इस केस की कहानी किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं थी. यह अलग बात है कि ऐसे विषयों पर अब तक कई फिल्में और धारावाहिक बन चुके हैं, जो काफी लोकप्रिय भी रहे. इस केस की स्क्रिप्ट चालाक अपराधियों ने इतनी सफाई से लिखी थी कि किसी को उन पर तनिक भी शक न हो. कहानी में दुर्घटना से ले कर मौत और मौत के बाद अंतिम संस्कार से ले कर भोग तक के हर दृश्य को बड़ी होशियारी और सफाई से लिखा गया था.

हिमाचल प्रदेश स्थित सिरमौर के काला अंब-पांवटा साहब हाइवे पर एक गांव है जुड्दा का जोहड़. वहां से 5 किलोमीटर दूर नवोदय स्कूल है. घटना 19-20 नवंबर, 2018 की रात की है. नवोदय स्कूल के पास एक कार, जिस का नंबर था पीबी65-3372, संतुलन खो कर पहले साइनबोर्ड से टकराई, फिर एक चट्टान से टकराने के बाद धूधू कर जलने लगी.

हादसे के वक्त कार की ड्राइविंग सीट पर एक व्यक्ति बैठा था. किसी ने फोन कर के इस की सूचना सिरमौर नाहन पुलिस को दी. फोन करने वाले ने एंबुलैंस को भी इस घटना की जानकारी दे कर तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने का अनुरोध किया था.

जिस समय एंबुलैंस घटनास्थल पर पहुंची, तभी उन के फोन के वाट्सऐप पर किसी ने घटना से संबंधित एक वीडियो क्लिप भेजा, जिस में कार धूधू कर जलती नजर आ रही थी. सिरमौर पुलिस को भी ऐसा ही वीडियो भेजा गया था. इस के बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

बहरहाल, सूचना मिलते ही एसएचओ नाहन इंसपेक्टर विजय कुमार, एडीशनल एसएचओ योगिंदर सिंह और हवलदार जीरक व अमरिंदर के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. कार में सवार व्यक्ति पूरी तरह जल चुका था.  आग इतनी भयानक लगी थी कि ड्राइवर को बाहर निकलने का मौका नहीं मिल पाया था. हालत देख कर ऐसा लग रहा था जैसे आग लगते ही कार का औटोमैटिक लौक लग गया हो.

कार में सवार व्यक्ति ऐसी स्थिति में नहीं था कि उसे उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया जाता. संभवत: जिंदा जलने से उस की मौत हो गई थी. कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए मृत व्यक्ति के कंकाल का पंचनामा बना कर पोस्टमार्टम के लिए नाहन मैडिकल कालेज अस्पताल भेजा गया.

घटना की जानकारी मिलते ही एसपी रोहित मालपानी, एडीशनल एसपी वीरेंदर ठाकुर, डीएसपी नाहन बबीता राणा सहित क्राइम टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई. कार को फोरैंसिक और मकैनिकल जांच के लिए पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया.

कार लगभग पूरी तरह से जल कर राख हो चुकी थी. तलाशी लेने पर कार के डैशबोर्ड की दराज से कार की जो आरसी मिली वो खरड़ निवासी नरिंदर कुमार पुत्र प्रताप सिंह के नाम थी. पुलिस ने कार दुर्घटना का मामला धारा 304, 279 के तहत दर्ज कर इस की सूचना पंजाब पुलिस को दे दी.

पंजाब पुलिस ने खरड़ जा कर जांच की, तो पता चला कार नरिंदर की ही थी, जो उस ने कुछ समय पहले डेराबस्सी निवासी आकाश को बेच दी थी. उस ने कार के पेपर अभी ट्रांसफर नहीं करवाए थे. आकाश डेराबस्सी का नामी बिल्डर था. दुर्घटना की सूचना जब उस के घर वालों को दी गई, तो उन्होंने मृतक की शिनाख्त आकाश के रूप में कर दी.

रहस्य बनी रही बर्निंग कार

पोस्टमार्टम के बाद मृतक की कंकालनुमा लाश उस के परिजनों के हवाले कर दी गई, जिस का उन्होंने अंतिम संस्कार भी कर दिया. पुलिस ने इसे दुर्घटना मान कर फाइल बंद कर दी. देखने को तो दुर्घटना के इस मामले का पटाक्षेप यहीं हो गया था, पर पिक्चर अभी बाकी थी.

इस कहानी का एक पहलू यह भी था कि दुर्घटना के 2 दिन बाद 22 नवंबर को ढोलपुर राजस्थान निवासी बबलू नामक एक युवक और उसकी मां ने थाना डेराबस्सी में अपने भाई राजू के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. बबलू के अनुसार उस का भाई आकाश नामक बिल्डर के पास काम करता था और हर समय उस के साथ ही रहता था.

