13 जनवरी, 2016 की दोपहर के यही कोई साढ़े 3 बजे बंगलुरु के थाना सोलादेवनहल्ली पुलिस को सप्तगिरि अस्पताल से सूचना मिली कि कुछ देर पहले श्रुति गौड़ा नाम की एक महिला शहर के जानेमाने एडवोकेट अमित मूर्ति को अस्पताल में इलाज के लिए लाई थी. उन की छाती में गोलियां लगी थीं.

डाक्टरों ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह बच नहीं सके. उन्हें लाने वाली श्रुति पैसों और खून का इंतजाम करने गई थी लेकिन लौट कर नहीं आई. सूचना के अनुसार, मामला आपराधिक यानी हत्या का लग रहा था, इसलिए थाना पुलिस ने तुरंत मामले की डायरी तैयार की. पुलिस अस्पताल जाने की तैयारी कर ही रही थी कि तभी 2 लोग थाने में दाखिल हुए. उन में एक नौजवान था और दूसरा बुजुर्ग.

नौजवान बुजुर्ग के हाथों से रिवौल्वर छीनने की कोशिश कर रहा था. वह रिवौल्वर छीन पाता, उस के पहले ही बुजुर्ग ने रिवौल्वर थानाप्रभारी की मेज पर रखते हुए कहा, ‘‘सर, आप मुझे गिरफ्तार कर लीजिए. मैं ने इस रिवौल्वर से एडवोकेट अमित मूर्ति की हत्या की है.’’

‘‘नहीं सर, यह सच नहीं है. एडवोकेट अमित मूर्ति की हत्या इन्होंने नहीं, मैं ने की है.’’ नौजवान ने कहा.

थानाप्रभारी बुजुर्ग को भी जानते थे और युवक को भी. बुजुर्ग का नाम गोपालकृष्ण गौड़ा था. नौजवान उन का बेटा राजेश गौड़ा था. गोपालकृष्ण को इलाके में कौन नहीं जानता था. वह समाजसेवक तो थे ही, एक राजनीतिक पार्टी से भी जुड़े थे. इसलिए थानाप्रभारी को एकबारगी विश्वास नहीं हुआ कि बापबेटे जिस हत्या की बात कर रहे हैं, ऐसा सचमुच कर सकते हैं.

लेकिन थोड़ी ही देर पहले ही उन्हें सप्तगिरि अस्पताल से एडवोकेट अमित मूर्ति की हत्या की सूचना मिल चुकी थी, इसलिए उन्होंने सवालिया नजरों से गोपालकृष्ण की ओर देखा तो उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, ‘‘सर, मेरा बेटा झूठ बोल कर मुझे बचाना चाहता है. उस की हत्या मैं ने ही की है.’’

इस के बाद राजेश ने आगे बढ़ कर कहा, ‘‘सर, मेरे पिता निर्दोष हैं. एडवोकेट अमित मूर्ति को मैं ने ही गोलियां मारी हैं, क्योंकि वह निहायत ही गिरा हुआ आदमी था. उस के मेरी पत्नी श्रुति गौड़ा से अवैध संबंध थे.’’

राजेश के इतना कहते ही थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि मामला क्या था और एडवोकेट अमित मूर्ति की हत्या किस ने की है. फिर भी सच्चाई सामने लाने के लिए उन्होंने एक परीक्षा ली. उन्होंने कहा, ‘‘गुनहगार तो आप दोनों ही हैं, लेकिन असली गुनहगार कौन है, यह अभी साफ हो जाएगा.’’

अपनी बात कह कर उन्होंने मेज पर रखा रिवौल्वर गोपालकृष्ण गौड़ा के हाथों में देते हुए थोड़ी दूर पर रखी किसी चीज पर निशाना लगाने को कहा. जब वह उस चीज पर निशाना नहीं लगा सके तो साफ हो गया कि हत्या उन्होंने नहीं, उन के बेटे राजेश गौड़ा ने की थी. वह बेटे को बचाने के लिए झूठ बोल रहे थे. थानाप्रभारी ने दोनों को हिरासत में ले लिया और आगे की जांच के लिए सप्तगिरि अस्पताल जा पहुंचे.

अस्पताल में थानाप्रभारी ने डाक्टरों का बयान ले कर मृतक अमित मूर्ति की लाश कब्जे में लेने की काररवाई पूरी की. तभी उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि हिसार घाट स्थित तीनसितारा होटल राजबिस्टा की तीसरी मंजिल पर स्थित कमरा नंबर 301 में एक महिला ने आत्महत्या कर ली है.

