लौकडाउन में वैशाली मुंबई से इंदौर आ गई थी, इसलिए 2020 में आखिरी सीरियल में काम करने के बाद नए सीरियल में मौका नहीं मिलने से वह अपने करिअर को ले कर परेशान थी.

खुद को व्यस्त रखने के लिए वैशाली ज्यादातर समय अपने भाई नीरज के साथ वीडियो गेम खेलते हुए काटती थी. लेकिन उस रोज खाना खाने के बाद कमरे में गई वैशाली काफी देर तक बाहर नहीं आई तो रात लगभग साढ़े 12 बजे जब मां और पिता दोनों किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा में व्यस्त थे, नीरज बहन के साथ वीडियो गेम खेलने उस के कमरे में पहुंचा तो वहां का नजारा देख कर जोरों से चीख पड़ा.

वैशाली की मौत पर पुलिस अधिकारी भी हुए हैरान

बेटे की चीख सुन कर मौके पर पहुंचे बलवंत सिंह और उन की पत्नी अनु वैशाली को फांसी पर लटका देख कर मानो पत्थर के हो गए. होश आने पर घर वालों ने आननफानन में वैशाली को फंदे से उतारा और उसे ले कर अस्पताल की तरफ भागे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. ठक्कर परिवार की शान समझी जाने वाली वैशाली दुनिया को अलविदा कह कर दूर जा चुकी है.

सुबह के 7 बजे थे. हमेशा की तरह सुबह होते ही अपनी ड्यूटी पर पहुंचने वाले तेजाजी नगर थाने के टीआई आर.डी. कानवा थाने जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि तभी उन्हें साईंधाम कालोनी में रहने वाली टीवी एक्ट्रैस वैशाली ठक्कर द्वारा फांसी लगाने की खबर मिली.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए चंद पलों में ही साईंधाम कालोनी की सुबह पुलिस की गाडि़यों के सायरन से गूंज उठी. दलबल को ले कर टीआई आर.डी. कानवा के मौके पर पहुंचते ही कालोनी में वैशाली द्वारा आत्महत्या कर लेने की खबर फैल गई.

वैशाली शहर के एक उद्योगपति की बेटी और चर्चित टीवी एक्ट्रैस थी, इसलिए टीआई कानवा द्वारा मिली सूचना पर एसीपी (आजाद नगर) मोतीउर रहमान (आईपीएस) भी मौके पर पहुंच गए.

श्री रहमान के नेतृत्व में टीआई कानवा की टीम ने मौके की बारीकी से जांच की, जिस में वैशाली द्वारा अपने पीछे छोड़ा गया 8 पेज का सुसाइड नोट बरामद कर लिया गया.

कमरे में वैशाली की डायरी भी मिली, जिसे देखते ही एसीपी समझ गए कि इस के कुछ पन्ने फाड़े गए हैं इसलिए पुलिस टीम डायरी से फाड़े गए पन्नों की तलाश में जुट गई जो कुछ ही देर में वैशाली के बाथरूम में लगे कवर्ड में टुकड़ों के रूप में मिले.

उन पन्नों की इबारत मरने के बाद भी वैशाली दुनिया से छिपाना चाहती थी, इस से एसीपी मोती उर रहमान के सामने यह बात कांच की तरह साफ हो चुकी थी कि इन फटे पन्नों की इबारत में ही इस घटना की कहानी छिपी हो सकती है. इसलिए इन टुकड़ों के अलावा पुलिस ने मौके से वैशाली का मोबाइल और आईपैड भी बरामद कर लिया. इस के बाद शव का पंचनामा बना कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

इस दौरान एसीपी रहमान ने न केवल वैशाली द्वारा लिखा सुसाइड नोट पढ़ डाला, बल्कि वैशाली के मातापिता और भाई से शुरुआती पूछताछ भी कर ली.

वैशाली के लंबेचौड़े सुसाइड नोट का लब्बोलुआब यह था कि उस ने अपनी मौत के लिए पड़ोस के बंगले में रहने वाले प्लाईवुड व्यापारी नरेश नवलानी के इकलौते बेटे राहुल नवलानी और उस की पत्नी दिशा नवलानी को जिम्मेदार ठहराया था.

वैशाली के घर वाले भी राहुल और दिशा को जिम्मेदार बता रहे थे. लेकिन वैशाली ने रात लगभग साढ़े 12 बजे फांसी लगाई थी, जबकि परिवार ने घटना के 7 घंटे बाद पुलिस को जानकारी दी थी. इसलिए पुलिस को अगला कदम उठाने से पहले कई तथ्यों को जांचना जरूरी था.

फिर भी बात हाथ से न निकल जाए, इसलिए टीआई कानवा अपनी टीम ले कर वैशाली के पड़ोस में रहने वाले राहुल नवलानी के घर जा पहुंचे. लेकिन तब तक राहुल का पूरा परिवार घर में ताला लगा कर फरार हो चुका था.

चोर की दाढ़ी में तिनका, इस कहावत का पूरा अर्थ एसीपी मोती उर रहमान भली प्रकार जानते थे, इसलिए सुसाइड नोट में क्या लिखा है, इस की जानकारी बाहर आने से पहले राहुल के परिवार सहित फरार हो जाने से वह समझ गए कि वैशाली के सुसाइड नोट में कुछ न कुछ सच्चाई अवश्य है.

राहुल और उस की पत्नी की तलाश में जुटी पुलिस

वैशाली ठक्कर सेलिब्रिटी थी. इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी जोन-1 अमित तोलानी के अलावा खुद कमिश्नर इंदौर हरिनारायण चारी मिश्र भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस पूछताछ में घर वालों ने खुल कर राहुल और उस की पत्नी दिशा पर वैशाली को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया.

कालोनी वालों ने तभी दबे स्वर में इन आरोपों के सही होने की तरफ इशारा किया. इस से एसीपी रहमान ने टीआई कानवा को राहुल और दिशा को खोज निकालने के निर्देश दे दिए.

इन की तलाश में पुलिस की 2 टीमें मुंबई और जयपुर के लिए रवाना कर दी गईं, जबकि टीआई कानवा अपने मुखबिरों के जरिए राहुल की लोकेशन स्थानीय स्तर पर तलाश करने लगे. क्योंकि वह जानते थे कि कई बार शातिर अपराधी नाक के नीचे छिप कर पुलिस को चकमा देने की कोशिश करता है.

वास्तव में टीआई कानवा का सोचना सही साबित हुआ, जिस के चलते चौथे दिन पुलिस ने राहुल को इंदौर में ही उस के एक रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में राहुल अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताता रहा, लेकिन पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर 4 दिन की रिमांड पर ले लिया. इस दौरान उस से गहराई से पूछताछ की गई, जिस में वैशाली आत्महत्या मामले की कहानी इस प्रकार सामने आई—

बलवंत सिंह ठक्कर मूलरूप से उज्जैन जिले में महिदपुर के रहने वाले हैं. इन का प्लाईवुड और सनमाइका का बड़ा कारोबार है, जिस के लिए इन्होंने अपनी एक फैक्ट्री इंदौर के पालदा में लगा रखी है.

बलवंत कई साल पहले पत्नी अनु, बेटी वैशाली और बेटे नीरज के साथ इंदौर में आ कर बस गए थे. वैशाली बचपन से ही प्रतिभाशाली थी. बेटी को अभिनय का शौक देख कर पिता ने यह शौक पूरा करने के लिए उसे हर तरह की सुविधा मुहैया करवा रखी थी.

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