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किले में क्यों मिले अमरपाल और जयराम

इस सीन में निर्देशक भाव धूलिया की एक बड़ी कमी साफ दिखाई दे रही है. जिस अमरपाल सिंह को पूरे राज्य की पुलिस ढूंढ रही है, जो जयराम गोदारा एक कुख्यात नाम है, जिस की फोटो अकसर अखबारों में छपती रहती है. वे अपने खुले चेहरे में उस सभा में बम फेंक कर वहां से मोटरसाइकिल से फरार भी हो जाते हैं. निर्देशक को कम से कम उन दोनों के चेहरे तो ढंक देने चाहिए थे. ये सारा दृश्य नाटकीय सा लगता है.

उस के बाद अगला सीन शुरू हो जाता है मदन सिंह (विधायक) अमरपाल से मिलने उस के घर आता है, तभी वहां जयराम गोदारा आ जाता है. राजपूत विधायक मदन सिंह जयराम गोदारा को दिल को चुभ जाने वाली काफी बातें कहता है.

अमरपाल किसी तरह से जयराम गोदारा को काबू में करता है. जयराम अपने साथ हवाई जहाज के 2 टिकट अमरपाल को दे कर गुस्से से वहां से चला जाता है.

एक दिन राजपूत विधायक मदन सिंह बाजार में मिठाई खरीदने के लिए अपनी गाड़ी रुकवाता है, तभी जयराम गोदारा गोली मार कर विधायक मदन सिंह की हत्या कर देता है. इस से पूरे राजस्थान में हड़कंप मच जाता है. किसी को पता नहीं चल पाता कि हत्या किस ने की है.

फिर राजा फोगाट का एक विश्वस्त पुलिस अधिकारी उसे फोन कर के कहता है कि अमरपाल ने विधायक मदन सिंह की हत्या कर दी है. राजा फोगाट उस से कहता है कि अमरपाल उसे नहीं मार सकता. पता करो किस ने हत्या की है.

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