Love Story in Hindi: संगीता जब घर में बता कर गई थी कि वह स्कूल जा रही है तो उस का फोन आने के बाद उस के घर वाले स्कूल में खोजने के बजाय इधरउधर क्यों खोजते रहे? इस में स्कूल मैनेजर और उस का चचेरा भाई तो दोषी है ही, घर वालों की लापरवाही भी है.

संगीता को तैयार होते देख शांति ने पूछा, ‘‘बेटी, कहीं जा रही हो क्या?’’

‘‘हां मां, स्कूल से फोन आया है, शायद कोई जरूरी काम है, इसलिए डेढ़, 2 घंटे के लिए बुलाया है. मैं काम निपटा कर जल्दी ही लौट आऊंगी.’’ तैयार होते हुए संगीता ने कहा. शायद शांति उस के जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं, इसलिए उन्होंने आगे कहा, ‘‘आज तो होलिका दहन है, सभी स्कूलकालेज बंद हैं, फिर तुम्हारा स्कूल कैसे खुला है? जबकि तुम ने महीनों पहले वहां से नौकरी छोड़ दी है. ऐसे में स्कूल वालों को तुम्हें बुलाने की क्या जरूरत है?’’

‘‘मां, मुझे भी पता है कि आज छुट्टी है, लेकिन किस लिए बुलाया है? यह तो स्कूल जाने के बाद ही पता चलेगा न. परेशान होने की कोई बात नहीं है. मैं वहां पहुंच कर फोन कर दूंगी.’’ संगीता ने कहा. उस समय सुबह के साढ़े 9 बज रहे थे. तैयार हो कर संगीता ने नाश्ता किया और गुलौरी गांव स्थित ‘न्यू लिटिल फ्लावर चिल्डै्रन कान्वैंट स्कूल’ के लिए निकल पड़ी. 21 वर्षीया संगीता के पिता परमात्मानंद यादव मूलरूप से बलिया जिला के थाना बैरिया के चांदपुर गांव के रहने वाले थे. उन्हें 1982 में जिला मऊ के रतनपुरा (पहसा) स्थित नेहरू इंटर कालेज में अध्यापक की नौकरी मिली तो वह बलिया से मऊ आ गए. वह हाईस्कूल में गणित और विज्ञान पढ़ाते थे. अध्यापक की नौकरी मिलने के कुछ दिनों बाद ही वह अपनी पत्नी शांति को ले आए और रतनपुरा के बिंदु निवास में किराए का मकान ले कर रहने लगे थे.

यहीं रहते हुए उन के 6 बच्चे हुए, जिन में 30 वर्षीया सविता, 25 वर्षीया ममता, 21 वर्षीया संगीता, 18 वर्षीय धीरज कुमार, 16 वर्षीय राजीव रंजन और सब से छोटी ज्योति है, जो 8वीं में पढ़ रही है. वह 4 बेटियों में से 2 बेटियों सविता और ममता की शादी कर चुके हैं. तीसरी बेटी संगीता के लिए वह घरवर की तलाश कर रहे थे. वह अपने मकसद में कामयाब होते, उस के पहले ही एक अनहोनी हो गई. बीएससी करने के बाद संगीता अपने घर वालों के एक शुभचिंतक के कहने पर गुलौरी गांव स्थित न्यू लिटिल फ्लावर चिल्ड्रैन कान्वैंट स्कूल में पढ़ाने लगी थी. संगीता ने उस कान्वैंट स्कूल में लगभग साल भर पढ़ाया होगा कि न जाने क्यों इस साल फरवरी, 2015 से स्कूल में पढ़ाना बंद कर दिया.

