राजस्थान के बूंदी जिले का रहने वाला 30 वर्षीय अभिषेक शर्मा राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल था. उस की पोस्टिंग बूंदी की पुलिस लाइन में थी. 28 अगस्त, 2019 की शाम वह अपनी बहन शीतल से यह कह कर गया था कि ड्यूटी पर जा रहा है.

अगले दिन जब वह घर नहीं लौटा तो उस के पिता भगवती प्रसाद ने उस के मोबाइल पर फोन किया लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ था. परेशान हो कर जब उन्होंने पुलिस लाइन में ही तैनात उस के दोस्त इरशाद को फोन कर के अभिषेक के बारे में पूछा तो उस ने जो बताया, उसे सुन कर सब परेशान हो उठे. इरशाद ने बताया कि अभिषेक ड्यूटी पर पहुंचा ही नहीं था.

किसी को बिना कुछ बताए अभिषेक कहां चला गया? उस का मोबाइल क्यों बंद है? यह सोच कर घर में सभी परेशान थे. एक सप्ताह तक परिवार के लोग अपने स्तर पर अभिषेक का पता लगाने की कोशिश करते रहे लेकिन जब उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो 5 सितंबर को भगवती प्रसाद ने बूंदी कोतवाली पहुंच कर कोतवाल घनश्याम मीणा को बेटे अभिषेक शर्मा के गायब होने की जानकारी दे कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. इतना ही नहीं, उन्होंने शक जताया कि अभिषेक को गायब कराने में उस की पत्नी दिव्या पाठक और साली श्यामा शर्मा का हाथ हो सकता है.

चूंकि मामला विभाग के ही कांस्टेबल के गायब होने का था, इसलिए उन्होंने इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी. कांस्टेबल अभिषेक शर्मा का पता लगाने के लिए एएसपी सतनाम सिंह ने एक स्पैशल पुलिस टीम गठित की, जिस में सीओ मनोज शर्मा, कोतवाल घनश्याम मीणा, साइबर सेल के हैडकांस्टेबल मुकेंद्र पाल सिंह, अशोक कुमार, कांस्टेबल राकेश बैंसला आदि को शामिल किया गया.

कोतवाल घनश्याम मीणा ने गुमशुदा कांस्टेबल के पिता भगवती प्रसाद को एक बार फिर थाने में बुला कर उस के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि अभिषेक के उस की पत्नी दिव्या पाठक के साथ संबंध ठीक नहीं थे. इस की वजह यह थी कि अभिषेक के प्रेम संबंध दिव्या की फुफेरी बहन श्यामा से हो गए थे.

इस की जानकारी दिव्या को हुई तो उस ने अभिषेक का विरोध किया. लेकिन जब अभिषेक नहीं माना तो दिव्या नाराज हो कर अपने मायके जटवाड़ा चली गई. उस समय वह अपनी डेढ़ साल की बेटी के साथ मायके में ही थी. श्यामा शर्मा बौंली कस्बे में अपने मातापिता के साथ रहती है.

मामला प्रेम प्रसंग का नजर आ रहा था, इसलिए कोतवाल घनश्याम मीणा ने अभिषेक, दिव्या और श्यामा के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. उन्होंने जब इन की काल डिटेल्स की जांचपड़ताल कराई तो पता चला कि घटना वाली रात को साढ़े 12 बजे तक अभिषेक का मोबाइल फोन एक्टिव था. इस के बाद उस का फोन विजयगढ़ किले में जा कर स्विच्ड औफ हो गया था.

विजयगढ़ किले में अभिषेक की अंतिम लोकेशन मिलने के बाद कोतवाल घनश्याम मीणा ने उस के घर वालों को इस के बारे में बताया और अभिषेक के संभावित जगहों पर जाने के बारे में पूछताछ की. उन्होंने बताया कि इस जगह से उस की पत्नी दिव्या का मायका जटवाड़ा नजदीक है. शायद वह उस से मिलने वहां गया हो.