थानाप्रभारी हत्या के एक मामले की जांच कर ही रहे थे, ऐसे में आत्महत्या की इस दूसरी घटना की सूचना पा कर वह थोड़ा खीझ से उठे. लेकिन वह कर ही क्या सकते थे. अपनी ड्यूटी तो उन्हें निभानी ही थी. उन्होंने फोन द्वारा इस घटना की जानकारी अधिकारियों को देने के साथ क्राइम टीम को भी बता दिया और तत्काल वहां की काररवाई निपटा कर होटल राजबिस्टा जा पहुंचे.

थानाप्रभारी के पहुंचने तक पुलिस अधिकारियों के साथ क्राइम टीम भी वहां पहुंच चुकी थी. रिसैप्शन पर पूछताछ में पता चला कि रजिस्टर में आत्महत्या करने वाली महिला का नाम श्रुति गौड़ा लिखा है. थानाप्रभारी श्रुति का नाम सुबह से कई बार सुन चुके थे, इसलिए उन्हें मृतका की शिनाख्त की जरूरत नहीं पड़ी.

वह समझ गए कि आत्महत्या करने वाली श्रुति गौड़ा कोई और नहीं, थोड़ी देर पहले हिरासत में लिए गए गोपालकृष्ण गौड़ा की बहू यानी राजेश गौड़ा की पत्नी है, जिस ने मृतक एडवोकेट अमित मूर्ति को सप्तगिरि अस्पताल में भरती कराया था.

थानाप्रभारी ने अधिकारियों की उपस्थिति में ही घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और थाने आ गए. अब तक मिली जानकारी से स्पष्ट हो गया था कि मामला प्रेमत्रिकोण का है. इस प्रेमत्रिकोण में क्या और कैसे हुआ, इस बात की जानकारी राजेश गौड़ा से पूछताछ के बाद ही पता चल सकता थी. थाने में राजेश गौड़ा से की गई पूछताछ में इस मामले में जो सच्चाई सामने आई, वह इस प्रकार थी—

बंगलुरु-कोयंबटूर नेशनल हाईवे के किनारे स्थित कगलीपुर गांव के रहने वाले थे 78 वर्षीय गोपालकृष्ण गौड़ा. सुखी और संपन्न होने के साथसाथ वह समाजसेवी भी थे. साथ ही वह एक राजनीतिक पार्टी से भी जुड़े थे. यही वजह थी इलाके में उन्हें हर कोई जानता था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एक ही बेटा था राजेश गौड़ा.

राजेश गौड़ा स्वस्थसुंदर और पढ़ालिखा युवक था. पढ़ाई पूरी होते ही उसे एक जानीमानी रियल एस्टेट कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई थी. सम्मानित परिवार का होने और बढि़या नौकरी मिलने के बाद राजेश के लिए तमाम रिश्ते आने लगे थे. आखिरकार गोपालकृष्ण ने रामनगर रामोहल्ली के रहने वाले एक कारोबारी की बेटी श्रुति को पसंद कर राजेश से उस की शादी कर दी थी.

श्रुति भी राजेश से किसी मामले में कम नहीं थी. वह सुंदर तो थी ही, उस की नौकरी भी राजेश से अच्छी थी. वह सरकारी नौकरी में थी. उस का पद था पंचायत डेवलपमेंट अफसर का. उसे सरकारी गाड़ी और मकान मिला हुआ था. साथ ही घर का काम करने के लिए सरकारी नौकर भी. श्रुति जैसी पढ़ीलिखी और कमाऊ पत्नी पा कर राजेश खुश ही नहीं था, बल्कि गर्व भी महसूस कर रहा था.

राजेश की तरह उस के मांबाप भी श्रुति को बहुत मानते थे. धीरेधीरे 4 साल बीत गए. इस बीच श्रुति 2 बच्चों की मां बन गई. लेकिन यह भी सच है कि समय कभी किसी का नहीं हुआ. कब किस का समय बदल जाए, कोई नहीं जानता.

पंचायत डेवलपमेंट अफसर होने की वजह से श्रुति को कभीकभी क्षेत्र के लोगों के कामों के लिए पुलिस और वकीलों से भी मिलना होता था. उन्हीं वकीलों में एक अमित मूर्ति भी था. उसी से मिलतेमिलाते श्रुति के कदम बहक गए.