संगीता ने यह नौकरी क्यों छोड़ दी, किसी को इस की वजह नहीं बताई. सिर्फ यही कहा कि स्कूल में उस से जितना काम लिया जाता है, उस के हिसाब से उसे वेतन नहीं दिया जाता. इसलिए वह वहां पढ़ाने के बजाय कोई दूसरी नौकरी ढूंढे़गी. नौकरी छोड़ने के बाद संगीता अपना ज्यादातर समय घर पर ही बिताती थी. इस बीच वह घरगृहस्थी के कामों में मां का हाथ बंटाती थी, साथ ही अपने लिए किसी अच्छी नौकरी की तलाश भी कर रही थी. लेकिन ‘न्यू लिटिल फ्लावर चिल्ड्रैन कान्वैंट स्कूल’ की नौकरी छोड़ने के बाद 5 मार्च, 2015 गुरुवार को उस विद्यालय में काम करने वाली किसी महिला ने संगीता को फोन कर के कहा कि स्कूल को मैनेजर ने उसे किसी जरूरी काम से स्कूल बुलाया है तो उसी के बुलाने पर वह तैयार हो कर पौने 10 बजे के आसपास स्कूल जाने के लिए निकली थी.

संगीता को स्कूल गए एक घंटा हुआ होगा कि उस ने मां के मोबाइल पर फोन किया. संगीता उस समय बेहद डरी और घबराई लग रही थी. उस ने मां से कहा था कि कुछ लोगों ने उसे जबरदस्ती एक कमरे में बंद कर दिया है, उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा है. संगीता आगे कुछ और कहती, फोन कट गया. संगीता की बातों से शांति को लगा, वह किसी मुसीबत में फंस गई है. वह घबरा गईं कि क्या करें. क्योंकि उस समय घर में कोई मर्द नहीं था. होली का त्योहार होने की वजह से उन की बड़ी बेटी सविता मायके में ही थी. उसे जैसे ही मां से संगीता के बारे में पता चला, उस ने तुरंत संगीता के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन अब उस का फोन बंद हो चुका था. वह बेचैन हो उठी.

उस ने कई बार संगीता को फोन किया, लेकिन हर बार फोन बंद मिला. चिंता की बात यह थी कि उस समय घर में न तो पिता परमात्मानंद थे और न ही छोटा भाई धीरज. होली की छुट्टी होने की वजह से वह बेटे धीरज के साथ संगीता के लिए लड़का देखने अपने गांव गए हुए थे. काफी कोशिश के बाद भी जब संगीता से बात नहीं हो पाई तो सविता और शांति परेशान हो उठीं. जब उन्हें कोई राह नहीं सूझी तो उस ने पिता को फोन कर के उन्हें सारी बात बता दी. परमात्मानंद यादव ने भी संगीता के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन फोन बंद होने की वजह से बात नहीं हो पाई. वह वापस आने के बारे में सोच रहे थे कि गुलौरी गांव के रहने वाले रामभवन यादव का फोन आया. रामभवन यादव ‘न्यू लिटिल फ्लावर चिल्ड्रैन कान्वैंट स्कूल’ के संचालक-प्रबंधक जितेंद्र कुमार यादव का चचेरा भाई था.

रामभवन ने परमात्मानंद से कहा कि उसे सविता से संगीता के गायब होने के बारे में पता चला है. उस ने उन्हें फोन इसलिए किया है कि उसे पता चला है कि संगीता बलिया के रसड़ा में कहीं देखी गई है. वह रसड़ा पहुंच रहा है. वह उसे रसड़ा में प्यारेलाल चौराहे पर मिलें, उस के बाद दोनों मिल कर संगीता को खोजेंगे. परमात्मानंद की रामभवन से काफी पुरानी जानपहचान थी, दोनों का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था. परमात्मानंद के बच्चे रामभवन को चाचा कहते थे. रामभवन से बात होने के बाद परमात्मानंद रसड़ा के प्यारेलाल चौराहे पर पहुंचे तो वहां रामभवन अपने एक साथी के साथ उन्हें खड़ा इंतजार करता मिल गया.

