Love Crime: शादीशुदा और एक बेटी का बाप होने के बावजूद शाहिद ने नगमा बानो से प्यार ही नहीं किया, बल्कि नोटरी के सामने शादी भी कर ली. लेकिन इस के बाद उन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि शाहिद ने नगमा का कत्ल कर दिया. महानगर मुंबई से सटे नवी मुंबई के उपनगर नेरुल सारसोले गांव का रहने वाला मनोज मेहेर थाना नेरुल पहुंचा तो काफी घबराया हुआ था. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. उस की हालत

देख कर ड्यूटी अफसर ने पूछा, ‘‘क्या बात है भई, तुम काफी परेशान लग रहे हो?’’

‘‘सर, बात ही ऐसी है,’’ इधरउधर की बात किए बगैर मनोज ने कहा, ‘‘सर, पाम बीच रोड पर स्थित सारसोले गांव के पास जंगल के बीच बने भगवान वामनदेव मंदिर की तरफ जाने वाली पगडंडी पर एक महिला की क्षतविक्षत लाश पड़ी है.’’

लाश पड़ी होने की सूचना मिलते ही ड्यूटी अफसर ने काररवाई करने के लिए अपने सहायक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम घटनास्थल पर भेज दी. मनोज मेहेर की सूचना सही थी. लेकिन घटनास्थल पर पहुंचने पर पता चला कि जिस स्थान पर लाश पड़ी थी, वह स्थान उन के थानाक्षेत्र में नहीं था. वह स्थान थाना तुर्भे के अंतर्गत आता था. घटनास्थल पर आई पुलिस टीम ने मामले की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को देने के साथसाथ थाना तुर्भे पुलिस को दे दी थी. इस के बाद उन्होंने मनोज मेहेर को भी थाना तुर्भे भेज दिया था. यह 4 जनवरी, 2015 की घटना थी.

मनोज जिस समय थाना तुर्भे पहुंचा, दिन के यही कोई 10, साढ़े 10 बज रहे थे. थाना नेरुल पुलिस से घटना की जानकारी मिल ही चुकी थी, इसलिए मनोज के पहुंचते ही थाना तुर्भे के सीनियर इंसपेक्टर शेखर वागड़े ने तत्काल सबइंसपेक्टर कासम नाइक को बुला कर घटना की शिकायत दर्ज कराई. इस के बाद घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को देने के साथ पुलिस कंट्रोलरूम को भी दे दी. थाने की जरूरी काररवाई निपटा कर सीनियर पुलिस इंसपेक्टर शेखर वागड़े सहयोगियों के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल थाना तुर्भे से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर था, इसलिए वहां पहुंचने में उन्हें 10-15 मिनट लगे. अब तक लाश पड़ी होने की खबर पूरे इलाके में फैल चुकी थी, इसलिए वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी.

घटनास्थल पर पहुंच कर पहले तो पुलिस टीम ने वहां इकट्ठा लोगों को हटाया, उस के बाद घटनास्थल और लाश का निरीक्षण शुरू किया. मृतका की उम्र 25 से 30 साल के बीच रही होगी. उस की हत्या गला काट कर की गई थी. लाश पहचानी न जा सके, इस के लिए चेहरे पर पैट्रोल डाल कर जला दिया गया था. लाश के पास ही बिसलेरी की एक खाली बोतल तथा माचिस की डिब्बी पड़ी थी. वहीं पर माचिस की तीलियां भी बिखरी थीं. बोतल से पैट्रोल की गंध आ रही थी. इस का मतलब था, लाश को जलाने के लिए उसी बोतल में पेट्रोल लाया गया था. पुलिस ने भीड़ से कुछ लोगों को बुला कर लाश की शिनाख्त करवाने की कोशिश की. लेकिन उस भीड़ में से कोई भी मृतका की पहचान नहीं कर सका. इस से साफ हो गया कि मृतका यहां की रहने वाली नहीं थी.

