शाम हो चुकी थी. धीरेधीरे करते हुए इशहाक को पार्क में आए काफी देर हो चुकी थी. न जाने क्या बात थी, जो उसे कसक रही थी. खामोश सा कुछ वह सोचता हुआ चला जा रहा था, ‘आखिर मैं कैसे बताऊं शबाना को कि मैं उस के लायक नहीं हूं. मैं अभी तक बेकार हूं और वह मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी कर रही है.

‘मेरा परिवार गरीब और उस के पिता नामीगिरामी वकील. कहीं भी तो बराबरी नहीं…’ सोचतेसोचते उस का मन किया कि वह शहर से बाहर चला जाए, फिर वह आगे सोचने लगा, ‘अगर मैं बिना बताए बाहर निकल भी जाऊं तो अम्मी का क्या होगा… वे तो सदमे से मर जाएंगी. अब्बा चल भी नहीं पाते, उन्हें कौन सहारा देगा… रुखसार की शादी कैसे होगी… बाहर चले जाने पर भी नौकरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है…’

तभी एक आवाज ने इशहाक को चौंका दिया, ‘‘अरे इशहाक साहब, जरा मेरी तरफ भी थोड़ा देख लीजिए, कब से मैं आप के पास खड़ी हूं,’’ यह शबाना थी, जो औफिस से लौट कर इशहाक से मिलने आई थी.

इशहाक मुसकराया और बोला, ‘‘आओ शब्बो, बैठो. तुम्हारे औफिस में आज कुछ देर से छुट्टी हुई… क्या आज काम ज्यादा था?’’

‘‘नहीं, काम तो रोज के हिसाब से था, लेकिन औफिशियल मीटिंग में देर हुई…’’ शबाना ने बैंच पर बैठते हुए कहा, ‘‘तुम्हें मेरे लिए काफी देर तक बैठना पड़ा… सौरी.’’

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं,’’ इशहाक बोला.

शबाना गौर से इशहाक के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली, ‘‘कुछ ऐसा क्यों नहीं करते कि हमारा इंतजार हमेशा के लिए खत्म हो जाता…’’

इशहाक ने शबाना के चेहरे की तरफ एकबारगी देखा और खामोश ही रहा.

शबाना ने दोहराते हुए पूछा, ‘‘कोई बात है क्या? इतने चुप क्यों हो?’’

‘‘नहीं, कोई बात नहीं. और सुनाओ, आज का दिन औफिस में कैसा गुजरा?’’ इशहाक ने बात टालते हुए कहा.

‘‘ईशु मियां, बात टालते हुए अरसा गुजर रहा है. अब हमें अपनी जिंदगी को जवाब देना है. आखिर कब तक हम जिंदगी के सब से अहम सवाल को यों ही टालते रहेंगे?

‘‘तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती. अब वक्त बहुत बीत गया है, इसलिए निकाह बहुत जरूरी है. तुम मेरे अब्बू से क्यों नहीं मिलते?’’ शबाना ने इशहाक को झकझोरते हुए कहा.

‘‘शब्बो, यह इतना आसान नहीं है. तुम समझने की कोशिश तो करो, मैं कैसे अब्बू से मिलूं. हजार सवाल पूछे जाएंगे. सब से बड़ा सवाल होगा कि मैं क्या करता हूं? तुम्हीं ही बताओ कि इस सवाल का मैं क्या जवाब दूं?

‘‘कैसे बताऊं कि मैं एमबीए करने के बाद भी बेकार हूं और मेरे पास रहने के लिए अपना घर तक नहीं है. तुम्हारे अब्बू किसी ऐसे आदमी से तुम्हारे निकाह के लिए कैसे हां कर सकते हैं?

‘‘मेरी बात मानो, तो मुझे भूलने की कोशिश करो. मैं तुम्हें कैसे खुश रख सकता हूं, जिस के पास न तो कोई नौकरी है और न ही रहने के लिए घर.

‘‘तुम एक बड़े घर में रहने वाली और बड़ी कंपनी में काम करने वाली खूबसूरत लड़की हो. और मैं…’’ इशहाक की आवाज कांप रही थी. उसे लग रहा था कि वह रो देगा. वह किसी तरह खुद को संभाल पा रहा था.

‘‘ईशू, यह आज क्या हो गया है तुम्हें? कैसी बातें कर रहे हो… तुम बेहद काबिल हो. आज नहीं तो कल नौकरी मिल ही जाएगी. इस तरह निराश मत हो और मुझ से ऐसी बातें मत करो.

‘‘तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगी. रही बात अब्बू की, तो वे वकील हैं और उन की जिंदगी की शुरुआत बहुत ही खराब थी. उन्होंने काफी जद्दोजेहद की है और बहुत दर्द सहने के बाद आज इस मुकाम पर पहुंच सके हैं.