बबलू ने अपने बयान में यह भी बताया कि आकाश के घर वालों के अनुसार आकाश की मृत्यु हो चुकी है. राजू को आखिरी बार आकाश के साथ ही देखा गया था. डेराबसी पुलिस ने राजू की गुमशुदगी दर्ज कर उस की तलाश शुरू कर दी. इसी सिलसिले में डेराबस्सी पुलिस ने सिरमौर पुलिस से भी संपर्क किया. सिरमौर पुलिस ने पंजाब पुलिस को बताया कि कार एक्सीडेंट के समय कार में केवल एक ही व्यक्ति था.

इस जानकारी के बाद पुलिस को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि कार में जब अकेला आकाश था तो फिर हर वक्त उस के साथ रहने वाला राजू कहां गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि कार में आकाश नहीं बल्कि राजू रहा हो. लेकिन राजू के भाई बबलू के अनुसार, राजू को कार चलाना नहीं आता था.

इस जानकारी के बाद सिरमौर और पंजाब पुलिस को यह मामला संदिग्ध लगने लगा. सिरमौर पुलिस ने मामले की तह तक जाने के लिए गुपचुप तरीके से जांच शुरू कर दी. मामले के संदिग्ध होने की एक वजह यह भी थी कि जलती कार का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर भेजा गया था. उस वीडियो को भेजने वाला व्यक्ति कौन था?

साधारण मामला नहीं था

पुलिस अधिकारियों ने जब उस वीडियो को ध्यान से देखा तो पता चला कि एक कार चट्टान से टकराती है और फिर उस में आग लग जाती है. इस के बावजूद कार में सवार व्यक्ति बिना हिलेडुले चुपचाप बैठा रहता है. आग लगने पर ना तो वह तड़पता है और न ही कार से बाहर निकलने की कोशिश करता है. भला ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई आदमी अपना बचाव किए बिना खामोशी से जल कर मौत को गले लगा ले. यह बात पुलिस के गले से नहीं उतरी.

इस बीच मृतक आकाश के घर वालों ने थाने आ कर आकाश के मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग करनी शुरू कर दी. मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करने के मामले में उन्होंने इतनी जल्दी मचाई कि पुलिस को सोचना पड़ा. आखिर ऐसा क्या कारण है कि आकाश के घर वाले इतनी जल्दी कर रहे हैं. इस मामले में किसी षडयंत्र की बू आती दिखाई दे रही थी.

सिरमौर पुलिस ने इस केस में डेराबस्सी पुलिस से सहयोग मांगा और केस को महज दुर्घटना का साधारण मामला न समझ इस की तह तक जाने का निश्चय किया. एडीशनल एसपी वीरेंदर ठाकुर की देखरेख में एसएचओ इंसपेक्टर विजय कुमार ने इस केस की पुन: तफ्तीश शुरू करते हुए शहर में लगे उन तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई जो दुर्घटना वाली रात काम कर रहे थे. उस रात की फुटेज देखी गईं, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं.

दुर्घटना वाली रात सैंट्रो एचआर03-3504 और मारुति पीबी65-डब्ल्यू 3372 नंबर की 2 कारें शहर में आगेपीछे चलती नजर आईं. ये कारें शहर में 2 बार देखी गईं. इन दोनों कारों ने पहले शहर का एक चक्कर काटा और फिर दूसरा चक्कर काटते हुए मौकाएवारदात की ओर निकल गईं. दोनों कारों में एकदो मिनट का अंतर था.

शक यकीन में तब बदला जब मारुति कार के पीछे सैंट्रो कार भी घटनास्थल पर गई. अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रही थी. जलते वक्त आदमी छटपपटाता है, जान बचाने की लाख कोशिश करता है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था. आकाश के घर वालों द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र मांगने की जल्दी करना, स्वयं घटनास्थल का वीडियो बना कर वायरल करना, एक सोचीसमझी साजिश का हिस्सा लग रहा था.

इंसपेक्टर विजय कुमार ने इस मामले के तमाम पुख्ता सबूत इकट्ठा कर के 3 दिसंबर को डेराबस्सी से आकाश के भतीजे रवि को हिरासत में ले लिया. रवि की गिरफ्तारी के बाद इस मामले की परतें खुदबखुद खुलती चली गईं.

इस षडयंत्र का मुख्य आरोपी विदेश भागने की फिराक में था, इसलिए उस की गिरफ्तारी से पहले रवि की गिरफ्तारी को भी परदे में रखा गया. पूछताछ के दौरान रवि ने पुलिस को बताया कि कार में जलने वाला आकाश नहीं था. आकाश नेपाल के रास्ते विदेश जाने वाला था.

50 लाख का बीमा लेने के लिए

रचा षडयंत्र

खास मुखबिरों से इंसपेक्टर विजय को खबर मिली कि आकाश रेल मार्ग से नेपाल जाने वाला है. इस मामले में नाहन पुलिस ने रेलवे पुलिस की मदद से अपना जाल बिछा दिया और आकाश को ट्रेन में सफर करते हुए हरियाणा के पलवल से गिरफ्तार कर लिया गया.  पुलिस ने आकाश और रवि को अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड पर ले लिया. पूछताछ के दौरान इस बर्निंग कार मामले की पूरी कहानी सामने आ गई. आकाश अपने भतीजे के साथ मिल कर खुद को मरा हुआ साबित करना चाहता था ताकि 50 लाख की बीमा राशि उस के घर वालों को मिल जाए.