पुलिस अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रही थी कि नवी मुंबई के पुलिस कमिश्नर के.एल. प्रसाद, अपर पुलिस कमिश्नर फत्ते सिंह गायकवाड़, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर विवेक मामाल, फोटोग्राफर और फोरेंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए. फोटोग्राफर और फोरेंसिक टीम का काम खत्म होते ही पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद सीनियर इंसपेक्टर शेखर वागड़े को जांच के लिए दिशानिर्देश दे कर चले गए.

उच्चाधिकारियों के जाने के बाद सीनियर इंसपेक्टर शेखर वागड़े ने घटनास्थल पर मिली बोतल, माचिस की डिब्बी और तीलियों को कब्जे में ले कर घटनास्थल की औपचारिक काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए वाशी महानगर पालिका के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद थाने लौट कर सीनियर इंसपेक्टर शेखर वागड़े ने अपने स्टाफ के साथ मीटिंग कर इस मामले की जांच असिस्टेंट इंसपेक्टर माधव सूर्यवंशी को सौंप दी.

जांच की जिम्मेदारी मिलते ही असिस्टेंट इंसपेक्टर माधव सूर्यवंशी ने सबइंसपेक्टर सुहास पाटिल, सदानंद सोनकांवले, कासम नाइक, सिपाही विजय सांलुके, प्रवीण विरारी, चंद्रकांत भोसले, चेतन साल्वी, दिलीप राठौर, धीरज कदम, लवकुश शिंगाड़े और संदीप पाटिल की टीम बना कर जांच शुरू कर दी. जांच को आगे बढ़ाने के लिए सब से जरूरी था मृतका की पहचान. बिना शिनाख्त के जांच को आगे बढ़ाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने शिनाख्त की कोशिश शुरू कर दी.

मृतका कौन थी, कहां की रहने वाली थी? यह पता लगाने के लिए पुलिस टीम ने महिला के हुलिए सहित पूरी सूचना नवी मुंबई के सभी थानों को भेज दी. इस से उन्हें पूरी उम्मीद थी कि किसी न किसी थाने में मृतका की गुमशुदगी अवश्य दर्ज होगी. लेकिन उन की इस उम्मीद पर पानी फिर गया, क्योंकि किसी भी थाने में उस तरह की महिला की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी. इसी इंतजार में 10 दिन बीत गए. जब शिनाख्त ही नहीं हो सकी तो मामले की जांच कैसे आगे बढ़ी.

दिन बीतने के साथ जांच अधिकारी माधव सूर्यवंशी की परेशानी बढ़ने लगी थी. क्योंकि अब उन पर अधिकारियों का दबाव पड़ने लगा था. एक बार फिर पूरी की पूरी टीम शिनाख्त की कोशिश में लग गई. इस बार शिनाख्त के लिए दायरा बढ़ा दिया गया. मृतका के हुलिया के साथ उस का फोटो भी नवी मुंबई के अलावा मुंबई पुलिस कमिश्नर औफिस, जनपद थाना, रत्नागिरी पुलिस कमिश्नर औफिस, पूना पुलिस कमिश्नर औफिस और ग्रामीण क्षेत्रों के थानों को भी भेज दिया गया.

इस बार उन की कोशिश रंग लाई और घटना के 15 दिनों बाद मृतका की शिनाख्त हो गई. मुंबई के चेंबूर के गोवड़ी के थाना देवनार में उस तरह की एक महिला की गुमशुदगी दर्ज थी. इस बात की जानकारी मिलते ही असिस्टेंट इंसपेक्टर माधव सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ थाना देवनार जा पहुंचे. थाने में दर्ज गुमशुदगी के अनुसार गुमशुदा महिला का नाम नगमा बानो शाहिद अली कुरैशी था, जो कमला रामण गोवड़ी, शिवाजी नगर में रहती थी.

गुमशुदगी में दर्ज पते के आधार पर जांच टीम वहां पहुंची तो घर में गुमशुदा नगमा बानो की बूढ़ी मां रजिया बेगम मिलीं. पुलिस ने उन्हें मृतका की लाश के फोटो दिखाए तो वह फूटफूट कर रोते हुए बोलीं कि ये फोटो उन की बेटी नगमा बानो की लाश के हैं. पुलिस ने उन्हें धैर्य बंधाया और लाश दिखाने के लिए वाशी महानगर पालिका के सरकारी अस्पताल ले गई. लाश देख कर उन्होंने शिनाख्त कर दी कि लाश उन की बेटी नगमा बानो की ही है तो पुलिस ने सारी औपचारिक  काररवाई पूरी करा कर लाश उन्हें सौंप दी.