अमित के रौबदार चेहरे, स्वस्थ व सुंदर कदकाठी और व्यवहार ने श्रुति को काफी प्रभावित किया था. यही हाल एडवोकेट अमित मूर्ति का भी था. 2 बच्चों की मां होने के बावजूद श्रुति की सुंदरता पर वह मर मिटा था. इस में उस का दोष भी नहीं था, खूबसूरत श्रुति की बातचीत करने की अदा ही कुछ ऐसी थी कि किसी को भी मन भा जाए.

अमित के पिता बंगलुरु के जानेमाने वकील तो थे ही, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी थे. अमित उन का एकलौता बेटा था. उस की शादी ही नहीं हो चुकी थी, बल्कि वह 3 साल के एक बेटे का पिता भी था. अमित पिता के साथ ही वकालत कर रहा था. पिता उसे अपनी ही तरह अच्छा वकील बनाना चाहते थे, शायद इसीलिए उन्होंने उसे पढ़ने के लिए अमेरिका भेजा था.

अमित और श्रुति दोनों के ही मनों में एकदूसरे के लिए चाहत पैदा हो चुकी थी, इसलिए वे अपनीअपनी गरिमा भूल कर एकदूसरे से मिलनेजुलने लगे थे. श्रुति को मोटरसाइकिल की सवारी बहुत पसंद थी, इसलिए अकसर वह अमित के साथ मोटरसाइकिल से लंबी ड्राइव पर निकल पड़ती थी. चोरीचोरी दोनों ही जिंदगी का लुत्फ उठा रहे थे.

लेकिन यह भी सच है कि कोई भी काम कितना ही छिपा कर किया जाए, एक न एक दिन वह लोगों की नजरों में आ ही जाता है. राजेश गौड़ा को भी पत्नी की इस हरकत का पता चल गया. श्रुति की हकीकत जान कर राजेश के होश उड़ गए. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक सभ्य परिवार की शिक्षित बहू, जो 2 बच्चों की मां भी थी, इस तरह की हरकत कर सकती है.

चूंकि राजेश का परिवार समाज में प्रतिष्ठित था, इसलिए उस ने पत्नी को समझाना चाहा तों श्रुति ने लापरवाही से हंसते हुए कहा कि जैसा वह सोच रहा है, ऐसा कुछ भी नहीं है. अमित से सिर्फ उस की दोस्ती है और वह उस से काम के सिलसिले में मिलतीजुलती रहती है.

श्रुति ने भले ही सफाई दे दी थी, लेकिन राजेश को पत्नी की इस सफाई पर विश्वास नहीं हुआ था. इसलिए वह श्रुति पर नजर रखने लगा था. इस का नतीजा यह निकला कि एक दिन उस ने श्रुति को अमित मूर्ति के साथ एक होटल में बैठी पकड़ लिया. राजेश ने उसे जलील करते हुए कहा, ‘‘अगर तुम्हें अमित इतना ही पसंद है तो तुम इस के साथ चली क्यों नहीं जाती.’’

‘‘ठीक है, अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो मैं तुम्हें तलाक दिए देती हूं.’’ श्रुति ने कहा और अमित के साथ होटल से बाहर निकल गई.

श्रुति की यह बात सुन कर राजेश तिलमिला उठा. उसे श्रुति से ऐसी उम्मीद बिलकुल नहीं थी. यह बात उस ने अपने घर वालों को बताई तो सभी परेशान हो उठे. जब इस का पता श्रुति के मातापिता को चला तो उन्होंने उस से बात की और अमित से संबंध खत्म करने का दबाव डाला. आखिर मांबाप के दबाव में श्रुति ने अपने मोबाइल से अमित का नंबर डिलीट करते हुए वादा किया कि अब वह अमित से कोई संबंध नहीं रखेगी.

मांबाप के दबाव में श्रुति ने अमित से न मिलने का वादा तो कर लिया, लेकिन वह मांबाप से किया वादा निभा नहीं सकी. किसी को संदेह न हो, इस के मद्देनजर श्रुति ने अमित मूर्ति से मिलनेजुलने का स्थान और समय बदल दिया. अब वे ऐसी जगह मिलते थे, जहां कोई नहीं जाता था. शहर से दूर निर्जन स्थानों पर जा कर दोनों निश्चिंत हो जाते थे.

