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मध्य प्रदेश के जिला देवास की एक तहसील है खातेगांव, जहां से 5-7 किलोमीटर दूर स्थित है गांव सिराल्या. इसी गांव में रूप सिंह पत्नी मीराबाई और एकलौती बेटी सत्यवती के साथ झोपड़ी बना कर रहता था. रूप सिंह को कैंसर होने की वजह से उस के इलाज से ले कर पेट भरने और तन ढकने तक की जिम्मेदारी मीराबाई उठा रही थी.

आदमी कितना भी गरीब क्यों न हो, जान पर बन आती है तो सब कुछ दांव पर लगा कर जान बचाने की कोशिश करता है. मीराबाई भी खानेपहनने से जो बच रहा था, पति रूप सिंह के इलाज पर खर्च कर रही थी. लेकिन उस की बीमारी मीराबाई की कमाई लील कर भी कम होने के बजाय बढ़ती जा रही थी.

जब सारी जमापूंजी खर्च हो गई और कोई फायदा नहीं हुआ तो रूप सिंह दवा बंद कर के तंत्रमंत्र से अपनी जीवन की बुझती ज्योति को जलाने की कोशिश करने लगा. वह एक मुसीबत से जूझ ही रहा था कि अचानक एक और मुसीबत उस समय आ खड़ी हुई, जब जुलाई, 2016 के आखिरी सप्ताह में एक दिन उस की 16 साल की बेटी सत्यवती अचानक गायब हो गई. एकलौती होने की वजह से सत्यवती ही मीराबाई और रूप सिंह के लिए सब कुछ थी.

उस के अलावा पतिपत्नी के पास और कुछ नहीं था. इसलिए बेटी के गायब होने से दोनों परेशान हो उठे. रूप सिंह बीमारी की वजह से लाचार था, इसलिए मीराबाई अकेली ही बेटी की तलाश में भटकने लगी. जब बेटी का कहीं कुछ पता नहीं चला तो आधी रात के आसपास वह रोतीबिलखती थाना खातेगांव जा पहुंची.

मीराबाई ने पूरी बात ड्यूटी अफसर को बताई तो उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी थानाप्रभारी तहजीब काजी को दे दी. वह तुरंत थाने आ पहुंचे और मीराबाई को शांत करा कर पूरी बात बताने को कहा.

मीराबाई ने जवानी की दहलीज पर खड़ी अपनी बेटी सत्यवती के लापता होने की पूरी बात तहजीब काजी को बताई तो उन्हें समझते देर नहीं लगी कि सत्यवती भले ही नाबालिग थी, लेकिन इतनी छोटी भी नहीं थी कि उस के गायब होने के पीछे किसी बुरी घटना की आशंका न हो, जबकि आजकल तो लोग दूधपीती बच्चियों को भी नहीं छोड़ रहे हैं.

तहजीब काजी को प्रेमप्रसंग को ले कर सत्यवती के भाग जाने की आंशका थी. लेकिन जब इस बारे में उन्होंने मीराबाई से पूछताछ की तो उन की यह आशंका निराधार साबित हुई, क्योंकि मीराबाई का कहना था कि सत्यवती की न तो गांव के किसी लड़के से दोस्ती थी और न ही किसी लड़के का उस के घर आनाजाना था.

बस, एक राशिद बाबा का उस के घर आनाजाना था. यही वजह थी कि गांव वालों ने उस के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर रखा था. लेकिन नेमावर के रहने वाले राशिद बाबा पांचों वक्त नमाजी और पक्के मजहबी हैं, इसलिए उन पर शंका नहीं की जा सकती. फिर वह सत्यवती के दादा की उम्र के भी हैं. इसलिए मासूम बच्ची पर नीयत खराब कर के वह अपना बुढ़ापा क्यों बेकार करेंगे.

बहरहाल, सत्यवती की उम्र को देखते हुए उस की तलाश करना जरूरी था. इसलिए तहजीब काजी पूछताछ करने के लिए रात में ही मीराबाई के गांव जा पहुंचे, जहां उन्हें चौकाने वाली बात यह पता चली कि राशिद बाबा के आनेजाने से लगभग पूरा गांव रूप सिंह से नाराज था. इस की वजह यह थी कि एक तो वह दूसरे मजहब का था, जो गांव वालों को पसंद नहीं था, इस के अलावा वह तंत्रमंत्र करता था, जिस से गांव वाले उस से डरते थे.