‘‘उन्हें धनदौलत और शोहरत वाला लड़का नहीं चाहिए, बल्कि ऐसा कोई हो, जो मुझे प्यार करे और मेरे जज्बात को तवज्जुह दे.

‘‘वे अकसर कहते हैं कि शबाना की शादी मैं ऐसे लड़के से करूंगा, जो भले ही गरीब हो, लेकिन काबिल हो सब से अहम बात कि वह शबाना से बेहद प्यार करता हो.

‘‘ईशु, तुम एक बार मिल कर बात तो करो. कल इतवार है और सब लोग घर पर ही रहेंगे. तुम कल मेरे घर आ जाओ. तुम बिलकुल मत घबराओ. मैं वहीं रहूंगी और हमेशा तुम्हारे साथ हूं,’’ शबाना ने इशहाक का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा.

‘‘लेकिन शब्बो, कुछ अनहोनी न हो जाए,’’ इशहाक ने घबराहट में कहा.

‘‘जोकुछ भी होगा, हमारे साथ होगा… मैं साथ रहूंगी,’’ शबाना ने बहुत आत्मविश्वास से कहा और थोड़ी देर के बाद वह चली गई.

दूसरे दिन इशहाक बड़ी हिम्मत कर के शबाना के घर पहुंचा. उस समय शबाना के अब्बू बैठक में ही बैठे थे.

‘‘अब्बू, ये इशहाक हैं और मेरे साथ पढ़े हैं. मैं इन्हें अच्छी तरह से जानती

हूं. ये आप से मिलने आए हैं,’’ शबाना

ने कहा.

‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुम इन्हें जानती हो. बैठो बेटा. मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?’’ अब्बू ने पूछा.

‘‘मैं ने एमबीए फर्स्ट क्लास में पास किया है, पर कितनी कोशिश के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिली,’’ इशहाक बोला.

‘‘इस में परेशान होने की बात नहीं है बेटा, आज नहीं तो कल कहीं न कहीं नौकरी मिल ही जाएगी, बस कोशिश करते रहना चाहिए.’’

‘‘अब्बू, मैं भी इन से यही कहती हूं कि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं,’’ शबाना ने बीच में दखल देते हुए कहा.

‘‘हां, जिंदगी में उतारचढ़ाव तो आते रहते हैं, लेकिन हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. वैसे, मेरे एक दोस्त हैं… उन का कुछ असरदार लोगों से परिचय है. मैं उन से बात करूंगा. हो सकता है कि तुम्हारा काम हो जाए. तुम कल शाम को मुझ से मिलो,’’ कहते हुए शबाना के अब्बू उठ कर बाहर चले गए.

बैठक में शबाना और इशहाक रह गए. ‘‘ईशु मियां, ऐसे तो तुम कभी अपनी बात नहीं कह पाओगे,’’ शबाना ने रूठते हुए कहा. खैर, अगले दिन शाम को फिर इशहाक शबाना के घर पहुंचा.

‘‘आओ बेटा, शबाना तुम्हारे बारे में ही बात कर रही थी,’’ शबाना के अब्बू ने कहा.

इशहाक के चेहरे पर कई तरह के भाव आए. कुछ घबराहट सी हुई कि कहीं शबाना ने सारी बात तो नहीं बता दी. वह चुपचाप बैठ गया.

‘‘मैं ने तुम्हारे बारे में बात की है. हो सकता है कि तुम्हारा काम हो जाए, लेकिन तुम्हें मैं जहां भेज रहा हूं, वहां जा कर मेरे दोस्त से मिलना होगा. और जो वे कहें, वह मानना पड़ेगा,’’ शबाना के अब्बू ने इशहाक से कहा.

‘‘जी, मैं तैयार हूं,’’ इशहाक बोला.

‘‘तो ठीक है. मेरा खत ले कर जाओ और उन से मिलो,’’ वकील साहब ने इशहाक को खत देते हुए कहा.

इशहाक खत ले कर वकील साहब के दोस्त के यहां पहुंचा. खत पढ़ कर उन्होंने कहा, ‘‘ठीक है. मैं आप का काम करा दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है.’’

‘‘कैसी शर्त?’’ इशहाक ने पूछा.

‘‘शर्त यह है कि नौकरी मिलने के बाद आप को मेरी बेटी से शादी करनी होगी.’’

‘‘लेकिन, मैं यह शादी नहीं कर सकता. मैं किसी और से प्यार करता हूं और मैं ने उस से शादी का वादा किया है,’’ इशहाक ने जोर दे कर कहा.

‘‘देखो, मेरी बेटी से शादी करने के बाद ही मैं तुम्हारे लिए कुछ सोच सकता हूं, इसलिए तुम्हें एक दिन का मौका है… सोचसमझ लो और चाहो तो मेरी बेटी से मिल भी सकते हो,’’ वकील साहब के दोस्त ने कड़े लहजे में कहा.