मृतका की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस अब अपनी जांच को आगे बढ़ा सकती थी. जांच में तेजी लाते हुए पुलिस टीम सीधे नगमा बानो के घर पहुंची. पूछताछ में पता चला कि नगमा बानो अपनी बूढ़ी मां रजिया बेगम के साथ रहती थी. कुछ दिनों पहले उस ने अपने पति को छोड़ कर नवंबर, 2014 के पहले सप्ताह में प्रेमी शाहिद अली कुरैशी से नोटरी के सामने दूसरी शादी कर ली थी. निकाह के बाद वह शाहिद के साथ रहने लगी थी. लेकिन 3 जनवरी, 2015 को अचानक वह गायब हो गई. शाहिद अपने नातेरिश्तेदारों के साथ मिल कर उस की तलाश करता रहा, लेकिन नगमा का कुछ पता नहीं चला. चारों ओर से निराश हो कर 16 जनवरी, 2015 को रजिया बेगम ने शाहिद के साथ थाना गोवड़ी देवनार जा कर नगमा बानो की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी. इस के बाद मामले की जांच में लगी पुलिस टीम को पता चला कि मृतका की शिनाख्त में इतनी देर क्यों लगी थी.

रजिया बेगम के बताए अनुसार, नगमा का दूसरा पति शाहिद अली कुरैशी अपनी पत्नी और बेटी के साथ कुर्ला के नेहरूनगर में रहता था तो पहला पति कसास में रहता था. जांच में लगी पुलिस टीम जब नगमा के दोनों पतियों की तलाश में उन के घर पहुंची तो पहला पति तो अपने घर में मिल गया, लेकिन दूसरा पति शाहिद अली कुरैशी घर से गायब था. पूछने पर उस की पत्नी ने बताया कि 2 दिनों पहले ही वह उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ की तहसील बलरामपुर स्थित अपनी ससुराल गया है. यह जान कर जांच टीम को एक झटका सा लगा. पत्नी और बेटी के होते हुए भी शाहिद ने दूसरी शादी की थी.

आज जब लापता नगमा बानो की तलाश के लिए उस की जरूरत थी तो वह गांव चला गया था. इस बात पर पुलिस टीम ने गंभीरता से विचार किया तो टीम को शाहिद पर संदेह हो गया. इस के बाद नगमा के पहले पति को घर जाने की इजाजत दे दी गई. शाहिद अली कुरैशी के गांव चले जाने की जानकारी सीनियर पुलिस इंसपेक्टर शेखर वागड़े को दी गई तो उन्होंने सबइंसपेक्टर सुहास पाटिल के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम बना कर शाहिद अली कुरैशी के बारे में पता लगाने के लिए उस के गांव भेज दिया.

गांव पहुंच कर सबइंसपेक्टर सुहास पाटिल को पता चला कि शाहिद अली कुरैशी गांव आया तो था, लेकिन अगले ही दिन वह गुजरात होते हुए महाराष्ट्र की औद्योगिक नगरी तारापुर बोइसर के गणेशनगर में रहने वाले अपने बड़े भाई के यहां चला गया था. इस बात की जानकारी सबइंसपेक्टर सुहास पाटिल ने वहीं से सीनियर अधिकारियों को दे कर कुछ और स्टाफ की मांग की. क्योंकि वह वहां से सीधे तारापुर बोइसर के गणेशनगर जाना चाहते थे. उन्हें जरूरी पुलिस बल उपलब्ध करा दिया गया तो 26 जनवरी, 2015 को उन्होंने शाहिद को तारापुर बोइसर के गणेशनगर में रहने वाले उस के बड़े भाई के घर से गिरफ्तार कर लिया और मुंबई ला कर सीनियर अधिकारियों के सामने पेश कर दिया.