राशिद के तांत्रिक होने की जानकारी होते ही तहजीब काजी को उसी पर शक हुआ. क्योंकि पुलिस की अब तक की नौकरी से उन्हें यह अच्छी तरह पता चल चुका था कि तंत्रमंत्र कुछ नहीं है, सिर्फ मन का वहम है. इसलिए जो लोग खुद को तांत्रिक होने का दावा करते हैं, सीधी सी बात है कि वे बहुत ही शातिर किस्म के होते हैं.

तांत्रिकों द्वारा महिलाओं और मासूम लड़कियों के यौनशोषण की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं. यही सब सोच कर तहजीब काजी को राशिद बाबा पर शक हुआ. उन्होंने तुरंत एसपी शशिकांत शुक्ला और एएसपी राजेश रघुवंशी को घटना के बारे में बता कर दिशानिर्देश मांगे.

अधिकारियों के आदेश पर समय गंवाए बगैर वह 15 किलोमीटर दूर स्थित राशिद के घर जा पहुंचे, लेकिन वह घर पर नहीं मिला. इस से उन का शक और बढ़ गया. घर वालों से पूछताछ कर के वह वापस आ गए.

तहजीब काजी सत्यवती की तलाश में तत्परता से जुट गए थे. उन्होंने अपने मुखबिरों को भी राशिद बाबा की तलाश में लगा दिया था. उन की इस सक्रियता का ही नतीजा था कि अगले दिन नेमावर की ही रहने वाली कमला सत्यवती को ले कर थाने आ पहुंची.

कमला ने बताया कि किसी बात को ले कर कल मीराबाई ने सत्यवती को डांट दिया था, जिस से नाराज हो कर यह उस के पास आ गई थी. सुबह उसे पता चला कि इसे पुलिस खोज रही है तो वह इसे ले कर इस के घर पहुंचाने आ गई.

बेटी को देख कर मीराबाई तो सब भूल गई, लेकिन तहजीब काजी को याद था कि पूछताछ में मीराबाई ने सत्यवती के साथ डांटडपट वाली बात से मना करते हुए कहा था कि वही तो उस की सब कुछ है, इसलिए उस ने या उस के पति ने इसे डांटनेडपटने की कौन कहे, इस की तरफ कभी अंगुली तक उठा कर बात नहीं की.

इसीलिए तहजीब काजी को लगा कि कमला सत्यवती को ले कर आई है, यह तो ठीक है, लेकिन जो बता रही है, वह झूठ है. क्योंकि कमला जिस अंदाज में बात कर रही थी, उस से उन्होंने अनुमान लगाया कि यह काफी शातिर किस्म की औरत है. वह समझ गए कि मामला कुछ और ही है.

तहजीब काजी जानते थे कि यह औरत सच्चाई बता नहीं सकती, इसलिए उन्होंने सत्यवती से सच्चाई जानने की जिम्मेदारी एसआई रविता चौधरी को सौंप दी.

एसआई रविता चौधरी थानाप्रभारी के मकसद को भली प्रकार समझ रही थीं, इसलिए उन्होंने जल्दी ही बातों ही बातों में सत्यवती का विश्वास जीत कर उस से सचसच बताने को कहा तो उस ने कमला और राशिद बाबा की जो सच्चाई बताई, उसे सुन कर सभी हक्केबक्के रह गए.

मीराबाई को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था कि जिस राशिद बाबा को वह भला आदमी समझ कर पूज रही थी, वही उस की बेटी को गंदा कर रहा था. सत्यवती के बयान से साफ हो गया था कि राशिद बाबा के जुर्म में कमला भी बराबर की हकदार थी, इसलिए पुलिस ने उसे तो गिरफ्तार कर ही लिया, उस की निशानदेही पर राशिद बाबा को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

पकड़े जाने के बाद राशिद ने दीनईमान की बातों में उलझा कर तहजीब काजी को प्रभावित करने की काफी कोशिश की, लेकिन उन्होंने राशिद और कमला के खिलाफ दुष्कर्म एवं धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

राशिद, उस की सहयोगी कमला और सत्यवती के बयान के आधार पर तंत्रमंत्र के नाम पर सत्यवती के यौनशोषण की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

नेमावर के अपने घर में साइकिल सुधारने और छोटीमोटी जरूरत के सामानों की दुकान चलाने वाला राशिद बाबा जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही कामुक और शातिर प्रवृत्ति का हो गया था. उस का निकाह जल्दी हो गया था, परंतु बीवी के आ जाने के बाद भी उस की आदत में कोई सुधार नहीं हुआ था.