लेकिन राजेश निश्चिंत नहीं था. वह श्रुति पर नजरें जमाए था. श्रुति अकसर घर से जल्दी निकल जाती थी तो देर से लौट कर आती थी. पूछा जाता तो वह कह देती कि औफिस में काम ज्यादा था, इसलिए देर हो गई.

इसी बीच राजेश ने श्रुति के मोबाइल पर अमित का कोई संदेश पढ़ लिया. उस ने जब श्रुति से उस संदेश के बारे में पूछा तो उस ने यह कह कर बात खत्म कर दी कि अमित ने उसे परेशान करने के लिए संदेश भेजा है.

चूंकि राजेश को श्रुति की बातों पर विश्वास नहीं था, इसलिए उस ने उस पर नजर रखने के लिए जनवरी, 2017 के पहले सप्ताह में उस की कार में चुपके से जीपीएस लगवा कर उसे अपने मोबाइल से कनेक्ट करवा लिया.

13 जनवरी, 2017 को श्रुति 1 बजे के करीब राजेश से यह कह कर घर से निकली कि वह एक जरूरी मीटिंग के लिए औफिस जा रही है, वापस आने में देर हो सकती है.

श्रुति के जाने के बाद राजेश ने मोबाइल में उस की लोकेशन देखी तो पता चला कि उस की कार औफिस की ओर जाने के बजाय रिंग रोड की ओर जा रही है. इस से राजेश का खून खौल उठा. उस ने अपने ड्राइवर कुमार से कार निकलवाई और श्रुति का खेल खत्म करने के लिए जाने लगा. उस के पिता गोपालकृष्ण गौड़ा भी यह कहते हुए कार में बैठ गए कि उन्हें बाजार से मकर संक्रांति की पूजा के लिए कुछ सामान खरीदना है.

श्रुति की कार की लोकेशन आचार्य पीयूष कालेज के करीब मिली थी, इसलिए राजेश ने ड्राइवर से कार पीयूष कालेज की ओर ले चलने को कहा. राजेश की कार कालेज के करीब पहुंची तो उसे सुनसान जगह पर श्रुति की कार खड़ी दिखाई दे गई. राजेश ने अपनी कार रुकवाई और श्रुति की कार की ओर चल पड़ा.

कार से निकलते ही उस ने रिवौल्वर निकाल ली थी, जिसे गोपालकृष्ण गौड़ा ने देख लिया था. उन्हें किसी अनहोनी की आशंका हुई, इसलिए वह ड्राइवर कुमार के साथ राजेश की ओर दौड़े. उन के पहुंचने से पहले ही राजेश श्रुति की कार के पास पहुंच गया था. कार में श्रुति के साथ अमित को देख कर वह आपा खो बैठा और अमित के सीने को निशाना बना कर 2 गोलियां दाग दीं.

वह श्रुति पर भी गोली चलाना चाहता था, लेकिन गोपालकृष्ण और ड्राइवर ने उसे पकड़ लिया. पिता ने उस के हाथ से रिवौल्वर छीन कर श्रुति से कहा कि वह घायल अमित को तुरंत अस्पताल ले जाए. इस के बाद उन्होंने ड्राइवर से थाने चलने को कहा.

यह संयोग ही था कि श्रुति राजेश के हाथों से मरतेमरते बच गई थी. लेकिन दुर्भाग्य ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. डरीसहमी श्रुति ने घायल अमित को साथ ले जा कर सप्तगिरि अस्पताल में भरती कराया. अस्पताल से वह बाहर निकली तो उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? क्योंकि अब वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई थी.

आखिर उस ने एक खतरनाक फैसला ले लिया और अपने मातापिता को इस घटना की सूचना दे कर वह होटल राजबिस्टा पहुंची. वहां अपना पैनकार्ड दिखा कर उस ने कमरा बुक कराया, जिस में जा कर उस ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली. इस तरह एक प्रेमकहानी का अंत हो गया.

14 जनवरी, 2017 को सोलादेवनहल्ली पुलिस ने गोपालकृष्ण गौड़ा और राजेश गौड़ा को अदालत में पेश किया, जहां से गोपालकृष्ण गौड़ा को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जबकि सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने राजेश गौड़ा को 5 दिनों के रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि समाप्त होने पर राजेश को दोबारा अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

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