इंदौर के तेजाजी नगर थाना इलाके में स्थित साईंधाम कालोनी के आलीशान बंगलों में एक बंगला बलवंत सिंह ठक्कर का भी है. इस कालोनी के लगभग सभी परिवार शहर के चर्चित चेहरे हैं. ऐसे में अगर बलवंत सिंह ठक्कर परिवार की चर्चा बाकी सब की चर्चाओं पर बीस साबित हो तो तय है कि ठक्कर परिवार में कुछ तो खासियत थी, जो दूसरों के पास नहीं. ऐसा ही था और वह खासियत थी बलवंत सिंह की बेटी वैशाली. वैशाली यानी स्टार प्लस के चर्चित टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की संजना और ‘ससुराल सिमर का’ सुपरहिट सीरियल की चर्चित खलनायिका अंजलि भारद्वाज.

लगभग 20 साल की उम्र से ही छोटे परदे पर अपनी खूबसूरती और कला की चमक बिखेरने वाली वैशाली की देश भर में पहचान बन चुकी थी. इसलिए लोग बलवंत सिंह के परिवार को विशेष तवज्जो देते थे.

इस में सब से बड़ी भूमिका वैशाली की थी, जिस के सौम्य रूप और चेहरेमोहरे में आकर्षण भरा पड़ा था. यूं तो वैशाली जहां भी रही, जब भी रही, चाहे वो उस का बचपन हो, किशोर उम्र हो या फिर जवानी, हमेशा ही अपने आसपास की भीड़ में आकर्षण का केंद्र रही है.

शायद यही कारण था कि उसे अपनी खूबसूरती का भान सही उम्र में सही वक्त पर हो गया था. खूबसूरती के साथ युवती में योग्यता और वजनदारी भी हो तो वह अपनी पर्सनैलिटी को अपनी ताकत बना लेती है.

वैशाली के पास यह गुण था, इसलिए उस ने किशोर उम्र से ही अभिनय की दुनिया में किस्मत आजमाने का फैसला कर लिया था. वैशाली की यह मेहनत रंग लाई, जिस के चलते सब से पहले 2013 में स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में उसे लीड रोल के लिए चुना गया.

सीरियल में वैशाली ने संजना की भूमिका निभाई जो दर्शकों में, खासकर युवा वर्ग में बहुत पसंद की गई और देखते ही देखते वैशाली छोटे परदे की बड़ी स्टार बन गई.

पहले ही सीरियल की सफलता के बाद सीरियल निर्माताओं ने वैशाली के दरवाजे पर लाइन लगानी शुरू कर दी. उस ने एक के बाद एक कई सीरियलों में अपने दमदार अभिनय और खूबसूरती की छटा बिखेरी.

वैशाली साहसी भी कम नहीं थी. इसलिए उस ने करिअर के शुरुआती दौर में नेगेटिव रोल करने से भी परहेज नहीं किया. ‘ससुराल सिमर का’ सीरियल में उस ने अंजलि भारद्वाज की नेगेटिव भूमिका निभाई, जिस के लिए वैशाली को बेस्ट एक्ट्रैस इन नेगेटिव रोल का ‘गोल्डन पैलेट’ अवार्ड भी दिया गया. इस के अलावा वैशाली ने ‘सुपर सिस्टर्स’, ‘विष या अमृत’, ‘मनमोहिनी’, ‘लाल इश्की’, ‘रक्षाबंधन’ आदि सीरियलों में महत्त्वपूर्ण रोल अदा किए.

जाहिर सी बात है कि वैशाली जैसी एक्ट्रैस का साईंधाम कालोनी में रहना आसपास के लोगों को गर्व की बात लगती थी. इसलिए पत्नी अनु, बेटे नीरज और एक्ट्रैस बेटी वैशाली की मौजूदगी से कालोनी में बलवंत सिंह का बंगला सब के लिए उत्सुकता का विषय रहता था.

एक उद्योगपति की बेटी थी वैशाली ठक्कर

15 अक्तूबर, 2022 की शाम का समय था. बलवंत सिंह के बंगले में रोज की तरह सब कुछ अपनी गति से चल रहा था. बलवंत सिंह का सनमाइका और प्लाईवुड का काफी बड़ा कारोबार है. इसलिए पालदा स्थित अपनी फैक्ट्री से आमतौर पर वह रात में देर से ही घर वापस आ पाते थे.

