोहड़ वाले बाबा’ के नाम से पुकारते हैं.

राजेंद्र सिंह पिछले करीब 30 सालों से इस इलाके में जल संरक्षण का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने सैकड़ों एनीकट बनवा कर पानी की बरबादी रोकने की पहल की है. तरुण भारत संघ के न्यौते पर ब्रिटिश राजघराने के प्रिंस चार्ल्स से ले कर भारत के पूर्व राष्ट्रपति तक इस इलाके में जल संरक्षण के कामों को देखने के लिए आते रहे हैं. जल संरक्षण और पर्यावरण से जुड़ी दुनिया की नामी हस्तियों का यहां आनाजाना लगा ही रहता है.

यह कहानी इसी भीकमपुरा गांव की है. पेशे से ड्राइवर विजेंद्र सिंह इसी गांव में रहता था. आजकल वह जयपुर में श्री मंगल ट्रैवल्स कंपनी की बस चलाता है. पौने 2 साल पहले 12 जून, 2013 को वह जयपुर की एक ट्रैवल्स कंपनी की बस में जयपुर से तीर्थयात्रियों को ले कर चारधाम की यात्रा पर उत्तराखंड गया था. उस बस में 30 यात्री थे. विजेंद्र सिंह की पत्नी लीला उर्फ सुशीला कंवर भी इस यात्रा में उस के साथ गई थी.

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