योजना को कार दुर्घटना का जामा पहना कर आकाश ने अपने नौकर राजू को जिंदा जला दिया था. जबकि उस की मां और भाई राजू की तलाश में दरदर की ठोकरें खाते भटक रहे थे.

पैसों के लालच में मानवीय संवेदनाएं भुला कर पेशे से ठेकेदार आकाश इतने वहशीपन पर उतर आया था कि उस ने अपने ही मजदूर राजू को जिंदा जला कर ऐसी दर्दनाक मौत दी, जिसे देखना तो दूर सुनने वाले की भी रूह कांप जाए.

बड़ेबड़े ठेकेदारों के साथ ठेकेदारी करने वाले आकाश ने अपनी मौत की ही नहीं, बल्कि अपने क्रियाकर्म तक की स्क्रिप्ट खुद लिखी थी. इस स्क्रिप्ट के अनुसार उस के घर वालों ने बाकायदा उस के अंतिम संस्कार से ले कर उस की तेरहवीं पर क्रियाकर्म का खाना खिलाने तक बखूबी भूमिका निभाई थी. पुलिस अब इस बात की भी जांच करेगी कि इस मामले में उस के घर वालों का भी हाथ था या नहीं?

बीमा राशि डकारने के लिए आकाश ने पहले अपने नौकर राजू को जम कर शराब पिलाई थी. इस के बाद जब वह नशे में बेसुध हो गया तो रवि और आकाश ने मिल कर आकाश के कपड़े राजू को पहना दिए. साथ ही अपनी अंगूठी और ब्रैसलेट भी राजू के हाथ में पहना दिया, ताकि पुलिस उसे आकाश समझे.

इस के बाद आकाश कार में काला अंब-पांवटा सड़क पर जुड्दा का जोहड़ के पास पहुंचा और तारपीन का तेल छिड़क कर कार को आग लगा दी. शातिरों ने हत्या की वारदात को दुर्घटना का रूप देने के लिए बाकायदा जलती कार का वीडियो बना कर खुद ही वायरल कर दिया था.

बेचारा गरीब मजदूर मारा गया

राजस्थान का राजू आकाश के पास बतौर मजदूर काम करता था. लेकिन मेहनतमजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरणपोषण करने आए राजू को शायद इस बात का तनिक भी इल्म नहीं था कि जिस के पास वह काम करता है वही उसे ऐसी दर्दनाक मौत देगा.

उधर रोरो कर बुरा हाल करती राजू की मां का कहना था कि उस ने जिगर के टुकड़े को  पालपोस कर बड़ा किया. पढ़ायालिखाया. वह पैसा कमाने के लिए पंजाब चला आया था. लेकिन बुढ़ापे में सहारा बनने वाला बेटा मिलना तो दूर मां को उस के अंतिम दर्शन भी नहीं हो सके. अपने दिल के टुकड़े के खोने से वह भीतर तक टूट चुकी थी.

सिरमौर पुलिस की सूचना के बाद मृतक राजू की मां और भाई बबलू नाहन पुलिस के बुलावे पर नाहन गए. पुलिस ने दोनों से राजू के बारे में जानकारी ली और जली हुई कार से बरामद मृतक राजू के शरीर के कुछ अंशों का डीएनए करवाने के लिए उस की मां और भाई के ब्लड सैंपल लिए. डीएनए मैच होने के बाद वैज्ञानिक तौर पर यह पुष्टि हो पाएगी कि मृतक राजू ही था.

इस मामले में हैरान करने वाली बात यह भी थी कि बर्निंग कार हत्याकांड की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी. पर सवाल यह था कि वारदात को अंजाम देने के लिए सिरमौर ही क्यों चुना गया था.

दरअसल स्क्रिप्ट के लेखकों को ऐसा स्थान चाहिए था, जहां कार को न्यूट्रल करने के बाद आग लगाई जा सके. यह सुनसान स्थान नाहन से 5 किलोमीटर की दूरी पर था.

इस बर्निंग कार हत्याकांड के मामले से लगभग एक दशक पूर्व हुए सूटकेस कांड की भी यादें जुड़ी हुई है. 10 वर्ष पहले इसी इलाके में सूटकेस कांड हुआ था. पुलिस को यहीं पर एक महिला और एक बच्ची की लाशें 2 अलगअलग सूटकेसों में बंद मिली थीं. यह मामला अभी तक अनसुलझा है.

इस मामले में पुलिस काररवाई पूरी करने के बाद 12 दिसंबर को दोनों दोषियों को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य- मनोहर कहानियां, अप्रैल 2019

 

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