लेकिन 4 दिन बाद 20 अक्तूबर को उन की लाडली वैशाली की शादी होने वाली थी. इसलिए इन दिनों वह शाम ढलते ही घर वापस आ जाते थे.

उस दिन भी शाम को बलवंत सिंह घर पहुंच कर पत्नी अनु के साथ बैठ कर बेटी की शादी की चर्चा कर रहे थे. हालांकि इस शादी के लिए उन्हें कोई ज्यादा भागदौड़ करने की जरूरत नहीं थी. क्योंकि उन का होने वाला दामाद मितेश गौर 1-2 दिन में कैलिफोर्निया से इंदौर पहुंचने वाला था.

वैशाली की 4 दिन बाद होनी थी शादी

20 अक्तूबर को वैशाली और मितेश इंदौर के एडीएम के समक्ष उपस्थित हो कर कोर्ट मैरिज करने वाले थे. इस के लिए एडीएम कोर्ट में रजिस्ट्रैशन भी करवा लिया गया था. दोस्तों, रिश्तेदारों को बेटी की शादी की दावत देने का प्रोग्राम कोर्ट मैरिज होने के बाद में तय किया जाना था.

‘‘वैशाली कहां है,’’ घर आने के बाद काफी देर रात तक बेटी के दिखाई न देने पर बलवंत सिंह ने पत्नी से पूछा.

‘‘कहां होगी, अपने कमरे में है. आजकल तो उस ने घर से निकलना ही बंद कर दिया है.’’ पत्नी ने कहा.

‘‘क्या करें, आगे बढ़ कर एक्शन लेने  पर अपनी ही बदनामी होगी. फिर नरेश ने भरोसा दिलाया है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा, जिस से हम परेशानी में पड़ें.’’ बलवंत सिंह बोले.

‘‘आप अपने दोस्त नरेश के ही भरोसे बैठे रहना. उन के बेटेबहू का मुंह देखो, कैसे चलता है. नीरज बता रहा था कि राहुल ने 1-2 दिन पहले वैशाली को फिर धमकी दी है कि वो उस की शादी नहीं होने देगा. कुछ रोज पहले उस ने वैशाली को अपने घर बुला कर उस के संग गलत करने की कोशिश भी थी.’’ पत्नी अनु ने कहा.

‘‘नीरज कहां है?’’ पत्नी के मुंह से बेटे की बात सुन कर बलवंत ने पूछा.

‘‘बाहर गया है, आता ही होगा,’’ अनु पति की बात का जवाब दे रही थी कि तभी बेटा नीरज भी आ गया. जिस ने पूछने पर पिता को वह सब बता दिया, जो राहुल की धमकी के बारे में वैशाली ने उसे बताया था.

नीरज की बात सुन कर बलवंत गंभीर हो गए. लेकिन बात बेटी की बदनामी की थी, इसलिए यह सोच कर अपने मन को समझा लिया कि सब ठीक हो जाएगा.

जिस घर में 4 दिन बाद बेटी की शादी हो, वहां खुशियां आंगन में चहकती हैं. लेकिन हालात कुछ ऐसे थे कि अपनी नामदार बेटी की शादी चोरों की तरह करना बलवंत सिंह की मजबूरी बन गई थी. इसलिए शुभ अवसर के दरवाजे पर आ कर खड़े हो जाने के बाद भी दीवारों के अंदर खामोशी लगातार पसरी हुई थी.

परिवार में 2 बहनें हों तो उन की आपस में खूब बनती है, लेकिन बहनें 2 न हों तो भाईबहन ही आपस में दोस्त बन जाते हैं. इसलिए नीरज की वैशाली से खूब बनती थी. वैशाली भी अपने मन की ऐसी हर बात जो आमतौर पर लड़कियां केवल अपनी बहन या सहेली से शेयर करती हैं, नीरज से शेयर कर लेती थी.

चकाचौंध की जिंदगी बड़ी जालिम होती है. एक बार जो इस चकाचौंध में पड़ गया वो अंधेरे में जीने की बात सोच कर भी डरता है. वैशाली इसी दौर से गुजर रही थी.

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