कहा जाता है कि राशिद के मन में किशोर उम्र की लड़कियों के प्रति अजीब सी चाहत थी, इसलिए उम्र बढ़ने पर भी वह लड़कियों को हसरत भरी नजरों से देखता रहता था. दुकान पर आने वाली लड़कियों से भी वह छेड़छाड़ करता रहता था. यही वजह थी कि गांव की कुछ आवारा किस्म की औरतों से उस के संबंध बन गए थे. उन्हीं में एक कमला भी थी.

कमला राशिद के पड़ोस में ही रहती थी. कहा जाता है कि राशिद के संबंध कमला से तो थे ही, उस के माध्यम से उस ने कई अन्य औरतों से भी संबंध बनाए थे. लेकिन बढ़ती उम्र की वजह से अब औरतें उस के पास आने से कतराने लगी थीं.

इस से परेशान राशिद को अखबारों से ऐसे तांत्रिकों के बारे में पता चला, जो तंत्रमंत्र की ओट में महिलाओं का यौनशोषण करते थे. उस ने वही तरीका अपनाने की ठान कर कमला से बात की तो वह उस का साथ देने को राजी हो गई. राशिद जानता था कि तांत्रिक बनने में डबल फायदा है. एक तो नईनई औरतें अय्याशी के लिए मिलेंगी, दूसरे कमाई भी होगी.

इस के बाद पूरी योजना बना कर उस ने दाढ़ी बढ़ा ली और पांचों वक्त का नमाजी बन गया. इस के अलावा यहांवहां से कुछ तंत्रमंत्र सीख कर वह तांत्रिक बन गया. इस में कमला ने उस का पूरा साथ दिया. अगर वह मदद न करती तो शायद राशिद की तंत्रमंत्र की दुकान इतनी जल्दी न जम पाती.

दरअसल, कमला ने ही गांव की औरतों में यह बात फैला दी कि राशिद बाबा को रूहानी ताकत ने तंत्रमंत्र की शक्ति दी है, इसलिए उन की झाड़फूंक से बड़ी से बड़ी समस्या और बड़ी से बड़ी बीमारी दूर हो जाती है. अगर इस तरह की बातें फैलानी हों तो औरतों की मदद ले लो, फिर देखो इस तरह की बात फैलते देर नहीं लगेंगी.

राशिद के मामले में भी यही हुआ था. कमला ने नमकमिर्च लगा कर देखतेदेखते राशिद को आसपास के गांवों में बड़ा तांत्रिक के रूप में घोषित कर दिया. फिर क्या था, राशिद बाबा के यहां अपनी समस्याओं के हल और बीमारियों के इलाज के लिए औरतों की भीड़ लगने लगी.

राशिद ने तो योजना बना कर ही काम शुरू किया था. उस ने अपनी तंत्रमंत्र की दुकान कुछ इस तरह जमाई कि उस के पास समस्या ले कर आने वाली महिलाओं से पहले कमला बात करती थी, उस के बाद कमला उस की पूरी बात राशिद बाबा को बता देती थी.

समस्या ले कर आई महिला राशिद बाबा के सामने जाती थी तो वह उस के बिना कुछ कहे ही उस की समस्या के बारे में बता देता था. गांव की भोलीभाली औरतें समझ नहीं पातीं कि बाबा को यह बात कमला ने बताई होगी. वे तो बाबा को अंतरयामी मान कर उन के चरणों में गिर जाती थीं.

बाबा उन की पीठ पर हाथ फेर कर उन्हें ढेरों आशीर्वाद देता. जबकि असलियत में शातिर राशिद आशीर्वाद देने के बहाने वह अपनी ठरक मिटा रहा होता था.

इस दौरान वह महिला के हावभाव पर पूरी नजर रखता था. इसी पहले स्पर्श में वह समझ जाता था कि किस महिला के साथ कैसे पेश आना है. जो महिला उस के चंगुल में फंस सकती थी, उस के लिए वह कमला को इशारा कर देता था. कमला उस औरत को धीरेधीरे बाबा की विशेष सेवा के लिए राजी कर लेती थी. इस तरह कमला की मदद से राशिद बाबा की दुकानदारी बढि़या चल रही थी, साथ ही उसे अय्याशी के लिए नईनई औरतें भी मिल रही थीं.

राशिद पैसा भी कमा रहा था और मौज भी कर रहा था. कमला को भी इस का फायदा मिल रहा था, इसलिए वह आसपास के गांवों में ऐसी महिलाओं पर नजर रखती थी, जो किसी न किसी परेशानी में होती थीं. वह ऐसी औरतों को पकड़ती थी, जो बाबा पर पैसा भी लुटा सकें और जरूरत पड़ने पर बाबा को मौज भी करा सकें.

