बात 4 नवंबर, 2018 की है. उत्तर प्रदेश के जिला मीरजापुर के गांव कनकसराय के लोग सुबह के समय अपने खेतों की तरफ जा रहे थे, तभी उन्होंने ईंट भट्ठे के पास वाले खेत में एक युवक की लाश पड़ी देखी. उस का सिर फटा हुआ था. कुछ ही देर में लाश मिलने की खबर आसपास के गांवों में फैल गई. किसी ने फोन द्वारा इस की सूचना थाना कछवां को दे दी.

सूचना पा कर एसओ वियजप्रताप सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मौके का निरीक्षण करने पर उन्हें लगा कि युवक की हत्या कहीं और कर के लाश यहां फेंकी गई है. उस का सिर फटा हुआ था. चेहरे पर भी खून लगा हुआ था. वह सलेटी रंग की पैंट, काली टी शर्ट और उस के ऊपर सफेद रंग की शर्ट पहने था. उस के गले में सफेद रंग का गमछा भी था.

उन्होंने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करने को कहा तो कोई भी मृतक को नहीं पहचान सका. विजय प्रताप सिंह ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को हत्या की सूचना दे कर मौके की जरूरी काररवाई पूरी की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस से पहले उन्होंने अपने मोबाइल से लाश के फोटो खींच लिए थे.

यह काररवाई करतेकरते दोपहर हो चुकी थी. एसओ विजय प्रताप सिंह थाने पहुंच गए थे. सीओ (सदर) बी.के. त्रिपाठी भी थाने आ गए थे. लाश की शिनाख्त को ले कर दोनों पुलिस अधिकारी आपस में चर्चा कर ही रहे थे कि तभी थाना क्षेत्र के गांव मझवां के रहने वाले हाकिम अंसारी वहां पहुंच गए. उन्होंने बताया कि उन का बेटा सद्दाम अंसारी कल शाम से लापता है.

हाकिम अंसारी अपने बेटे का जो हुलिया बता रहे थे. वह हुलिया खेत से बरामद हुई अज्ञात लाश से मिल रहा था. एसओ ने अपने मोबाइल से खींचे गए बरामद लाश के फोटो हाकिम अंसारी को दिखाए. फोटो देख कर हाकिम अंसारी रोने लगे. वह उन का बेटा सद्दाम ही था.

लाश की शिनाख्त होने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने राहत की सांस ली. एसओ विजय प्रताप सिंह ने हाकिम अंसारी को सांत्वना देते हुए कहा कि आप चिंता न करें, हत्यारे को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

इस के बाद एसओ ने हाकिम अंसारी को मोर्चरी ले जा कर लाश दिखाई तो उन्होंने अपने बेटे सद्दाम अंसारी के रूप में उस की पुष्टि कर दी.

पुलिस ने हाकिम अंसारी की तरफ से अज्ञात के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मुकदमा दर्ज कर लिया. मीरजापुर की एसपी शालिनी ने इस केस को खोलने के लिए सीओ (सदर) बी.के. त्रिपाठी के निर्देशन में एक टीम गठित की.

टीम में एसओ विजय प्रताप सिंह, एसआई श्यामजी यादव, धनंजय पांडेय, कांस्टेबल शशिकांत, अभिषेक सिंह आदि को शामिल किया गया. पुलिस टीम जांच में जुट गई. शक के आधार पर पुलिस ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया.

उन से पूछताछ की गई लेकिन सद्दाम की हत्या से संबंधित कोई सुराग न मिलने पर उन्हें इस हिदायत के साथ घर भेज दिया कि पुलिस को सूचना दिए बगैर कहीं न जाएं.

2 दिन बाद 6 नवंबर को एक मुखबिर ने एसओ विजय प्रताप सिंह को हत्यारों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी. एसओ तुरंत ही टीम के साथ मुखबिर द्वारा बताई गई जगह भैंसा रेलवे स्टेशन के पास पहुंच गए.

उस समय सुबह के सवा 7 बज रहे थे. स्टेशन के मुख्य गेट के पास ही उन्होंने कुछ दूर खड़े मुखबिर के इशारे पर गेट के पास से 2 व्यक्तियों को दबोच लिया, जो बैग ले कर कहीं जाने की तैयारी में थे.

पुलिस उन्हें ले कर थाने लौट आई. उन के नाम अवधेश चौरसिया व शिवकुमार चौरसिया थे. दोनों रामपुर पडेरी, मीरजापुर के रहने वाले थे. पूछताछ में दोनों खुद को बेकसूर बताते रहे. लेकिन जब पुलिस ने उन से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

पूछताछ में उन्होंने बताया कि सद्दाम उन के घर की दहलीज को कलंकित करने के साथ उन की इज्जत को तारतार करने पर तुला हुआ था. इसलिए उसे मारने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था. उन्होंने उस की हत्या की जो कहानी बताई इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद का कछवां थाना क्षेत्र वाराणसी और भदोही (संत रविदास नगर) से लगा होने के साथ गंगा नदी से सटा हुआ है. कछवां थाना क्षेत्र में ही एक गांव है रामपुर पडेरी. इसी गांव के रहने वाले अवधेश चौरसिया का गांव में अच्छाभला मकान होने के साथ भरापूरा परिवार भी है. परिवार में पत्नी के अलावा 2 बच्चे भी हैं, जिन में बड़ी बेटी मानसी (काल्पनिक) क्षेत्र के ही एक कालेज में बीकौम तृतीय वर्ष की छात्रा थी.