इस के बाद पूछताछ के लिए उसे नवी मुंबई के मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर के 7 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पहले तो शाहिद अली कुरैशी स्वयं को इस पूरे मामले से अनभिज्ञ और बेकुसूर बताता रहा, लेकिन जब पुलिस ने उसे सवालों से घेरा तो उस ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने नगमा बानो से प्यार से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी. 29 वर्षीय शाहिद अली कुरैशी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बस्ती का रहने वाला था. उस के पिता का नाम वाजिद अली कुरैशी था. उस के परिवार में मातापिता के अलावा एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन थी. बड़े भाई का विवाह हो गया तो वह पत्नी के साथ परिवार से अलग रहने लगा. कुछ दिनों बाद वह तारापुर बोइसर चला गया और वहां किसी कंपनी में नौकरी करने लगा.

शाहिद अली कुरैशी महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह घर की गरीबी से काफी दुखी था. पिता की गांव में थोड़ीबहुत जमीन थी, उसी पर खेती कर के किसी तरह गुजारा हो रहा था. थोड़ीबहुत आमदनी दूसरों के यहां मजदूरी से हो जाती थी. गरीबी की ही वजह से शाहिद पढ़लिख नहीं सका था. स्कूल न जाने की वजह से बचपन मटरगश्ती में बीता. थोड़ा समझदार हुआ तो पिता के साथ खेतों में काम करने लगा. शाहिद कामधाम करने लगा तो पिता ने बलरामपुर तहसील के रहने वाले अपने एक रिश्तेदार की बेटी से उस की शादी कर दी. साल भर में ही वह एक बेटी का बाप बन गया.

गांव में वह जितनी मेहनत करता था, उस हिसाब से उसे फायदा नहीं होता था. इसलिए वह भी बड़े भाई की तरह शहर जा कर कमाने के बारे में सोचने ही नहीं लगा, बल्कि घर वालों से इजाजत ले कर तारापुर बोइसर में रह रहे अपने बड़े भाई के पास चला गया. बड़े भाई के साथ रहते हुए उसे कोई मनमुताबिक काम नहीं मिला तो वह महानगर मुंबई आ गया. मुंबई के उपनगर कुर्ला में उस के गांव के कुछ लोग रहते थे, जो बढ़ईगिरी का काम करते थे. इस काम से उन की अच्छी कमाई हो रही थी. उन सब की आर्थिक स्थिति भी काफी ठीकठाक थी. शाहिद उन्हीं के साथ रह कर बढ़ईगिरी का काम सीखने लगा. अगर लगन हो तो कामयाबी मिलते देर नहीं लगती. कुछ ही दिनों में शाहिद बढ़ईगिरी के काम में माहिर हो गया तो फर्नीचर बनाने के छोटेबड़े ठेके लेने लगा. हाथ में पैसा आने लगा तो वह गांव से पत्नी और बेटी को ले आया.

उस ने कुर्ला के नेहरूनगर में किराए का मकान ले लिया था और उसी में परिवार के साथ रहने लगा था. आनेजाने के लिए उस ने एक मोटरसाइकिल भी ले ली थी. सन 2010 में उस ने चेंबूर के गोवड़ी के कमला रामण शिवाजीनगर के एक घर में फर्नीचर बनाने का ठेका लिया था. जिस घर में उस का काम चल रहा था, उस के ठीक सामने वाले मकान में रजिया बेगम अपनी 20 वर्षीया बेटी नगमा बानो के साथ रहती थीं. शाहिद अली कुरैशी उस की एक ही झलक में उस का दीवाना हो गया था. नगमा बानो जितनी स्वस्थ और खूबसूरत थी, उस से कहीं ज्यादा चंचल और आजादखयाल थी. वह जिस से भी एक बार बात कर लेती थी, वह उस का दीवाना हो जाता था.