रसड़ा आते समय परमात्मानंद ने अपने चचेरे भाई शारदानंद को भी साथ ले लिया था. प्यारेलाल चौराहे पर सभी लोग मिले तो संगीता की खोज शुरू हुई. सभी घंटों संगीता की यहांवहां खोजबीन करते रहे, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. जब सूर्यास्त हो गया तो रामभवन ने परमात्मानंद से कहा कि अब उन्हें घर चलना चाहिए. वहीं से संगीता के बारे में पता किया जाएगा. रसड़ा से रतनपुरा आतेआते रात हो गई. संगीता के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चला था. उस का मोबाइल अभी भी बंद था. परमात्मानंद के घर आते ही सविता ने पिता से कहा कि अभी तक संगीता का पता नहीं चला है, इसलिए पुलिस में उस की गुमशुदगी दर्ज करा देनी चाहिए. तब परमात्मानंद के साथ आए रामभवन ने कहा कि ज्यादा जल्दबाजी ठीक नहीं है.

लड़की का मामला है, कुछ उलटासीधा हो गया तो जिंदगी भर का दाग लग जाएगा. इसलिए हमें समझदारी से काम लेना चाहिए. उस के बारे में एक बार और पता कर लेते हैं. अगर कुछ पता नहीं चलता तो अगले दिन पुलिस को सूचना दे दी जाएगी. रामभवन के समझाने पर परमात्मानंद ने संगीता की गुमशुदगी की सूचना पुलिस को नहीं दी. जबकि सविता उन्हें बारबार रतनपुरा पुलिस चौकी जा कर संगीता की गुमशुदगी की सूचना देने को कहती रही. लेकिन परमात्मानंद रामभवन के कहने में आ गए थे, जबकि पुलिस चौकी उन के घर से महज ढाई, 3 सौ मीटर की दूरी पर थी. रामभवन ने एक बार फिर परमात्मानंद और 2-4 अन्य लोगों को साथ ले कर इधरउधर संगीता की खोजखबर और पूछताछ की, लेकिन इस का भी कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला.

अगले दिन रामभवन सुबहसुबह परमात्मानंद के घर पहुंचा. सामने सविता पड़ गई तो उस से पूछा, ‘‘तुम्हारे पिताजी कहां हैं? संगीता के बारे में पता चल गया है.’’

‘‘कहां है संगीता?’’ सविता ने पूछा तो रामभवन ने कहा, ‘‘यह मैं तुम्हारे पिता को ही बताऊंगा.’’

रामभवन की आवाज सुन कर परमात्मानंद भी बाहर आ गए. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ रामभवन? संगीता का कुछ पता चला क्या?’’

‘‘जी, संगीता ने स्कूल के कमरे में पंखे से लटक कर फांसी लगा ली है.’’

रामभवन के मुंह से यह बात सुन कर परमात्मानंद सन्न रह गए. उन्हें सहसा विश्वास ही नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘तुम सच कह रहे हो या होली होने की वजह से कहीं मजाक तो नहीं कर रहे?’’

‘‘मजाक नही कर रहा, मैं ने खुद उसे पंखे से लटकी हुई देखा है.’’ रामभवन ने गंभीर हो कर कहा.

इस के बाद परमात्मानंद ने तुरंत 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को बताया कि गुलौरी गांव स्थित न्यू लिटिल फ्लावर चिल्ड्रैन कान्वैंट स्कूल के एक कमरे में उन की बेटी संगीता की लाश पंखे से लटकी हुई है. कंट्रोल रूम को सूचना देने के बाद वह अपने चचेरे भाई शारदानंद, मकान मालिक के बेटे और कुछ अन्य पड़ोसियों को साथ ले कर न्यू लिटिल फ्लावर चिल्ड्रैन कान्वैंट स्कूल पहुंचे तो वहां स्कूल के किसी कमरे में संगीता पंखे से लटकी हुई नहीं मिली. परमात्मानंद और उन के साथ आए लोग संगीता की पंखे से लटकी लाश ढूंढ ही रहे थे कि थानाप्रभारी आत्मा यादव, रतनपुरा चौकीप्रभारी पारसनाथ सिंह, एसआई उमाशंकर पांडेय पुलिस बल के साथ स्कूल पहुंच गए.

उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम से इस बात की सूचना मिल गई थी. आत्मा यादव ने जब परमात्मानंद से संगीता की पंखे से लटकी लाश के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल के कमरे में उस के पंखे से लटके होने की सूचना मिली थी, लेकिन यहां तो ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. रामभवन ने जिस कमरे में लाश लटकी देखी थी, उस कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया गया तो कमरे की पश्चिमी दीवार से सटा कर एक के ऊपर एक कई बेंचें रखी थीं. थानाप्रभारी को शंका हुई तो उन्होंने सिपाहियों से बेंचों को हटवाया. तब उन्हें जमीन पर संगीता चित्त पड़ी दिखाई दे गई. निरीक्षण में पता चला कि वह मर चुकी है. संगीता जहां मिली थी, वहां की फर्श कच्ची थी. देखने से ही लग रहा था कि साक्ष्य को मिटाने के लिए वहां काफी पानी गिराया गया था. वहीं उस का मोबाइल फोन भी पड़ा था.

थानाप्रभारी ने मोबाइल उठा कर चेक किया तो उस में सिम नहीं था. संगीता की चप्पलें उस से कुछ दूरी पर पड़ी थीं. थानाप्रभारी ने सगीता की लाश का निरीक्षण किया तो उस के बदन पर कई जगहों पर चोट के निशान तथा बाएं पैर की अनामिका अंगुली के जोड़ के पास इंजेक्शन लगाए जाने जैसे 2 छेद नजर आए. थानाप्रभारी आत्मा यादव ने लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पूछताछ शुरू की तो पता चला कि मृतका संगीता इसी स्कूल में लगभग एक साल तक अध्यापिका रही थी. लेकिन पिछले एक महीने से उस ने स्कूल आना बंद कर दिया था. क्येंकि उस ने नौकरी छोड़ दी थी. कल स्कूल के मैनेजर जितेंद्र कुमार यादव के बुलाने पर वह यहां आई थी. उस के बाद क्या हुआ, पता नहीं. आज सुबह रामभवन ने आत्महत्या की सूचना दी थी.

आत्मा यादव ने तत्काल एक प्राइवेट वाहन मंगवाया और लाश के साथ परमात्मानंद यादव तथा उन के 2-3 रिश्तेदारों को ले कर थाने आ गए. यहां लाश का पंचनामा तैयार किया गया और उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. उस दिन होली का त्योहार था, लेकिन संगीता की मौत हो जाने की वजह से रतनपुरा में होली नहीं मनाई गई. लोगों के मुंह पर सिर्फ एक ही बात थी कि संगीता की मौत कैसे हुई? उसी दिन लाश का पोस्टमार्टम हो गया. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर ने संगीता की मृत्यु की वजह पता करने के लिए विसरा तथा दुष्कर्म की पुष्टि के लिए शरीर के कई अंगों को जांच के लिए सुरक्षित रख लिया था. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस निगरानी में लाश को संगीता के घर वालों को सौंप दिया गया.

घर वालों ने उसी दिन शाम को तमसा नदी के किनारे ढंचा स्थित गोदाम घाट पर उस का अंतिम संस्कार कर दिया. उसी दिन परमात्मानंद ने रिपोर्ट दर्ज करने के लिए थाना हलधरपुर के थानाप्रभारी को एक तहरीर दी. लेकिन थानाप्रभारी ने तत्काल रिपोर्ट दर्ज नहीं की. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की जाएगी. दरअसल पुलिस अपनी शुरुआती जांच में संगीता की मौत को आत्महत्या मान रही थी. अगले दिन 7 मार्च, शनिवार को पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतका की मौत दम घुटने से हुई थी. उस के गुप्तांग पर भी चोट के निशान पाए गए थे. इसलिए पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर जफर अंसारी ने मृतका के वैजाइनल स्वाब (सीमेन) की स्लाइड बना कर जांच के लिए सुरक्षित रख लिया था, जिसे बाद में लखनऊ स्थित प्रयोगशाला भेज दिया गया.