इस के बाद पुलिस ने इस मामले को आपसी कलह के ऐंगल से भी देखना शुरू किया, लेकिन जब पुलिस टीम दिव्या पाठक से मिलने उस के गांव पहुंची तो उस ने बताया कि अभिषेक उस से मिलने नहीं आया था. अभिषेक के घर वालों ने अपना शक उस की साली श्यामा पर भी जाहिर किया था, इसलिए पुलिस का ध्यान अब श्यामा पर केंद्रित हो गया.

पुलिस की जांच बड़ी धीमी रफ्तार से बढ़ रही थी. उधर गुमशुदा अभिषेक शर्मा के घर वालों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा था. वे दिनरात अपने बेटे की सलामती जानने के लिए बूंदी कोतवाली का चक्कर लगा रहे थे. अभिषेक की साली श्यामा शर्मा के मोबाइल की काल डिटेल्स से पता चला कि श्यामा की अभिषेक शर्मा के गायब होने तक रोज उस की लंबीलंबी बातें होती थीं.

लेकिन श्यामा की काल डिटेल्स में एक और भी नंबर शक के दायरे में आया. उस नंबर पर भी श्यामा बात करती थी. इस संदिग्ध फोन नंबर की काल डिटेल्स निकालने के बाद पता चला कि यह नंबर नावेद रंगरेज नामक युवक का है जो श्यामा के गांव बौंली का ही निवासी था.

वह जयपुर में फाइनैंस का काम करता था. इस से कोतवाल मीणा का शक और पुख्ता हो गया और उन्होंने श्यामा और नावेद रंगरेज दोनों को पूछताछ के लिए कोतवाली बुला लिया.

जब श्यामा और नावेद रंगरेज दोनों कोतवाली पहुंचे तो कोतवाल घनश्याम मीणा ने उन दोनों से अभिषेक शर्मा के गायब होने के बारे में पूछा. लेकिन दोनों ने पुलिस को गुमराह करने की भरपूर कोशिश की. उन दोनों के सामने जब अभिषेक और उन दोनों की काल डिटेल्स और लोकेशन दिखा कर मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की तो वे टूट गए. उन्होंने स्वीकार किया कि 28 अगस्त की रात उन्होंने कांस्टेबल अभिषेक शर्मा की हत्या कर उस की लाश गायब कर दी थी.

पुलिस की तहकीकात और मृतक कांस्टेबल अभिषेक शर्मा के घर वालों से पूछताछ के बाद इस हत्याकांड के पीछे की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार है—

कांस्टेबल अभिषेक शर्मा अपने मातापिता के साथ राजस्थान के बूंदी शहर स्थित बीबनवा रोड पर रहता था. करीब 11 साल पहले उस की नौकरी राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर लगी थी. बाद में उस ने कमांडो की ट्रेनिंग भी ली थी. इन दिनों वह बूंदी की पुलिस लाइन में तैनात था.

अभिषेक की शादी सवाई माधोपुर जिले के जरवाड़ा गांव की दिव्या पाठक से हुई थी. अभिषेक औसत कदकाठी का हैंडसम युवक था. दिव्या उसे अपने पति के रूप में पा कर खुश थी.

ससुराल में पति के अतिरिक्त सासससुर, ननद सभी थे. वहां दिव्या को किसी चीज की कमी नहीं थी. वह खुद को दुनिया की सब से भाग्यशाली औरत समझती थी. शादी के कुछ साल बाद जब उस ने एक लड़की को जन्म दिया तो उस की किलकारियों से घर का वातावरण सुहाना हो गया.

दिव्या की एक फुफेरी बहन थी श्यामा. श्यामा सांवलीसलोनी जरूर थी, लेकिन वह आकर्षक और सैक्सी दिखती थी. वह खुले दिल की युवती थी. उसे टिकटौक पर अपने गाने व वीडियो डालने का शौक था. चूंकि वह किशोर उम्र से वीडियो बना रही थी, इसलिए अब तक वह 300 से अधिक वीडियो अपलोड कर चुकी थी. सवाई माधोपुर में तो वह टिकटौक गर्ल के नाम से मशहूर थी. दिव्या और श्यामा की आपस में बातचीत होती रहती थी.