ऐसा ही कुछ हाल शाहिद अली कुरैशी का भी हुआ था. शादीशुदा और एक बेटी का बाप होने के बावजूद वह अपने दिल पर काबू नहीं रख सका और नगमा बानो की ओर खिंचता चला गया. एक ही बिरादरी का होने की वजह से शाहिद ने नगमा की मां रजिया बेगम के दिल में अपने लिए जल्दी ही उचित स्थान बना लिया था. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा. रजिया बेगम उसे खूब मानती थीं. इस की एक वजह यह भी थी कि जरूरत पड़ने पर वह रजिया बेगम की आर्थिक मदद भी कर देता था. आनेजाने में वह नगमा को तरहतरह की चीजें भी ला कर दिया करता था.

20वें बसंत में कदम रख चुकी नगमा ने शाहिद के दिल की बात जल्दी ही भांप ली थी. शाहिद को अपनी ओर आकर्षित देख कर नगमा का भी झुकाव उस की ओर हो गया था. दोनों के दिलों में प्यार के अंकुर फूटे तो उन्हें मिलने में देर नहीं लगी. जल्दी ही वे घर के बाहर मिलनेजुलने और घूमनेफिरने लगे. कुछ दिनों बाद जब इस बात की जानकारी रजिया बेगम को हुई तो वह चिंतित हो उठीं. क्योंकि उन्हें पता था कि शाहिद शादीशुदा ही नहीं, एक बेटी का बाप भी है. इस के बावजूद भी उन की बेटी को गुमराह कर के उस ने अपने प्रेमजाल में फांस लिया था. मामला काफी नाजुक था. नगमा और शाहिद की प्रेम की नाव 2 सालों में इतनी दूर चली गई थी कि रजिया के लिए उसे वापस लाना आसान नहीं था.

फिर भी रजिया बेगम ने बेटी को शाहिद के प्रेमजाल से निकालने की कोशिश शुरू कर दी, लेकिन सफल नहीं हुईं. मजबूर हो कर उस का निकाह करने का निश्चय किया. इस के बाद अपने रिश्तेदारों की मदद से कसादा घाट में रहने वाले एक युवक से उस का निकाह कर दिया. 2 सालों तक चली नगमा और शाहिद की प्रेम कहानी का अंत इस तरह हुआ तो शाहिद को काफी दुख हुआ. लेकिन एक न एक दिन यह होना ही था. पत्नी और बेटी के होते हुए भी वह नगमा के साथ धोखा कर रहा था. इसलिए नगमा को भूल कर अपनी पत्नी और बेटी में रम गया. शाहिद घरपरिवार वाला आदमी था, इसलिए उसे ज्यादा परेशानी नहीं हुई.

लेकिन नगमा स्वयं को पति के साथ व्यवस्थित नहीं कर पाई. उस के और उस के पति के बीच उस का पुराना प्रेमसंबंध आड़े आ गया. उसी की वजह से नगमा और उस के पति के बीच कलह रहने गई. धीरेधीरे यह कलह इस कदर बढ़ी कि निकाह के 5 महीने बाद ही नगमा पति से तलाक ले कर अपनी मां रजिया बेगम के पास आ गई. इस बात की जानकारी शाहिद को हुई तो वह फिर से नगमा से मिलनेजुलने लगा. दोनों को मिलतेजुलते काफी दिन हो गए तो नगमा शाहिद पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. शाहिद शादीशुदा और एक बेटी का बाप था, इसलिए उस के लिए दूसरी शादी करना आसान नहीं था. लेकिन उस ने नगमा का मन रखने के लिए कोर्ट में जा कर 100 रुपए के स्टांप पेपर पर नोटरी के सामने निकाह कर लिया.

निकाह करने के बाद कुछ दिनों तक तो सब ठीकठाक चला, लेकिन बाद में शाहिद और नगमा के बीच भी कलह होने लगी. इस की वजह यह थी कि किसी ने नगमा को बताया था कि शाहिद से उस का निकाह एक कौंट्रैक्ट मैरिज है. शाहिद ने एक तरह से उसे धोखा दिया है. पहले तो उसे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब यही बात उस की मां रजिया बेगम ने बताई तो उसे विश्वास हो गया. जबकि यही बात पहले मां ने कही थी, तब शाहिद के प्यार में अंधी नगमा की समझ में नहीं आई थी.