इशहाक की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. वह शबाना को किसी भी हालत में छोड़ने की सोच भी नहीं सकता था और नौकरी उस के लिए बहुत जरूरी थी. प्यार के नाम पर वह कोई समझौता नहीं कर सकता था.

‘‘ठीक है अंकल, मैं कल सोच कर जवाब दूंगा,’’ कहते हुए इशहाक चला आया. घर पहुंच कर वह सोचने लगा, ‘क्या शबाना के अब्बू ने जानबूझ कर मुझे ऐसे आदमी के पास भेजा था या

मेरी मजबूरी का फायदा उठाते हुए मुझे जानबूझ कर शबाना से अलग करने की चाल है? क्या शबाना को यह सब पता है? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता,’ यह सोचते हुए उसे नींद आ गई.

अगले दिन इशहाक मन में कुछ सोच कर शबाना के अब्बू से मिलने उस के घर गया. शबाना घर पर ही मिल गई. उस ने शबाना को सारी बात बताई.

पहले तो शबाना को यकीन ही नहीं हुआ, फिर वह इशहाक का हाथ पकड़ कर बैठक में गई. वहां उस के अब्बू अपने किसी मुवक्किल से बात कर रहे थे. अचानक ऐसे शबाना के अंदर आने से वे चौंक गए.

‘‘अब्बू, यह आप ने क्या किया है… जब आप को मालूम था कि अंकल ऐसे हैं, तो आप ने इशहाक को उन के पास क्यों भेजा?’’ शबाना ने गुस्से में भर कर कहा.

शबाना के अब्बू को अंदाजा हो गया था कि शबाना और इशहाक एकदूसरे के बहुत करीब हैं, लेकिन मौजूदा हालात की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी.

‘‘बेटा, पहले कमरे में चलो. वहां बात करते हैं,’’ कहते हुए वे उन दोनों को भी कमरे में ले आए.

‘‘हां, अब बताओ कि क्या बात है. और इशहाक, तुम्हारे साथ कल क्या हुआ?’’

इशहाक ने सारी बात बताई.

‘‘अब्बू बताइए कि आप ने ऐसे आदमी के पास इशहाक को क्यों भेजा?’’ शबाना ने पूछा.

‘‘बेटा, यह बात मुझे पहले से मालूम थी कि उन की लड़की ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं है और मानसिक रूप विकलांग है. लेकिन यह सच नहीं है कि मैं ने इशहाक को उन के पास इसलिए भेजा कि वह नौकरी के लिए उन की लड़की से शादी कर ले. मुझे इस का अंदाजा भी नहीं था कि वे ऐसा करेंगे,’’ वकील साहब ने अपनी बात समझाने की कोशिश की.

‘‘पर अब्बू, इशहाक और मैं शादी करना चाहते हैं और आप हमें इजाजत दीजिए,’’ शबाना ने एकदम से कह दिया.

इशहाक चुपचाप खड़ा रहा. थोड़ी देर तक वहां सन्नाटा पसर गया और वकील साहब भी अवाक खड़े रह गए. फिर वे सामने कुरसी पर बैठ गए और उन दोनों को भी बैठने को कहा.

बैठने से पहले शबाना गिलास में पानी ले कर आई और अब्बू को दिया, फिर वह बोली, ‘‘अब्बू, आप ने ही सिखाया था कि मांबाप से दिल की बात साफसाफ कह देनी चाहिए. इशहाक गरीब जरूर है, लेकिन इस में आत्मसम्मान बहुत ज्यादा है. सब से खास बात तो यह है कि यह काबिल है. हम एकदूसरे से बहुत प्यार करते हैं और हर हाल में खुश रहेंगे,’’ शबाना ने अपने अब्बू से सबकुछ कह डाला.

‘‘अब्बू, मैं वादा करता हूं कि शबाना को हमेशा खुश रखूंगा और चाहे कैसे भी हालात हों, हम मिल कर उन का सामना करेंगे और हमेशा खुश रहेंगे,’’ इशहाक ने भी कहा.

‘‘अच्छा ठीक है. लेकिन, मैं लड़की वाला हूं, तो मुझे तो रिश्ता मांगने इशहाक के मांबाप से मिलने जाना होगा. जब तक शादी की तारीख तय न हो जाए, तब तक के लिए मुझे वक्त चाहिए.

‘‘इशहाक, तुम मेरे साथ 2 दिन बाद चलोगे, जहां तुम्हारी नौकरी की बात शबाना के मामू की कंपनी में करनी है. शादी की तारीख तक मुझे तुम्हारी नौकरी पक्की करानी है. अब तो मेरा काम बढ़ गया है. जल्दी से जल्दी शादी की तारीख निकलवाने की कोशिश करूंगा.’’

इतना कह कर वकील साहब ने शबाना और इशहाक को अपने गले से लगा लिया. शबाना की आंखों में खुशी के आंसू आ गए.

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