अब रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि संगीता के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था या किसी एक ने उस के साथ दुष्कर्म किया था. बहरहाल परमात्मानंद ने पुलिस को जो तहरीर दी थी, उस में किसी को नामजद नहीं किया गया था. लेकिन थाना हलधर के थानाप्रभारी ने अब तक की, की कई जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर संगीता की मौत के लिए स्कूल के प्रबंधक व संचालक जितेंद्र यादव और उस के चचेरे भाई रामभवन यादव को जिम्मेदार मानते हुए, दोनों के खिलाफ भादंवि की धारा 306 व 201 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

इस के बाद एसपी अनिल कुमार सिंह के आदेश पर 7 मार्च, 2015 को एएसपी सुनील कुमार सिंह ने रात 9 बजे के आसपास परमात्मानंद यादव के घर जा कर घर के सभी लोगों से पूछताछ की. अगले दिन 8 मार्च को एसपी अनिल कुमार सिंह और जिलाधिकारी चंद्रकांत पांडेय ने भी गुलौरी जा कर स्कूल के उस कमरे का निरीक्षण किया, जिस में संगीता की लाश मिली थी. उस के बाद दोनों अधिकारी मृतका के घर गए और पूरे परिवार से एकांत में अलगअलग बात की. वहां से लौट कर दोनों अधिकारियों ने रतनपुरा पुलिस चौकी में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि पुलिस की अब तक की जांच से प्रथम दृष्टया संगीता की मौत आत्महत्या है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि उस के साथ कुछ गलत हुआ है. इसलिए पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच कर रही है. आगे जांच में जैसा पता चलेगा, उस के अनुसार काररवाई की जाएगी. इस मामले के दोषियों को सजा जरूर मिलेगी.

9 मार्च, 2015 को जिलाधिकारी चंद्रकांत पांडेय और एसपी अनिल कुमार सिंह ने जिलाधिकारी औफिस में संयुक्त रूप से पत्रकारवार्ता के दौरान कहा कि मृतका संगीता का स्कूल के प्रबंधक जितेंद्र यादव से प्रेमसंबंध था. दोनों के शारीरिक संबंध भी थे. जबकि जितेंद्र शादीशुदा ही नहीं, 2 बच्चों का बाप था. जितेंद्र और संगीता की देर रात मोबाइल फोन पर बातें होती थीं. वह उसे एसएमएस भी करता था. दोनों के प्रेमसंबंधों की जानकारी जितेंद्र की पत्नी को हुई तो वह नाराज हो कर मायके चली गई, जिस की वजह से जितेंद्र काफी परेशान रहने लगा. अपना घर बचाने के लिए वह संगीता से पिंड छुड़ाना चाहता था और संगीता से दूरी बना ली थी.

जबकि संगीता उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी और उस पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी. घटना वाले दिन संगीता को पता चला कि वह स्कूल पर है तो वह उस से बात करने स्कूल पहुंची, लेकिन जितेंद्र वहां नहीं मिला. इस के बाद पुलिस यह बताने में असमर्थ रही कि संगीता के वहां पहुंचने के बाद क्या हुआ था?पुलिस के बताए अनुसार, स्कूल के प्रबंधक जितेंद्र के पिता विक्रमा यादव स्कूल में ही सोते थे. शुक्रवार 6 मार्च, 2015 को वह सुबह उठे तो कक्ष संख्या 5 में उन्हें संगीता पंखे से लटकी हुई दिखाई दी. उन्होंने तुरंत इस की सूचना बेटे जितेंद्र को दी. उसे जैसे ही संगीता के फांसी पर लटके होने की सूचना मिली, उस ने अपने चचेरे भाई रामभवन को इस की सूचना दे कर स्कूल पहुंचने को कहा.

दोनों ने इस बात की सूचना पुलिस को देने के बजाय खुद शव को उतारा और कमरे के एक कोने में रख कर उसे छिपाने के लिए उस के ऊपर ढेर सारी बेंचें रख दीं. पुलिस के अनुसार, सब से पहले संगीता को फंदे से लटके जितेंद्र के पिता विक्रमा यादव ने देखा था. उन्होंने पुलिस को सूचना नहीं दी, इसलिए उन के खिलाफ भी भादंवि की धारा 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस की अब तक की जांच के अनुसार, स्कूल प्रबंधक जितेंद्र यादव को भादंवि की धारा 306, 201 व 376 का दोषी पाया गया है और उसे इन्हीं धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया है. जबकि धारा 306, 201 का आरोपी रामभवन फरार है. पुलिस उस की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह छापे मार रही थी.