अपने निकाह की सच्चाई जान कर नगमा शाहिद की उपेक्षा करने लगी. उस का जब मन होता, वह घर से निकल जाती. शाहिद उस से मिलने आता तो वह घर में न मिलती. उस से मिलने के लिए शाहिद को घंटों इंतजार करना पड़ता. वह कहां जाती है, क्या करती है? इस बारे में शाहिद पूछता तो वह ठीक से जवाब भी न देती. कभीकभी शाहिद को उस से मिले बिना ही वापस जाना पड़ता. नगमा के इस बदले व्यवहार से शाहिद काफी तनाव में रहने लगा. उसे नगमा के चरित्र पर भी संदेह होने लगा. अब उसे लगने लगा कि नगमा उसे धोखा दे रही है. उस की जिंदगी में उस की जगह किसी और ने ले ली है. यह बात दिमाग में आते ही उसे नगमा से नफरत होने लगी. संदेह का जहर शाहिद के दिमाग में कुछ इस तरह बढ़ा कि वह नगमा को उस के किए का मजा चखाने के लिए वह एक खतरनाक फैसला ले बैठा.

यह फैसला लेने के बाद उस ने तेज धार वाला एक चाकू और एक बिसलेरी की बोतल में पैट्रोल भर कर मोटरसाइकिल की डिक्की में रख लिया. इस तरह तैयारी कर के वह मौके की तलाश में लग गया. 3 जनवरी, 2015 को नगमा उसे वाशी प्लाजा फ्लाईओवर ब्रिज के नीचे मिल गई. उस ने नगमा को प्यार से अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और नेरुल पाम बीच रोड सारसोले गांव के करीब ले गया. मोटरसाइकिल उस ने सड़क पर खड़ी कर दी और नगमा को साथ ले कर पैदल ही जंगल के बीच बने भगवान वामनदेव मंदिर की तरफ जाने वाली पगडंडी पर चल पड़ा.

जंगल के अंदर आ कर वह नगमा से उस की बेरुखी और घर से गायब रहने के बारे में पूछने लगा. नगमा ने उस के सवालों के जवाब सीधे नहीं दिए तो दोनों में झगड़ा होने लगा. झगड़े के दौरान शाहिद ने जोर से धक्का दे कर नगमा को गिरा दिया और चाकू निकाल कर जमीन पर गिरी नगमा का गला काट दिया. नगमा छटपटा कर मर गई तो उस ने साथ लाया पैट्रोल उस के चेहरे पर डाला और माचिस से आग लगा दी. इस के बाद वह अपने घर चला गया. घर आ कर उस ने नगमा के घर से गायब होने की बात उस की मां रजिया बेगम को बता कर उस के साथ उस के नातेरिश्तेदारों के यहां नगमा को ढूंढने का नाटक करता रहा. जब कई दिनों तक नगमा का कुछ पता नहीं चला तो स्वयं को बचाने के लिए थाने गया और उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

इस के बाद उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ स्थित अपनी ससुराल चला गया, जिस से पुलिस उस तक पहुंच न पाए. लेकिन वह जगह उसे सुरक्षित नहीं लगी, इसलिए वह वहां से भाग कर तारापुर बोइसर में रहने वाले अपने बड़े भाई के पास गणेशनगर चला गया. लेकिन पुलिस उस की तलाश करती हुई वहां भी पहुंच गई और उसे गिरफ्तार कर लिया. शाहिद अली पुत्र वाजिद अली कुरैशी के बयान के आधार पर असिस्टेंट इंसपेक्टर माधव सूर्यवंशी ने नगमा की हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 02/2015 पर भादंवि की धारा 302, 201 के तहत दर्ज कर एक बार फिर उसे नवी मुंबई के मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में तलौआ जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक शाहिद अली कुरैशी जेल में था. मामले का आरोप पत्र सबइंसपेक्टर सुहास पाटिल अपने सीनियर अधिकारी माधव सूर्यवंशी की देखरेख में तैयार कर रहे थे. Love Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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