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एसिड अटैक का शिकार हुई रूपाली ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके जीवन में वेलेंटाइन डे मनाने और कैडिल लाइट डिनर करने का मौका आयेगा. लखनऊ में होटल नोवाटेल ने रूपाली और उसके पति कुलदीप को 14 फरवरी के दिन कैडिल लाइट डिनर करने का मौका दिया तो रूपाली अपने जिंदगी में मिले दर्द को छिपा नहीं सकी. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रहने वाली रूपाली के बचपन का नाम रेनू था.

रेनू देखने में बहुत संदुर थी तो उसका नाम रूपाली रख दिया गया. रूपाली जब बडी हुई उसे फिल्मो में काम करने का शौक हुआ. उत्तर प्रदेश के पूर्वाचंल में भोजपुरी फिल्में बहुत बनती है. रूपाली को भी भोजपुरी फिल्म ‘दहेज प्रथा’ में काम करने आ अवसर मिल गया. रूपाली के सपने पूरे होने लगे. रूपाली को पता नहीं था कि यही उसके जीवन के सबसे दुख भरे दिन शुरू होने वाले है. फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. तो वहां अजय नाम का कैमरामैन रूपाली पर फिदा हो गया. वह उससे शादी करने के सपने देखने लगा.

रूपाली इसके लिये तैयार नहीं थी. ऐसे में अजय ने रूपाली की मां से भी बात की. रूपाली की मां ने भी जब इससे इंकार कर दिया तो अजय ने धमकी दी कि ‘तुमको अपनी बेटी के चेहरे पर बहुत घमंड है. अब यह चेहरा घमंड लायक नहीं रहेगा’. फिल्म की शूटिंग के लिये जब रूपाली को बुलाया गया तो उसने कहा कि अगर अजय वहां होगा तो वह काम करने नहीं आयेगी. फिल्म वालों ने उसको भरोसा दिलाया कि अजय वहां नहीं होगा. इस बात पर रूपाली काम करने के लिये तैयार हुई.

रूपाली को पता नहीं था कि वह साजिश का शिकार हो चुकी है. ज बवह फिल्म की शूटिंग करने पहुंची तो उसे अजय वहां दिखा. पर सभी ने कहा कि कोई बात नहीं तुम शूटिंग करो. शूटिंग के बाद जब आराम का समय हुआ तो खाना मिला. इस खाने में कुछ मिला था. जिसके खाने के बाद रूपाली गहरी नींद में सो गई. सोते में ही उस पर एसिड अटैक हुआ.

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दर्द से चीखती रूपाली को अच्छा इलाज नहीं मिला. बाद में टीवी के समाचार में देखने के बाद एक डाक्टर ने आगे बढ कर उसके इलाज में मदद की. रूपाली के लिये सबसे बुरी बात यह थी कि चेहरे के साथ उसकी आंखों में एसिड पड चुका था.

वहां जख्म गहरा था. आंखों की रोशनी जाने का खतरा था. एक साल से अधिक का समय उसके इलाज में समय लगा. इलाज के बाद जब उसने अपने चेहरे को देखा तो उसका हौसला टूट चुका था. जिदंगी में निराशा आ चुकी थी. घर में सभी लोगों का व्यवहार रूपाली के खिलाफ था. ऐसिड अटैक के लिये उसको ही दोष दिया जा रहा था.

रूपाली को सबसे अधिक दुख देने वाले उसके पिता का व्यवहार था. पिता ने इलाज के समय मे भी डाक्टर को कहा था कि इसके जिंदा रहने से अच्छा है कि जहर दे कर मार दिया जाय. घर आने के बाद भी यही व्यवहार रहा. मां रूपाली का सहयोग करती थी. तब पिता ने उनके साथ झगडा किया और कहा कि अगर वह रूपाली के साथ रहेगी तो उसको तलाक दे देंगे.

यह बात रूपाली को चुभ गई. रूपाली को उस समय काम करने के लिये शीरोज संस्था में मौका मिला वह गाजीपुर से लखनऊ आ गई. शीरोज में काम करने के दौरान ही रूपाली की मुलाकात कुलदीप से हुई. कुलदीप लखीमपुर का रहने वाला था और शीरोज में काम करता था. रूपाली और कुलदीप मेे पहले जानपहचान, दोस्ती, प्यार और फिर शादी हो गई. कुलदीप के परिवार वालों ने रूपाली केा स्वीकार कर लिया. रूपाली को 2 साल की बेटी दीपांशी भी है.

होटल नोवाटेल के जनरल मैनेजर सुनील वर्मा ने जब रूपाली और कुलदीप को वेलेटाइन डे के दिन कैंडिल लाइट डिनर का टिकट दिया तो रूपाली ओर कुलदीप की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. रूपाली कहती है आज वह किसी के उपर बोझ नहीं है. अब परिवार के लोग उससे वापस जुड़ना चाहते है. वेलेंटाइन डे रूपाली और कुलदीप के जीवन की यादगार शाम बन गई है.

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