इस के अलावा श्यामा पढ़ने में भी तेज थी. 12वीं कक्षा में उस ने 75 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. उस के पिता की मृत्यु हो चुकी थी. मां आंगनवाड़ी में काम करती थी.

एक बार श्यामा दिव्या से मिलने उस की ससुराल बूंदी पहुंची तो उस की मुलाकात जीजा अभिषेक से हुई. चुलबुली और बला की खूबसूरत साली को देख कर अभिषेक की नीयत डोल गई. वहां कुछ दिनों रहने के बाद उस की अभिषेक से नजदीकियां बढ़ गईं और दोनों के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

दिव्या ने पहले तो इसे महज जीजासाली का प्यार समझा, लेकिन बाद में उस ने अभिषेक और श्यामा को रंगेहाथों पकड़ लिया. इस के बाद घर के हालात बदलते देर नहीं लगी. श्यामा को ले कर अभिषेक के साथ उस का झगड़ा हुआ. आननफानन में दिव्या ने श्यामा के भाई को बुला कर श्यामा को उस के साथ उस के घर भेज दिया.

श्यामा के चले जाने के बाद भी अभिषेक और श्यामा के संबंधों में कमी नहीं आई. दोनों फोन पर देर तक लंबीलंबी बातें करते थे. बाद में अभिषेक उस से मिलने उस के गांव भी जाने लगा, जहां वह श्यामा के साथ अपने मन की मुराद पूरी कर लेता था. वहां कई दिन रुकने के बाद वह बूंदी लौट आता था. दिव्या और अभिषेक के बीच इस बात को ले कर रोजरोज दूरियां बढ़ने लगीं तो नौबत मारपीट तक जा पहुंची.

आखिरकार दिव्या ने पति की हरकतों से तंग आ कर बूंदी थाने में पति के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज करा दिया और अपने मायके जरवाड़ा चली गई. अभिषेक ने भी दिव्या के खिलाफ गहने चोरी करने का मामला दर्ज करा दिया और कोर्ट में उस से तलाक की अरजी डाल दी. अब वह श्यामा के साथ शादी कर के उसी के साथ जिंदगी गुजारना चाहता था. वह उस पर शादी करने का दबाव डालने लगा.

उधर श्यामा ने जब अपनी ममेरी बहन का घर उजड़ते देखा तो उसे होश आया. दूसरे अभिषेक उस से उम्र में 10-12 साल बड़ा था. वह उस से किसी भी कीमत पर शादी नहीं करना चाहती थी. इसलिए उस ने अभिषेक से कहा कि वह उस से शादी नहीं करेगी, क्योंकि इस से उस की बहन का घर उजड़ जाएगा. लेकिन अभिषेक किसी भी हाल में उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं था. वह श्यामा पर शादी करने का दबाव बनाने लगा. अभिषेक की इन हरकतों से श्यामा तंग आ गई और अभिषेक से पीछा छुड़ाने के बारे में वह सोचने लगी.

श्यामा का एक और प्रेमी था नावेद. नावेद उस के गांव का ही लड़का था, जिस के साथ पिछले 4-5 सालों से उस के गहरे संबंध थे. अभिषेक की हत्या से 15 दिन पहले श्यामा ने नावेद की मदद से अभिषेक से पीछा छुड़ाने की योजना तैयार की. नावेद भी चाहता था कि श्यामा के संबंध उस के सिवा किसी और लड़के से न हों.

28 अगस्त, 2019 को योजनानुसार श्यामा ने अभिषेक के मोबाइल पर फोन कर उसे मिलने के लिए अपने गांव बौंली बुलाया. साथ ही कहा कि आज उस का बर्थडे है. वह उस के लिए खाना बना कर लाएगी और दोनों कहीं एकांत जगह पर चलेंगे. वहीं जा कर हम दोनों साथसाथ खाना खाएंगे. फिर वहीं रात भर मौजमस्ती करेंगे.