पत्रकारवार्ता के दौरान पत्रकारों ने जितेंद्र से पूछा कि कहीं उसी ने तो संगीता को फांसी पर नहीं लटकाया था, तब उस ने कहा कि घटना वाले दिन वह गांव में था ही नहीं, संगीता के पंखे से लटकने की सूचना उसे पिता से मिली तो वह अपने चचेरे भाई रामभवन के साथ स्कूल पहुंचा और संगीता को लटकी देख कर रामभवन को उस के पिता को बुलाने भेज कर उस ने लाश को नीचे उतारा और बेंच के पीछे छिपा दिया. उस ने स्वीकार किया उस ने जानबूझ कर पुलिस को सूचना नहीं दी थी. जितेंद्र ने संगीता से अपने प्रेम और शारीरिक संबंधों की बात स्वीकार करते हुए यह भी बताया कि जब उसे गर्भ ठहर गया था तो उस ने गर्भपात की दवा दे कर उस का गर्भपात भी कराया था. जब उस से संगीता के मोबाइल के सिम के बारे में पूछा गया तो उस ने कहा कि उसे सिम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

10 मार्च, 2015 को पुलिस ने जितेंद्र यादव और उस के पिता विक्रमा यादव को न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. संगीता की रहस्यमय मौत की गूंज 11 मार्च, 2015 को प्रदेश विधान परिषद में गूंजी. विधान परिषद सदस्य चेत नारायण सिंह ने काम रोक कर इस बारे में चर्चा कराने की मांग की. सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने थानाप्रभारी के खिलाफ काररवाई करने के साथ अभियुक्तों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की मांग की. जवाब में सदन के नेता अहमद हसन ने कहा कि सरकार इस प्रकरण की जांच पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) स्तर के अधिकारी को सौंपेगी. सभापति गणेशशंकर पांडेय ने कार्य स्थगन को अस्वीकार कर सरकार को जांच रिपोर्ट से सदन को अवगत कराने का निर्देश दिया.

एक अन्य सदस्य राज बहादुर सिंह चंदेल ने सदन को बताया कि 5 मार्च को मऊ के गुलौरी स्थित न्यू फ्लावर चिल्ड्रैन कान्वैंट स्कूल के प्रबंधक ने स्कूल की एक अध्यापिका को सुबह फोन कर के स्कूल बुलाया और साथियों के साथ उस से दुष्कर्म के बाद उस की हत्या कर दी. मृतका के पिता 6 मार्च को इस मामले की रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचे तो वहां उन की रिपोर्ट 3 बार बदलवाई गई. अंत में थानाप्रभारी ने जैसा चाहा, उसी हिसाब से रिपोर्ट लिखाई गई. पुलिस फरार अभियुक्त रामभवन की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापे मार रही थी, लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं सकी.

तब थानाप्रभारी आत्मा यादव ने सीजेएम मऊ की अदालत से रामभवन के खिलाफ कुर्कीजब्ती का आदेश हासिल कर सोमवार 16 मार्च को उस के घर पर नोटिस चस्पा करा दी. इस से डर कर रामभवन ने अगले दिन 17 मार्च, मंगलवार को थाना हलधरपुर में आत्मसमर्पण कर दिया. जबकि पुलिस का कहना है कि उस ने रामभवन को गिरफ्तार किया है. अपनी गिरफ्तारी से पहले रामभवन ने मीडिया, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों के नाम एक पत्र लिखा है, जिस में उस ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हुए कहा है कि वह इस पूरे मामले में निर्दोष है और चाहता है कि जो भी दोषी हो, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले.

उस ने लिखा है न उस के मांबाप हैं, न कोई बहन है. वह संगीता को बहन मानता था. जिस बहन को उस ने दिन भर खोजा, सुबह उसी की लाश को पंखे से लटकती देखा तो उसे उतरवा कर उस के पिता को सूचना दी. शायद इसी की उसे इतनी बड़ी सजा मिली है. Love Story in Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों एवं घर वालों से मिली जानकारी पर आधारित

 

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