कह सकते हैं कि उन का हंसताखेलता परिवार था. खेती की जमीन के अलावा उन का अपना कारोबार भी था, जिस से होने वाली आय से उन का घरपरिवार चल रहा था. अवधेश गांव में सभी लोग से मिलजुल कर रहते थे.

अचानक एक दिन उन के हंसतेखेलते परिवार में ग्रहण लग गया. 3 नवंबर की रात परिवार के सब लोग खापी कर सो गए थे. देर रात अवधेश चौरसिया बाथरूम जाने के लिए उठे. उन के कमरे के बगल में उन की 20 वर्षीय बेटी मानसी का कमरा था.

अवधेश को बेटी के कमरे से किसी आदमी की आवाज आती सुनाई दी. पहले तो उन्होंने इसे अपना भ्रम समझा लेकिन बेटी बड़ी थी और देर रात तक जाग कर पढ़ाई करती थी इसलिए न चाहते हुए भी उन्होंने अपने कमरे में जा कर सोना ठीक समझा.

अभी कुछ देर ही हुई थी कि फिर वही आहट और आवाज सुनाई दी. इस से उन के कान खड़े हो गए. वह अपने कमरे से दबे पांव निकले और बेटी के कमरे के दरवाजे की ओट ले कर कुछ सुनने की कोशिश करने लगे. कुछ देर वहां खड़े रहने के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि बेटी के कमरे में कोई मर्द है. बस फिर क्या था, उन का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया.

उन्होंने बेटी के कमरे का दरवाजा थपथपाया तो अंदर से आहट आनी बंद हो गई. अंदर जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उन्होंने बेटी को आवाज लगा कर दरवाजा खोलने को कहा.

जैसे ही बेटी के कमरे का दरवाजा खुला वह कमरे में घुस गए. तभी कमरे से निकल कर एक युवक भागने लगा. अवधेश चौरसिया ने उस युवक को दबोच लिया.

बेटी को कमरे से बाहर कर के उन्होंने उस युवक से पूछताछ करनी चाही तो वह उलटे उन पर आक्रामक हो कर टूट पड़ा. यह देख अवधेश ने अपने छोटे भाई शिवकुमार को भी आवाज दे कर बुला लिया.

दोनों भाइयों ने उस युवक से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम सद्दाम अंसारी बताया. इस के बाद दोनों भाइयों ने सद्दाम की पिटाई शुरू कर दी. एक भाई ने कमरे में रखी ईंट उठा कर उस के सिर पर मारनी शुरू कर दी. जिस से सद्दाम का सिर फट गया और वह लहूलुहान हो कर नीचे गिर गया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

फिर दोनों भाइयों ने मिल कर युवक की लाश ठिकाने लगाने की सोची. वह घर में खड़ी अपनी मोपेड पर उसे बीच में बैठा कर घर से चल निकले और उस की लाश कनकसराय ईंट भट्ठे के पास फेंक कर वापस लौट आए.

बाद में जब उन्हें पता चला कि पुलिस उन्हें तलाश रही है तो पकड़े जाने के डर से दोनों भागने की फिराक में लग गए. लेकिन वे भाग पाते इस से पहले ही पुलिस ने उन्हें स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अवधेश और शिवकुमार की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त ईंट, मृतक का मोबाइल फोन व लाश छिपाने के लिए इस्तेमाल की गई मोपेड बरामद कर ली.

मारा गया युवक सद्दाम अंसारी मझवां गांव का रहने वाला था. वह भी उसी कालेज में पढ़ रहा था, जिस में मानसी पढ़ती थी. साथसाथ पढ़ाई करने की वजह से दोनों को एकदूसरे से प्यार हो गया था. कुछ दिनों से सद्दाम बीमार होने की वजह से मानसी से मिल नहीं पाया था.

3 नवंबर, 2018 की रात को मानसी के बुलावे पर वह उस से मिलने उस के घर चला गया था. जब दोनों कमरे में बैठे बातचीत कर रहे थे तभी इस की आहट मानसी के पिता को लग गई थी. जिस के बाद मानसी के पिता अवधेश चौरसिया ने अपने छोटे भाई शिवकुमार चौरसिया के साथ मिल कर सद्दाम की हत्या कर दी थी.

पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें सक्षम न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों भाइयों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य- सत्यकथामार्च 2018

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