यह सुन कर अभिषेक उस से मिलने के लिए तैयार हो गया. उस दिन शाम 7 बजे वह अपनी बहन शीतल से यह कह कर निकला कि वह ड्यूटी पर जा रहा है. लेकिन वह पुलिस लाइन में ड्यूटी पर न जा कर बूंदी से करीब 136 किलोमीटर दूर साली के गांव बौंली पहुंच गया.

उस के बौंली पहुंचने के बाद श्यामा ने अपने प्रेमी नावेद को फोन कर के विजयगढ़ किले के धीरावती महल में पहुंचने के लिए कहा और खुद अभिषेक की मोटरसाइकिल पर बैठ कर किले की तरफ रवाना हो गई.

वहां पहुंच कर श्यामा अभिषेक को अपने हाथों से खाना खिलाने लगी. उस खंडहर में जाने पर अभिषेक को भी कुछ शक हो रहा था. लेकिन कमांडो ट्रेनिंग कर चुका अभिषेक बहुत सतर्क था. वह बारबार इधरउधर देख रहा था.

आड़ में छिपा नावेद अभिषेक पर हमला करने का मौका देख रहा था, लेकिन उस पर हमला करने से उसे भी डर लग रहा था. उस के हाथ इसलिए कांप रहे थे कि यदि उस का निशाना सही नहीं पड़ा तो अभिषेक उस पर भारी पड़ सकता है.

आखिर हिम्मत जुटा कर नावेद दबेपांव अभिषेक के पीछे पहुंचा और अभिषेक के सिर पर लोहे की पाइप से भरपूर प्रहार कर दिया. सिर पर वार होते ही अभिषेक वहीं लुढ़क गया.

इस के बाद श्यामा और नावेद दोनों ने मिल कर गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. फिर उस की लाश को नंगा कर पहले से खोदे गए धीरावती महल के गड्ढे में डाल कर उस के ऊपर मिट्टी और कांटेदार झाडि़यां डाल दीं.

अभिषेक की लाश दफनाने के बाद नावेद श्यामा को उस की मोटरसाइकिल पर बिठा कर लौट आया. उस ने श्यामा को उस के गांव के बाहर छोड़ दिया. फिर मोटरसाइकिल काफी दूर ले जा कर एक सुनसान कुएं में डाल दी. इस के बाद वह घर चला गया. मामला शांत हो जाने के बाद वह श्यामा से शादी कर अपनी दुनिया बसाना चाहता था.

अभिषेक की हत्या को 4 महीने हो चुके थे. श्यामा और नावेद समझ रहे थे कि पुलिस उन दोनों तक नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन एएसपी हरनाम सिंह के निर्देशन में बूंदी थाने की पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए मामले की तह तक पहुंच गई और 18 दिसंबर, 2019 को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

आरोपी श्यामा और उस के प्रेमी नावेद से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर 3 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया. इस दौरान पुलिस उन की निशानदेही पर कांस्टेबल अभिषेक शर्मा की लाश तक पहुंची, जो कंकाल में बदल चुकी थी. पुलिस ने अभिषेक का कंकाल विजयगढ़ किले के खंडहर हो चुके धीरावती महल से बरामद कर लिया. जबकि उस की मोटरसाइकिल वहां से कुछ दूरी पर एक वीरान कुएं में मिली.

नावेद की निशानदेही पर अभिषेक शर्मा के रक्तरंजित कपड़े एक तालाब से बरामद किए गए. घटना के बाद उस के कपड़े नावेद ने एक पौलीथिन में भर कर फेंक दिए थे.

रिमांड अवधि पूरी होने के बाद कोर्ट के आदेश पर अभिषेक शर्मा हत्याकांड की आरोपी श्यामा शर्मा को नारी सुधारगृह और नावेद को जेल भेज दिया गया. जिस समय अभिषेक की हत्या हुई थी, उस समय श्यामा के 18 साल पूरे होने में केवल 6 दिन बाकी थे, इसलिए कोर्ट ने उसे नाबालिग माना. हालांकि 18 दिसंबर को जब उसे गिरफ्तार किया गया तो वह बालिग हो चुकी थी. बहरहाल, कुछ भी हो, कत्ल करने का दाग उस के दामन पर लग ही गया है.

 

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