कमला को जब मीराबाई के पति रूप सिंह की बीमारी के बारे में पता चलने के साथ यह भी पता चला कि उस के घर युवा हो रही बेटी भी है तो वह मीराबाई से मिली और उसे राशिद बाबा के बारे में खूब बढ़ाचढ़ा कर बताया.

मीराबाई परेशान तो थी ही, उस ने कमला के पैर पकड़ कर कहा कि अगर वह उस के पति की बीमारी ठीक करवा दे तो वह जिंदगी भर उस का एहसान मानेगी. कमला ने उसे भरोसा दिलाया कि वह बाबा से रूप सिंह की बीमारी ठीक करवा देगी.

इस के बाद कमला बाबा को ले कर अगले ही दिन मीराबाई के घर आ पहुंची. दुर्भाग्य से जिस समय राशिद मीराबाई के घर पहुंचा, सत्यवती सजीधजी कहीं जाने को तैयार थी. उसे देखते ही राशिद की नीयत डोल गई. उस ने मीराबाई और रूप सिंह से मीठीमीठी बातें कर के तंत्रमंत्र का नाटक करते हुए कहा कि साल भर में वह उस की बीमारी ठीक कर देगा. लेकिन इस के लिए उसे उस के यहां से दवा ला कर खानी होगी.

रूप सिंह तो चलफिर नहीं सकता था, मीराबाई उस की देखाभाल में लगी रहती थी, इसलिए तय हुआ कि सत्यवती हर सप्ताह बाबा के यहां दवा लेने जाएगी. इस के अलावा जरूरत पड़ने पर बाबा खुद आ कर रूप सिंह की झाड़फूंक कर देगा.

सत्यवती हर सप्ताह दवा के लिए नेमावर जाने लगी. राशिद बाबा ने कमला की मदद से सत्यवती पर जाल फेंकना शुरू कर दिया. उस ने सत्यवती से कहा कि उस की सरकारी अफसरों से अच्छी जानपहचान है. अगर वह चाहे तो वह उस की सरकारी नौकरी ही नहीं लगवा सकता, बल्कि अच्छे लड़के से उस की शादी भी करवा सकता है. शादी की बात सुन कर सत्यवती लजाई तो बाबा ने हंस कर उसे सीने से लगा लिया और आशीर्वाद देने के बहाने कभी पीठ तो कभी कंधे पर हाथ फेरने लगा.

सत्यवती के कंधे से सरक कर राशिद बाबा का हाथ कब नीचे आ गया, सत्यवती को पता ही नहीं चला. इसी तरह एक दिन उस ने पूजा के नाम पर उसे निर्वस्त्र कर के उस के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बना डाला. वह रोने लगी तो राशिद ने उसे धमकी दी कि अगर उस ने इस बारे में किसी को कुछ बताया या दवा लेने नहीं आई तो वह अपने तंत्रमंत्र से न केवल उस के पिता की जान ले लेगा, बल्कि उस के शरीर में कोढ़ भी पैदा कर देगा.

मासूम सत्यवती को राशिद ने तो डराया ही, कमला ने भी कसर नहीं छोड़ी. उस ने सत्यवती से कहा कि बाबा ने उस के साथ जो किया है, उस से उस की किस्मत खुल गई है. बाबा जल्दी ही उस की सरकारी नौकरी लगवा देगा. उस के पिता भी एकदम ठीक हो जाएंगे. उस ने भी यह बात किसी को बताने से मना किया.

पिता की मौत और खुद को कोढ़ हो जाने के डर से सत्यवती ने बाबा के पाप को मां से छिपा लिया तो राशिद बाबा की हिम्मत बढ़ गई. सत्यवती जब भी उस के यहां दवा लेने आती, कमला की मदद से वह उस से अपनी हवस मिटाता.

बाबा की यह पाप लीला न जाने कब तक चलती रहती. लेकिन बरसात में बाबा का रंगीन मन कुछ ज्यादा ही मचल उठा. कमला को भेज कर उस ने चुपचाप सत्यवती को बुला लिया. सत्यवती घर में बता कर नहीं आई थी, इसलिए मांबाप परेशान हो उठे.

इधरउधर तलाशने पर सत्यवती नहीं मिली तो मीराबाई पुलिस तक पहुंच गई. उस के बाद तांत्रिक राशिद बाबा की पोल खुल गई. राशिद बाबा की सारी हकीकत सामने आने के बाद थानाप्रभारी तहजीब काजी ने उसे और उस की सहयोगी कमला को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.  ?

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. सत्यवती बदला हुआ नाम है.

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